• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

सिंधु जल समझौता तोड़ने पर खतरा चीन से है!

    • संतोष चौबे
    • Updated: 26 सितम्बर, 2016 05:13 PM
  • 26 सितम्बर, 2016 05:13 PM
offline
सिंधु जल पर हुए करार को अगर तोड़ने की कवायद हुई तो पाकिस्तान मुश्किलों से घिर जाएगा. लेकिन, ऐसा करने से पहले हमें ये सोचना जरूरी है कि उसके पास भी चीन के नाम का एक तुरुप का पत्ता है...

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिंधु जल समझौते पर सम्बंधित मंत्रालयों और विभागों की बैठक बुलाई है जो इस पर विचार करेगी कि 1960 से चले आ समझौते को माना जाए या बदली हुई परिस्थितियों के अनुसार उसमें बदलाव की मांग की जाए.

और सरकार की क्या राय है इसका अंदाज़ा हमें विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरुप के उस वक्तव्य से ही लग जाना चाहिए जब उन्होंने कहा था कि ऐसे किसी भी समझौते का चलते रहना आपसी भरोसे और सहयोग पर निर्भर करता है. उन्होंने साथ में ये भी जोड़ा कि ऐसा कोई भी समझौता एक तरफ़ा नहीं हो सकता.

इसे भी पढ़ें: वॉर रूम में मोदी....मगर क्या होगी वॉर?

क्या मोदी सरकार कोई कड़ा निर्णय ले पायेगी?

ये सभी जानते हैं कि सिंधु समझौता एक तरफ़ा ही है. सिंधु बेसिन की नदियों की उत्पत्ति भारत में होती है लेकिन समझौते के अनुसार उनके जल का 80% हिस्सा पाकिस्तान के उपयोग के लिए आरक्षित है. पाकिस्तान के कुल सिंचित क्षेत्र का लगभग 90% सिंधु के जल पर ही निर्भर करता है. जबकि अगर हम सिंधु नदी इलाके की बात करें तो इसका 47% हिस्सा पाकिस्तान में पड़ता है तो भारत में भी 39% हिस्सा आता है.

 भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल समझौता

भारत में, विशेषतः जम्मू और कश्मीर में, राज्य जो इससे सीधा प्रभावित होता रहा है, में हमेशा ये मांग उठती रही है की समझौते को रद्द कर दिया जाए. अब उरी हमले के बाद फिर से ये मांग उठ रही है कि हमें हर तरफ से पाकिस्तान...

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिंधु जल समझौते पर सम्बंधित मंत्रालयों और विभागों की बैठक बुलाई है जो इस पर विचार करेगी कि 1960 से चले आ समझौते को माना जाए या बदली हुई परिस्थितियों के अनुसार उसमें बदलाव की मांग की जाए.

और सरकार की क्या राय है इसका अंदाज़ा हमें विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरुप के उस वक्तव्य से ही लग जाना चाहिए जब उन्होंने कहा था कि ऐसे किसी भी समझौते का चलते रहना आपसी भरोसे और सहयोग पर निर्भर करता है. उन्होंने साथ में ये भी जोड़ा कि ऐसा कोई भी समझौता एक तरफ़ा नहीं हो सकता.

इसे भी पढ़ें: वॉर रूम में मोदी....मगर क्या होगी वॉर?

क्या मोदी सरकार कोई कड़ा निर्णय ले पायेगी?

ये सभी जानते हैं कि सिंधु समझौता एक तरफ़ा ही है. सिंधु बेसिन की नदियों की उत्पत्ति भारत में होती है लेकिन समझौते के अनुसार उनके जल का 80% हिस्सा पाकिस्तान के उपयोग के लिए आरक्षित है. पाकिस्तान के कुल सिंचित क्षेत्र का लगभग 90% सिंधु के जल पर ही निर्भर करता है. जबकि अगर हम सिंधु नदी इलाके की बात करें तो इसका 47% हिस्सा पाकिस्तान में पड़ता है तो भारत में भी 39% हिस्सा आता है.

 भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल समझौता

भारत में, विशेषतः जम्मू और कश्मीर में, राज्य जो इससे सीधा प्रभावित होता रहा है, में हमेशा ये मांग उठती रही है की समझौते को रद्द कर दिया जाए. अब उरी हमले के बाद फिर से ये मांग उठ रही है कि हमें हर तरफ से पाकिस्तान को घेर कर करारा जवाब देना चाहिए. अब अगर भारत कल मांग उठाता है अपने वाजिब हक़ की तो पाकिस्तान गहरे संकट में फंस जायेगा क्योंकि भारत अगर सिंधु का पानी रोक देता है या उसके बहाव को नियंत्रित करता है तो पाकिस्तान का एक बड़ा हिस्सा बंजर हो जायेगा.

लेकिन ऐसा करने में भारत को काफी अंतरराष्ट्रीय विरोध और दबाव का सामना करना पड़ेगा. सिंधु जल समझौता वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता में हुआ था और भारत और पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय ट्रिब्यूनल्स में अपने विवाद भी ले जा चुके हैं. मान लीजिये भारत ने सबको राजी कर लिया लेकिन चीन का क्या? और वो भी तब जब चीन हमारे साथ भी कुछ ऐसा ही कर सकता है.

इसे भी पढ़ें: क्या प्रॉक्‍सी वॉर का जवाब सीधा युद्ध है?

भारत और चीन के बीच ब्रह्मपुत्र नदी के जल को लेकर विवाद चला आ रहा है. और बड़ा खतरा ये है की चीन तैयारी में है कि ब्रह्मपुत्र नदी, जिसकी उत्पत्ति तिब्बत में होती है, के जल को देश के सूखा-ग्रस्त उत्तरी और उत्तर-पश्चिमी इलाकों की ओर मोड़ दे जहाँ चीन की 37% जनसंख्या रहती है और जल स्रोत केवल 7% है. अगर चीन ने ऐसा किया तो भारत के पूर्वोत्तर के राज्य और बांग्लादेश के एक बड़े हिस्से में गंभीर पानी संकट उत्पन्न हो जायेगा. ब्रह्मपुत्र को हम भारत के पूर्वोत्तर की जीवन रेखा भी कहते हैं.

चीन का इतिहास और उसका भारत विरोधी रवैया देखते हुए हम कह सकते हैं कि पाकिस्तान की मदद करने के लिए चीन ऐसा ही कुछ कर सकता है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