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आखिर क्यों अश्विन के ऊपर से उठ गया है धोनी का भरोसा?

    • अभिषेक पाण्डेय
    • Updated: 11 मई, 2016 02:27 PM
  • 11 मई, 2016 02:27 PM
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जो अश्विन कभी धोनी के ट्रंप कार्ड हुआ करते थे उन्हीं से अब धोनी उनके कोटे के पूरे ओवर तक नहीं फिंकवाते, टी20 वर्ल्डकप से आईपीएल तक जारी है ये सिलसिला, आखिर क्या है इसकी वजह?

जीवन की तरह ही क्रिकेट में भी कुछ भी स्थाई नहीं होता है. इसीलिए इस खेल में आज का सुपरस्टार कल का सुपर फ्लॉप भी बन सकता है. ऐसा ही कुछ टीम इंडिया के नंबर वन स्पिनर रविचंद्रन अश्विन के साथ हो रहा है. अपने दमदार प्रदर्शन से पिछले कुछ वर्षों में टीम इंडिया के गेंदबाजी आक्रमण की जान बन चुके अश्विन के सितारे आजकल गर्दिश में हैं. लेकिन इसकी असली वजह अश्विन के खुद के खराब प्रदर्शन से ज्यादा उनके कप्तान का उनके ऊपर से भरोसा घटना है.

जी हां, जिस अश्विन और धोनी की जोड़ी ने इंटरनेशनल क्रिकेट से लेकर आईपीएल तक एक साथ मिलकर कई सफलताओं की इबारतें लिखीं, उनके बीच ही आजकल दूरियां नजर आ रही हैं. हाल के दिनों में धोनी ने जिस तरह अश्विन से गेंदबाजी कराई है, उससे दबी जुबान से ही सही लेकिन इस चर्चा नो जोर पकड़ा है कि इन दोनों के बीच सबकुछ ठीक नहीं है और शायद धोनी को अब अश्विन पर पहले जैसा भरोसा नहीं रहा है. 

हालांकि कई एक्सपर्ट इस बात को नकारते हैं और खुद धोनी भी हाल ही में अश्विन को एक परिपक्व गेंदबाज बातकर उनकी तारीफ की थी लेकिन अगर पिछले कुछ महीनों के दौरान धोनी द्वारा अश्विन से कराई गई गेंदबाजी पर नजर डाले तो साफ नजर आता है कि इन दोनों के बीच सबकुछ ठीक नहीं है. जो अश्विन कभी धोनी के ट्रंप कार्ड हुआ करते थे उन्हीं से अब धोनी उनके कोटे के पूरे ओवर तक नहीं फिंकवाते, टी20 वर्ल्डकप से आईपीएल तक जारी है ये सिलसिला, आखिर क्या है इसकी वजह? अगर अपने फेवरिट रहे गेंदबाद से कप्तान पूरे ओवर ही न फिंकवाए तो सवाल उठना तो लाजिमी ही है, आखिर क्या है अश्विन और धोनी के बीच बढ़ी दूरियों की वजह?

अश्विन से उठा धोनी का भरोसा? सीधे तौर पर तो इस सवाल का जवाब दे पाना मुश्किल है क्योंकि न तो मैदान के अंदर और न ही बाहर इन दोनों को एकदूसरे के खिलाफ कभी बयानबाजी करते या आपस में इनका मनमुटाव होते देखा गया है. तो आखिर ये बात कैसे कही जा सकती है कि अब धोनी को अश्विन पर पहले जैसा भरोसा नहीं रहा. दरअसल इसकी वजह धोनी द्वारा गेंदबाजी में अश्विन का...

जीवन की तरह ही क्रिकेट में भी कुछ भी स्थाई नहीं होता है. इसीलिए इस खेल में आज का सुपरस्टार कल का सुपर फ्लॉप भी बन सकता है. ऐसा ही कुछ टीम इंडिया के नंबर वन स्पिनर रविचंद्रन अश्विन के साथ हो रहा है. अपने दमदार प्रदर्शन से पिछले कुछ वर्षों में टीम इंडिया के गेंदबाजी आक्रमण की जान बन चुके अश्विन के सितारे आजकल गर्दिश में हैं. लेकिन इसकी असली वजह अश्विन के खुद के खराब प्रदर्शन से ज्यादा उनके कप्तान का उनके ऊपर से भरोसा घटना है.

जी हां, जिस अश्विन और धोनी की जोड़ी ने इंटरनेशनल क्रिकेट से लेकर आईपीएल तक एक साथ मिलकर कई सफलताओं की इबारतें लिखीं, उनके बीच ही आजकल दूरियां नजर आ रही हैं. हाल के दिनों में धोनी ने जिस तरह अश्विन से गेंदबाजी कराई है, उससे दबी जुबान से ही सही लेकिन इस चर्चा नो जोर पकड़ा है कि इन दोनों के बीच सबकुछ ठीक नहीं है और शायद धोनी को अब अश्विन पर पहले जैसा भरोसा नहीं रहा है. 

