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नया स्टेडियम तो ठीक, पर हमारे एथलीट्स को क्या मोदी जी ?

    • मोहित चतुर्वेदी
    • Updated: 22 जुलाई, 2017 05:04 PM
  • 22 जुलाई, 2017 05:04 PM
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाकी खेलों को बढ़ावा देने के लिए नया स्टेडियम तो तैयार कर लिया. लेकिन वहां भारत का झंडा फहराने वाले एथलीट्स का क्या...

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत में बाकी खेलों को बढ़ावा देने के लिए अहमदाबाद में स्टेडियम तैयार किया. जिसमें खिलाड़ियों को हर कंडीशन के लिए तैयार किया जाएगा. इसी मैदान पर फीफा अंडर-17 वर्ल्ड कप होगा. इस स्टेडियम में 20,000 लोगों के बैठने की क्षमता के साथ फीफा के मानकों के अनुरूप फुटबाल मैदान है. इस स्टेडियम में फुटबॉल स्टेडियम, वॉलीबॉल, बास्केटबॉल, बैडमिंटन के लिए मल्टी-स्पोर्ट्स हॉल भी हैं. साथ ही स्क्वैश कोर्ट, टेबल टेनिस कोर्ट और टेनिस कोर्ट भी बनाया गया. पीएम मोदी एथलीट्स को पूरी तरह अपडेट रखना चाहते हैं.

लेकिन ये तो पुरानी भरपाई हुई. खिलाड़ियों को ये सब पहले दिया जाना था वो अब मिल रहा है. ओलंपिक के दिग्गज जैसे चीन, अमेरिका और रशिया के पास इससे कई ज्यादा तकनीक मौजूद है. ऐसे में सिर्फ इतने में कैसे ओलंपिक में खिलाड़ियों को उनके मुकाबला करना सही है. देखा भी जाता है कि ओलंपिक में भाग लेने वाले खिलाड़ी विदेशों में ट्रेनिंग लेते हैं और ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं. उनको वहां वो सभी तकनीक मिलती हैं जो भारत में नहीं है. भारत अभी भी काफी पीछे है.

कई खिलाड़ी तो ऐसे भी हैं जो देश को मेडल दिलाने के बाद भी कंगाली में जी रहे हैं. उनको न जॉब मिलती है न ही सम्मान. वहीं क्रिकेट में टीम इंडिया कोई बड़ा टूर्नामेंट जीत जाए तो उन पर पैसों की वर्षा हो जाती है. इन खिलाड़ियों का क्या जो खेल के महाकुंभ में भारत के लिए उतरते हैं. ऐसा लग तो रहा है जैसे खिलाड़ियों को सुविधा देकर सरकार ने क्रांतिकारी कदम उठाया है लेकिन बाकी दिग्गज देशों के मुकाबले ये कदम अभी भी काफी छोटा है और भारतीय जनता में इसमें इंट्रेस्ट पैदा करना भी मुश्किल है क्योंकि खेल प्रेमियों को क्रिकेट ही सबसे ज्यादा भाता है.

भारत में जो खेल देखा जाता है और जिस पर बात की जाती है तो वो है सिर्फ...

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत में बाकी खेलों को बढ़ावा देने के लिए अहमदाबाद में स्टेडियम तैयार किया. जिसमें खिलाड़ियों को हर कंडीशन के लिए तैयार किया जाएगा. इसी मैदान पर फीफा अंडर-17 वर्ल्ड कप होगा. इस स्टेडियम में 20,000 लोगों के बैठने की क्षमता के साथ फीफा के मानकों के अनुरूप फुटबाल मैदान है. इस स्टेडियम में फुटबॉल स्टेडियम, वॉलीबॉल, बास्केटबॉल, बैडमिंटन के लिए मल्टी-स्पोर्ट्स हॉल भी हैं. साथ ही स्क्वैश कोर्ट, टेबल टेनिस कोर्ट और टेनिस कोर्ट भी बनाया गया. पीएम मोदी एथलीट्स को पूरी तरह अपडेट रखना चाहते हैं.

लेकिन ये तो पुरानी भरपाई हुई. खिलाड़ियों को ये सब पहले दिया जाना था वो अब मिल रहा है. ओलंपिक के दिग्गज जैसे चीन, अमेरिका और रशिया के पास इससे कई ज्यादा तकनीक मौजूद है. ऐसे में सिर्फ इतने में कैसे ओलंपिक में खिलाड़ियों को उनके मुकाबला करना सही है. देखा भी जाता है कि ओलंपिक में भाग लेने वाले खिलाड़ी विदेशों में ट्रेनिंग लेते हैं और ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं. उनको वहां वो सभी तकनीक मिलती हैं जो भारत में नहीं है. भारत अभी भी काफी पीछे है.

