• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
स्पोर्ट्स

वर्ल्ड रिकॉर्ड के साथ पैरालिंपिक गोल्ड जीतने वाले सुमित अंतिल और नीरज चोपड़ा में फर्क क्या है?

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 01 सितम्बर, 2021 04:49 PM
  • 01 सितम्बर, 2021 04:49 PM
offline
दो वर्ल्ड रिकॉर्ड कायम करके Tokyo Paralympics 2020 में जेवलिन थ्रो का गोल्ड मैडल जीतने वाले सुमित अंतिल इतिहास रच चुके हैं मगर क्या उन्हें वैसा और उतना ही सम्मान मिल रहा है जिसके वो हक़दार हैं? सवाल थोड़ा तीखा है, लेकिन पूछना बनता है कि क्या उन्हें भी उसी तरह सिर आंखों पर बैठाया गया है, जैसा नीरज चोपड़ा को?

'खतरनाक परफॉरमेंस भाई सुमित, गर्व है तुम्हारे ऊपर...' ये वो शब्द हैं जो टोक्यो ओलंपिक 2020 में जेवलिन थ्रो में गोल्ड मेडल लाकर देश का मान बढ़ाने वाले ओलंपियन नीरज चोपड़ा ने पैरालिंपिक्स में गोल्ड मेडल जीतने वाले सुमित अंतिल के लिए कहे हैं. भाला फेंकने में सुमित ने वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाकर गोल्ड तो हासिल किया ही है साथ ही उन्होंने भारत को टोक्यो पैरा ओलंपिक 2020 में उस मुकाम पर पहुंचा दिया है जिसकी कल्पना एक देश के रूप में भारत ने और शायद सुमित ने खुद न कभी की हो. जेवलिन थ्रोअर सुमित अंतिल ने पुरूषों की एफ64 स्पर्धा में वर्ल्ड रिकार्ड तोड़ते हुए भारत को पैरालंपिक में दूसरा स्वर्ण पदक दिलाकर खेलों में शानदार पदार्पण किया. उम्र में सिर्फ 23 साल के सुमित ने अपने पांचवें एटेम्पट में 68.55 मीटर दूर तक भाला फेंका और वो कर दिखाया जिसका इंतेजार पूरे देश को बेसब्री से था.

सुमित इतिहास रच चुके हैं मगर क्या उन्हें वैसा और उतना ही सम्मान मिल रहा है जिसके वो हक़दार हैं? सवाल गंभीर तो है मगर इसे पूछना वक़्त की जरूरत है. हो सकता है हमारे इस सवाल का जवाब लोग हां में दें मगर सच्चाई क्या यही है? खुश होने और किसी को खुश करने के लिए हम तमाम तरह की बातें कर सकते हैं. मोटे मोटे ग्रंथ लिख सकते हैं मगर क्यों कि हम स्वयं अपने प्रति ईमानदार रहते हैं तो इस केस में या ये कहें कि इस गोल्ड मेडल और इसके बाद की परिस्थितियों से हम रू-ब-रू हैं.

सुमित ने जो टोक्यो में किया है वो नीरज चोपड़ा जितना ही ऐतिहासिक है

गोल्ड लेकर सुमित टोक्यो से आते ही होंगे चूंकि सुमित हरियाणा से हैं तो यकीनन हरियाणा सरकार सुमित को सम्मानित कर देगी. बहुत हुआ तो केंद्र के अलावा पंजाब भी इनामों की घोषणा कर देगा फिर जैसा भारत में खेलों को लेकर हमारा नजरिया और दस्तूर दोनों...

'खतरनाक परफॉरमेंस भाई सुमित, गर्व है तुम्हारे ऊपर...' ये वो शब्द हैं जो टोक्यो ओलंपिक 2020 में जेवलिन थ्रो में गोल्ड मेडल लाकर देश का मान बढ़ाने वाले ओलंपियन नीरज चोपड़ा ने पैरालिंपिक्स में गोल्ड मेडल जीतने वाले सुमित अंतिल के लिए कहे हैं. भाला फेंकने में सुमित ने वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाकर गोल्ड तो हासिल किया ही है साथ ही उन्होंने भारत को टोक्यो पैरा ओलंपिक 2020 में उस मुकाम पर पहुंचा दिया है जिसकी कल्पना एक देश के रूप में भारत ने और शायद सुमित ने खुद न कभी की हो. जेवलिन थ्रोअर सुमित अंतिल ने पुरूषों की एफ64 स्पर्धा में वर्ल्ड रिकार्ड तोड़ते हुए भारत को पैरालंपिक में दूसरा स्वर्ण पदक दिलाकर खेलों में शानदार पदार्पण किया. उम्र में सिर्फ 23 साल के सुमित ने अपने पांचवें एटेम्पट में 68.55 मीटर दूर तक भाला फेंका और वो कर दिखाया जिसका इंतेजार पूरे देश को बेसब्री से था.

सुमित इतिहास रच चुके हैं मगर क्या उन्हें वैसा और उतना ही सम्मान मिल रहा है जिसके वो हक़दार हैं? सवाल गंभीर तो है मगर इसे पूछना वक़्त की जरूरत है. हो सकता है हमारे इस सवाल का जवाब लोग हां में दें मगर सच्चाई क्या यही है? खुश होने और किसी को खुश करने के लिए हम तमाम तरह की बातें कर सकते हैं. मोटे मोटे ग्रंथ लिख सकते हैं मगर क्यों कि हम स्वयं अपने प्रति ईमानदार रहते हैं तो इस केस में या ये कहें कि इस गोल्ड मेडल और इसके बाद की परिस्थितियों से हम रू-ब-रू हैं.

