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World Cup: भारत जीत रहा है, लेकिन सबकुछ ठीक नहीं है

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 29 जून, 2019 03:28 PM
  • 29 जून, 2019 03:28 PM
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हर मैच जीतने के बावजूद भारतीय टीम के माथे पर शिकन रहती है. साथ ही, एक डर सबके दिल में समाया सा लग रहा है, जिसके चलते बैटिंग के दौरान हाथ कांपने लगते हैं. धवन के चोटिल होने के बाद से ही टीम अपना कॉन्फिडेंस कुछ खोती सी दिख रही है.

World Cup में इस समय सिर्फ भारत ही अकेली टीम है, जो किसी से नहीं हारी है और अब तक अजेय बनी हुई है. एक के बाद एक हर मैच में जीत का तमगा भारतीय क्रिकेट टीम की शान और बढ़ाता जा रहा है. लेकिन भले ही भारत हर मैच जीत रहा हो, लेकिन अगर थोड़ा ध्यान दें तो पता चलता है कि भारतीय क्रिकेट टीम में अभी सबकुछ सही नहीं है. हर मैच जीतने के बावजूद भारतीय टीम के माथे पर शिकन रहती है. साथ ही, एक डर सबके दिल में समाया सा लग रहा है, जिसके चलते बैटिंग के दौरान हाथ कांपने लगते हैं. शुरुआत में तो सब सही लग रहा था, लेकिन जब से धवन चोटिल हुए हैं और क्रिकेट से बाहर हुए हैं, उसके बाद से ही टीम अपना कॉन्फिडेंस कुछ खोती सी दिख रही है. रविवार को India vs England मैच होना है. ये मैच भारत के दबाव को और बढ़ा सकता है.

इस वर्ल्ड कप में भारत का सेमीफाइनल्स में पहुंचना लगभग तय हो चुका है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या जैसे भारतीय टीम अब तक जीतती रही है, वो सिलसिला जारी रहेगा? आने वाले मुकाबले आर या पार जैसे होंगे. टीम छोटी हो या बड़ी अपनी पूरी ताकत से खेलेगी. ऐसे में भारत के लिए संभलना मुश्किल हो सकता है. वेस्टइंडीज ने जिस तरह से भारत के एक के बाद एक कई विकेट चटका दिए थे, उससे ये तो साफ है कि भारतीय टीम में खेलते वक्त कॉन्फिडेंस की कमी है. ऐसे में ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और इंग्लैंड जैसी टीमों के सामने पता नहीं भारतीय खिलाड़ी कितनी देर टिक पाएंगे.

हर मैच जीतने के बावजूद यूं लग रहा है कि भारतीय टीम में सबकुछ ठीक नहीं है.

ताकत ही कमजोरी बन गई है !

भारतीय क्रिकेट टीम की बल्लेबाजी की पूरी दुनिया में तारीफें होती हैं. ये बल्लेबाजी ही है, जिसके दम पर हम बड़े-बड़े स्कोर खड़े करते रहे हैं. लेकिन धवन के टीम से बाहर होने के बाद भारत की बल्लेबाजी जैसे लड़खड़ा...

World Cup में इस समय सिर्फ भारत ही अकेली टीम है, जो किसी से नहीं हारी है और अब तक अजेय बनी हुई है. एक के बाद एक हर मैच में जीत का तमगा भारतीय क्रिकेट टीम की शान और बढ़ाता जा रहा है. लेकिन भले ही भारत हर मैच जीत रहा हो, लेकिन अगर थोड़ा ध्यान दें तो पता चलता है कि भारतीय क्रिकेट टीम में अभी सबकुछ सही नहीं है. हर मैच जीतने के बावजूद भारतीय टीम के माथे पर शिकन रहती है. साथ ही, एक डर सबके दिल में समाया सा लग रहा है, जिसके चलते बैटिंग के दौरान हाथ कांपने लगते हैं. शुरुआत में तो सब सही लग रहा था, लेकिन जब से धवन चोटिल हुए हैं और क्रिकेट से बाहर हुए हैं, उसके बाद से ही टीम अपना कॉन्फिडेंस कुछ खोती सी दिख रही है. रविवार को India vs England मैच होना है. ये मैच भारत के दबाव को और बढ़ा सकता है.

इस वर्ल्ड कप में भारत का सेमीफाइनल्स में पहुंचना लगभग तय हो चुका है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या जैसे भारतीय टीम अब तक जीतती रही है, वो सिलसिला जारी रहेगा? आने वाले मुकाबले आर या पार जैसे होंगे. टीम छोटी हो या बड़ी अपनी पूरी ताकत से खेलेगी. ऐसे में भारत के लिए संभलना मुश्किल हो सकता है. वेस्टइंडीज ने जिस तरह से भारत के एक के बाद एक कई विकेट चटका दिए थे, उससे ये तो साफ है कि भारतीय टीम में खेलते वक्त कॉन्फिडेंस की कमी है. ऐसे में ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और इंग्लैंड जैसी टीमों के सामने पता नहीं भारतीय खिलाड़ी कितनी देर टिक पाएंगे.

