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Dear Team India! टॉप पर बने रहने के लिए जीतने के अलावा और कोई ऑप्शन नहीं होता!

    • सर्वेश त्रिपाठी
    • Updated: 25 जून, 2021 05:42 PM
  • 25 जून, 2021 05:42 PM
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टीम इंडिया...आखिर यार कब तक बड़े मौकों पर तुम सब ऐसे चूकोगे. जिस पिच पर सेकंड इनिंग में तुम सब रन तो छोड़ो एक एक बाल के लिए संघर्ष कर रहे थे उसी पिच पर एक घंटे बाद विलियमसन और टेलर तुम्हें ऐसे दौड़ा रहे थे जैसे कि गली क्रिकेट में मोहल्ले के बड़के दद्दा लोग छोटे लड़कों को दौड़ा रहे हो. सच कहें तो टीम इंडिया तुम्हें अब ट्वेंटी ट्वेंटी की लप्पामार खेल की आदत हो गई है.

तो हमारे रणबांकुरे कल न्यूजीलैंड को क्रिकेट के विश्व टेस्ट चैंपियनशिप का खिताब दे ही दिए. यह भारतीय की कोई हार थोड़े थी यह तो भारतीय शूरवीरों कोहली एंड कंपनी का प्रेम भरा आत्मसमर्पण था भाई. आप सब भी खेल को खेल भावना से ही लीजिए. काहे को इतना लोड लिए हैं? यह सब भारतीय टीम के लिए कोई नई बात नहीं है. वैसे भी अब भारतीय क्रिकेट टीम पूरी तरह प्रोफेशनल बन चुकी है.

यार हद है! बस भरे बैठे है कल की हार पर. बस उस पाकिस्तानी क्रिकेट फैन की तरह चिल्ला नहीं रहे कि, 'भाई कोई मारो मुझे'! बताइए, टेस्ट के लिए रिज़र्व दिन को मिलाकर भी जिस खेल का फैसला 3 दिन में हो जाए वहां हारने वाली टीम के खेल कौशल उसका पराक्रम और उसकी मनोदशा का आप कैसा आंकलन करेंगे. यह कोहली और रोहित शर्मा जैसे धुरंधर की टीम है. हुंह चले थे विश्व टेस्ट का सिरमौर बनने!

WTC में भारत की हार ने तमाम क्रिकेट फैंस को आहत किया है

अरे यार कोहली एंड कंपनी सॉरी टीम इंडिया आखिर यार कब तक बड़े मौकों पर तुम सब ऐसे चूकोगे. जिस पिच पर सेकंड इनिंग में तुम सब रन तो छोड़ो एक एक बाल के लिए संघर्ष कर रहे थे उसी पिच पर एक घंटे बाद विलियमसन और टेलर तुम्हें ऐसे दौड़ा रहे थे जैसे कि गली क्रिकेट में मोहल्ले के बड़के दद्दा लोग छोटे लड़कों को दौड़ा रहे हो.

सच कहें तो टीम इंडिया तुम्हें अब ट्वेंटी ट्वेंटी की लप्पामार खेल की आदत हो गई है. तुम सबमें टेस्ट क्रिकेट का संगीतमय कौशल, उसके गांभीर्य क्लास और न चुकने वाले धैर्य की आदत ख़त्म होती जा रही है. टीम इंडिया, कल हम सब भारतीय आपदा के इस अवसाद में यह इंतजार कर रहे थे कि कम से कम एक खेल में ही सही हम इतिहास में एक ऐसी जीत के साथ दर्ज होने जा रहे जो आने वाले कई वर्षों के लिए क्रिकेट प्रेमियों को आनंदित करेगा.

लेकिन दुर्भाग्य था...

तो हमारे रणबांकुरे कल न्यूजीलैंड को क्रिकेट के विश्व टेस्ट चैंपियनशिप का खिताब दे ही दिए. यह भारतीय की कोई हार थोड़े थी यह तो भारतीय शूरवीरों कोहली एंड कंपनी का प्रेम भरा आत्मसमर्पण था भाई. आप सब भी खेल को खेल भावना से ही लीजिए. काहे को इतना लोड लिए हैं? यह सब भारतीय टीम के लिए कोई नई बात नहीं है. वैसे भी अब भारतीय क्रिकेट टीम पूरी तरह प्रोफेशनल बन चुकी है.

