• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
स्पोर्ट्स

किताब में कोहली-कुंबले विवाद का पोस्टमार्टम कर पूर्व IAS विनोद राय ने एक नई बहस शुरू कर दी है!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 05 अप्रिल, 2022 08:01 PM
  • 05 अप्रिल, 2022 08:01 PM
offline
रूपा पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित अपनी पुस्तक नॉट जस्ट ए नाइटवॉचमैन - माई इनिंग्स इन द बीसीसीआई में, पूर्व आईएएस अधिकारी विनोद राय ने कई अहम खुलासे किये हैं और बताया है कि क्रिकेट जगत में पर्दे के पीछे की हकीकत हमारी सोच और कल्पना से कहीं ज्यादा परे है.

चाहे फुटबॉल हो या क्रिकेट या फिर कोई भी दूसरा स्पोर्ट्स। एटीट्यूड स्पोर्ट्सपर्सन की शान होता है. एटीट्यूड भले ही खिलाडी पर फबता हो लेकिन इसके अपने चैलेंजेस भी हैं. प्रायः ये देखा गया है कि स्पोर्ट्सपर्सन, डिसिप्लेन से दूर हो जाता है. कई बार ऐसे मौके भी आते हैं जब सिर्फ एटीट्यूड के चलते खिलाडी बेवजह के विवादों का सामना करता है और आलोचनाओं को बल मिलता है. इन तमाम बातों के बाद अब आप विराट कोहली की कल्पना कीजिये।जिक्र क्योंकि एटीट्यूड का हुआ है तो इस बात में कोई शक नहीं है कि चाहे ग्राउंड हो या पर्सनल लाइफ एटीट्यूड के मद्देनजर विराट का किसी से कोई मुकाबला नहीं है.

विराट भरपूर एटीट्यूड के साथ अपना जीवन जी रहे थे फिर उनकी लाइफ में एंट्री हुई अनिल कुंबले की. जो भी कुंबले को जानते हैं इस बात को लेकर एकमत हैं कि जब जब बात अनुशासन की आएगी शायद ही कोई कुंबले का मुकाबला कर पाए. विराट का एटीट्यूड और कुंबले का अनुशासन टीम इंडिया के लिए ये कॉम्बो कितना डेडली हुआ? इसका अंदाजा एक्स आईएएस ऑफिसर विनोद राय की उस किताब नॉट जस्ट ए नाइटवॉचमैन- माय इनिंग्स इन द बीसीसीआई से आसानी से लगाया जा सकता है जो उन्होंने अपने उन अनुभवों के आधार पर लिखी है जो उन्होंने तब महसूस किये जब वो 2017 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर बनाई गयी सीओए के एडमिनिनस्ट्रेटर थे.

कुंबले याद रखें जैसा उनका  स्वाभाव है विराट कोहली से विवाद तो होना ही था

ध्यान रहे 2017 का समय टीम इंडिया के लिए काफी बुरा था. टीम इंडिया पर आईपीएल में फिक्सिंग के गंभीर आरोप लगे थे. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने Ex CAG विनोद राय को भारतीय क्रिकेट को संभालने की जिम्मेदारी दी थी. ये वो समय था जब टीम में विवाद तो था ही साथ ही एक बड़ा गैप तत्कालीन कप्तान विराट कोहली और हेड कोच अनिल कुंबले के रिश्तों...

चाहे फुटबॉल हो या क्रिकेट या फिर कोई भी दूसरा स्पोर्ट्स। एटीट्यूड स्पोर्ट्सपर्सन की शान होता है. एटीट्यूड भले ही खिलाडी पर फबता हो लेकिन इसके अपने चैलेंजेस भी हैं. प्रायः ये देखा गया है कि स्पोर्ट्सपर्सन, डिसिप्लेन से दूर हो जाता है. कई बार ऐसे मौके भी आते हैं जब सिर्फ एटीट्यूड के चलते खिलाडी बेवजह के विवादों का सामना करता है और आलोचनाओं को बल मिलता है. इन तमाम बातों के बाद अब आप विराट कोहली की कल्पना कीजिये।जिक्र क्योंकि एटीट्यूड का हुआ है तो इस बात में कोई शक नहीं है कि चाहे ग्राउंड हो या पर्सनल लाइफ एटीट्यूड के मद्देनजर विराट का किसी से कोई मुकाबला नहीं है.

