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Ind vs NZ: भारत की उम्‍मीदों के रडार पर धोनी

    • आईचौक
    • Updated: 10 जुलाई, 2019 05:48 PM
  • 10 जुलाई, 2019 05:48 PM
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अब सिर्फ किसी चमत्कार की ही उम्मीद की जा सकती है. और उम्मीद बनकर खेल के मैदान पर पहुंचे हैं महेंद्र सिंह धोनी. लोगों का मानना है कि अब अगर भारत को कोई बचा सकता है तो वो सिर्फ धोनी हैं.

सेमीफाइनल में भारत को न्यूजूलैंड द्वारा दिए गए 240 रन का लक्ष्य भेदना मुश्किल दिखाई दे रहा है. पहले तीन ओवर में सिर्फ 3 ही रन जुटा पाई थी भारतीय टीम उसपर तीन विकेट के गिरते ही भारत से लगी हुई उम्मीदें ने भी दम तोड़ना शुरू कर दिया. दिनेश कार्तिक और ऋषभ पंत ने स्कोर 24 तक पहुंचाया लेकिन कार्तिक भी आउट हो गए. अब ऋषभ पंत के साथ हार्दिक पंड्या भारत की लड़खड़ाती हुई पारी को संभालने की कोशिश कर रहे हैं. फिर ऋषभ पंत भी आउट हो गए और भारत का पांचवा विकेट भी गिर गया.

अब सिर्फ किसी चमत्कार की ही उम्मीद की जा सकती है. और उम्मीद बनकर खेल के मैदान पर पहुंचे हैं महेंद्र सिंह धोनी. लोगों का मानना है कि अब अगर भारत को कोई बचा सकता है तो वो सिर्फ धोनी हैं.

भारत के लिए उम्मीद की किरण हैं धोनी

वही धोनी जिनको इस वर्ल्ड कप में क्या नहीं सुनना पड़ा. उनकी परफॉर्मेंस को लेकर क्रिकेट प्रेमी ही नहीं खुद मास्टर ब्लास्टर सचिन तेदुंलकर ने भी टिप्पणी की थी. अफगानिस्तान के खिलाफ हुए मैच में मिडिल ऑर्डर में खेलने आए धोनी ने 52 गेंदों में 28 रन बनाए थे. इस पर सचिन तेंडुलकर ने कहा था- 'धोनी में क्षमता है, लेकिन कल उनका स्ट्राइक रोटेशन अच्छा नहीं था. उन्होंने बहुत सारे गेंदें खेलीं, जो भारत को बड़ी जीत दिलाने में बाधा बना. मुझे लगता है कि धोनी को आने वाले मैचों में अपना प्रदर्शन सुधारने की जरूरत है. धोनी एक सीनियर खिलाड़ी हैं, उन्हें अपनी सकारात्मकता दिखानी चाहिए. अफगानिस्तान की गेंदबाजी अच्छी थी, लेकिन आप 34 ओवर में सिर्फ 119 रन नहीं बना सकते हैं. धोनी और केदार जाधव के बीच की साझेदारी ने भी मुझे निराश किया.

धोनी की परफॉर्मेंस ने भले ही लोगों को निराश किया हो लेकिन इस मैच में अब इन्ही लोगों की उम्मीदें धोनी से बंधी हुई हैं. सोशल मीडिया पर लोग धोनी...

सेमीफाइनल में भारत को न्यूजूलैंड द्वारा दिए गए 240 रन का लक्ष्य भेदना मुश्किल दिखाई दे रहा है. पहले तीन ओवर में सिर्फ 3 ही रन जुटा पाई थी भारतीय टीम उसपर तीन विकेट के गिरते ही भारत से लगी हुई उम्मीदें ने भी दम तोड़ना शुरू कर दिया. दिनेश कार्तिक और ऋषभ पंत ने स्कोर 24 तक पहुंचाया लेकिन कार्तिक भी आउट हो गए. अब ऋषभ पंत के साथ हार्दिक पंड्या भारत की लड़खड़ाती हुई पारी को संभालने की कोशिश कर रहे हैं. फिर ऋषभ पंत भी आउट हो गए और भारत का पांचवा विकेट भी गिर गया.

