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रेसलर-क्रिमिनल नेक्सस में फंसे सुशील कुमार, कुख्यात गैंगस्टर्स के संपर्क में कैसे आए?

    • मुकेश कुमार गजेंद्र
    • Updated: 26 मई, 2021 03:10 PM
  • 26 मई, 2021 03:10 PM
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पहलवानों और अपराधियों के बीच सांठगांठ कोई नई बात नहीं है. रेसलिंग करियर खत्म होने या उसमें असफल होने के बाद बहुत से पहलवान या तो बाउंसर बन जाते हैं या फिर गैंगस्टर्स के लिए काम करना शुरू कर देते हैं. अखाड़े में नाकाम ऐसे पहलवानों का इस्तेमाल कई राजनीतिक दल भी करती हैं.

इनदिनों तौलिए से अपना चेहरा छिपाते पुलिस की गिरफ्त में नजर आने वाले ओलिंपिक मेडलिस्ट सुशील कुमार, कभी ओलिंपिक मेडल जीतने के बाद शान से तिरंगा लहराते नजर आए थे. लेकिन समय का 'खेल' देखिए, कैसे एक अंतरराष्ट्रीय पहलवान रेसलर-क्रिमिनल नेक्सस में फंसकर अपने करियर से ही खेल गया. जिसकी काबिलियत और मेहनत को देख पूरे देश ने अपनी पलकों पर बिठाया, सरकार ने कई सम्मान दिए, सरकारी नौकरी दी, आज वो सबके लिए शर्म का सबब का बन गया है. अपनी जिंदगी के महज एक दशक के अंदर अर्श से फर्श पर आया पहलवान 'अखाड़े' की बजाए 'अपराध' की दुनिया में अपना दम दिखाने लगा था.

दिल्ली के सागर धनखड़ मर्डर केस के वांटेड चल रहे रेसलर सुशील कुमार को वारदात से करीब 20 दिन बाद पुलिस गिरफ्तार कर पाई. इतने दिन पहलवान और पुलिस के बीच चूहे-बिल्ली का खेल चलता रहा. एक प्रोफेशनल क्रिमिनल की तरह सुशील लगातार अपनी लोकेशन और मोबाइल सिम बदलते रहे. इस दौरान करीब 20 राज्यों की सीमाएं लांघी. कई शहरों में गए. कभी कार तो कभी बाइक पर बैठकर लगातार भागते रहे, लेकिन पुलिस ने उनको ट्रेस कर लिया. उनकी गिरफ्तारी के बाद से लगातार खुलासे हो रहे हैं. देश की राजधानी दिल्ली में जमीन और मकान के कब्जे और वसूली के लिए इस्तेमाल हो रहे रेसलर-क्रिमिनल नेक्सस का भी पर्दाफाश हुआ है.

ओलिंपिक मेडलिस्ट सुशील कुमार कुश्ती छोड़कर कानून के साथ खेलने लगे, जिसका परिणाम सबके सामने है.

एक फ्लैट कैसे बना बड़े विवाद की वजह

बताया जा रहा है कि सागर धनखड़ मर्डर केस के पीछे दिल्ली के मॉडल टाउन में स्थित एक फ्लैट को खाली कराना था. इसी फ्लैट में सागर धनखड़ अपने दोस्तों का साथ रहता था. एक गैंग की तरफ से सुशील को इसे खाली कराने के लिए कहा गया था. सुशील ने बातचीत करने के लिए सागर और उसके दोस्त सोनू को छत्रसाल...

