जितने भी क्रिकेटर्स महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में खेल चुके हैं या फिर कभी भारतीय टीम के लिए खेले हों, सभी ने समय-समय पर धोनी की एक खिलाड़ी और कप्तान के तौर पर तारीफ ही की है. धोनी ने अपनी पहचान खासकर ट्वेंटी-ट्वेंटी क्रिकेट में एक सफल कप्तान के रूप में बनायी थी चाहे वो इस फॉर्मेट का पहला विश्वकप जीतने से हो या फिर आईपीएल में उनकी टीम के प्रदर्शन का लेकिन ये पहला मौका है कि अब पूर्व खिलाड़ियों कि राय उनके बारे में अलग-अलग आ रही है. या यूँ कहें कि उनके टीम में बने रहने को लेकर सवाल उठने लगे हों.
इसकी शुरुआत हुई हाल ही में न्यूज़ीलैण्ड के साथ हुए दूसरे टी-ट्वेंटी मैच से जिसमे भारत को 40 रन से हार झेलनी पड़ी थी. बता दें कि इस मैच में धोनी अपनी पारी के पहले 18 गेंदों में महज 20 रन ही बना पाए थे वैसे आखिर में उन्होंने गियर बदला और 37 गेंदों में 49 रन बनाकर आउट हुए. लेकिन तब तक मैच टीम इंडिया के हाथ से निकल चुका था. इसके बाद वीवीएस लक्ष्मण, अजित अगरकर और आकाश चोपड़ा ने धोनी के टीम में होने को लेकर अपनी राय रखी. वैसे तो इन सब कि राय अलग-अलग है लेकिन उसका हल एक ही है और वो है धोनी का किसी युवा के लिए रास्ता बनाना. इन पूर्व खिलाडियों कि माने तो एक बल्लेबाज के तौर पर उनकी जगह नहीं बनती और अब वो कप्तान नहीं हैं ऐसे में उन्हें इस फॉर्मेट को छोड़ देना चाहिए और एकदिवसीय क्रिकेट पर पूरी तरह से फोकस करना चाहिए जो उनके लम्बे करियर के लिए ठीक रहेगा.
वैसे इसपर धोनी ने अभी तक कुछ नहीं बोला है लेकिन सुनील गावस्कर, कोच रवि शास्त्री और कप्तान विराट कोहली ने धोनी की जोरदार वकालत की है और उनके टीम में रहने को लेकर उतना ही अच्छा पक्ष रखा है जितना की उनके आलोचकों ने रखा है. इन सब में वीरेंदर सहवाग ने मध्य का रास्ता ठीक समझा और अपने पूर्व कप्तान का पक्ष लिया साथ ही उन्हें यह सुझाव भी दे...
जितने भी क्रिकेटर्स महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में खेल चुके हैं या फिर कभी भारतीय टीम के लिए खेले हों, सभी ने समय-समय पर धोनी की एक खिलाड़ी और कप्तान के तौर पर तारीफ ही की है. धोनी ने अपनी पहचान खासकर ट्वेंटी-ट्वेंटी क्रिकेट में एक सफल कप्तान के रूप में बनायी थी चाहे वो इस फॉर्मेट का पहला विश्वकप जीतने से हो या फिर आईपीएल में उनकी टीम के प्रदर्शन का लेकिन ये पहला मौका है कि अब पूर्व खिलाड़ियों कि राय उनके बारे में अलग-अलग आ रही है. या यूँ कहें कि उनके टीम में बने रहने को लेकर सवाल उठने लगे हों.
