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धोनी-गांगुली पर एक सवाल क्रिकेट प्रेमियों की दुखती रग दबा गया

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 09 जुलाई, 2019 01:25 PM
  • 09 जुलाई, 2019 01:01 PM
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सौरव गांगुली और महेंद्र सिंह धोनी को आईसीसी ने अपने एक ट्वीट में बर्थडे की मुबारकबाद दी है और एक अजीब सा सवाल पूछा है कि दोनों में से बेहतर कौन है ? इस सवाल के बाद क्रिकेट प्रेमी दो वर्गों में बंट गए हैं और एक नई बहस का आगाज हो गया है.

ICC World Cup 2019 में 9 मैच खेलकर टीम इंडिया 15 पॉइंट्स के साथ नंबर 1 की पोजीशन में है. 1 हार के बावजूद टीम इंडिया का मनोबल सांतवे आसमान पर है. कायम लगाए जा रहे हैं कि, यदि टीम का परफॉरमेंस ऐसा ही रहा और टीम के खिलाड़ियों ने कौशल के अलावा संयम का परिचय दिया तो कप्तान कोहली को कप हिंदुस्तान लाने से कोई नहीं रोक सकता. लगातार जीत पर कब्ज़ा जमाने के बाद टीम में जश्न का माहौल तो था ही मगर ये माहौल तब और बढ़ गया जब दो भारतीय कप्तानों महेंद्र सिंह धोनी और सौरव गांगुली के जन्मदिन को लेकर आईसीसी का ट्वीट आया. ट्वीट में आईसीसी ने क्रिकेट प्रेमियों से सवाल किया है कि इन दोनों ही कप्तानों में जनता किसके खेल को बेहतर मानती हैं और वो किसी ज्यादा ऊंचा समझती है.

सौरव गांगुली और धोनी को लेकर आईसीसी ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है

जनता ने इस ट्वीट को कैसे लिया है इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि आईसीसी के इस ट्वीट को 28,542 ने पसंद किया है 2,251 लोगों ने रीट्वीट किया है और इस ट्वीट पर करीब 1400 लोगों ने अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं.

एक वक़्त में अपने निर्णय और परफॉरमेंस के कारण दर्शकों के दिलों पर राज करने वाले सौरव गांगुली क्रिकेट छोड़ चुके हैं जबकि धोनी हमारे सामने हैं. कुछ और बात करने से पहले हमारे लिए धोनी और उनके खेल पर बात करना बहुत जरूरी है. 2007 से 2016 तक टीम इंडिया के लिए कप्तानी करने वाले धोनी का शुमार उन लोगों में है जिनके बारे में कहा जाता था कि उनके अन्दर अपार काबिलियत है. एक वक़्त में ये बात बीसीसीआई भी मानती थी कि जहां एक तरफ धोनी अपनी कुशल निर्णय क्षमता से टीम इंडिया के लिए खराब से...

ICC World Cup 2019 में 9 मैच खेलकर टीम इंडिया 15 पॉइंट्स के साथ नंबर 1 की पोजीशन में है. 1 हार के बावजूद टीम इंडिया का मनोबल सांतवे आसमान पर है. कायम लगाए जा रहे हैं कि, यदि टीम का परफॉरमेंस ऐसा ही रहा और टीम के खिलाड़ियों ने कौशल के अलावा संयम का परिचय दिया तो कप्तान कोहली को कप हिंदुस्तान लाने से कोई नहीं रोक सकता. लगातार जीत पर कब्ज़ा जमाने के बाद टीम में जश्न का माहौल तो था ही मगर ये माहौल तब और बढ़ गया जब दो भारतीय कप्तानों महेंद्र सिंह धोनी और सौरव गांगुली के जन्मदिन को लेकर आईसीसी का ट्वीट आया. ट्वीट में आईसीसी ने क्रिकेट प्रेमियों से सवाल किया है कि इन दोनों ही कप्तानों में जनता किसके खेल को बेहतर मानती हैं और वो किसी ज्यादा ऊंचा समझती है.

सौरव गांगुली और धोनी को लेकर आईसीसी ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है

जनता ने इस ट्वीट को कैसे लिया है इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि आईसीसी के इस ट्वीट को 28,542 ने पसंद किया है 2,251 लोगों ने रीट्वीट किया है और इस ट्वीट पर करीब 1400 लोगों ने अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं.

