• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

'डेमोलिशन मैन' कहीं बीजेपी के लिए सिरदर्द ना बन जाए

    • अभिनव राजवंश
    • Updated: 17 सितम्बर, 2017 12:24 PM
  • 17 सितम्बर, 2017 12:24 PM
offline
मंत्री बनने के दो हफ़्तों के भीतर काम से ज्यादा अल्फोंस अपने बयान के कारण चर्चा में हैं. पहले उन्होंने मंत्री पद संभालते ही बयान दे दिया कि केरल में बीफ खाना जारी रहेगा. हालांकि इस बयान की भी क्षतिपूर्ति करने की कोशिश की. मगर...

हाल के दिनों में डीजल पेट्रोल के तेजी से बढ़ते दामों पर केंद्र सरकार चौतरफा घिरी हुई है. मगर लगता है कि मोदी सरकार के मंत्री इस बढ़ोतरी को भी सही बताने में लगे हैं. हाल ही में मोदी मंत्रिमंडल में जगह पाने वाले केरल के एक मात्र मंत्री अल्फोंस कन्ननथामन के बयान तो इसी ओर इशारा करते हैं. अल्फोंज के अनुसार जो लोग पेट्रोल डीजल खरीद रहे हैं वो गरीब नहीं है और ना ही वो भूखे मर रहे हैं. अल्फोंज ने कहा कि पेट्रोल खरीदने वाले कार और बाइक के मालिक हैं. उन्हें पेट्रोल डीजल पर ज्यादा टैक्स देना ही पड़ेगा.

अब केंद्रीय मंत्री ने किन आकड़ों को ध्यान में रखते हुए इस तरह के बयान दिए है ये तो वही जानें. मगर अल्फोंस यह बयान देते समय निश्चित रूप से ये भूल बैठे हैं कि पेट्रोल, डीजल के दाम प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से देश कि अधिकतम आबादी को कहीं न कहीं प्रभावित करती ही है. पेट्रोल, डीजल के बढ़ते दाम ना केवल उनको प्रभावित करती है जिनके पास गाड़ियां हैं, बल्कि उन्हें भी प्रभावित करती हैं जिनका गाड़ियों से कोई वास्ता ना हो. आम तौर पर यह माना जाता है कि पेट्रोलियम पदार्थों में तेजी का असर जरुरी चीजों के दामों में बढ़ोतरी के रूप में भी दिखता है. इसका कारण सामानों के ढुलाई में बढ़ोतरी के कारण होता है.

जरा संभाल के मंत्री जी

अल्फोंस अपने इस बयान से यह भी जताना चाहते थे कि मोदी सरकार अमीरों की जेब काट कर गरीबों के कल्याण के लिए राशि जुटाने में लगी है. वैसे भी हाल के दिनों में केंद्र सरकार बुलेट ट्रेन को लेकर विपक्ष के निशाने पर है. विपक्ष सरकार पर आरोप लगा रही है कि केंद्र सरकार अमीरों को ध्यान में रखकर बुलेट ट्रेन का परिचालन कर रही है. हो सकता है अल्फोंस अपने इस बयान से विपक्ष के हमलों का जवाब देना चाह रहे हों. मगर वो इस बयान को देते समय यह भूल गए कि...

हाल के दिनों में डीजल पेट्रोल के तेजी से बढ़ते दामों पर केंद्र सरकार चौतरफा घिरी हुई है. मगर लगता है कि मोदी सरकार के मंत्री इस बढ़ोतरी को भी सही बताने में लगे हैं. हाल ही में मोदी मंत्रिमंडल में जगह पाने वाले केरल के एक मात्र मंत्री अल्फोंस कन्ननथामन के बयान तो इसी ओर इशारा करते हैं. अल्फोंज के अनुसार जो लोग पेट्रोल डीजल खरीद रहे हैं वो गरीब नहीं है और ना ही वो भूखे मर रहे हैं. अल्फोंज ने कहा कि पेट्रोल खरीदने वाले कार और बाइक के मालिक हैं. उन्हें पेट्रोल डीजल पर ज्यादा टैक्स देना ही पड़ेगा.