अब सिर्फ किसी चमत्कार की ही उम्मीद की जा सकती है. और उम्मीद बनकर खेल के मैदान पर पहुंचे हैं महेंद्र सिंह धोनी. लोगों का मानना है कि अब अगर भारत को कोई बचा सकता है तो वो सिर्फ धोनी हैं.

भारत के लिए उम्मीद की किरण हैं धोनी

वही धोनी जिनको इस वर्ल्ड कप में क्या नहीं सुनना पड़ा. उनकी परफॉर्मेंस को लेकर क्रिकेट प्रेमी ही नहीं खुद मास्टर ब्लास्टर सचिन तेदुंलकर ने भी टिप्पणी की थी. अफगानिस्तान के खिलाफ हुए मैच में मिडिल ऑर्डर में खेलने आए धोनी ने 52 गेंदों में 28 रन बनाए थे. इस पर सचिन तेंडुलकर ने कहा था- 'धोनी में क्षमता है, लेकिन कल उनका स्ट्राइक रोटेशन अच्छा नहीं था. उन्होंने बहुत सारे गेंदें खेलीं, जो भारत को बड़ी जीत दिलाने में बाधा बना. मुझे लगता है कि धोनी को आने वाले मैचों में अपना प्रदर्शन सुधारने की जरूरत है. धोनी एक सीनियर खिलाड़ी हैं, उन्हें अपनी सकारात्मकता दिखानी चाहिए. अफगानिस्तान की गेंदबाजी अच्छी थी, लेकिन आप 34 ओवर में सिर्फ 119 रन नहीं बना सकते हैं. धोनी और केदार जाधव के बीच की साझेदारी ने भी मुझे निराश किया.

धोनी की परफॉर्मेंस ने भले ही लोगों को निराश किया हो लेकिन इस मैच में अब इन्ही लोगों की उम्मीदें धोनी से बंधी हुई हैं. सोशल मीडिया पर लोग धोनी को लेकर काफी आशान्वित हैं. और इस तरह अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं.

हो न हो लेकिन धोनी इस वक्त भारतीय क्रिकेट के फैन्स के लिए भगवान से कम नजर नहीं आ रहे हैं. उनसे ऐसे ही चमत्कार की उम्मीद की जा रही है जो ईश्वर ही कर सकते हैं.

वो धोनी जिसके लिए भला बुरा कहा जा रहा था आज वो 'अपना माही' हो गया है.

और धोनी के चाहने वालों ने धोनी के दिल की बात भी इस तरह बता दी-

और जिन लोगों को धोनी से भी उम्मीद नहीं वो सारी उम्मीदें देश के प्रधानमंत्री से लगाए बैठे हैं. अब मोदी ही कुछ कर सकते हैं.

भारत के 7 मैचों में धोनी की बेटिंग पर सिर्फ सवाल ही उठे हैं. धोनी मिडिल ऑर्डर में आते हैं और उनके कंधों पर टीम का स्कोर आगे ले जाने की जिम्मेदारी रहती है. वैसे भी, धोनी हमेशा से इसी बात के लिए जाने जाते हैं कि वह मुसीबत की घड़ी में अपनी टीम को बाहर निकाल लेते हैं. लेकिन इस बार वर्ल्ड कप में उनका प्रदर्शन लगातार खराब ही रहा है. इस मैच में भी उनके बल्ले से रन निकल ही नहीं रहे हैं. लेकिन उम्मीद पर तो दुनिया कायम है. और उम्मीद यही है कि धोनी एक बार फिर भारत की नैय्या पार लगा देंगे.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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