हर मैच जीतने के बावजूद यूं लग रहा है कि भारतीय टीम में सबकुछ ठीक नहीं है.

ताकत ही कमजोरी बन गई है !

भारतीय क्रिकेट टीम की बल्लेबाजी की पूरी दुनिया में तारीफें होती हैं. ये बल्लेबाजी ही है, जिसके दम पर हम बड़े-बड़े स्कोर खड़े करते रहे हैं. लेकिन धवन के टीम से बाहर होने के बाद भारत की बल्लेबाजी जैसे लड़खड़ा सी गई है. हालत इतनी खराब है कि अफगानिस्तान जैसी छोटी सी टीम भी रनों की रफ्तार पर ब्रेक लगा देती है. देखा जाए तो अफगानिस्तान से बमुश्किल हम मैच जीत पाए थे. अगर उससे भी हार जाते तो शर्मिंदगी के सिवा कुछ हाथ नहीं लगता. जो बल्लेबाजी कभी हमारी ताकत हुआ करती थी, अब वही बल्लेबाजी कमजोर होती सी लग रही है. वहीं दूसरी ओर जो गेंदबाजी हमारी कमजोरी हुआ करती थी, फिलहाल उसी की बदौलत हम मैच जीत रहे हैं.

अगर चेज करना पड़ गया तो क्या होगा?

इस वर्ल्ड कप में अब तक भारत ने 6 मैच खेले हैं, जिनमें से 1 टाई हुआ है. बाकी के 5 मैचों में भारत ने पहले बल्लेबाजी की है. यहां तक कि पाकिस्तान से हुए मैच में पाकिस्तान ने टॉस जीतने के बाद गेंदबाजी चुनी. देखा जाए तो हर बार ही भारत ने बल्लेबाजी की है, एक भी बार लक्ष्य का पीछा नहीं किया. पहले बल्लेबाजी करने में टीम पर दबाव काफी कम होता है और टीम खुल कर खेल पाती है. यानी अभी तक टीम ने दबाव में मैच नहीं खेला है. अभी तक एक भी बार लक्ष्य का पीछा करने की नौबत नहीं आई है. कमजोर बल्लेबाजी और डगमगाए हुए कॉन्फिडेंस के साथ चेज करना यानी लक्ष्य का पीछा करना भारत के लिए आसान नहीं होगा.

सारा दारोमदार कोहली पर

टीम के ओपनर्स के बारे में अक्सर ये धारणा रहती है कि दोनों में से कोई न कोई तो चलेगा ही. लेकिन इस वर्ल्ड कप के मैचों में ये देखने को खूब मिल रहा है कि ओपनर्स ही नहीं चल पा रहे हैं. उसके बाद मिडिल ऑर्डर के खिलाड़ी भी कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं. यहां तक कि दिग्गज धोनी की रफ्तार भी बेहद कम है. भले ही टीम पूरे 50 ओवर खेल ले रही है, लेकिन रनों की रफ्तार पर ध्यान देना भी जरूरी है. टीम के लोअर ऑर्डर के खिलाड़ियों से भी कुछ खास उम्मीद नहीं की जा सकती. घुमा-फिरा कर सारा दारोमदार कोहली के ही कंधों पर टिका हुआ दिखता है. जब तक गाड़ी के चारों पहिए अच्छे ना हों, तब तक गाड़ी रफ्तार से नहीं चल पाती है. कुछ वैसा ही भारतीय क्रिकेट टीम के साथ हो रहा है.

रविवार को भारत का मुकाबला इंग्लैंड से है. दोनों के बीच कांटे की टक्कर होना तय है. भारत के लिए ये मुकाबला कड़ा इसलिए रहेगा, क्योंकि उसका सामना दुनिया की नंबर-1 क्रिकेट टीम से होगा. अभी तक भारत और इंग्लैंड का वर्ल्ड कप में कुल 7 बार मुकाबला हुआ है. 3 भारत जीता है और 3 इंग्लैंड. एक मैच टाई हो गया है. यानी दोनों ही देशों का स्ट्राइक रेट 50 फीसदी है. वहीं 2015 वर्ल्डकप के बाद से अब तक दोनों देशों के बीच 6 मैच हुए हैं, जिनमें से भी 3 भारत जीता है और 3 इंग्लैंड. यानी यहां भी स्ट्राइक रेट 50 फीसदी. अब ये देखना दिलचस्प होगा कि भारतीय टीम इंग्लैंड से जीत पाती है या नहीं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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