सुमित ने जो टोक्यो में किया है वो नीरज चोपड़ा जितना ही ऐतिहासिक है

गोल्ड लेकर सुमित टोक्यो से आते ही होंगे चूंकि सुमित हरियाणा से हैं तो यकीनन हरियाणा सरकार सुमित को सम्मानित कर देगी. बहुत हुआ तो केंद्र के अलावा पंजाब भी इनामों की घोषणा कर देगा फिर जैसा भारत में खेलों को लेकर हमारा नजरिया और दस्तूर दोनों रहा है 23 साल के ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट सुमित अंतिल को अतीत की डायरी में बंद करके कहीं साइड में रख दिया जाएगा.

उपरोक्त बातों को सुनकर बहुत ज्यादा आहत होने की ज़रूरत इसलिए भी नहीं है क्योंकि ये अपने आप में दुर्भाग्यपूर्ण ये है कि एक देश के रूप में भारत ने और स्वयं हम भारतीयों ने कभी पैरा ओलंपिक को गंभीरता से लिया ही नहीं. आप खुद बताइये पैरा ओलंपिक के प्रति क्या नजरिया है आपका?

बात भले ही बहुत ज्यादा कड़वी हो मगर सच ये है कि हम पैरा ओलंपिक को दिव्यांगो का टूर्नामेंट मानते हैं. हमको लगता यही है कि इसे जीतना तो बहुत ज्यादा आसान होता होगा. मगर पूछिये उस खिलाड़ी से जो अलग अलग देशों के खिलाड़ियों से लोहा लेने और गोल्ड पर कब्जा करने वहां टोक्यो की भूमि पर मौजूद है और एक एक पॉइंट एक एक शॉट के लिए लड़ रहा है.

क्या होता है पैरा ओलंपिक और किन चुनैतियों का सामना एक खिलाड़ी को करना पड़ता है? उससे बेहतर इस सवाल का जवाब कोई दे ही नहीं सकता. बात सीधी और साफ है किसी और खेल, किसी और खिलाड़ी की तरह पैरा ओलंपिक में खिलाड़ी अपने जैसे खिलाड़ियों का सामना करते हैं. कंपीटिशन वहां भी उतना ही टफ रहता है जितना बाकी और किसी जगह.

वहां भी खिलाड़ी उतने ही शक्तिशाली होते हैं जितना किसी और स्पर्धा में. तो फिर पैरा ओलंपिक से, उसके खिलाड़ियों से इस तरह का भेद भाव क्यों? क्या बदकिस्मती से उनका दिव्यांग होना उनके टैलेंट और कैलिबर को भी चुनौती दे रहा है? देखिए यहां लड़ाई Tokyo Olympic 2020 Vs Tokyo Paralympic 2020 वाली तो है ही नहीं मगर जैसा जनता और स्पोर्ट्स फैन का नजरिया पैरा ओलंपिक के खिलाड़ियों के प्रति है, हमारा सवाल उस पर है.

मेन स्ट्रीम के खिलाड़ियों के प्रति जैसा हमारा नजरिया है, हमें कहीं दूर जाने की जरूरत ही नहीं है हम यदि ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा का ही यदि रुख कर लें तो काफा हद तक हम बातों को समझ जाएंगे. गोल्ड जीतने के बाद से ही नीरज बहुत बिजी हैं. इन दिनों और अगले कुछ सालों तक नीरज की जिंदगी कैसी होगी इसका अंदाजा बस केवल इसी से लगा लीजिये कि नीरज के पास समय ही नहि है कि वो ट्रेनिंग कर सकें.

अब देश और जनता खुद बताए और पूरी ईमानदारी से बताए जेवलिन में ही भारत को गोल्ड दिलाने वाली सुमित क्या कभी ये सब सोच पाएंगे? इस सवाल का सही और सटीक जवाब क्या है सुमित से बेहतर हम और आप जानते हैं.बाकी जो काम सुमित ने किया है चाहे कोई उसे माने या न माने मगर इससे देश का यश, वैभव और कीर्ति दोनों बढ़ी है.

और हां बात तुलना की नहीं है. लेकिन गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा की ही तरह टोक्यो पैरा ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट सुमित अंतिल को भी हक़ है. अपने खेल की बदौलत अगले कुछ दिन ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम में टॉप ट्रेंड बने रहने का, बड़े बड़े विज्ञापनों में आने का, पहचान का, शोहरत का, दौलत का और ये सब यूं ही नहीं है सुमित ने अपने खेल की बदौलत ये सिद्ध किया है.

ये भी पढ़ें -

Tokyo Paralympics 2020: मीडिया जान ले भारतीय Paralympians की वीर गाथाओं का जिक्र बनता है!

Tokyo Paralympics: 'गोल्डन गर्ल' अवनि लेखरा की उपलब्धि से ज्यादा प्रेरणास्पद है उनके संघर्षों की कहानी!

WFI की अंदरुनी राजनीति की भेंट चढ़ गई बजरंग, रवि और विनेश फोगाट की कुश्ती!    

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    महेंद्र सिंह धोनी अपने आप में मोटिवेशन की मुकम्मल दास्तान हैं!
  • offline
    अब गंभीर को 5 और कोहली-नवीन को कम से कम 2 मैचों के लिए बैन करना चाहिए
  • offline
    गुजरात के खिलाफ 5 छक्के जड़ने वाले रिंकू ने अपनी ज़िंदगी में भी कई बड़े छक्के मारे हैं!
  • offline
    जापान के प्रस्तावित स्पोगोमी खेल का प्रेरणा स्रोत इंडिया ही है
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