• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
स्पोर्ट्स

विज्ञापनों का देवता बनाम खेल पुजारी

    • नरेंद्र सैनी
    • Updated: 29 अगस्त, 2016 05:57 PM
  • 29 अगस्त, 2016 05:57 PM
offline
पुलेला गोपीचंद ने एक सॉफ्ट ड्रिंक का विज्ञापन सिर्फ इसलिए करने से मना कर दिया था क्योंकि वह इसे नहीं पीते तो वो दूसरों को इसे पीने के लिए कैसे कह सकते थे

भारत सचिन तेंडुलकर ने रियो ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीतने वाली पी.वी. सिंधू, ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाली पहलवान साक्षी मलिक, जिम्नास्ट दीपा कर्मकार और सिंधू के कोच पुलेला गोपीचंद को बीएमडब्ल्यू कार गिफ्ट की. बेशक कार उनके पैसों की नहीं थी, वे तो सिर्फ चाबी उन्हें थमाने वाले थे क्योंकि वे रियो ओलंपिक्स के एंबेसेडर थे.

 सचिन ने ओलंपिक स्टार्स को थमाई बीएमडब्ल्यू कार की चाबी

मजेदार बात यह कि जब सचिन तेंडुलकर ने पुलेला गोपीचंद को चाबी थमाई तो पहली बात मेरे दिमाग में यही कौंधी, "अरे! यह तो वही पुलेला गोपीचंद हैं जिन्होंने एक सॉफ्ट ड्रिंक का विज्ञापन सिर्फ इसलिए करने से मना कर दिया था क्योंकि वह इसे नहीं पीते और वह दूसरों को इसे पीने के लिए कैसे कह सकते थे." यानी एक ऐसा खिलाड़ी जिसने अपने खेल और अपनी ईमानदारी को सबसे ऊपर रखा और ऐसा कोई काम करने से मना कर दिया जिससे युवा कुछ गलत सीखते या उनकी सेहत पर कोई नकारात्मक असर पड़ता. उन्होंने दो ओलंपिक्स में दो बार भारत को पदक दिलवाया.

ये भी पढ़ें- रियो की यह 5 लापरवाही जारी रही तो आगे मेडल मिलना नामुमकिन

उन्हें पुरस्कार देने वाले सचिन तेंडुलकर क्रिकेट से लेकर विज्ञापन जगत तक के भगवान माने जाते हैं और ऐसा कौन-सा विज्ञापन है जो उन्होंने नहीं किया हो. मजेदार यह कि जब सचिन का बल्ला आग उगल रहा था, और उनकी लोकप्रियता सातवें...

भारत सचिन तेंडुलकर ने रियो ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीतने वाली पी.वी. सिंधू, ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाली पहलवान साक्षी मलिक, जिम्नास्ट दीपा कर्मकार और सिंधू के कोच पुलेला गोपीचंद को बीएमडब्ल्यू कार गिफ्ट की. बेशक कार उनके पैसों की नहीं थी, वे तो सिर्फ चाबी उन्हें थमाने वाले थे क्योंकि वे रियो ओलंपिक्स के एंबेसेडर थे.

 सचिन ने ओलंपिक स्टार्स को थमाई बीएमडब्ल्यू कार की चाबी

मजेदार बात यह कि जब सचिन तेंडुलकर ने पुलेला गोपीचंद को चाबी थमाई तो पहली बात मेरे दिमाग में यही कौंधी, "अरे! यह तो वही पुलेला गोपीचंद हैं जिन्होंने एक सॉफ्ट ड्रिंक का विज्ञापन सिर्फ इसलिए करने से मना कर दिया था क्योंकि वह इसे नहीं पीते और वह दूसरों को इसे पीने के लिए कैसे कह सकते थे." यानी एक ऐसा खिलाड़ी जिसने अपने खेल और अपनी ईमानदारी को सबसे ऊपर रखा और ऐसा कोई काम करने से मना कर दिया जिससे युवा कुछ गलत सीखते या उनकी सेहत पर कोई नकारात्मक असर पड़ता. उन्होंने दो ओलंपिक्स में दो बार भारत को पदक दिलवाया.

ये भी पढ़ें- रियो की यह 5 लापरवाही जारी रही तो आगे मेडल मिलना नामुमकिन

उन्हें पुरस्कार देने वाले सचिन तेंडुलकर क्रिकेट से लेकर विज्ञापन जगत तक के भगवान माने जाते हैं और ऐसा कौन-सा विज्ञापन है जो उन्होंने नहीं किया हो. मजेदार यह कि जब सचिन का बल्ला आग उगल रहा था, और उनकी लोकप्रियता सातवें आसमान पर थी, उस समय उनकी लोकप्रियता को चार-चांद लगाने वाला एक विज्ञापन आया, "सचिन आला रे भैया." यह विज्ञापन खूब हिट रहा. इसने सचिन को लोकप्रिय बनाने में और इजाफा किया. यह एक सॉफ्ट ड्रिंक कंपनी का विज्ञापन था. उसी तरह की सॉफ्ट ड्रिंक जिसका विज्ञापन करने के लिए पुलेला ने मना कर दिया था.

 सचिन के विज्ञापन का सफर आज भी जारी है

सचिन का विज्ञापनों का सफर उनके पूरे खेल जीवन के बाद भी कायम है और अब वे भारत रत्न होने के बावजूद कभी इनवर्टर तो कभी कोई दूसरा समान टीवी पर बेचते नजर आते हैं (विज्ञापन करते). चलिए, सबकी अपनी मर्जी है. यह बात भी समझने की जरूरत है कि दूसरे खेलों को क्रिकेट का सहारा नहीं चाहिए, अगर उन पर ध्यान दिया जाए तो वे भी सनसनी फैलाने की कूव्वत रखते हैं. जैसा सिंधू का सिल्वर मेडल वाला मैच रहा. जिसकी रिकॉर्ड व्यूअरशिप थी.

ये भी पढ़ें- पेशेवर हाथों में हो खेल संघों की कमान

जब सचिन इन खिलाड़ियों को सम्मानित करके निकले तो सारा मीडिया उनके पीछे हो गया, और इन तीनों रत्नों को उसने एकदम से भुला दिया. शायद यह वजह "जो दिखता है, वह बिकता है" की तर्ज पर है. लेकिन हमारे खिलाड़ियों को स्टार वाले इस इनफ्केशन से बचना चाहिए और सिंधू, साक्षी और दीपा की कोशिश अपने खेल से क्रिकेट की बादशाहत को तोड़ने की कोशिश करनी चाहिए, और अगले ओलंपिक में एक पायदान आगे बढ़ने की तरफ फोकस होना चाहिए. लेकिन इस बीच का चार साल का सफर ग्लैमर की चकाचौंध से खुद को दूर रखकर ही तय करना होगा. 

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    महेंद्र सिंह धोनी अपने आप में मोटिवेशन की मुकम्मल दास्तान हैं!
  • offline
    अब गंभीर को 5 और कोहली-नवीन को कम से कम 2 मैचों के लिए बैन करना चाहिए
  • offline
    गुजरात के खिलाफ 5 छक्के जड़ने वाले रिंकू ने अपनी ज़िंदगी में भी कई बड़े छक्के मारे हैं!
  • offline
    जापान के प्रस्तावित स्पोगोमी खेल का प्रेरणा स्रोत इंडिया ही है
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