इनदिनों तौलिए से अपना चेहरा छिपाते पुलिस की गिरफ्त में नजर आने वाले ओलिंपिक मेडलिस्ट सुशील कुमार, कभी ओलिंपिक मेडल जीतने के बाद शान से तिरंगा लहराते नजर आए थे. लेकिन समय का 'खेल' देखिए, कैसे एक अंतरराष्ट्रीय पहलवान रेसलर-क्रिमिनल नेक्सस में फंसकर अपने करियर से ही खेल गया. जिसकी काबिलियत और मेहनत को देख पूरे देश ने अपनी पलकों पर बिठाया, सरकार ने कई सम्मान दिए, सरकारी नौकरी दी, आज वो सबके लिए शर्म का सबब का बन गया है. अपनी जिंदगी के महज एक दशक के अंदर अर्श से फर्श पर आया पहलवान 'अखाड़े' की बजाए 'अपराध' की दुनिया में अपना दम दिखाने लगा था.

दिल्ली के सागर धनखड़ मर्डर केस के वांटेड चल रहे रेसलर सुशील कुमार को वारदात से करीब 20 दिन बाद पुलिस गिरफ्तार कर पाई. इतने दिन पहलवान और पुलिस के बीच चूहे-बिल्ली का खेल चलता रहा. एक प्रोफेशनल क्रिमिनल की तरह सुशील लगातार अपनी लोकेशन और मोबाइल सिम बदलते रहे. इस दौरान करीब 20 राज्यों की सीमाएं लांघी. कई शहरों में गए. कभी कार तो कभी बाइक पर बैठकर लगातार भागते रहे, लेकिन पुलिस ने उनको ट्रेस कर लिया. उनकी गिरफ्तारी के बाद से लगातार खुलासे हो रहे हैं. देश की राजधानी दिल्ली में जमीन और मकान के कब्जे और वसूली के लिए इस्तेमाल हो रहे रेसलर-क्रिमिनल नेक्सस का भी पर्दाफाश हुआ है.

ओलिंपिक मेडलिस्ट सुशील कुमार कुश्ती छोड़कर कानून के साथ खेलने लगे, जिसका परिणाम सबके सामने है.

एक फ्लैट कैसे बना बड़े विवाद की वजह

बताया जा रहा है कि सागर धनखड़ मर्डर केस के पीछे दिल्ली के मॉडल टाउन में स्थित एक फ्लैट को खाली कराना था. इसी फ्लैट में सागर धनखड़ अपने दोस्तों का साथ रहता था. एक गैंग की तरफ से सुशील को इसे खाली कराने के लिए कहा गया था. सुशील ने बातचीत करने के लिए सागर और उसके दोस्त सोनू को छत्रसाल स्टेडियम बुलाया, जहां बात बिगड़ने के बाद उनके साथ मारपीट की गई. सुशील ने अपने एक सहयोगी प्रिंस को बोलकर इस विवाद का वीडियो बनवाया, ताकि बाद में इसे वायरल करके दूसरे गैंग्स और पहलवानों के बीच अपनी धाक जमा सके. लेकिन मामला उल्टा पड़ गया. यही वीडियो सुशील के गले की फांस बन गया है.

जठेड़ी गैंग के भी निशाने पर हैं सुशील

दूसरी तरफ सागर के साथ मारपीट में घायल हुआ सोनू महल दिल्ली-हरियाणा के मोस्ट वांटेड क्रिमिनल संदीप काला उर्फ काला जठेड़ी का भतीजा निकला. सुशील ने उसको अधमरा करके जठेड़ी गैंग से भी मुसीबत मोल ले ली. सोनू के खिलाफ कुल 19 आपराधिक मामले दर्ज हैं. एक समय सुशील और जठेड़ी के बीच बहुत अच्छे संबंध थे. पिछले साल फरीदाबाद कोर्ट में पेशी के बाद काला जठेड़ी पुलिस कस्टडी से फरार हो गया था. फिलहाल वो दुबई में है. इस घटना के बाद काला जठेड़ी सुशील से बदला लेने के फिराक में होगा. इसी वजह से सुशील डरे हुए हैं. उनके जेल जाने के बाद वहां मौजूद जठेड़ी गैंग के गुर्गों से बचना भी एक चुनौती होगा.

