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पाकिस्तान का राष्ट्रीय खेल है हॉकी, लेकिन जानिये फिर वो हॉकी विश्वकप से क्यों बाहर हुआ...

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 13 जनवरी, 2023 08:51 PM
  • 13 जनवरी, 2023 08:51 PM
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हॉकी विश्वकप के इतिहास में सबसे ज्यादा खिताब जीतने वाला पाकिस्तान इस बार इस टूर्नामेंट से बाहर है. कई खेल प्रेमियों को इस बात से आश्चर्य हो सकता है. तो आइये जानते हैं ऐसा कैसे हुआ...

पाकिस्‍तान के राजनीतिक और आर्थिक हालात जिस तरह कोमा में चले गए हैं, लगभग वैसा ही वहां के राष्‍ट्रीय खेल हॉकी के साथ हुआ है. दशकों तक हॉकी की दुनिया में पाकिस्तान का बोलबाला रहा. 1948 से 1984 तक हॉकी में सिर्फ और सिर्फ पाकिस्तान का डंका बजता था. पहले 1971, फिर 1978, और 1982 उसके बाद 1994 में विश्व कप जीतने के बाद, पाकिस्तान का शुमार एकमात्र ऐसी टीम के रूप में हुआ ,जिसने चार बार खिताब जीता और सफलता के नए पैमाने स्थापित किये. इसके अलावा 1960, 1968 और 1984 के बीच पाकिस्तान ने तीन ओलंपिक स्वर्ण पदक भी अपने नाम किये और एशियाई खेलों में आठ बार और चैंपियंस ट्रॉफी टूर्नामेंट में 4 जीतों से दुनिया को ये बताया कि पाकिस्तान ही हॉकी का पर्याय है. लेकिन जिस खेल के लिए पाकिस्तान दुनिया भर में जाना जाता था, वह अब उदासीनता की तस्वीर है.

पाकिस्तान का हॉकी विश्व कप में न दिखाई देना तमाम हॉकी फैंस को दुखी करता नजर आ रहा है

हॉकी विश्व कप 2023 टूर्नामेंट भुवनेश्वर और राउरकेला में खेला जा रहा है. इस मेगाइवेंट में कुल 16 टीमें हिस्सा ले रही हैं, लेकिन इनमें भारत की कट्टर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान नहीं है. इतने बड़े इवेंट से पाकिस्तान का बहार कुछ लोगों को चौंकाने वाला लग सकता है.

तो आखिर पाकिस्तान क्यों नहीं हॉकी वर्ल्ड कप 2023 में खेल रहा है ?

भारत में खेले जा रहे हॉकी विश्वकप से पाकिस्तान के बाहर होने की वजह न तो सरकार और हुक्मरान हैं. न ही दोनों देशों का तनाव और मुल्क के ख़राब हालात. कारण बस इतना है कि जो देश किसी ज़माने में हॉकी का सिरमौर था वो इस मेगाइवेंट के लिए क्वालीफाई करने में विफल रहा है. हैरत होती है देखकर कि वो टीम जिसकी लंबे समय तक हॉकी पर बादशाहत थी और जो किसी ज़माने में नंबर 1 पर था. आज रैंकिंग के लिहाज से...

पाकिस्‍तान के राजनीतिक और आर्थिक हालात जिस तरह कोमा में चले गए हैं, लगभग वैसा ही वहां के राष्‍ट्रीय खेल हॉकी के साथ हुआ है. दशकों तक हॉकी की दुनिया में पाकिस्तान का बोलबाला रहा. 1948 से 1984 तक हॉकी में सिर्फ और सिर्फ पाकिस्तान का डंका बजता था. पहले 1971, फिर 1978, और 1982 उसके बाद 1994 में विश्व कप जीतने के बाद, पाकिस्तान का शुमार एकमात्र ऐसी टीम के रूप में हुआ ,जिसने चार बार खिताब जीता और सफलता के नए पैमाने स्थापित किये. इसके अलावा 1960, 1968 और 1984 के बीच पाकिस्तान ने तीन ओलंपिक स्वर्ण पदक भी अपने नाम किये और एशियाई खेलों में आठ बार और चैंपियंस ट्रॉफी टूर्नामेंट में 4 जीतों से दुनिया को ये बताया कि पाकिस्तान ही हॉकी का पर्याय है. लेकिन जिस खेल के लिए पाकिस्तान दुनिया भर में जाना जाता था, वह अब उदासीनता की तस्वीर है.

पाकिस्तान का हॉकी विश्व कप में न दिखाई देना तमाम हॉकी फैंस को दुखी करता नजर आ रहा है

हॉकी विश्व कप 2023 टूर्नामेंट भुवनेश्वर और राउरकेला में खेला जा रहा है. इस मेगाइवेंट में कुल 16 टीमें हिस्सा ले रही हैं, लेकिन इनमें भारत की कट्टर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान नहीं है. इतने बड़े इवेंट से पाकिस्तान का बहार कुछ लोगों को चौंकाने वाला लग सकता है.

तो आखिर पाकिस्तान क्यों नहीं हॉकी वर्ल्ड कप 2023 में खेल रहा है ?

भारत में खेले जा रहे हॉकी विश्वकप से पाकिस्तान के बाहर होने की वजह न तो सरकार और हुक्मरान हैं. न ही दोनों देशों का तनाव और मुल्क के ख़राब हालात. कारण बस इतना है कि जो देश किसी ज़माने में हॉकी का सिरमौर था वो इस मेगाइवेंट के लिए क्वालीफाई करने में विफल रहा है. हैरत होती है देखकर कि वो टीम जिसकी लंबे समय तक हॉकी पर बादशाहत थी और जो किसी ज़माने में नंबर 1 पर था. आज रैंकिंग के लिहाज से 17वें पायदान पर है.

2023 के हॉकी विश्व कप में क्वालीफाई करने के लिए पाकिस्तान को जकार्ता में खेले गए 2022 के एशिया कप में शीर्ष चार में आना था. लेकिन पाकिस्तान दूसरे राउंड में पहुंचने में ही असफल रहा और पूल ए में चार टीमों में नंबर तीन पर रही. यहीं इस बता पर मुहर लग गयी थी कि पाकिस्तान हॉकी वर्ल्ड कप से अनुपस्थित रहेगा. हालांकि, ये कोई पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान हॉकी विश्व कप के रूप में एक मेगाइवेंट में क्वालीफाई करने में नाकाम रही है. 2014 में भी उसके साथ ऐसा ही हुआ था.

बहरहाल अब जबकि पाकिस्तान क्वालीफाई करने में नाकाम रहा है. तो उन दर्शकों को मायूसी हो सकती है जो भारत-पाकिस्तान के एक कड़ा मुकाबला देखना चाहते थे. 

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