एक वक़्त में अपने निर्णय और परफॉरमेंस के कारण दर्शकों के दिलों पर राज करने वाले सौरव गांगुली क्रिकेट छोड़ चुके हैं जबकि धोनी हमारे सामने हैं. कुछ और बात करने से पहले हमारे लिए धोनी और उनके खेल पर बात करना बहुत जरूरी है. 2007 से 2016 तक टीम इंडिया के लिए कप्तानी करने वाले धोनी का शुमार उन लोगों में है जिनके बारे में कहा जाता था कि उनके अन्दर अपार काबिलियत है. एक वक़्त में ये बात बीसीसीआई भी मानती थी कि जहां एक तरफ धोनी अपनी कुशल निर्णय क्षमता से टीम इंडिया के लिए खराब से खबर मैच जिता सकते हैं तो वहीं इनकी बैटिंग को भी लेकर ये तर्क दिया जाता था कि इनकी शॉट्स में इतनी पावर है कि यदि एक बार गेंद इनके बल्ले से लगेगी तो बाउंडरी के पार जाने से उसे कोई नहीं रोक सकता.

ये सब इतिहास की बातें हैं बात अगर धोनी की मौजूदा परफॉरमेंस पर हो तो ये कहना कहीं से भी गलत नहीं होगा कि इस वक़्त धोनी टीम इंडिया के लिए एक ऐसा बोझ हैं जिसे टीम सिर्फ इसलिए ढो रही है क्योंकि उसके पास अनुभव है और वो जानता है कि वो कौन कौन से बिंदु हैं जिसमें इस वर्ल्ड कप में टीम इंडिया कमजोर पड़ सकती है. इस पूरे वर्ल्ड कप में यदि धोनी के खेल पर नजर डालें तो मिल रहा है कि जो धोनी आते ही अपने आक्रामक खेल और चौक्के छक्कों के लये जाने जाते थे आज अपने धीमे स्टार्ट के लिए लगातार आलोचना का शिकार हो रहे हैं. कह सकते हैं कि वो क्रिकेट जो किसी जमाने में धोनी का प्राइड था आज उनसे दूर, बहुत दूर जा चुका है.

हमने बात की शुरुआत आईसीसी के ट्वीट और गांगुली-धोनी से की थी. साथ ही हमने ये भी कहा था कि इस ट्वीट पर लगातार यूजर्स की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. तो आइये एक नजर डालते हैं कि बर्थडे होने के बावजूद धोनी और गांगुली को लेकर क्या कह रहे हैं लोग. साथ ही ये भी समझते हैं कि इन दोनों ही लोगों में से वो शख्स कौन है जिसने अपने आपको टीम इंडिया के लिए बेहतर कप्तान साबित किया है.

धोनी गांगुली मामले पर जिसकी जैसी पसंद है वो वैसा जवाब दे रहा है

@Nidheen2 नाम के यूजर ने इस पूरे मामले पर अपना एक तरफ़ा रिप्लाई देते हुए धोनी का खेमा चुना है. निधीन का मानना है कि एक भारत के लिए गर्व है जबकि दूसरा वो व्यक्ति है जिसे टीम में मौका ही इसलिए मिला क्योंकि वो डालमिया के करीबी थे. इन्होंने साफ कहा है कि हमारा गर्व धोनी है.

बात साफ है इस पूरे मामले में तुलना की ही नहीं जा सकती

@SupriyaRajput20 ने आईसीसी से बड़ा ही दिलचस्प सवाल किया है. सुप्रिया ने पूछा है कि क्या मां बाप को रेट किया जा सकता है ? क्या ये जाना जा सकता है कि कौन बड़ा है और कौन छोटा? दोनों ही अपनी जगह हैं. दोनों का भारतीय क्रिकेट के लिए अपना योग्यदान है. भारतीय क्रिकेट के लिए एक पिता है जबकि दूसरा मां जैसा है.

आज जहां टीम इंडिया है वो वहां गांगुली के कारण ही पहुंची है

@imRitun नाम के यूजर ने सेक्रेड गेम से प्रभावित होकर सौरव गांगुली की एक तस्वीर साझा की है जिसने जवाब खुद-ब-खुद दे दिया है.

लोग कह रहे हैं कि वो गांगुली ही हैं जिनकी वजह से इंडियन क्रिकेट ने एक मुकाम हासिल किया है

@Manusharps  नाम के यूजर ने इस मामले को लेकर जो बात कही है उसे आईसीसी को न सिर्फ देखना चाहिए बल्कि समझना चाहिए. इनके अनुसार धोनी की बायोपिक में उसे ऊपर उठते हुए दिखाया गया है. सचिन की बायोपिक में सचिन को ऊपर उठते हुए दिखाया गया है. मगर जब कभी भी गांगुली को लेकर बायोपिक बनेगी तो उसमें ये दिखाया जाएगा कि कैसे भारतीय क्रिकेट ऊपर उठा.

