• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

पंजाब और गोवा में बम्पर वोटिंग: क्या है सत्ता परिवर्तन का इशारा?

    • अरविंद मिश्रा
    • Updated: 06 फरवरी, 2017 02:11 PM
  • 06 फरवरी, 2017 02:11 PM
offline
इसके पहले जब भी रिकॉर्ड वोटिंग हुई है तब-तब देश की राजनीति में कुछ ना कुछ बदलाव आया है. तो क्या गोवा और पंजाब में भी ऐसा ही होगा?

गोवा विधानसभा चुनाव में रिकॉर्ड 83 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया. यहां साल 2012 के विधानसभा चुनावों में 81.73 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया था. पंजाब में 117 सीटों के लिए वोट डाले गए थे. गोवा में 40 सीटों के लिए वोट डाले गए थे

उधर, पंजाब में इस साल पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले मतदान का प्रतिशत कम रहा. इस बार यहां 75 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया. साल 2012 के विधानसभा चुनावों में पंजाब में 78.20 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया था.

इन सब के बीच सभी राजनीतिक पार्टियां अपनी अपनी जीत का दावा भी ठोकने लगे हैं. जहां आप के नेताओं ने पंजाब और गोवा दोनों राज्यों में जीत का दम्भ भर रहे हैं वहीं पंजाब में अकाली दल और कांग्रेस अपनी अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हैं और बीजेपी गोवा में फिर से सरकार बनाने को लेकर आश्वस्त दिख रही है.

हालाँकि, पंजाब में कम वोटर टर्नआउट AAP के लिए चिंता का सबब हो सकता है. माना जा रहा है कि राज्य के सत्ताधारी BJP-SAD गठबंधन का मुकाबला कांग्रेस से कहीं ज्यादा AAP से है. यह सर्वविदित है कि लोकसभा चुनावों में भी AAP का खाता केवल पंजाब से ही खुला था. यहां से उसके 4 उम्मीदवार जीतकर लोकसभा पहुंचे थे.    आइये देखते हैं पिछले चुनाव के आंकड़ों का विश्लेषण किस ओर इशारे करते हैं...

चुनाव आयोग के आंकड़ों से पता चलता है कि जब भी विधान सभा चुनावों में मतदान प्रतिशत पिछले चुनाव कि तुलना में ज्यादा होती है तो ऐसे में लगभग अस्सी प्रतिशत मामलों में सरकार बदल जाता है. एक और चीज़ हमे देखने को मिलता है - जब महिला मतदाताएं पुरुषों की तुलना में बढ़ चढ़कर वोटिंग करती है तो ऐसे में बदलाव की सम्भावनाएं प्रबल हो जाता है.

गोवा विधानसभा चुनाव में रिकॉर्ड 83 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया. यहां साल 2012 के विधानसभा चुनावों में 81.73 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया था. पंजाब में 117 सीटों के लिए वोट डाले गए थे. गोवा में 40 सीटों के लिए वोट डाले गए थे

उधर, पंजाब में इस साल पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले मतदान का प्रतिशत कम रहा. इस बार यहां 75 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया. साल 2012 के विधानसभा चुनावों में पंजाब में 78.20 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया था.

इन सब के बीच सभी राजनीतिक पार्टियां अपनी अपनी जीत का दावा भी ठोकने लगे हैं. जहां आप के नेताओं ने पंजाब और गोवा दोनों राज्यों में जीत का दम्भ भर रहे हैं वहीं पंजाब में अकाली दल और कांग्रेस अपनी अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हैं और बीजेपी गोवा में फिर से सरकार बनाने को लेकर आश्वस्त दिख रही है.

हालाँकि, पंजाब में कम वोटर टर्नआउट AAP के लिए चिंता का सबब हो सकता है. माना जा रहा है कि राज्य के सत्ताधारी BJP-SAD गठबंधन का मुकाबला कांग्रेस से कहीं ज्यादा AAP से है. यह सर्वविदित है कि लोकसभा चुनावों में भी AAP का खाता केवल पंजाब से ही खुला था. यहां से उसके 4 उम्मीदवार जीतकर लोकसभा पहुंचे थे.    आइये देखते हैं पिछले चुनाव के आंकड़ों का विश्लेषण किस ओर इशारे करते हैं...

चुनाव आयोग के आंकड़ों से पता चलता है कि जब भी विधान सभा चुनावों में मतदान प्रतिशत पिछले चुनाव कि तुलना में ज्यादा होती है तो ऐसे में लगभग अस्सी प्रतिशत मामलों में सरकार बदल जाता है. एक और चीज़ हमे देखने को मिलता है - जब महिला मतदाताएं पुरुषों की तुलना में बढ़ चढ़कर वोटिंग करती है तो ऐसे में बदलाव की सम्भावनाएं प्रबल हो जाता है.

अगर हम गोवा की बात करें तो इस बार करीब दो प्रतिशत ज्यादा मतदान हुए...

पंजाब में हालाँकि पिछले चुनाव की तुलना में करीब तीन प्रतिशत कम मतदान हुए लेकिन यहां महिला मतदाताओं ने पुरुषों की अपेक्षा ज्यादा मतदान में हिस्सा लिया. जहां 78.14 प्रतिशत महिलाओं ने अपने मत का उपयोग किया वहीं पुरुषों का योगदान 76.69 प्रतिशत रहा. हालाँकि, ये बात और है कि 1145 उम्मीदवारों में केवल 81 महिलाओं को ही राजनीतिक पार्टियों ने इस चुनाव में टिकट दिया था.

कुछ अपवाद भी हैं...

जहां एक ओर उच्च मतदान के कारण सत्ता परिवर्तन देखने को मिलता है वहीं हमारे सामने कुछ अपवाद भी देखने को मिलते हैं.

खुद पंजाब का 2012 का विधान सभा चुनाव परिणाम सबको आश्चर्यचकित कर दिया था जब अकाली-बीजेपी सरकार वापस सत्ता में आ गई थी. उस साल भी 2007 के विधान सभा चुनाव के मुकाबले करीब तीन प्रतिशत ज्यादा मतदान रिकॉर्ड किया गया था.

ठीक उसी तरह अगर हम दिल्ली की बात करें तो 2008 के विधान सभा चुनाव में शीला दीक्षित सरकार दोबारा सत्ता में आयी और वो भी जब 2003 के चुनाव के मुकाबले करीब चार प्रतिशत ज़्यादा मतदान हुए थे.

अब हम पश्चिम बंगाल पर नज़र डालते हैं. यहां ममता बनर्जी ने 2016 के विधान सभा चुनाव में दोबारा सरकार बनाई हालाँकि पिछले यानि 2011 विधान सभा से ज़्यादा मत प्रतिशत नहीं थे.

गोवा और पंजाब में इस वोट प्रतिशत का क्या रूख होगा- यहां सत्ता परिवर्तन होगा या अपवाद के श्रेणी में जायेगा ये तो 11 मार्च को ही पता चलेगा लेकिन फिलहाल राजनीतिक दलों को गुणा - भाग यानि अपने-अपने तरह से विश्लेषण करने पर मज़बूर कर दिया है.

 

ये भी पढ़ें- - डेरा के सपोर्ट के बाद आप-कांग्रेस के बीच कहां फिट हो रहा सत्ताधारी गठबंधन- कृपया ध्यान दें - नीतीश ने कमल में लाल रंग भरा है, भगवा नहीं!

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