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सलीम पर वसीम के आरोप और कुछ नहीं बस 'सुल्तान' के प्रमोशन की मज़बूरी है, अब लोग पढ़ेंगे ही!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 02 दिसम्बर, 2022 01:35 PM
  • 02 दिसम्बर, 2022 01:35 PM
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पाकिस्तान के पूर्व लेफ्ट आर्म फास्ट बॉलर वसीम अकरम अपनी बायोग्राफी सुल्तान के कारण सुर्ख़ियों में हैं. अकरम ने अपने दौर के लोकप्रिय बल्लेबाज सलीम मलिक पर तमाम गंभीर आरोप लगाए हैं. सवाल ये है कि इतना बवाल किसलिए? सिर्फ पाकिस्तान ही नहीं बल्कि विश्व के हर देश में खिलाडी अपने जूनियर्स पर रौब जमाते हैं.

जितना पाकिस्तान में क्रिकेट नहीं होता, उससे ज्यादा विवाद होते हैं. एक बार फिर पाकिस्तान की क्रिकेट टीम और उसकी कार्यप्रणाली सुर्खयों में है. वजह बने हैं पूर्व लेफ्ट आर्म फास्ट बॉलर वसीम अकरम जिन्होंने अपने दौर के मिडिल ऑर्डर बल्लेबाज सलीम मलिकपर कई ऐसे आरोप लगा दिए हैं जिनको सुनकर न केवल मलिक बेचैन हैं बल्कि पूरे पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड में खलबली मच गयी है. ज्ञात हो कि अभी हाल फिलहाल में वसीम अकरम ने बायोग्राफी के नाम पर एक किताब लिखी है. किताब का जैसा कंटेंट है, उन्होंने आरोप लगाया है कि जब वो आए तो टीम में मलिक भी थे जो न केवल युवा प्रतिभाओं  को हैरेस करते थे बल्कि तमाम मौके ऐसे भी आए जब उन्होंने टीम में आए नए लड़कों से बदसलूकी की थी. चूंकि आरोप बेहद गंभीर हैं मामले पर सलीम मलिक ने अपनी सफाई दी है और अपने को निर्दोष दिखाने का नाकाम प्रयास किया है. 

अपनी जीवनी की लांच पर वसीम अगर सलीम मलिक पर आरोप लगा रहे हैं तो इसपर हैरत होनी ही नहीं चाहिए

दरअसल 'सुल्तान' नाम की अपनी बायोग्राफी में बहुत साफ़ शब्दों में अकरम ने इस बात का जिक्र किया है कि 1984 में जब उन्होंने पाकिस्तान की जर्सी पहनी तब टीम में उस ज़माने के दिग्गज बल्लेबाज सलीम मलिक भी हुआ करते थे जिनका व्यवहार और आचरण युवा प्रतिभाओं के प्रति काफी खराब था. तब टीम में जूनियर्स को किस तरह सीनियर्स के हैरेसमेंट का सामना करना पड़ता था इसका अंदाजा किताब में लिखी उस बात से लगाया जा सकता है जिसमें अकरम ने लिखा है कि मलिक उनसे कपड़े और जूते साफ करवाते और मालिश करने को कहते. 

मलिक को सेल्फिश करार देते हुए अकरम ने अपनी बायोग्राफी सुल्तान में इस बात का भी जिक्र किया है कि मलिक एक स्वार्थी क्रिकेटर थे और छोटी सोच रखते थे. वे हमेशा अपने बारे में सोचते...

जितना पाकिस्तान में क्रिकेट नहीं होता, उससे ज्यादा विवाद होते हैं. एक बार फिर पाकिस्तान की क्रिकेट टीम और उसकी कार्यप्रणाली सुर्खयों में है. वजह बने हैं पूर्व लेफ्ट आर्म फास्ट बॉलर वसीम अकरम जिन्होंने अपने दौर के मिडिल ऑर्डर बल्लेबाज सलीम मलिकपर कई ऐसे आरोप लगा दिए हैं जिनको सुनकर न केवल मलिक बेचैन हैं बल्कि पूरे पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड में खलबली मच गयी है. ज्ञात हो कि अभी हाल फिलहाल में वसीम अकरम ने बायोग्राफी के नाम पर एक किताब लिखी है. किताब का जैसा कंटेंट है, उन्होंने आरोप लगाया है कि जब वो आए तो टीम में मलिक भी थे जो न केवल युवा प्रतिभाओं  को हैरेस करते थे बल्कि तमाम मौके ऐसे भी आए जब उन्होंने टीम में आए नए लड़कों से बदसलूकी की थी. चूंकि आरोप बेहद गंभीर हैं मामले पर सलीम मलिक ने अपनी सफाई दी है और अपने को निर्दोष दिखाने का नाकाम प्रयास किया है. 