यूजर यही कह रहे हैं कि धोनी गांगुली की परंपरा को आगे ले गए हैं

@ButterSamosa नाम के यूजर के ट्वीट पर अगर गौर किया जाए तो दादा ने चैंपियन पैदा किये. धोनी को वो चैंपियन मिले. दादा ने भले ही वर्ल्ड कप न जीता हो पर उनकी कप्तानी पर अंगुली उठाना आ सवाल खड़ा करना ये बिल्कुल भी सही नहीं है. इनके अनुसार दादा इंडियन टीम के सबसे काबिल कप्तान थे.

भारतीय क्रिकेट के लिए दादा और धोनी दोनों ही जरूरी हैं.

@coolfrnds ने भी इस पूरे मामले पर बहुत गंभीर होकर अपनी बातें कहीं हैं. इनके अनुसार गांगुली तब कप्तान बने जब किसी भी देश के लिए ऑस्ट्रेलिया ड्रीम टीम हुआ करती थी. ये वो दौर हुआ करता था जब विदेशी धरती पर जीतने के लिए टीम इंडिया को खासा संघर्ष करना पड़ता था. coolfrnds ने भी वही बात रखी है कि भारतीय क्रिकेट के लिए दादा और धोनी दोनों ही जरूरी हैं.

लोग ये भी कह रहे हैं कि गुरु और शिष्य में कोई तुलना नहीं है

@eyeofmarut नाम के यूजर ने भी अपने ट्वीट में स्पष्ट सन्देश दिया है कि गुरु और शिष्य में कोई तुलना नहीं है.

गांगुली को भारतीय क्रिकेट में विश्वास था वो उस विश्वास के सहारे आगे आए और कई अहम जीत दर्ज की

@vinodsingh_75 ने भी वही बात दोहराई है कि आईसीसी को कभी भी दोनों ही खिलाड़ियों की तुलना नहीं करनी चाहिए. गांगुली को भारतीय क्रिकेट में विश्वास था वो उस विश्वास के सहारे आगे आए और कई अहम जीत दर्ज की जबकि धोनी ने अपनी जगह पार्ट इस परंपरा को कायम रखा.

ट्वीट जो बता रहा है कि कैसे दादा अपने में एक सम्पूर्ण प्लेयर थे

@vasu7462825 ने मामले पर अपनी बात कहने के लिए एक तस्वीर का सहारा लिया है और कुछ आंकड़े रखे हैं जो बता रहे हैं कि दादा यानी सौरव गांगुली कैसे अपने में एक सम्पूर्ण प्लेयर थे.

सौरव गांगुली ऐसा बहुत कुछ कर के जा चुके हैं जिसे अब शायद ही कोई और पूरा कर पाए

@sripalreddy09 ने भी इस मामले में कुछ तस्वीरें साझा की हैं और बताया है कि सौरव गांगुली ऐसा बहुत कुछ कर के जा चुके हैं जिसे अब शायद ही कोई और पूरा कर पाए.

बहरहाल, बात साफ है भले ही अलग अलग विषयों को लेकर दोनों ही खिलाड़ियों की खूब आलोचना हो मगर इन दोनों ही ने जो भारतीय क्रिकेट के लिए किया है उसके लिए बीसीसीआई के अलावा पूरा देश इन दोनों का एहसानमंद हैं. धोनी भले ही एक लाजवाब क्रिकेटर और उम्दा कप्तान रह चुके हों मगर क्योंकि धोनी अपनी परफॉरमेंस के कारण लगातार सुर्ख़ियों में हैं, तो देखना ये भी दिलचस्प रहेगा कि आखिर वो अपने पुराने पुण्यों के दम पर कितने दिन टीम में बरकरार रह पाते हैं?

यहां ये सवाल इसलिए भी जरूरी है क्योंकि इससे न सिर्फ टीम के वर्तमान कप्तान विराट कोहली परेशान हैं बल्कि सेलेक्टर्स तक चिंता में हैं क्योंकि धोनी के टीम में होने के कारण नए लोगों को टीम में आने का मौका नहीं मिल पा रहा जो अभी वक़्त की जरूरत है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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