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संस्कृति

पार्वती को नहीं चाहिए ऐसे 'शिव'

    • पारुल चंद्रा
    • Updated: 24 फरवरी, 2017 02:56 PM
  • 24 फरवरी, 2017 02:56 PM
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महाशिवरात्रि पर जब शिव जैसे पति की कामना की जा रही है तो बरबस ही उन महिलाओं का ख्याल आ जा रहा है, जिनका सम्मान अपने जीवन साथी के कारण ही खतरे में है.

देश की आधी आबादी किसी न किसी त्योहार के नाम से देश की बाकी आधी आबादी की लंबी उम्र और समृद्ध‍ि की कामना करती हैं. उनकी प्रार्थना पूरी हो न हो, लेकिन इसके उलट एक कड़वी हकीकत और है, जिसे इसी मौके पर देखना जरूरी है-

- जी20 देशों में किए गए एक सर्वे के मुताबिक घरेलू हिंसा के मामले में भारतीय महिलाओं की स्थि‍ति सबसे बुरी है.

- नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे और नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक भारत में 8% शादीशुदा महिलाएं यौन हिंसा (forced sex),  31% शारीरिक हिंसा (मारपीट), 10% गंभीर घरेलू हिंसा (जलाना या हथियार से मारने) की शिकार होती हैं.

- पतियों द्वारा पत्न‍ियों को थप्पड़ मार देना तो जैसे कोई बड़ी बात ही नहीं है. 34 फीसदी महिलाओं ने अपने साथ हुए ऐसे दुर्व्यवहार का जिक्र किया है.

- 15% महिलाओं के 'ताकतवर' पतियों ने उनके बाल खींचे और बाहें मरोड़ी. 14% को धक्का दिया गया, झकझोरा गया या कुछ फेंक कर मारा गया.

- हर दस में से एक महिला ने खुले तौर पर स्वीकार किया कि उनके पति ने उनके साथ जबर्दस्ती सेक्स किया (marital rape).

- लगभग आधी (46%) अशि‍क्ष‍ित महिलाएं अपने पतियों से पिटीं. और जिनके पति अशि‍क्ष‍ित थे, उनमें से भी लगभग आधी (47%) घरेलू हिंसा की शि‍कार हुईं. दोनों तरफ से वही शि‍कार बनीं.

- महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा का एक दुष्चक्र और भी है. जिन महिलाओं की मां घरेलू हिंसा का शि‍कार हुई, उनके साथ भी ऐसी घटना होने की आशंका दोगुनी (60% ) रही, बजाए उन महिलाओं के जिनकी मां के साथ ऐसा दुर्व्यवहार नहीं हुआ.

- कुछ राज्य तो शादीशुदा महिलाओं के लिए नर्क जैसे ही बन गए हैं. बिहार में 59% तो मध्यप्रदेश और राजस्थान में 46% महिलाओं ने घरेलू हिंसा की बात दर्ज कराई.

अब इन तथ्यों को जानने के बाद कोई कह सकता है कि महिलाएं जब इतनी ही ज्यादती की शि‍कार हैं तो उन्हें क्या मिल जाता है ऐसे व्रत या त्योहार करके. सच तो है, कोई जबर्दस्ती तो है नहीं. यदि ये...

देश की आधी आबादी किसी न किसी त्योहार के नाम से देश की बाकी आधी आबादी की लंबी उम्र और समृद्ध‍ि की कामना करती हैं. उनकी प्रार्थना पूरी हो न हो, लेकिन इसके उलट एक कड़वी हकीकत और है, जिसे इसी मौके पर देखना जरूरी है-

- जी20 देशों में किए गए एक सर्वे के मुताबिक घरेलू हिंसा के मामले में भारतीय महिलाओं की स्थि‍ति सबसे बुरी है.

- नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे और नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक भारत में 8% शादीशुदा महिलाएं यौन हिंसा (forced sex),  31% शारीरिक हिंसा (मारपीट), 10% गंभीर घरेलू हिंसा (जलाना या हथियार से मारने) की शिकार होती हैं.

- पतियों द्वारा पत्न‍ियों को थप्पड़ मार देना तो जैसे कोई बड़ी बात ही नहीं है. 34 फीसदी महिलाओं ने अपने साथ हुए ऐसे दुर्व्यवहार का जिक्र किया है.

- 15% महिलाओं के 'ताकतवर' पतियों ने उनके बाल खींचे और बाहें मरोड़ी. 14% को धक्का दिया गया, झकझोरा गया या कुछ फेंक कर मारा गया.

- हर दस में से एक महिला ने खुले तौर पर स्वीकार किया कि उनके पति ने उनके साथ जबर्दस्ती सेक्स किया (marital rape).

- लगभग आधी (46%) अशि‍क्ष‍ित महिलाएं अपने पतियों से पिटीं. और जिनके पति अशि‍क्ष‍ित थे, उनमें से भी लगभग आधी (47%) घरेलू हिंसा की शि‍कार हुईं. दोनों तरफ से वही शि‍कार बनीं.

- महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा का एक दुष्चक्र और भी है. जिन महिलाओं की मां घरेलू हिंसा का शि‍कार हुई, उनके साथ भी ऐसी घटना होने की आशंका दोगुनी (60% ) रही, बजाए उन महिलाओं के जिनकी मां के साथ ऐसा दुर्व्यवहार नहीं हुआ.

- कुछ राज्य तो शादीशुदा महिलाओं के लिए नर्क जैसे ही बन गए हैं. बिहार में 59% तो मध्यप्रदेश और राजस्थान में 46% महिलाओं ने घरेलू हिंसा की बात दर्ज कराई.

अब इन तथ्यों को जानने के बाद कोई कह सकता है कि महिलाएं जब इतनी ही ज्यादती की शि‍कार हैं तो उन्हें क्या मिल जाता है ऐसे व्रत या त्योहार करके. सच तो है, कोई जबर्दस्ती तो है नहीं. यदि ये व्रत और पूजा नहीं करेंगी तो भी उनका कुछ घट नहीं जाएगा. लेकिन वे ये सब करती हैं. पूरे मन से. शायद कभी तो समय बदलेगा. समाज बदलेगा.

उम्मीद का दामन थामते हुए हिमाचल प्रदेश की ओर देखा जा सकता है. जहां 6% महिलाएं ही घरेलू हिंसा की शि‍कार हुईं. देश में सबसे बेहतर स्थ‍िति इसी राज्य में है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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