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ओपन लेटर : तुमने एक खूबसूरत कहानी रची है मिताली, उसका बेतरतीब अंत मत होने देना

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 23 जुलाई, 2017 01:29 PM
  • 23 जुलाई, 2017 01:29 PM
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एक फैन की तरफ से मिताली को खुला खत ये बताने के लिए कि उसे ही अपनी सफलता को सहेज के रखना है, यूं भी हमारे देश को जल्दी भूलने की आदत है.

प्यारी मिताली

ईमेल, व्हाट्सऐप और फेसबुक पोस्ट वाले इस दौर में मैं तुम्हें चिट्ठी लिख रहा हूं. ये जितना अजीब तुम्हारे लिए है, उतना ही अजीब ये मेरे लिए भी है. ऐसा इसलिए, क्योंकि शायद 18 साल से ऊपर हो गया है जब मैंने आखिरी बार किसी को चिट्ठी लिखी थी. इन दिनों मैं तुम्हें खेलते हुए और नए-नए कीर्तिमान स्थापित करते हुए देख रहा हूं.

तुमने और हरमनप्रीत ने जिस तरह भारतीय महिला क्रिकेट को नई पहचान दिलाई है. वो मुझ जैसे व्यक्ति के लिए कई मायनों में खास, और इमोशनल करने वाला है. मेरी इस चिट्ठी का उद्देश्य, तुम्हारी प्रतिभा को सराहना और तुम्हें भविष्य के उन खतरों से अवगत कराना है, जिसके बारे में सोचने का वक़्त अभी तुम्हारे पास नहीं है.

जिस तरह मिताली ने, भारतीय महिला क्रिकेट को नई पहचान दिलाई है वो कमाल है

हां तो सुनो, मैं एक ऐसे राज्य का वासी हूं, जहां लोगों की सोच आज भी बहुत संकीर्ण और छोटी है. न सिर्फ मेरे राज्य, बल्कि पूरे देश में ये एक आम नजारा है. अपने जीवन में कभी न कभी शायद तुमने भी उन नजारों को देखा और महसूस किया होगा. तुम्हें याद तो होगा, जब एक महिला घर से बाहर निकलती है तो उसे सिर ढक कर बाहर निकलना होता है. साथ ही, उसे ऐसा बहुत कुछ करना होता है जिससे किसी की भावना आहत न हो जाए. आज भी इस देश में एक महिला को यही बताया जाता है कि, भले ही वो सफलता के किसी भी पायदान पर क्यों न चढ़ जाए, मगर उसकी जिंदगी उसके घर और परिवार के इर्द गिर्द है जहां उसे, उसकी मर्यादाओं में रहना है.

आज भी ये समाज डंके की चोट पर ये बात स्वीकार करता है कि एक महिला के लिए बाकी सभी चीजें बाद में हैं, उसके जीवन का एकमात्र उद्देश उसके पति, बच्चों, की सेवा है और मां, बाप, सास, ससुर की देखरेख उसका धर्म है....

प्यारी मिताली

ईमेल, व्हाट्सऐप और फेसबुक पोस्ट वाले इस दौर में मैं तुम्हें चिट्ठी लिख रहा हूं. ये जितना अजीब तुम्हारे लिए है, उतना ही अजीब ये मेरे लिए भी है. ऐसा इसलिए, क्योंकि शायद 18 साल से ऊपर हो गया है जब मैंने आखिरी बार किसी को चिट्ठी लिखी थी. इन दिनों मैं तुम्हें खेलते हुए और नए-नए कीर्तिमान स्थापित करते हुए देख रहा हूं.

तुमने और हरमनप्रीत ने जिस तरह भारतीय महिला क्रिकेट को नई पहचान दिलाई है. वो मुझ जैसे व्यक्ति के लिए कई मायनों में खास, और इमोशनल करने वाला है. मेरी इस चिट्ठी का उद्देश्य, तुम्हारी प्रतिभा को सराहना और तुम्हें भविष्य के उन खतरों से अवगत कराना है, जिसके बारे में सोचने का वक़्त अभी तुम्हारे पास नहीं है.

जिस तरह मिताली ने, भारतीय महिला क्रिकेट को नई पहचान दिलाई है वो कमाल है

हां तो सुनो, मैं एक ऐसे राज्य का वासी हूं, जहां लोगों की सोच आज भी बहुत संकीर्ण और छोटी है. न सिर्फ मेरे राज्य, बल्कि पूरे देश में ये एक आम नजारा है. अपने जीवन में कभी न कभी शायद तुमने भी उन नजारों को देखा और महसूस किया होगा. तुम्हें याद तो होगा, जब एक महिला घर से बाहर निकलती है तो उसे सिर ढक कर बाहर निकलना होता है. साथ ही, उसे ऐसा बहुत कुछ करना होता है जिससे किसी की भावना आहत न हो जाए. आज भी इस देश में एक महिला को यही बताया जाता है कि, भले ही वो सफलता के किसी भी पायदान पर क्यों न चढ़ जाए, मगर उसकी जिंदगी उसके घर और परिवार के इर्द गिर्द है जहां उसे, उसकी मर्यादाओं में रहना है.

