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जान लीजिए यदि गाय से आपकी कार टकराई तो...

    • श्रुति दीक्षित
    • Updated: 11 अप्रिल, 2017 09:51 PM
  • 11 अप्रिल, 2017 09:51 PM
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इससे पहले सिर्फ ट्रकों में भरी हुई गायों के बारे में ही सोचा जाता था और सड़क पर घूम रही गायों को तिरस्कार सहना पड़ता था. उन्हें अपनी कीमत बढ़ाने के लिए ट्रक में चढ़ना पड़ता था!

गायों की सुरक्षा को लेकर अब भारत का हर नागरिक जागरुक हो गया है. गायों के साथ कोई अत्याचार ना हो, गायों को मारा ना जाए और तो और गायों के साथ कोई दुर्घटना ना हो इसके लिए भी हमारे जुझारू इंजीनियर इसका भी तोड़ निकाल चुके हैं. गायों को कोई भी नुकसान हो आखिर ये हिंदू संस्‍कृति के खिलाफ है. एक्सिडेंट होने पर गायों को कितनी तकलीफ होती है ये भला हमसे अच्छा और कौन जान सकता है.

गुजरात के जागरुक वैज्ञानिकों ने ऐसी तकनीक भी विकसित कर ली है जिसे कार के डैशबोर्ड में लगाया जा सकता है. ये एक तरह का अलर्ट सिस्टम है जिससे ये पता चलता है कि कार के सामने आने वाला ऑब्जेक्ट गाय है या नहीं. और क्या उसके चलने से गाड़ी को कोई रिस्क है? अगर समय पर ये बहुमूल्य जानकारी मिल जाती है तो कई मासूम गायों की जिंदगी बच जाएगी. अभी ये सिर्फ प्रस्ताव दिया गया है, लेकिन जल्द ही इसपर अमल भी हो सकता है.

जब इतना ही सब हो रहा है तो आइए कल्‍पना करें उस मोटर व्हीकल एक्‍ट की, जिसमें यातायात के नियमों का पालन करने की सख्‍ती के साथ सड़क पर विचरण करने वाली गायों की सुरक्षा पर भी जोर दिया गया है. क्‍या हो, यदि ऐसा एक्‍ट पारित हो जाए-

खबर बनेगी: हाल ही में मोदी सरकार ने मोटर व्हीकल काऊ एक्ट को मंजूरी दे दी है. इसे गायों की सुरक्षा के लिए एक काबिले तारीफ ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है. गुजरात के काऊ प्रोटेक्शन लॉ से भी बड़े इस एक्ट के जरिए सरकार हमारे देश की सड़कों पर घूम रहीं हजारों गायों को सुरक्षा प्रदान कर सकेगी. इससे पहले सिर्फ ट्रकों में भरी हुई गायों के बारे में ही सोचा जाता था और सड़क पर घूम रही गायों को तिरस्कार सहना पड़ता था उन्हें अपनी कीमत बढ़ाने के लिए ट्रक में चढ़ना पड़ता था और तभी श्रीकृष्ण की तरह संरक्षक आकर उनके हक के लिए लड़ पाते थे. अब इस...

गायों की सुरक्षा को लेकर अब भारत का हर नागरिक जागरुक हो गया है. गायों के साथ कोई अत्याचार ना हो, गायों को मारा ना जाए और तो और गायों के साथ कोई दुर्घटना ना हो इसके लिए भी हमारे जुझारू इंजीनियर इसका भी तोड़ निकाल चुके हैं. गायों को कोई भी नुकसान हो आखिर ये हिंदू संस्‍कृति के खिलाफ है. एक्सिडेंट होने पर गायों को कितनी तकलीफ होती है ये भला हमसे अच्छा और कौन जान सकता है.

गुजरात के जागरुक वैज्ञानिकों ने ऐसी तकनीक भी विकसित कर ली है जिसे कार के डैशबोर्ड में लगाया जा सकता है. ये एक तरह का अलर्ट सिस्टम है जिससे ये पता चलता है कि कार के सामने आने वाला ऑब्जेक्ट गाय है या नहीं. और क्या उसके चलने से गाड़ी को कोई रिस्क है? अगर समय पर ये बहुमूल्य जानकारी मिल जाती है तो कई मासूम गायों की जिंदगी बच जाएगी. अभी ये सिर्फ प्रस्ताव दिया गया है, लेकिन जल्द ही इसपर अमल भी हो सकता है.

जब इतना ही सब हो रहा है तो आइए कल्‍पना करें उस मोटर व्हीकल एक्‍ट की, जिसमें यातायात के नियमों का पालन करने की सख्‍ती के साथ सड़क पर विचरण करने वाली गायों की सुरक्षा पर भी जोर दिया गया है. क्‍या हो, यदि ऐसा एक्‍ट पारित हो जाए-

खबर बनेगी: हाल ही में मोदी सरकार ने मोटर व्हीकल काऊ एक्ट को मंजूरी दे दी है. इसे गायों की सुरक्षा के लिए एक काबिले तारीफ ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है. गुजरात के काऊ प्रोटेक्शन लॉ से भी बड़े इस एक्ट के जरिए सरकार हमारे देश की सड़कों पर घूम रहीं हजारों गायों को सुरक्षा प्रदान कर सकेगी. इससे पहले सिर्फ ट्रकों में भरी हुई गायों के बारे में ही सोचा जाता था और सड़क पर घूम रही गायों को तिरस्कार सहना पड़ता था उन्हें अपनी कीमत बढ़ाने के लिए ट्रक में चढ़ना पड़ता था और तभी श्रीकृष्ण की तरह संरक्षक आकर उनके हक के लिए लड़ पाते थे. अब इस नए एक्ट से उनका भी भला हो सकेगा.