विराट भरपूर एटीट्यूड के साथ अपना जीवन जी रहे थे फिर उनकी लाइफ में एंट्री हुई अनिल कुंबले की. जो भी कुंबले को जानते हैं इस बात को लेकर एकमत हैं कि जब जब बात अनुशासन की आएगी शायद ही कोई कुंबले का मुकाबला कर पाए. विराट का एटीट्यूड और कुंबले का अनुशासन टीम इंडिया के लिए ये कॉम्बो कितना डेडली हुआ? इसका अंदाजा एक्स आईएएस ऑफिसर विनोद राय की उस किताब नॉट जस्ट ए नाइटवॉचमैन- माय इनिंग्स इन द बीसीसीआई से आसानी से लगाया जा सकता है जो उन्होंने अपने उन अनुभवों के आधार पर लिखी है जो उन्होंने तब महसूस किये जब वो 2017 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर बनाई गयी सीओए के एडमिनिनस्ट्रेटर थे.

कुंबले याद रखें जैसा उनका  स्वाभाव है विराट कोहली से विवाद तो होना ही था

ध्यान रहे 2017 का समय टीम इंडिया के लिए काफी बुरा था. टीम इंडिया पर आईपीएल में फिक्सिंग के गंभीर आरोप लगे थे. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने Ex CAG विनोद राय को भारतीय क्रिकेट को संभालने की जिम्मेदारी दी थी. ये वो समय था जब टीम में विवाद तो था ही साथ ही एक बड़ा गैप तत्कालीन कप्तान विराट कोहली और हेड कोच अनिल कुंबले के रिश्तों में देखने को मिल रहा था.

विराट में जहां एटीट्यूड की भरमार थी वहीं वो मस्तमौला स्वाभाव के थे जबकि बात अगर अनिल कुंबले की हो तो टीम में अनुशासन को लेकर अनिल कुंबले खासे सख्त थे. कोहली और कुंबले विवाद पर राय ने अपनी किताब में इस बात के पुख्ता प्रमाण दिए हैं कि कप्तान (कोहली) और कोच (अनिल कुंबले) का रिश्ता किसी भी लिहाज से स्वस्थ नहीं था.

अपनी किताब में राय ने लिखा है कि, 'कप्तान और टीम प्रबंधन के साथ मेरी बातचीत में मुझे यह पता चला कि कुंबले बहुत ज्यादा अनुशासक थे और इसी वजह से टीम सदस्य उनसे बहुत ज्यादा खुश नहीं थे.

वहीं राय ने ये मैंने विराट कोहली से इस बारे में बात की थी और उन्होंने यह भी जिक्र किया था कि जिस तरह से कुंबले टीम के युवा सदस्यों के साथ काम करते थे उससे वे काफी डरे हुए रहते थे।'

चूंकि कप्तान और कोच के बीच का ये बिगड़ा तालमेल पूरी टीम और उससे जुड़े लोगों को प्रभावित कर रहा था. राय ने इसपर अनिल कुंबले से भी बात की थी. राय के मुताबिक कुंबले ने COA से इस बात का जिक्र किया था कि वह हमेशा ही टीम की भलाई के लिए ही काम करते हैं।

साथ ही कुंबले ने COA से इस बात का भी वर्णन किया था कि चूंकि वह टीम के मुख्य कोच हैं इसलिए बेवजह की बातों और खिलाड़ियों की कथित शिकायतों पर गौर करने से बेहतर है कि उनके रिकॉर्ड को ज्यादा महत्ता दी जानी चाहिए।

अपनी किताब में राय ने लिखा है कि, 'जब वह (कुंबले) यूके से लौटकर आए तो हमने अनिल कुंबले से लंबी बातचीत की. जिस तरह का मामला था कुंबले उससे काफी निराश थे.

