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सानिया ने दिया हमें गर्व करने का एक और मौका

    • सुहानी सिंह
    • Updated: 12 जुलाई, 2015 07:18 PM
  • 12 जुलाई, 2015 07:18 PM
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जब पूरा देश गहरी नींद में था, भारतीय महिला टेनिस स्टार सानिया मिर्जा इतिहास रच रही थी. अपनी जोड़ीदार मार्टिना हिंगिस के साथ मिलकर खेलते हुए उन्होंने विंबलडन का महिला डबल्स का खिताब जीत लिया.

जब पूरा देश गहरी नींद में था, भारतीय महिला टेनिस स्टार सानिया मिर्जा इतिहास रच रही थी. अपनी जोड़ीदार मार्टिना हिंगिस के साथ मिलकर खेलते हुए उन्होंने विंबलडन का महिला डबल्स का खिताब जीता. इस खिताब के साथ वह ऐसी खिलाड़ी बन गईं हैं जिसने अपने करियर में चारो ग्रैंडस्लैम कम से कम एक बार जरूर जीते हैं. यह उपलब्धि अपने आप में खास है क्योंकि दुनिया के नंबर वन खिलाड़ी नोवाक जोकोविच भी अभी तक ऐसा नहीं कर सके हैं. जोकोविच का लगातार पिछले तीन साल से फ्रेंच ओपन जीतने के सपना टूट रहा है. सानिया ने चारों ग्रैंडस्लैम को जीत कर साबित किया कर दिया है कि वह किसी भी कोर्ट पर बेहतर प्रदर्शन करने में सक्षम हैं.

एक पाकिस्तानी से शादी के कारण कभी उनकी निष्ठा पर सवाल उठाने वाले हम जैसे लोग उस समय ऊंघ रहे थे, जब सानिया विंबलडन का खिताब अपने हाथों में उठा रही थी. यह सानिया के प्रति हम भारतीयों के रवैये और उससे भी आगे भारतीय महिला खिलाड़ियों के प्रति हमारे घिसे-पिटे आचरण को दर्शाता है. होना तो यह चाहिए था कि उनके विंबलडन में हिस्सा लेने जाने के दौरान ही उनकी खूब चर्चा होनी चाहिए थी. उन्हें महिला डबल्स में पहली जबकि मिक्सड डबल्स में दूसरी सीड दी गई थी. यह साबित करता है कि पिछले दो सालों में वह डबल्स की एक शानदार खिलाड़ी बन कर उभरी हैं. मिक्सड डबल्स में हालांकि ब्रुनो सोआरेस के साथ खेलते हुए उन्हें क्वार्टर फाइनल में हार का सामना करना पड़ा था.

बहरहाल, हम ऐसे लोग हैं जो EFA चैम्पियंस लीग के मैच और फिल्म अवार्ड शो देखने के लिए तो रात-रात भर जगे रहते हैं. लेकिन जब हमारी ही एक खिलाड़ी इस प्रकार का इतिहास रच रही होती है.. तो हम उसे देखने की जहमत नहीं उठाते. अगर क्रिकेट यूरोप या दक्षिण अमेरिका में लोकप्रिय होता तो भी अपनी टीम का मैच देखने के लिए हमें देर रात तक जगने में कोई परेशानी नहीं होती.

लेकिन यह लम्हा तो सानिया का है. पहले सेट में हारने और आखिरी सेट में 2-5 से पिछड़ने के बावजूद सानिया ने हिम्मत नहीं हारी और शानदार वापसी की. दो घंटे 25 मिनट चले...

जब पूरा देश गहरी नींद में था, भारतीय महिला टेनिस स्टार सानिया मिर्जा इतिहास रच रही थी. अपनी जोड़ीदार मार्टिना हिंगिस के साथ मिलकर खेलते हुए उन्होंने विंबलडन का महिला डबल्स का खिताब जीता. इस खिताब के साथ वह ऐसी खिलाड़ी बन गईं हैं जिसने अपने करियर में चारो ग्रैंडस्लैम कम से कम एक बार जरूर जीते हैं. यह उपलब्धि अपने आप में खास है क्योंकि दुनिया के नंबर वन खिलाड़ी नोवाक जोकोविच भी अभी तक ऐसा नहीं कर सके हैं. जोकोविच का लगातार पिछले तीन साल से फ्रेंच ओपन जीतने के सपना टूट रहा है. सानिया ने चारों ग्रैंडस्लैम को जीत कर साबित किया कर दिया है कि वह किसी भी कोर्ट पर बेहतर प्रदर्शन करने में सक्षम हैं.