कई खिलाड़ी तो ऐसे भी हैं जो देश को मेडल दिलाने के बाद भी कंगाली में जी रहे हैं. उनको न जॉब मिलती है न ही सम्मान. वहीं क्रिकेट में टीम इंडिया कोई बड़ा टूर्नामेंट जीत जाए तो उन पर पैसों की वर्षा हो जाती है. इन खिलाड़ियों का क्या जो खेल के महाकुंभ में भारत के लिए उतरते हैं. ऐसा लग तो रहा है जैसे खिलाड़ियों को सुविधा देकर सरकार ने क्रांतिकारी कदम उठाया है लेकिन बाकी दिग्गज देशों के मुकाबले ये कदम अभी भी काफी छोटा है और भारतीय जनता में इसमें इंट्रेस्ट पैदा करना भी मुश्किल है क्योंकि खेल प्रेमियों को क्रिकेट ही सबसे ज्यादा भाता है.

भारत में जो खेल देखा जाता है और जिस पर बात की जाती है तो वो है सिर्फ क्रिकेट. कहीं नहीं देखा होगा कि कोई चाय की दुकान पर चार लोग मिलकर किसी दूसरे खेल की बात करते हों, उनकी जुबान पर धोनी का या फिर कोहली का नाम ही निकलता है. अगर शूटर अभिनव बिंद्रा या फिर पीवी सिंधू का नाम निकल भी जाए तो हैरानी होती है और बात फिर क्रिकेट पर आ जाती है.

खेल प्रशासन ने बाकी खेलों को नजर में लाने के लिए आईपीएल जैसी ही कई लीग शुरू कीं. जिसका उन्हें उतना क्रेज नहीं दिखा जैसा आईपीएल के समय रहता है. आईपीएल जैसे ही हॉकी इंडिया लीग, इंडियन सुपर लीग, प्रो कबड्डी लीग, प्रो रेसलिंग लीग, प्रीमियर बैडमिंटन लीग और अलटिमेट टेनिस लीग जैसे टूर्नामेंट भारत में शुरू हुए हैं. लेकिन लोगों की सुई अब तक क्रिकेट पर अटकी है.

मोदी सरकार भी इस बात से चिंतित है कि बाकी खेलों को क्रिकेट की तरह दर्जा क्यों नहीं मिल पा रहा है. ये तो सच्चाई है कि ओलंपिक हो या फिर कोई बड़ा इवेंट. भारत के पास जीत का ब्लू प्रिंट नहीं रहता. वहीं बाकी देश के खिलाड़ी पूरी रणनीति के साथ उतरते हैं. इसमें खिलाड़ियों को पूरी तरह से दोष देना सही नहीं होगा क्योंकि इसमें प्रशासन की गलतियां ज्यादा हैं. कम सहूलियतों में जीत की उम्मीद ज्यादा रखना भी गलत है.

ओलंपिक में भारत उतरता तो है लेकिन कुछ खिलाड़ी ही सफल हो पाते हैं. हालही में उड़िशा में खेले गए एशियन एथलीट्स में भारत को 28 मेडल हाथ लगे और पहले नंबर पर रहा वहीं चीन को 21 मेडल के साथ दूसरे नंबर पर संतोष करना पड़ा. ऐसे में खेल प्रशासन को ओलंपिक में नई किरण दिखाई दी है. अब मोदी सरकार 2018 ओलंपिक गेम्स के लिए नया प्लान लेकर आ रहे हैं. जिसमें खिलाड़ियों को वो तमाम सुविधाएं दी जाएंगी जिससे खिलाड़ी अब तक वंचित थे. अब उनके लिए अहमदाबाद में एक स्टेडियम तैयार किया गया है. जिसमें खिलाड़ियों को हर कंडीशन के लिए तैयार किया जाएगा.

2018 और 2019 में भारत में फीफा अंडर-17 वर्ल्ड कप, हिमालयन गेम्स और हॉकी वर्ल्ड कप होना है. लेकिन खिलाड़ियों को वैसा ट्रीटमेंट नहीं मिल रहा है जैसा चीन और अमेरिकी खिलाड़ियों को मिलता है. अगर भारतीय खिलाड़ियों को इन खिलाड़ियों के साथ टक्कर का मुकाबला खेलना है तो उन्हें एडवांस तकनीक के साथ तैयार करने की जरूरत होगी. जो अभी हमारे पास है नहीं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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