इस मोटल वेहिकल काऊ एक्ट के नियम कुछ इस तरह से हैं-

1. अगर किसी गाय को गाड़ी से टक्कर लग जाती है तो गाड़ी चलाने वाले को 2 साल तक की कैद और 5 लाख तक जुर्माना हो सकता है इस मामले में गाड़ी चालक को गाय के इलाज का खर्च भी देना होगा.

2. अगर टक्कर से गाय को कुछ हो जाता है तो गाड़ी चालक पर गैर इरादतन हत्या के इल्जाम से दफा 305 का केस चलाया जाएगा. गाय से जुड़े सभी केस फास्ट ट्रैक कोर्ट में ट्रायल के लिए जाएंगे. (नोट- ये सिर्फ तब होगा जब ड्रायवर गौरक्षकों के हाथों बच जाए. अगर उसे सड़क पर ही सजा दी जा रही होगी तो जिम्‍मेदारी पुलिस की नहीं होगी.)

3. सड़क पर बैठी गाय को हटाने के लिए बार-बार हॉर्न मारने को छेड़खानी माना जाएगा और उसका फैसला एंटी रोमियो स्क्वॉड भी कर सकती है.

4. गाय को हाथ लगाकर सड़क से हटाने वाले को 7 साल तक की कैद हो सकती है. (ईव टीजिंग वाला कानून लागू होगा)

5. अगर गाय को ट्रक में ले जा रहे हैं तो अपहरण का जुर्म माना जाएगा. (जब तक आप घर में गाय पालने के लिए ना ले जा रहे हों.)

6. अगर एक से ज्यादा गाय ट्रक में मिलती हैं तो ड्रायवर के खिलाफ सड़क पर ही कार्यवाही होगी.

7. इस एक्ट के क्लॉज 420A में लिखा गया है कि अगर ड्रायवर हिंदू है तो सिर्फ पिटकर छूट सकता है और अगर मुस्लिम हुआ तो उसे जान से भी हाथ धोना पड़ सकता है.

8. अगर कोई ट्रक पकड़ा गया तो उस मामले में ट्रैफिक पुलिस या स्थानीय थाना इंचार्ज कोई एक्शन नहीं लेगा.

9. मोटर वेहिकल काऊ एक्ट के तहत अगर गाय/ भैंस को टू-व्हीलर से टक्कर लगती है तो भी इसे एक्सिडेंट माना जाएगा. फिर भले ही ड्रायवर को चोट लगी हो, लेकिन टू-व्हीलर वाले का लाइसेंस जब्त कर लिया जाएगा.

सड़क पर चल रही गायों के लिए ये नियम कारगर होंगे!

कैसा होगा अगर ऐसा एक्ट सच में लागू हो जाए?

खैर, ये तो जब होगा तब होगा चलिए पहले बात करते हैं उस मोटर व्हीकल एक्‍ट की जो हाल ही में पास हुआ है. ये बिल 1988 के मोटर व्हीकल एक्‍ट में बदलाव करता है. इसमें थर्ड पार्टी इंश्योरेंस और रोड सेफ्टी को लिया गया है. उस मोटर व्हीकल एक्‍ट के तहत अब आपका ट्रैफिक रूल तोड़ना और भी महंगा हो जाएगा.

मोटल व्हीकल एक्ट के कुछ हाईलाइट-

1.  इस बिल के तहत अब थर्ड पार्टी इंश्योरर की लाइबिलिटी ज्यादा होगी. अब अधिकतम एक्सिडेंट में मृत्यु के मामले में 10 लाख का क्लेम और सीरियस चोट के मामले में 5 लाख तक का क्लेम मिलेगा.

2. एक मोटर व्हीकल्स एक्सिडेंट फंड भी बनाया जाएगा जिसमें सभी तरह के एक्सिडेंट को इंश्योरेंस से कवर किया जाएगा.

3. शराब पीकर गाड़ी चलाते पकड़े जाने पर 2 हजार की जगह अब 10 हजार का जुर्माना लगेगा.

4. ओवर स्पीड के मामले में 400 रुपए की जगह 1 हजार से 4 हजार तक का जुर्माना लग सकता है.

मोटर वेहिकल एक्ट लागू होते ही शायद सकड़ हादसों में कमी आए...5. बिना लाइसेंस वाहन चलाते पकड़े गए तो 500 रुपए की जगह 5000 रुपए देने होंगे.

6. बिना हेलमेट के गाड़ी चलाते पकड़े गए तो 100 रुपए में नहीं छूटेंगे, 1000 रुपए का जुर्माना देना होगा.

7. अगर नाबालिग गाड़ी चलाता है और एक्सिडेंट होता है तो गाड़ी के मालिक को दोषी माना जाएगा.

उम्मीद है इस एक्ट से अब भारत में ट्रैफिक नियमों का पालन होगा.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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