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Cricket Diplomacy के भरोसे कब तक कायम रहेंगे भारत-पाकिस्तान संबंध

    • अभिनव राजवंश
    • Updated: 24 अगस्त, 2018 01:48 PM
  • 24 अगस्त, 2018 01:39 PM
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क्रिकेटर के बाद प्रधानमंत्री बने इमरान खान संभव है कि भारत के साथ संबंध सुधारने की पहल क्रिकेट के मैदान से करें. लेकिन इसके लिए उन्‍हें पहले अपने देश की आर्मी और आतंकियों से अमन का स्‍थायी गारंटी लेनी होगी.

कभी पाकिस्तान टीम को अपनी कप्तानी में क्रिकेट विश्वकप दिलाने वाले इमरान खान अब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बन गए हैं. ऐसे में भारत पाकिस्तान की क्रिकेट प्रेमी जनता को इस बात की उम्मीद जरूर होगी कि आने वाले समय में दोनों देशों के बीच नए सिरे से क्रिकेट संबंध बहाल हों. इसकी झलक कुछ ही दिन पहले पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के नवनियुक्त चेयरमैन एहसान मनी के बयानों में देखने को मिली. मनी का कहना है कि इमरान भारत-पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय क्रिकेट शुरू करने को लेकर बेहद उत्सुक हैं.

कुछ ऐसा ही नजारा पाकिस्तान जाकर आर्मी चीफ को गले लगाने के मुद्दे पर विरोध झेल रहे नवजोत सिंह सिद्धू के एक वीडियो से भी मिला. दरअसल इस वीडियो में नवजोत सिंह सिद्धू, पाकिस्तान तहरीक ऐ इन्साफ के नेता फैसल जावेद से भारत पाकिस्तान क्रिकेट के संबंधों में बात करते दिख रहे हैं. सिद्धू इस वीडियो में इंडियन प्रीमियम लीग (आईपीएल) की विजेता टीम और पाकिस्तान सुपर लीग (पीएसएल) की विजेता टीम के बीच मैच खेलने की वकालत करते दिख रहे हैं. सिद्धू क्रिकेट संबंधों को सामान्य कर भारत पाकिस्तान के संबंधों में मधुरता लाने की वकालत कर रहे हैं.

हालांकि इन सब के बावजूद यह कह पाना मुश्किल है कि क्या वाकई भारत पाकिस्तान के बीच फिर से क्रिकेट संबंध बहाल हो सकते है या नहीं. मगर यह जरूर है कि भारत पाकिस्तान क्रिकेट संबंधों की मदद से दोनों देशों के बीच आई कड़वाहट को कुछ कम जरूर किया जा सकता है. इतिहास भी इस बात का गवाह रहा है कि खेलों ने देशों की दूरियों को पाटने में काफी अहम योगदान दिया है.

इस कड़ी में सबसे बड़े उदहारण के तौर पर 'पिंग पोंग डिप्लोमेसी' का नाम आता है. दरअसल 1971 में जब शीत युद्ध अपने चरम पर था, उसी दौरान अमेरिका और चीन के संबंधों में सुधार का श्रेय टेबल टेनिस के खेल को जाता है. 1971 में टेबल टेनिस के खिलाडियों का एक दल चीन गया था, और ऐसा करने वाले वो पहले अमेरिकन भी थे. खिलाडियों के इसी दल के दौरे का नतीजा यह रहा कि चीन और अमेरिका के संबंधों में 22 साल की कड़वाहट...

कभी पाकिस्तान टीम को अपनी कप्तानी में क्रिकेट विश्वकप दिलाने वाले इमरान खान अब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बन गए हैं. ऐसे में भारत पाकिस्तान की क्रिकेट प्रेमी जनता को इस बात की उम्मीद जरूर होगी कि आने वाले समय में दोनों देशों के बीच नए सिरे से क्रिकेट संबंध बहाल हों. इसकी झलक कुछ ही दिन पहले पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के नवनियुक्त चेयरमैन एहसान मनी के बयानों में देखने को मिली. मनी का कहना है कि इमरान भारत-पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय क्रिकेट शुरू करने को लेकर बेहद उत्सुक हैं.

कुछ ऐसा ही नजारा पाकिस्तान जाकर आर्मी चीफ को गले लगाने के मुद्दे पर विरोध झेल रहे नवजोत सिंह सिद्धू के एक वीडियो से भी मिला. दरअसल इस वीडियो में नवजोत सिंह सिद्धू, पाकिस्तान तहरीक ऐ इन्साफ के नेता फैसल जावेद से भारत पाकिस्तान क्रिकेट के संबंधों में बात करते दिख रहे हैं. सिद्धू इस वीडियो में इंडियन प्रीमियम लीग (आईपीएल) की विजेता टीम और पाकिस्तान सुपर लीग (पीएसएल) की विजेता टीम के बीच मैच खेलने की वकालत करते दिख रहे हैं. सिद्धू क्रिकेट संबंधों को सामान्य कर भारत पाकिस्तान के संबंधों में मधुरता लाने की वकालत कर रहे हैं.