एक पाकिस्तानी से शादी के कारण कभी उनकी निष्ठा पर सवाल उठाने वाले हम जैसे लोग उस समय ऊंघ रहे थे, जब सानिया विंबलडन का खिताब अपने हाथों में उठा रही थी. यह सानिया के प्रति हम भारतीयों के रवैये और उससे भी आगे भारतीय महिला खिलाड़ियों के प्रति हमारे घिसे-पिटे आचरण को दर्शाता है. होना तो यह चाहिए था कि उनके विंबलडन में हिस्सा लेने जाने के दौरान ही उनकी खूब चर्चा होनी चाहिए थी. उन्हें महिला डबल्स में पहली जबकि मिक्सड डबल्स में दूसरी सीड दी गई थी. यह साबित करता है कि पिछले दो सालों में वह डबल्स की एक शानदार खिलाड़ी बन कर उभरी हैं. मिक्सड डबल्स में हालांकि ब्रुनो सोआरेस के साथ खेलते हुए उन्हें क्वार्टर फाइनल में हार का सामना करना पड़ा था.

बहरहाल, हम ऐसे लोग हैं जो EFA चैम्पियंस लीग के मैच और फिल्म अवार्ड शो देखने के लिए तो रात-रात भर जगे रहते हैं. लेकिन जब हमारी ही एक खिलाड़ी इस प्रकार का इतिहास रच रही होती है.. तो हम उसे देखने की जहमत नहीं उठाते. अगर क्रिकेट यूरोप या दक्षिण अमेरिका में लोकप्रिय होता तो भी अपनी टीम का मैच देखने के लिए हमें देर रात तक जगने में कोई परेशानी नहीं होती.

लेकिन यह लम्हा तो सानिया का है. पहले सेट में हारने और आखिरी सेट में 2-5 से पिछड़ने के बावजूद सानिया ने हिम्मत नहीं हारी और शानदार वापसी की. दो घंटे 25 मिनट चले मुकाबले में सानिया-हिंगिस ने दूसरी सीड की रूस की एलेना वेसनिना और एकातेरीना माकारोवा को हराया. हिंगिस ने भी 17 सालों में पहला विंबलडन खिताब जीता है.

सानिया और हिंगिस ने आखिरी सेट में लगातार तीन गेम जीते. तभी 5-5 के स्कोर के समय खराब रोशनी के कारण मैच को कुछ देर के लिए रोकना पड़ा. चारों खिलाड़ियों को कोर्ट से बाहर जाना पड़ा ताकि छत को बंद कर स्टेडियम की लाइट जलाई जा सके. विंबलडन जीतने पर सानिया की खुशी उनकी बातों से समझी जा सकती है. सानिया के अनुसार, 'टेनिस रैकट पकड़ने वाले हर बच्चे का सपना भविष्य में विबंलडन जीतने का होता है.'

सोमवार को बड़े-बड़े अखबारों के पहले पन्ने पर नोवाक जोकोविच या रोजर फेडरर की तस्वीरें लगी होंगी. नोवाक जीतते हैं तो यह उनका तीसरा विबंलडन खिताब होगा. फेडरर अपने आठवें विंबलडन की तलाश में हैं. लेकिन अच्छा होगा अगर सानिया के लिए भी पहले पन्ने पर कुछ जगह बचा कर रखी जाए. वह ऐसी खिलाड़ी हैं जिन्होंने अपने खेल का स्तर लगातार बढ़ाया और 28 की उम्र में अपने करियर के शीर्ष पर हैं.

सेंटर कोर्ट पर 5-5 से खेल आगे बढ़ाने के लिए जब सभी खिलाड़ी कोर्ट पर आए तो स्टेडियम में बैठे दर्शकों ने इनका जोरदार स्वागत किया. इस सप्ताह सेंटर कोर्ट पर शायद यह सबसे शानदार दृश्य रहा. बाद में सानिया ने भी कहा, 'हम इसी के लिए खेलते हैं. इसी सराहना के लिए हम मेहनत करते हैं.' उम्मीद की जानी चाहिए कि सानिया जब भारत लौटेंगी तो गर्मजोशी से उनका स्वागत किया जाएगा.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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