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विराट की गलती से भारतीय क्रिकेट खतरनाक मोड़ पर !

    • धर्मेन्द्र कुमार
    • Updated: 22 जून, 2017 01:30 PM
  • 22 जून, 2017 01:30 PM
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अब कोई भी टीम इंडिया का कोच बनने से पहले ये तो जरूर सोचेगा कि विराट से उसके कैसे रिश्ते होंगे?

भारतीय क्रिकेट सचुमच में एक बेहद मुश्किल दौर से गुजर रहा है. बीसीसीआई को सुप्रीम कोर्ट की एक कमेटी चला रही है और अब टीम के अंदर कोच-कप्तान का घमासान और नतीजा कुंबले को कोच की कुर्सी एक साल में छोड़नी पड़ी. उस कुंबले को कोच के पद से हटने को मजबूर किया गया जिन्होंने 27 साल के क्रिकेट करियर में बतौर खिलाड़ी, बतौर कप्तान और बतौर कोच कामयाबी के कई झंडे गाड़े. कुंबले के नाम तकरीबन 1000 विकेट हैं. टीम इंडिया को अकेले दम पर उस जमाने में जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाते जब टेस्ट में जीत टीम इंडिया के लिए सपने जैसा होता था.

बतौर कोच कुंबले कोई सीरीज नहीं हारे

उनके कोच रहते टीम इंडिया ने लगातार 5 टेस्ट सीरीज़ जीती. इस दौरान 12 टेस्ट जीते और सिर्फ 1 में भारत को हार का सामना करना पड़ा. चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल तक टीम इंडिया पहुंची. तो क्या टीम इंडिया के इन कामयाबी में कुंबले का कोई भूमिका नहीं रही? सारी जीत कप्तान विराट कोहली अपने दम पर दिला रहे थे? अगर हां तो कुंबले क्या टीम इंडिया को किसी कोच की जरूरत ही नहीं है.

कुंबले को क्यों बेआबरू होकर कोच पद छोड़ना पड़ा?

कप्तान और कोच में तकरार की खबरे चैंपियंस ट्रॉफी से पहले ही बाहर आती हैं. इकरार और इनकार के बीच मामले को दबाने की कोशिश होती है. चैंपियंस ट्रॉफी के बीचों बीच क्रिकेट एडवायजरी कमेटी यानी सौरव गांगुली, सचिन तेंदुलकर और वीवीएस लक्ष्मण की टीम अनिल कुंबले और विराट कोहली के बीच खाई को पाटने की कोशिश भी करते हैं और तय ये होता है कि वेस्ट इंडीज दौरे पर कुंबले ही कोच बने रहेंगे.

ये बताना इसलिए भी जरूरी था कि कुंबले का एक साल का कार्यकाल 20 जून को खत्म हो रहा था. एक बार के लिए तो लगा कि क्रिकेट एडवायजरी कमेटी ने कोच-कप्तान के विवाद को शांत करने में सफल रहे. मगर पर्दे के पीछे तो...

भारतीय क्रिकेट सचुमच में एक बेहद मुश्किल दौर से गुजर रहा है. बीसीसीआई को सुप्रीम कोर्ट की एक कमेटी चला रही है और अब टीम के अंदर कोच-कप्तान का घमासान और नतीजा कुंबले को कोच की कुर्सी एक साल में छोड़नी पड़ी. उस कुंबले को कोच के पद से हटने को मजबूर किया गया जिन्होंने 27 साल के क्रिकेट करियर में बतौर खिलाड़ी, बतौर कप्तान और बतौर कोच कामयाबी के कई झंडे गाड़े. कुंबले के नाम तकरीबन 1000 विकेट हैं. टीम इंडिया को अकेले दम पर उस जमाने में जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाते जब टेस्ट में जीत टीम इंडिया के लिए सपने जैसा होता था.

बतौर कोच कुंबले कोई सीरीज नहीं हारे

उनके कोच रहते टीम इंडिया ने लगातार 5 टेस्ट सीरीज़ जीती. इस दौरान 12 टेस्ट जीते और सिर्फ 1 में भारत को हार का सामना करना पड़ा. चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल तक टीम इंडिया पहुंची. तो क्या टीम इंडिया के इन कामयाबी में कुंबले का कोई भूमिका नहीं रही? सारी जीत कप्तान विराट कोहली अपने दम पर दिला रहे थे? अगर हां तो कुंबले क्या टीम इंडिया को किसी कोच की जरूरत ही नहीं है.