हालांकि इन सब के बावजूद यह कह पाना मुश्किल है कि क्या वाकई भारत पाकिस्तान के बीच फिर से क्रिकेट संबंध बहाल हो सकते है या नहीं. मगर यह जरूर है कि भारत पाकिस्तान क्रिकेट संबंधों की मदद से दोनों देशों के बीच आई कड़वाहट को कुछ कम जरूर किया जा सकता है. इतिहास भी इस बात का गवाह रहा है कि खेलों ने देशों की दूरियों को पाटने में काफी अहम योगदान दिया है.

इस कड़ी में सबसे बड़े उदहारण के तौर पर 'पिंग पोंग डिप्लोमेसी' का नाम आता है. दरअसल 1971 में जब शीत युद्ध अपने चरम पर था, उसी दौरान अमेरिका और चीन के संबंधों में सुधार का श्रेय टेबल टेनिस के खेल को जाता है. 1971 में टेबल टेनिस के खिलाडियों का एक दल चीन गया था, और ऐसा करने वाले वो पहले अमेरिकन भी थे. खिलाडियों के इसी दल के दौरे का नतीजा यह रहा कि चीन और अमेरिका के संबंधों में 22 साल की कड़वाहट खत्म हो गयी. इस दौरे के एक साल के भीतर ही अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन, चीन का दौरा करने वाले पहले अमेरिकी राष्ट्रपति भी बने. पिंग पोंग डिप्लोमेसी को अमेरिका और चीन के बीच 22 सालों के संबंध विच्छेद को खत्म करने में काफी अहम माना जाता है.

भारत पाकिस्तान क्रिकेट संबंधों की मदद से दोनों देशों के बीच आई कड़वाहट कम की जा सकती है

इसी तरह की स्पोर्ट्स डिप्लोमेसी का नमूना हाल के महीनों में भी देखने को मिला था जब उत्तर कोरिया ने विंटर ओलंपिक के लिए अपनी टीम को दक्षिण कोरिया भेजने का फैसला किया था. यह वह समय था जब यह लग रहा था कि उत्तर कोरिया किसी भी समय युद्धघोष कर सकता है. वैसे समय में उत्तर कोरिया ने विंटर ओलंपिक में अपनी टीम को दक्षिण कोरिया भेज कर दोनों देशों के बीच नए संबंधों की शुरुआत की. दोनों देशों की टीमें तो बाकायदा एक टीम के तौर पर ही टूर्नामेंट की ओपनिंग सेरेमनी में दिखीं और दोनों देशों ने उत्तर दक्षिण का भेद मिटाते हुए कोरिया की टीम बन कर महिलाओं की आइस हॉकी में हिस्सा लिया. इस विंटर ओलंपिक को दोनों देशों में संबंधों के एक नए दौर की शुरुआत के तौर पर देखा गया.

अब जबकि खुद एक बेहतरीन क्रिकेटर रहे इमरान खान के हाथ में पाकिस्तान की कमान है तो बहुत संभव लगता है कि वो दोनों देशों की टीमों को एक साथ मैदान पर लाने की कोशिश करते जरूर दिख सकते हैं. हालांकि भारत सरकार ने इस मुद्दे पर अपना स्टैंड हमेशा साफ रखा है कि बगैर सीमा पर शांति बहाली के दोनों देशों के बीच क्रिकेट संबंध बहाल नहीं किए जा सकते. ऐसे में इमरान को दोनों देशों के बीच क्रिकेट की बहाली से पहले सीमा पर तनाव कम करने पर ध्‍यान देना होगा. क्‍योंकि, क्रिकेट डिप्‍लोमेसी का रास्‍ता तो पहले भी अपनाया गया है, लेकिन उसके बाद सीमा-पार से हुई फायरिंग, कश्‍मीर में आतंकवाद का समर्थन और भारत में आतंकी हमलों ने सब बराबर कर दिया. क्रिकेट का खेल भी दोनों देशों के संबंधों की एक नयी इबारत तभी लिख सकता है, जब पाकिस्‍तान के हुक्‍मरान जिसमें वहां की आर्मी भी शामिल हैं, अपने देश को आतंकियों की पनाहगाह बनने से रोंकें.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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