इसकी शुरुआत हुई हाल ही में न्यूज़ीलैण्ड के साथ हुए दूसरे टी-ट्वेंटी मैच से जिसमे भारत को 40 रन से हार झेलनी पड़ी थी. बता दें कि इस मैच में धोनी अपनी पारी के पहले 18 गेंदों में महज 20 रन ही बना पाए थे वैसे आखिर में उन्होंने गियर बदला और 37 गेंदों में 49 रन बनाकर आउट हुए. लेकिन तब तक मैच टीम इंडिया के हाथ से निकल चुका था. इसके बाद वीवीएस लक्ष्मण, अजित अगरकर और आकाश चोपड़ा ने धोनी के टीम में होने को लेकर अपनी राय रखी. वैसे तो इन सब कि राय अलग-अलग है लेकिन उसका हल एक ही है और वो है धोनी का किसी युवा के लिए रास्ता बनाना. इन पूर्व खिलाडियों कि माने तो एक बल्लेबाज के तौर पर उनकी जगह नहीं बनती और अब वो कप्तान नहीं हैं ऐसे में उन्हें इस फॉर्मेट को छोड़ देना चाहिए और एकदिवसीय क्रिकेट पर पूरी तरह से फोकस करना चाहिए जो उनके लम्बे करियर के लिए ठीक रहेगा.
वैसे इसपर धोनी ने अभी तक कुछ नहीं बोला है लेकिन सुनील गावस्कर, कोच रवि शास्त्री और कप्तान विराट कोहली ने धोनी की जोरदार वकालत की है और उनके टीम में रहने को लेकर उतना ही अच्छा पक्ष रखा है जितना की उनके आलोचकों ने रखा है. इन सब में वीरेंदर सहवाग ने मध्य का रास्ता ठीक समझा और अपने पूर्व कप्तान का पक्ष लिया साथ ही उन्हें यह सुझाव भी दे दिया कि उन्हें टीम में अपने किरदार को समझना होगा और उन्हें खुलकर खेलना चाहिए. हरभजन सिंह ने भी कुछ ऐसा ही कहा कि धोनी अभी अपने टच में नहीं हैं. गावस्कर ने कहा कि धोनी को दोष देना ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि ओपनर्स राजकोट में हुए मैच में ज्यादा कुछ नहीं कर पाए थे और हार्दिक पंड्या ईश सोढ़ी को सही तरीके से खेल नहीं पा रहे हैं. बता दें कि अभी हाल ही में धोनी ने दसवें नंबर पर आये भुवनेश्वर के साथ मिलकर श्रीलंका के खिलाफ मैच में एक बड़ी साझेदारी कर टीम को जीत दिलाई थी. यही नहीं हमने कई मौकों पर देखा है कि कैसे धोनी ने अपने प्रदर्शन के बदौलत भारत को मैच जिताया हो. तभी तो उन्हें बेहतरीन फिनिशर के रूप में जाना जाता है.
धोनी एक बेहतरीन खिलाड़ी के साथ-साथ एक उम्दा कप्तान रहे हैं जिसका टीम को अब तक फायदा मिल रहा है जिसका जिक्र कई मौकों पर मौजूदा कप्तान कोहली ने खुद किया है. धोनी की आलोचना के जवाब में कोहली ने कहा हार के लिए केवल धोनी को दोषी ठहरना ठीक नहीं है अगर वो लगातार तीन बार फ़ेल होते हैं तो उनसे कोई नहीं पूछेगा क्योंकि वो 35 साल के नहीं हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें और धोनी को पता है कि मैदान में क्या करना है. साथ ही उन्होंने कहा कि धोनी सभी फिटनेस टेस्ट पास करते हैं. रवि शास्त्री ने एक कदम आगे बढ़कर यहाँ तक कह दिया कि कुछ लोग धोनी से जलते है और उन्हें टीम में नहीं देखना चाहते हैं. उनके अनुसार धोनी एक महान खिलाड़ी हैं और उन्हें पता है कि कब क्या करना है. वैसे रवि शास्त्री का ये बयान उनके व्यक्तित्व को दर्शाता हमने देखा था कि कैसे कोच ना बन पाने पर उन्होंने पूर्व क्रिकेटर्स पर बयान दिया था जिसको लेकर खूब चर्च हुई थी. लेकिन इस मुद्दे पर लगता है कि चर्चा समाप्त हो जानी चाहिए क्योंकि धोनी को हमने देखा है कि वो हर मुश्किल से आसानी से पार पा जाते हैं और किसी भी दिन वो अपने खेल से आलोचकों को जवाब दे सकते है.
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