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क्रूरता की हद... गायों के पेट में स्‍थाई सुराख बना दिया !

    • रिम्मी कुमारी
    • Updated: 11 अप्रिल, 2017 06:54 PM
  • 11 अप्रिल, 2017 06:54 PM
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हमारे देश में लोग सबसे ज्यादा परेशान पेट की बीमारियों से परेशान होते हैं. तो क्यों ना इंसानों के पेट में भी एक छेद कर दिया जाए ताकि कोई भी बीमारी होने के पहले पता चल जाए. पढ़िए ये रिपोर्ट...

कैसा हो अगर जांच या फिर सेहत बनाने के नाम पर इंसानों के पेट में एक स्‍थाई सुराख कर दिया जाए? सुराख से ना तो आपको दर्द हो ना ही आपकी उम्र पर कोई फर्क पड़े तो? विश्वास नहीं होता? होना भी नहीं चाहिए. लेकिन कुछ देशों में वैज्ञानिक ऐसा कर रहे हैं, जो बेहद क्रूर है.

अमेरिका में गायों की एक अजीब घिनौनी और डरावनी सी फोटो इंटरनेट पर वायरल हो रही है. इस फोटो में गायों के पेट में एक छेद किया गया है. इस छेद को एक प्लास्टिक के रिंग से बंद कर दिया गया और जरुरत पड़ने पर इसे खोल लिया जाता है. इन गायों को fistulated गाय कहा जाता है.

शोध नहीं ये हैवानियत है

जानवरों पर परीक्षण और वेटनरी स्कूलों में गायों के पेट में इस तरह का सुराख करने का चलन यहां बरसों से है. इस सर्जरी को करने वालों का कहना है कि इससे ना तो गाय की उम्र घटती ना ही इन्हें किसी तरह की परेशानी होती है. साथ ही इस सुराख के जरिए गायों ने कितना खाना पचा लिया है इसकी भी जांच की जाती है. लेकिन फिर भी इस सुराख को भरने में एक महीने तक का वक्त लग जाता है. हम अपने शरीर पर सुई की चुभन तक बर्दाश्त नहीं कर पाते और गायों के पेट में सुराख कर देने पर उन्हें दर्द नहीं होता! वाह क्या लॉजिक है. है ना?

खैर. इस प्रथा के समर्थक कहते हैं कि ऐसे गायों के पेट में रहने वाले माइक्रोब यानी सूक्ष्मजीवों का अध्ययन किया जाता है. और कभी-कभी इन माइक्रोब्स को दूसरे जानवरों के शरीर में ट्रांसफर कर दिया जाता है. कुछ लोगों का दावा है कि माइक्रोब्स के ट्रांसफर से गायों के स्वास्थ्य में सुधार की संभावना होती है. लेकिन ये प्रक्रिया ज्यादातर मीट और डेयरी उद्योगों को फायदा पहुंचाने वाली ज्यादा लगती है.

कैसा हो अगर जांच या फिर सेहत बनाने के नाम पर इंसानों के पेट में एक स्‍थाई सुराख कर दिया जाए? सुराख से ना तो आपको दर्द हो ना ही आपकी उम्र पर कोई फर्क पड़े तो? विश्वास नहीं होता? होना भी नहीं चाहिए. लेकिन कुछ देशों में वैज्ञानिक ऐसा कर रहे हैं, जो बेहद क्रूर है.

अमेरिका में गायों की एक अजीब घिनौनी और डरावनी सी फोटो इंटरनेट पर वायरल हो रही है. इस फोटो में गायों के पेट में एक छेद किया गया है. इस छेद को एक प्लास्टिक के रिंग से बंद कर दिया गया और जरुरत पड़ने पर इसे खोल लिया जाता है. इन गायों को fistulated गाय कहा जाता है.

शोध नहीं ये हैवानियत है

जानवरों पर परीक्षण और वेटनरी स्कूलों में गायों के पेट में इस तरह का सुराख करने का चलन यहां बरसों से है. इस सर्जरी को करने वालों का कहना है कि इससे ना तो गाय की उम्र घटती ना ही इन्हें किसी तरह की परेशानी होती है. साथ ही इस सुराख के जरिए गायों ने कितना खाना पचा लिया है इसकी भी जांच की जाती है. लेकिन फिर भी इस सुराख को भरने में एक महीने तक का वक्त लग जाता है. हम अपने शरीर पर सुई की चुभन तक बर्दाश्त नहीं कर पाते और गायों के पेट में सुराख कर देने पर उन्हें दर्द नहीं होता! वाह क्या लॉजिक है. है ना?

खैर. इस प्रथा के समर्थक कहते हैं कि ऐसे गायों के पेट में रहने वाले माइक्रोब यानी सूक्ष्मजीवों का अध्ययन किया जाता है. और कभी-कभी इन माइक्रोब्स को दूसरे जानवरों के शरीर में ट्रांसफर कर दिया जाता है. कुछ लोगों का दावा है कि माइक्रोब्स के ट्रांसफर से गायों के स्वास्थ्य में सुधार की संभावना होती है. लेकिन ये प्रक्रिया ज्यादातर मीट और डेयरी उद्योगों को फायदा पहुंचाने वाली ज्यादा लगती है.

एक सुराख इंसान के पेट में भी कर दें, कभी बीमार नहीं होंगे

ऐसे गायों को अक्सर वेटेनरी स्कूलों के प्रदर्शनियों में प्रयोग किया जाता है. इन प्रदर्शनियों में दर्शकों को गायों के अंदर की एनाटोमी को देख और महसूस कर सकते हैं. दुर्भाग्य से जानवरों के लिए ऐसी कोई संस्था नहीं है जो उनपर हो रहे इस अत्याचार को रोक सके. खासकर खेतीबाड़ी जैसे घरेलू कार्यों में प्रयोग होने वाले पशुओं पर.

हमारे देश में लोग सबसे ज्यादा परेशान पेट की बीमारियों से परेशान होते हैं. डॉक्टरों के पास मरीजों की सबसे लंबी लाइन भी इसी कारण होती है. तो क्यों ना इंसानों के पेट में भी एक छेद कर दिया जाए ताकि कोई भी बीमारी होने के पहले पता चल जाए. आखिर जांच के नाम पर जानवरों के साथ इस तरह के दर्दनाक व्यवहार को कबतक बर्दाश्त किया जाएगा.

इसे देखकर तो मुझे लगता है कि विदेशियों से अच्छे तो हमारे यहां के लोग हैं कम-से-कम गौ रक्षा के लिए इंसान की धुनाई तो कर देते हैं. विदेशों में तो जांच के नाम पर तो इंसानों ने हद ही कर दी है. देखें वीडियो-

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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