हालांकि कई एक्सपर्ट इस बात को नकारते हैं और खुद धोनी भी हाल ही में अश्विन को एक परिपक्व गेंदबाज बातकर उनकी तारीफ की थी लेकिन अगर पिछले कुछ महीनों के दौरान धोनी द्वारा अश्विन से कराई गई गेंदबाजी पर नजर डाले तो साफ नजर आता है कि इन दोनों के बीच सबकुछ ठीक नहीं है. जो अश्विन कभी धोनी के ट्रंप कार्ड हुआ करते थे उन्हीं से अब धोनी उनके कोटे के पूरे ओवर तक नहीं फिंकवाते, टी20 वर्ल्डकप से आईपीएल तक जारी है ये सिलसिला, आखिर क्या है इसकी वजह? अगर अपने फेवरिट रहे गेंदबाद से कप्तान पूरे ओवर ही न फिंकवाए तो सवाल उठना तो लाजिमी ही है, आखिर क्या है अश्विन और धोनी के बीच बढ़ी दूरियों की वजह?

अश्विन से उठा धोनी का भरोसा? सीधे तौर पर तो इस सवाल का जवाब दे पाना मुश्किल है क्योंकि न तो मैदान के अंदर और न ही बाहर इन दोनों को एकदूसरे के खिलाफ कभी बयानबाजी करते या आपस में इनका मनमुटाव होते देखा गया है. तो आखिर ये बात कैसे कही जा सकती है कि अब धोनी को अश्विन पर पहले जैसा भरोसा नहीं रहा. दरअसल इसकी वजह धोनी द्वारा गेंदबाजी में अश्विन का कम प्रयोग है. आकंड़ों पर नजर डालें तो इस साल के आईपीएल को मिलाकर पिछले जिन 20 मैचों में अश्विन खेले हैं उनमें से आधे यानी कि 10 मैंचों में अपने कोटे के पूरे ओवर (4 ओवर) भी नहीं फेंके हैं. इनमें से पांच बार तो उन्होंने दो या उससे भी कम ओवर फेंके हैं.

इस आईपीएल में भी पुणे के पहले मैच में धोनी ने अश्विन से महज एक ओवर फिंकवाया. यहां तक कि बैंगलोर के खिलाफ पिछले मैच में धोनी ने अश्विन से पहला ओवर पारी के 17वें ओवर में फिंकवाया. इससे पहले टी20 वर्ल्ड कप के दौरान भी सिर्फ दो मौकों पर ही अश्विन को अपने कोटे के ओवर पूरा करने का मौका मिला था. जबकि वेस्टइंडीज के खिलाफ सेमीफाइनल में तो अश्विन ने सिर्फ दो ओवर ही फेंके थे. हालांकि हैदराबाद के खिलाफ 10 मई को खेले गए मुकाबले में धोनी ने अश्विन से 4 ओवर की गेंदबाजी करवाई.

कभी अपने ट्रंप कार्ड रहे अश्विन को गेंदबाजी के कम मौके देकर धोनी ने सबको हैरान कर दिया है

अश्विन को बाएं हाथ के बल्लेबाजों के खिलाफ ज्यादा सफलता मिली है शायद इसीलिए धोनी उन्हें तब नहीं प्रयोग करते जब दाएं हाथ का बल्लेबाज क्रीज पर हो. लेकिन दाएं और बाएं हाथ के बल्लेबाज तो हमेशा से ही खेलते रहे हैं तो फिर अब धोनी अश्विन से कम गेंदबाजी क्यों करा रहे हैं?

धोनी और अश्विन की जोड़ी ने टीम इंडिया के लिए कई मुकाबले जीते हैं. अश्विन ने जिन 12 टी20 मैचों में 3 या उससे ज्यादा विकेट लिए भारत उनमें से 11 मैच जीता. 2010 के आईपीएल में अश्विन ने चेन्नई के लिए बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए उस सीजन में संयुक्त रूप से दूसरे सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज बने और चेन्नई के चैंपियन बनने में अहम भूमिका निभाई. इसके बाद धोनी की कप्तानी में अश्विन ने इंटरनेशनल क्रिकेट से लेकर आईपीएल तक कई बार अपनी गेंदबाजी से छाप छोड़ी और टीम इंडिया को यादगार जीतें दिलाने में अहम भूमिका निभाई.

जाहिर सी बात है कि जो गेंदबाज पिछले कई वर्षों से भारतीय गेंदबाजी आक्रमण की रीढ़ रहा है अचानक से उससे गेंदबाजी करानी ही कम कर दी जाए तो सवाल तो उठेंगे ही. कई विशेषज्ञ अश्विन के प्रति धोनी के इस रवैये से हैरान हैं और अश्विन से गेंदबाजी न कराए जाने पर सवाल उठा रहे हैं.

इस बारे में पूछे जाने पर पुणे के कोच स्टीफन फ्लेमिंग इसे कप्तान के चुनाव का अधिकार कहकर टाल देते हैं. अश्विन और धोनी के बीच क्या चल रहा है ये तो ये दोनों ही बेहतर बता सकते हैं. लेकिन धोनी द्वारा अश्विन को गेंदबाजी से दूर रखने की बात महज रणनीति का हिस्सा है या इसके पीछे असली वजह कुछ और है इसका जवाब तो धोनी ही दे सकते हैं. अश्विन को कब तक फिर से अपने कप्तान का पुराना भरोसा हासिल होगा, कह पाना मुश्किल है लेकिन तब तक इन दोनों के बीच मनमुटाव की खबरों की चर्चा फिलहाल थमने वाली नहीं है.

 

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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