आज भी ये समाज डंके की चोट पर ये बात स्वीकार करता है कि एक महिला के लिए बाकी सभी चीजें बाद में हैं, उसके जीवन का एकमात्र उद्देश उसके पति, बच्चों, की सेवा है और मां, बाप, सास, ससुर की देखरेख उसका धर्म है. मिताली, तुम्हारी ये सफलता कई महिलाओं को बल देगी और निश्चित ही वो तुम्हारे बताए रास्ते पर चलने का प्रयास करेंगी. वो तुम जैसी हों, तुम, जैसी बनें इस देश के लिए और महिला सशक्तिकरण के नाम पर इससे बेहतर चीज कुछ हो भी नहीं सकती.

मगर इन सब के बीच तुम मुझे खुद अनुपस्थित लग रही हो. ऐसा इसलिए क्योंकि अभी तुम ढंग से घर लौटी भी नहीं हो और लोगों ने तुम्हें सचिन, कोहली, धोनी और न जाने किस्से किस्से कम्पेयर करते हुए, तुम्हारे अस्तित्व को बक्से में बंद करके उसे समंदर में फेंक दिया है.

मैं जैसे-जैसे तुमको सफल होते देख रहा हूं, तुम्हारे या हर उस लड़की जो कामयाब हो रही है, उसके प्रति मेरा डर लगातार बढ़ता जा रहा है. मेरा सबसे बड़ा डर ये है कि जो लोग आज तुम्हें सम्मान दे रहे हैं कल अवश्य ही वो तुम्हें भूल जाएंगे. तुम आज वहां विदेश में तिरंगे का मान बढ़ा रही हो, मगर हमारे समाज की सच्चाई यही है कि भले ही वो तुमको देखकर क्षण भर के लिए खुश हो ले, मगर वो यही चाहता है कि उसके आस पास की औरतें वो करें, जो वो बरसों से करती चली आ रही है. विश्वास करना मेरा, एक महिला को गुलामी की जंजीरों में जकड़ने वाला ये समाज कभी नहीं चाहेगा कि बगावत करके उनके घर की लड़कियां, बहू, बेटियां तुम्हारे बताए हुए रास्ते पर चलने का प्रयास करें.

मिताली तुमने अपनी मेहनत के बल पर एक बहुत खूबसूरत कहानी का निर्माण किया है

हां मिताली, हो सकता है तुम मेरी बात पर भरोसा न करो, मगर ये समाज तुम्हें और तुम्हारी सफलता को गायब करने वाला है. मैं पूरे दावे और अपने अनुभवों के चलते हुए कह सकता हूँ कि, तुम वो वर्तमान हो, जो भविष्य में गायब हो जायगा, गुमनामी के अंधेरों का शिकार होकर रह जायगा. ये कोई पहली बार नहीं हुआ है कि जब हमने तुम जैसी लड़कियों को कुछ दिन तो याद रखा फिरउन्हें बेतरतीबी से भुला दिया.

हाल फिल्हाल में हम "प्रोडूनोवा गर्ल" दीपा को भूल बैठे हैं, हमनें भुला दिया है साक्षी मालिक के उन बेमिसाल दाव पेचों को, हम ये भी भूल चुके हैं कि कैसे पीवी सिंधु ने अपने अंदाज में प्रतिद्वंद्वी को हराकर जीत के झंडे गाड़े थे.

प्यारी मिताली, ये तो बस कुछ उदाहरण हैं. कई अन्य नाम और हैं अगर उनका जिक्र आज हुआ तो निस्संदेह ही ये पत्र बहुत लम्बा हो जायगा. बहरहाल, मेरी ईश्वर पर अटूट आस्था है और मुझे इस बात का पूरा विश्वास है कि भले ही इस देश ने अन्य खिलाडियों को न याद रखा हो मगर वो तुमको जरूर याद रखेंगे. ऐसा इसलिए क्योंकि हम लोग क्रिकेट खेलने, और इस खेल से जुड़े लोगों को पूजने वाले लोग हैं. तुम तो जानती ही होगी कि इस देश में, क्रिकेट ही हमारा खुदा है, क्रिकेट ही हमारी इबादत है.

सुनो मिताली, अब बात बहुत लम्बी हो गयी है. पत्र इस आशा के साथ समाप्त कर रहा हूं कि तुम एक मजबूत लड़की हो, और जिसने तमाम रूढ़ियों को तोड़ा है और बाधाओं को ढकेलते हुए ये मुकाम हासिल किया है. तुम अपनी सफलता की कीमत जानती हो और तुम्हें ये भी पता है कि उसे इस देश की जनता को कैसे बताना है.

प्यारी मिताली तुमने अपनी मेहनत के बल पर एक बहुत खूबसूरत कहानी का निर्माण किया है और तुम्हें खुद उसे सहेजना है. यदि तुम इसे नहीं सहेज पाईं तो इस कहानी का अंत हो जाएगा. एक बेतरतीब और तकलीफ देने वाला अंत.

तुम्हारा

एक जबरदस्त फैन 

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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