कुंबले को क्यों बेआबरू होकर कोच पद छोड़ना पड़ा?

कप्तान और कोच में तकरार की खबरे चैंपियंस ट्रॉफी से पहले ही बाहर आती हैं. इकरार और इनकार के बीच मामले को दबाने की कोशिश होती है. चैंपियंस ट्रॉफी के बीचों बीच क्रिकेट एडवायजरी कमेटी यानी सौरव गांगुली, सचिन तेंदुलकर और वीवीएस लक्ष्मण की टीम अनिल कुंबले और विराट कोहली के बीच खाई को पाटने की कोशिश भी करते हैं और तय ये होता है कि वेस्ट इंडीज दौरे पर कुंबले ही कोच बने रहेंगे.

ये बताना इसलिए भी जरूरी था कि कुंबले का एक साल का कार्यकाल 20 जून को खत्म हो रहा था. एक बार के लिए तो लगा कि क्रिकेट एडवायजरी कमेटी ने कोच-कप्तान के विवाद को शांत करने में सफल रहे. मगर पर्दे के पीछे तो कुछ और खेल चल रहा था. टीम इंडिया वेस्ट इंडीज में सीरीज खेलने के लिए तो चली गई लेकिन कोच कुंबले टीम के साथ नहीं गए.

फिर कुछ ही घंटों में खबर ये आती है कि कुंबले ने कोच का पद छोड़ दिया है. कुंबले ने ये बयान जारी किया कि बीसीसीआई ने उन्हें बताया कि कप्तान उनके साथ पार्टनरशिप जारी नहीं रखना चाहते. जाहिर है कुंबले ने अपने आत्मसम्मान के लिए वेस्ट इंडीज जाने की बजाय कोच की जिम्मेदारी छोड़ दी.

कुंबले के खिलाफ क्यों हुए विराट? कहते हैं ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत की घरेलू टेस्ट सीरीज के आखिरी यानी चौथे टेस्ट में विराट चोटिल हो गए. विराट की जगह अजिंक्य रहाणे ने कप्तानी की. उस मैच में विराट अपनी जगह किसी बल्लेबाज को खिलाना चाहते थे मगर कुंबले के कहने पर रहाणे ने कुलदीप यादव को खिलाया. ये दांव काफी सफल भी रहा. कुलदीप यादव ने टीम की जीत में अहम भूमिका निभाई. मगर विराट को ये बात साल गई कि उनकी बात नहीं मानी गई.

इसके अलावा कुंबले का कड़ा अनुशासन और उनका खुद का बड़ा कद भी कोच-कप्तान के बीच टकराव के वजह रहे. मगर सबसे बड़ी बात ये सामने आ रही है कि विराट रवि शास्त्री को बतौर कोच देखना चाहते हैं और मीडिया में सूत्रों से आई खबर की मानें तो उन्होंने बीसीसीआई को अपनी पसंद बता चुके हैं.

क्या ऐसे चलेगा भारतीय क्रिकेट?

कुंबले के कोच पद छोड़ने के बाद विराट की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. मगर जिस तरह य़े विवाद बाहर आया और कुंबले जैसे क्रिकेटर बेआबरू करके कोच से हटाया गया उससे एक गलत संदेश जाएगा. अब कोई भी टीम इंडिया का कोच बनने से पहले ये तो जरूर सोचेगा कि विराट से उसके कैसे रिश्ते होंगे?

तो क्या टीम इंडिया का कोच अब कप्तान के इशारे पर नाचने वाला होगा? क्या कोच की अपनी कोई गरिमा नहीं होगी? उसकी वही सोच मानी जाएगी जो विराट से मिलेगी वरना उसका भी वही हश्र होगा जो कुंबले का होगा.चैंपियंस ट्रॉफी में फाइनल पाकिस्तान के हाथों करारी हार से विराट की कप्तानी की जो किरकिरी हुई थी अब इस मामले से भी उनके इमेज को बड़ा धक्का लगा है जो भारतीय क्रिकेट के लिए किसी भी नजर से शुभ संकेत नहीं है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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