अपनी जीवनी की लांच पर वसीम अगर सलीम मलिक पर आरोप लगा रहे हैं तो इसपर हैरत होनी ही नहीं चाहिए

दरअसल 'सुल्तान' नाम की अपनी बायोग्राफी में बहुत साफ़ शब्दों में अकरम ने इस बात का जिक्र किया है कि 1984 में जब उन्होंने पाकिस्तान की जर्सी पहनी तब टीम में उस ज़माने के दिग्गज बल्लेबाज सलीम मलिक भी हुआ करते थे जिनका व्यवहार और आचरण युवा प्रतिभाओं के प्रति काफी खराब था. तब टीम में जूनियर्स को किस तरह सीनियर्स के हैरेसमेंट का सामना करना पड़ता था इसका अंदाजा किताब में लिखी उस बात से लगाया जा सकता है जिसमें अकरम ने लिखा है कि मलिक उनसे कपड़े और जूते साफ करवाते और मालिश करने को कहते. 

मलिक को सेल्फिश करार देते हुए अकरम ने अपनी बायोग्राफी सुल्तान में इस बात का भी जिक्र किया है कि मलिक एक स्वार्थी क्रिकेटर थे और छोटी सोच रखते थे. वे हमेशा अपने बारे में सोचते थे. अकरम ने ये भी लिखा है कि मलिक हमेशा ही जूनियर्स से फायदा उठाने की सोचते थे. 

चूंकि अकरम टीम पाकिस्तान के एक लोकप्रिय क्रिकेटर हैं. साथ ही देश दुनिया के क्रिकेट प्रेमियों के बीच उनकी जबरदस्त फैन फॉलोविंग है. इसलिए उनकी किताब में जो भी बातें मलिक को लेकर लिखी गयी हैं उन्होंने भूचाल ला दिया है. ऐसे में मलिक जो कि मामले के मद्देनजर चौतरफा आलोचनाओं का सामना कर रहे हैं, बचाव में अपना पक्ष रखा है.

मामले पर अपनी बात रखते हुए मलिक ने कहा है कि. मैंने इस बारे में बात करने के लिए अकरम को फोन किया, लेकिन उसने मेरी कॉल नहीं पिक की. अगर मैं स्वार्थी होता तो अपनी कप्तानी में अकरम को टीम में शामिल नहीं करता. उसे गेंदबाजी के मौके नहीं देता. मलिक ने डंके की चोट पर इस बात को भी कहा है कि मैंने हमेशा उसका हौसला बढ़ाने की कोशिश की.

क्योंकि अपनी किताब में अकरम ने मलिक पर कपड़े धोने, जूते साफ़ करने और जबरिया मालिश करवाने किए भी आरोप लगाए थे. वसीम के इन आरोपों पर सफाई देते हुए मलिक ने बड़ी सी बेशर्मी से कहा है कि अगर मैंने उसे कपड़े धोने के लिए कहा तो उसे वाशिंग मशीन का इस्तेमाल करना था. उसे हाथ से कपड़े धोने की कोई जरूरत नहीं थी.

जिक्र सलीम मलिक का हुआ है तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि वो वसीम अकरम के जरिये पहली बार सुर्ख़ियों में आए हैं. जैसा उनका आचरण रहा है कहना गलत नहीं है कि विवादों और सलीम मलिक का साथ चोली दामन का है. पूर्व में मलिक मैच फिक्सिंग के दोषी पाए गए थे जिस कारण उनपर आजीवन बैन लगा दिया गया था. हालांकि बैन हटे मलिक ने अपील की लेकिन इसकी कहीं कोई सुनवाई न हुई. बाद में पाकिस्तान की एक अदालत को उनपर तरस आया और उनपर लगा बैन हटा दिया गया. 

बात सीनियर और जूनियर्स की हुई है तो बताते चलें कि वसीम अकरम ने जहां 1984 में डेब्यू किया था वहीं सलीम मलिक वो खिलाड़ी थे जो 1982 में पहली बार पाकिस्तान की टीम की तरफ से इंटरनेशनल क्रिकेट खेलते हुए दिखाई दिए थे. 

बहरहाल अब जबकि वसीम अकरम की किताब सुल्तान हमारे सामने आ ही गयी है तो एक जरूरी सवाल जो हमारे सामने आ रहा है वो ये कि क्या इस किताब के जरिये वसीम खुद को शोषित, महान या फिर सहिष्णु दिखाना चाहते हैं? हो सकता है ये तमाम सवाल विचलित करें. लेकिन इन्हें पूछे जाने या इनके विषय में बात करने की माकूल वजह हमारे पास है. 

विषय बहुत सीधा है क्या वसीम इस बात को भूल गए कि चाहे वो क्रिकेट हो या फिर और कोई स्पोर्ट्स वहां सीनियर्स, जूनियर्स के साथ कैसा बर्ताव करते हैं. अगर आज एक लंबे समय बाद वसीम कर रहे हैं कि जब उन्होंने इंटरनेशनल क्रिकेट में एंट्री ली थी तब उन्हें राजा बाबू वाला ट्रीटमेंट मिलना चाहिए था. वो मज़बूरी है जो उन्हें भले ही किताब बेचने  में मदद कर दे लेकिन जब बात सच्चाई की आती है तो खेल की दुनिया में सीनियर्स अपने जूनियर्स के साथ क्या करते हैं इसपर बात करने की कोई बहुत ज्यादा जरूरत नहीं है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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