यार हद है! बस भरे बैठे है कल की हार पर. बस उस पाकिस्तानी क्रिकेट फैन की तरह चिल्ला नहीं रहे कि, 'भाई कोई मारो मुझे'! बताइए, टेस्ट के लिए रिज़र्व दिन को मिलाकर भी जिस खेल का फैसला 3 दिन में हो जाए वहां हारने वाली टीम के खेल कौशल उसका पराक्रम और उसकी मनोदशा का आप कैसा आंकलन करेंगे. यह कोहली और रोहित शर्मा जैसे धुरंधर की टीम है. हुंह चले थे विश्व टेस्ट का सिरमौर बनने!

WTC में भारत की हार ने तमाम क्रिकेट फैंस को आहत किया है

अरे यार कोहली एंड कंपनी सॉरी टीम इंडिया आखिर यार कब तक बड़े मौकों पर तुम सब ऐसे चूकोगे. जिस पिच पर सेकंड इनिंग में तुम सब रन तो छोड़ो एक एक बाल के लिए संघर्ष कर रहे थे उसी पिच पर एक घंटे बाद विलियमसन और टेलर तुम्हें ऐसे दौड़ा रहे थे जैसे कि गली क्रिकेट में मोहल्ले के बड़के दद्दा लोग छोटे लड़कों को दौड़ा रहे हो.

सच कहें तो टीम इंडिया तुम्हें अब ट्वेंटी ट्वेंटी की लप्पामार खेल की आदत हो गई है. तुम सबमें टेस्ट क्रिकेट का संगीतमय कौशल, उसके गांभीर्य क्लास और न चुकने वाले धैर्य की आदत ख़त्म होती जा रही है. टीम इंडिया, कल हम सब भारतीय आपदा के इस अवसाद में यह इंतजार कर रहे थे कि कम से कम एक खेल में ही सही हम इतिहास में एक ऐसी जीत के साथ दर्ज होने जा रहे जो आने वाले कई वर्षों के लिए क्रिकेट प्रेमियों को आनंदित करेगा.

लेकिन दुर्भाग्य था कि कल खेल के अंतिम गेंद तक जीतने के लिए सर्वस्व झोंक देने वाला अपने भुजाओं के बल और टीम के शौर्य पर अखंड विश्वास करने वाला कप्तान सौरव गांगुली नहीं था. कल विषम परिस्थितियों में भी अटूट धैर्य रखने वाला द्रविड़ नहीं था और न ही कोई वीवीएस लक्ष्मण जिन्होंने कभी निराशा के गहन क्षणों में विश्वविजई ऑस्ट्रेलिया की कलाई को थाम अपनी अनन्य जिजीविषा से उसके जबड़े से हारा हुआ मैच छीनकर समूचे क्रिकेट जगत् को हतप्रभ कर दिया था.

कल कोहली और रोहित शर्मा आप दोनों महाबलियों के बल्ले से जिस पराक्रम की उम्मीद थी अब साउथेंप्टन के मैदान पर उसका मानमर्दन हो चुका है. जब आप जैसे शूरवीर 100 गेंद भी न झेलने की क्षमता रखते हो तो पुजारा पंत से क्या उम्मीद होती.

सही मायनों में एकदिवसीय मैचों के विश्वकप का दुर्भाग्यपूर्ण उपविजेता न्यूजीलैंड ने यह साबित कर दिया कि श्रेष्ठता के लिए किसी भी टीम के सभी सदस्यों में समवेत जीतने की भूख, हर स्थिति - परिस्थिति में जूझने की क्षमता और सबसे बढ़कर शिखर पर स्थाई रूप से बने रहने की अदम्य लालसा ही अनिवार्य और एकमात्र तरीका है.

बधाई टीम न्यूजीलैंड आपको क्रिकेट के विश्व टेस्ट क्रिकेट का सिरमौर बनने के लिए.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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