अब केंद्रीय मंत्री ने किन आकड़ों को ध्यान में रखते हुए इस तरह के बयान दिए है ये तो वही जानें. मगर अल्फोंस यह बयान देते समय निश्चित रूप से ये भूल बैठे हैं कि पेट्रोल, डीजल के दाम प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से देश कि अधिकतम आबादी को कहीं न कहीं प्रभावित करती ही है. पेट्रोल, डीजल के बढ़ते दाम ना केवल उनको प्रभावित करती है जिनके पास गाड़ियां हैं, बल्कि उन्हें भी प्रभावित करती हैं जिनका गाड़ियों से कोई वास्ता ना हो. आम तौर पर यह माना जाता है कि पेट्रोलियम पदार्थों में तेजी का असर जरुरी चीजों के दामों में बढ़ोतरी के रूप में भी दिखता है. इसका कारण सामानों के ढुलाई में बढ़ोतरी के कारण होता है.

जरा संभाल के मंत्री जी

अल्फोंस अपने इस बयान से यह भी जताना चाहते थे कि मोदी सरकार अमीरों की जेब काट कर गरीबों के कल्याण के लिए राशि जुटाने में लगी है. वैसे भी हाल के दिनों में केंद्र सरकार बुलेट ट्रेन को लेकर विपक्ष के निशाने पर है. विपक्ष सरकार पर आरोप लगा रही है कि केंद्र सरकार अमीरों को ध्यान में रखकर बुलेट ट्रेन का परिचालन कर रही है. हो सकता है अल्फोंस अपने इस बयान से विपक्ष के हमलों का जवाब देना चाह रहे हों. मगर वो इस बयान को देते समय यह भूल गए कि पेट्रोल की बढ़ती कीमतों की मार सबसे ज्यादा मध्यम और निम्न आय वर्ग की जनता झेल रही है. ना कि देश के अमीर लोग. बहरहाल अल्फोंस का बयान निश्चित रूप से मोदी सरकार की किरकिरी करने के लिए काफी है और साथ ही यह विपक्ष को भी मोदी सरकार पर हमले करने का एक और मौका मुहैया कराएगी.

हालांकि जब नरेंद्र मोदी ने केंद्रीय मंत्रिमंडल में अल्फोंस को शामिल किया था तो लोगों को उनसे काफी उम्मीद थी. क्योंकि दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) में कमिश्नर के तौर पर 1990 के दशक में अल्फोंस ने 15,000 अवैध इमारतों का अतिक्रमण हटाया था. जिसके बाद वह दिल्ली के 'डिमॉलिशन मैन' के रूप में प्रसिद्ध हो गए थे.

मगर मंत्री बनने के दो हफ़्तों के भीतर काम से ज्यादा अल्फोंस अपने बयान के कारण चर्चा में हैं. पहले उन्होंने मंत्री पद संभालते ही बयान दे दिया कि केरल में बीफ खाना जारी रहेगा. लेकिन अगले ही दिन अपने बयान की क्षतिपूर्ती करते हुए विदेश से भारत आने वाले सैलानियों को अपने देश में बीफ खा कर आने की नसीहत तक दे डाली. हालांकि अल्फोंस के लिए बेहतर तो यही होता कि वो विवादित बयान देने से ज्यादा अपने काम पर ध्यान देते. क्योंकि यही उनके और केन्द्र की सरकार के लिए भी बेहतर होगा.

ये भी पढ़ें-

क्या मोदी राज में पेट्रोल-डीजल कभी सस्ता नहीं होगा ?

योगी जी इस करप्ट तंत्र के चलते मेरी गाड़ी भूखी है 'सुन रहे हैं आप'


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