दो गैंग्स की दुश्मनी के बीच फंसते गए

यह जानकारी भी सामने आ रही है कि सागर मर्डर केस में सुशील कुमार के साथ नीरज बवाना गैंग के सदस्य भी शामिल थे. छत्रसाल स्टेडियम के पास एक स्कॉर्पियो कार खड़ी मिली है, जो नीरज बवाना के मामा के गांव के एक शख्स की बताई जा रही है. बवाना और जठेड़ी गैंग की अदावत बहुत पुरानी है. ऐसे में दो गैंग्स की दुश्मनी के बीच अब सुशील बुरी तरह फंस चुके हैं. गैंगस्टर नीरज बावनिया जेल में रहते हुए अपने गैंग को संचालित करता है. उसके साथ सुशील की दोस्ती होने की वजह से काला जठेड़ी पहले से ही नाराज चल रहा था. वहीं, बावनिया के सपोर्ट पर जठेड़ी गैंग को सुशील यह दिखाना चाहते थे कि वो किसी से डरने वाले नहीं है.

प्रोफेशनल रेसलिंग से यूं दूर हुए सुशील

सुशील कुमार के लिए साल 2012 तक सबकुछ ठीक था. लेकिन उसके बाद दूसरे पहलवानों के साथ उनके रिश्ते खराब होते चले गए. सबसे पहले उनके दो खास दोस्तों योगेश्वर दत्त और बजरंग पूनिया ने उनसे दूरी बनाई, उसके बाद जीतेंद्र और प्रवीण ने भी उनका साथ छोड़ दिया. यहां तक कि एक समय सुशील के कोच रहे रामफल और वीरेंद्र सिंह ने भी छत्रसाल स्टेडियम छोड़ दिया. उन्होंने साल 2019 विश्व चैंपियनशिप के बाद से अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग नहीं लिया. इसके बाद भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के वार्षिक अनुबंध से उनको बाहर कर दिया. उनको डब्ल्यूएफआई 30 लाख रुपये की वार्षिक वित्तीय सहायता मिलती थी.

अपराध की दुनिया में ऐसे बढ़ाए कदम

इस तरह सुशील कुमार अखाड़े से दूर होते गए और अपराध की दुनिया में कदम बढ़ाते गए. आमदनी घटी तो वसूली का काम करने लगे. इसके बाद धीरे-धीरे अपने स्टेडियम के पहलवानों के जरिए विवादित जमीन और मकान कब्जा या खाली कराने लगे. इतना नहीं अपने रसूख के दम पर दिल्ली में कई टोल-नाकों का ठेका भी ले लिया. इस तरह के गैर-कानूनी कामों के चलते उनका गैंगस्टरों के साथ संपर्क बढ़ने लगा. सुंदर भाटी, काला जठेड़ी, लारेंस बिश्नोई और नीरज बावनिया जैसे बड़े गैंगेस्टरों से साठगांठ करने लगे. बताया जाता है कि दिल्ली-गाजियाबाद बॉर्डर पर स्थित उनके टोल ठेके पर बावनिया गैंग के गुर्गे पैसा वसूलने का काम करते थे.

अखाड़े में नाकाम पहलवानों का इस्तेमाल

दिल्ली-एनसीआर में जमीन, मकान और फ्लैट कब्जा या खाली कराने में पहलवानों के इस्तेमाल की बात बहुत पुरानी है. रेसलिंग करियर खत्म होने के बाद कई पहलवान इस धंधे में उतर जाते हैं. यहां तक कि कई पहलवान ब्याज पर पैसे लगाने वाले व्यापारियों के लिए रिकवरी एजेंट का भी काम करते हैं. गैंगस्टर और पहलवानों का नेक्सस 25 साल पहले शुरू हुआ था. साल 1989 में नजफगढ़ के ढिचाऊं और मितराऊं गांव में गैंगवार की शुरुआत कृष्ण पहलवान ने की थी. कृष्ण पहलवान ने साल 1992 में अपने ही रिश्तेदार रोहतास की हत्या कर दी थी. इसमें अब तक 200 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है. इसके पीछे वर्चस्व की लड़ाई वजह थी.



इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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