कुंबले को लगता था कि उनके साथ गलत व्यवहार किया गया और एक कप्तान और टीम को इतनी महत्ता नहीं दी जानी चाहिए। COA के सामने अपना दर्द बयां करते हुए कुंबले ने ये भी कहा था कि कोच का यह कर्त्तव्य है कि टीम में अनुशासन लेकर आए और एक सीनियर होने के नाते खिलाड़ियों को उनकी राय का सम्मान करना चाहिए।

बताते चलें कि 2017 के उस दौर में आईपीएल में फिक्सिंग के आरोपों से जूझ रही टीम आपसी गतिरोध का सामना कर रही थी. वहीं कप्तान कोहली और मुख्य कोच अनिल कुंबले एक दूसरे से तालमेल बिठा पाने में नाकाम थे और ऐसा क्यों था इसकी वजह विराट का वो रवैया था जिसके चलते वो अपने आगे किसी की कोई बात सुनने को तैयार नहीं थे.

चूंकि किताब में टीम इंडिया के कप्तान रह चुके विराट कोहली को लेकर तमाम तरह की बातें की गयी हैं इसलिए जाते जाते ये बता देना भी जरूरी है कि विराट ने हमेशा कोच के रूप में रवि शास्त्री को तरजीह दी है. ऐसा क्यों? यदि सवाल इसपर हो तो जवाब बस इतना है कि अपने कार्यकाल में एक हेड कोच के रूप में हमेशा ही शास्त्री ने टीम को बंदिशों से मुक्त रखा और वो करने दिया जो वो चाहते थे.

इसके ठीक विपरीत कुंबले ये चाहते थे कि टीम सिर्फ और सिर्फ उनके इशारे पर चले. बहरहाल अब जबकि विनोद राय ने अपनी किताब में कोच कप्तान विवाद पर बड़ा खुला कर ही दिया है तो इसमें कितना सच है और कितना झूठ ये देखना अपने आप में दिलचस्प है और बात चुकी किताब की हुई है तो ऐसा नहीं है कि इसमें सिर्फ मेन्स टीम पर बात हुई है.

लेखक ने महिला टीम को लेकर भी तमाम बातें की हैं और उन चुनौतियों का जिक्र भी किया है जिसमें टीम की आतिशी बल्लेबाज मितली राज को कोच रमेश पोवार से लोहा लेना पड़ा.

जैसा किताब का टेम्परामेंट है माना जा रहा है कि बतौर लेखक विनोद राय ने उन बातों को बाहर निकाला है जो अब तक परदे में थीं और जिनपर शायद ही कोई बात करता था. कुल मिलाकर किताब में इंडियन क्रिकेट की वो स्याह हकीकत है जो हमारी सोच और कल्पना दोनों से परे है.

ये भी पढ़ें -

FIFA 2023 से फुटबॉल के 'इटली घराने' की विदाई ने वर्ल्ड कप को बेस्वाद कर दिया!

IPL 2022 से पहले धोनी ने जडेजा को कप्तान बनाने का फैसला लेकर सरप्राइज नहीं किया है

Shreyas Iyer की युवराज से कोई तुलना ही नहीं है, वक़्त अच्छा है. परफॉर्म कर रहे हैं! 

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    महेंद्र सिंह धोनी अपने आप में मोटिवेशन की मुकम्मल दास्तान हैं!
  • offline
    अब गंभीर को 5 और कोहली-नवीन को कम से कम 2 मैचों के लिए बैन करना चाहिए
  • offline
    गुजरात के खिलाफ 5 छक्के जड़ने वाले रिंकू ने अपनी ज़िंदगी में भी कई बड़े छक्के मारे हैं!
  • offline
    जापान के प्रस्तावित स्पोगोमी खेल का प्रेरणा स्रोत इंडिया ही है
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