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एक गेंद से बदल गई दीप्ति शर्मा की जिंदगी

    • मोहित चतुर्वेदी
    • Updated: 03 जुलाई, 2017 07:26 PM
  • 03 जुलाई, 2017 07:26 PM
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हर किसी की लाइफ में ऐसा टर्निंग प्वाइंट आता है जिससे जिंदगी बदल जाती है. ऐसा ही हुआ आगरा की एक लड़की के साथ. जिससे अब वो भारतीय महिला क्रिकेट टीम की स्टार प्लेयर बन चुकी है.

'हमारी छोरी क्या छोरों से कम है..' दंगल फिल्म का ये डायलॉग बिलकुल सटीक बैठता है आगरा के भगवान शर्मा के घर में. भगवान शर्मा की कड़ी महनत से उनकी बेटी दीप्ति आज देश का नाम क्रिकेट में रौशन कर रही है. महिला वर्ल्ड कप में अपना लोहा मनवाकर उसने साबित कर दिया कि भारतीय महिला टीम भी वर्ल्ड कप जीत सकती है.

अपनी फिरकी से बल्लेबाजों को उलझाने वाली दीप्ति की कहानी भी बिलकुल दंगल फिल्म की छोरियों की तरह है. जो न चाहकर भी ऐसा काम करती हैं जो मिसाल बन जाता है. महज 9 साल की उम्र में दीप्ति ने ऐसा कारनामा किया जिसकी वजह से वो आज टीम इंडिया की स्टार प्लेयर बन गई.

9 साल की उम्र में रखा स्टेडियम में कदम

कहानी शुरू होती है आगरा से... जहां भगवान शर्मा के घर दीप्ति का जन्म हुआ. उनके बड़े भाई सुमित को क्रिकेट का बहुत क्रेज था. वो जब भी प्रेक्टिस करने जाते दीप्ति उनके पीछे लग जाती. सुमित दीप्ति को ले जाना सही नहीं समझता था, लेकिन दीप्ति की जिद के आगे उसकी एक न चल सकी और दीप्ति ने स्टेडियम में पहली बार कदम 9 साल की उम्र में रखा. सुमित प्रेक्टिस करता था और दीप्ति पास में बैठकर देखा करती थी.

एक बॉल ने बदल गई जिंदगी

एक दिन सीनियर महिला क्रिकेटर हेमलता बच्चों को ट्रेनिंग देने आई हुईं थीं. उस दिन दीप्ति वहीं बैठी थीं. उनके पास बॉल आई तो बॉलर की तरह उन्होंने बॉल फेंकी जो सीधे स्टम्प्स पर जाकर लगी. जिसे देखकर सभी चौंक गए. किसी को यकीन नहीं हो रहा था कि 9 साल की बच्ची इतना सटीक बॉल कैसे फेक सकती है. जिसके बाद हेमलता ने दीप्ति को पास बुलाया और सुमित को कहा कि इसको क्रिकेट प्रेक्टिस कराए. एक दिन ये जरूर भारत का प्रतिनिधित्व करेगी.

'हमारी छोरी क्या छोरों से कम है..' दंगल फिल्म का ये डायलॉग बिलकुल सटीक बैठता है आगरा के भगवान शर्मा के घर में. भगवान शर्मा की कड़ी महनत से उनकी बेटी दीप्ति आज देश का नाम क्रिकेट में रौशन कर रही है. महिला वर्ल्ड कप में अपना लोहा मनवाकर उसने साबित कर दिया कि भारतीय महिला टीम भी वर्ल्ड कप जीत सकती है.

अपनी फिरकी से बल्लेबाजों को उलझाने वाली दीप्ति की कहानी भी बिलकुल दंगल फिल्म की छोरियों की तरह है. जो न चाहकर भी ऐसा काम करती हैं जो मिसाल बन जाता है. महज 9 साल की उम्र में दीप्ति ने ऐसा कारनामा किया जिसकी वजह से वो आज टीम इंडिया की स्टार प्लेयर बन गई.

9 साल की उम्र में रखा स्टेडियम में कदम

कहानी शुरू होती है आगरा से... जहां भगवान शर्मा के घर दीप्ति का जन्म हुआ. उनके बड़े भाई सुमित को क्रिकेट का बहुत क्रेज था. वो जब भी प्रेक्टिस करने जाते दीप्ति उनके पीछे लग जाती. सुमित दीप्ति को ले जाना सही नहीं समझता था, लेकिन दीप्ति की जिद के आगे उसकी एक न चल सकी और दीप्ति ने स्टेडियम में पहली बार कदम 9 साल की उम्र में रखा. सुमित प्रेक्टिस करता था और दीप्ति पास में बैठकर देखा करती थी.

एक बॉल ने बदल गई जिंदगी

एक दिन सीनियर महिला क्रिकेटर हेमलता बच्चों को ट्रेनिंग देने आई हुईं थीं. उस दिन दीप्ति वहीं बैठी थीं. उनके पास बॉल आई तो बॉलर की तरह उन्होंने बॉल फेंकी जो सीधे स्टम्प्स पर जाकर लगी. जिसे देखकर सभी चौंक गए. किसी को यकीन नहीं हो रहा था कि 9 साल की बच्ची इतना सटीक बॉल कैसे फेक सकती है. जिसके बाद हेमलता ने दीप्ति को पास बुलाया और सुमित को कहा कि इसको क्रिकेट प्रेक्टिस कराए. एक दिन ये जरूर भारत का प्रतिनिधित्व करेगी.

बहन के लिए भाई ने छोड़ी जॉब

दीप्ति के भाई बाला स्टेट लेवल क्रिकेटर रहे हैं. वो रेग्युलर एकलव्य स्टेडियम प्रैक्टिस करने जाते थे. जिसके बाद सुमित ने क्रिकेट छोड़ दिया और एमबीए करने आगरा से बाहर चले गए. लेकिन उनको अपनी बहन को क्रिकेटर बनाना था. दीप्ति ने भी क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया.

सुमित को पता चला कि दीप्ति ने प्रेक्टिस करना छोड़ दिया है और काफी हेल्दी हो गई हैं. जिसके बाद सुमित ने वापस आगरा जाने का फैसला लिया. पिता भगवान शर्मा जो रेलवे के रिटायर्ड क्लर्क है. उनसे दो साल मांगे और दीप्ति को क्रिकेटर बनाने की जंग शुरू हो गई. पिता भगवान शर्मा ने भी उनका पूरा साथ दिया.

लोग मारते थे तानें

दीप्ति जब भी अकेले प्रेक्टिस के लिए जाती थी तो रिश्तेदार उन्हें ताने मारते थे. लेकिन इस सब पर ध्यान न देते हुए उन्होंने क्रिकेट पर अपना पूरा फेकस किया. दीप्ति ने 28 नवंबर 2014 को बेंगलुरु में साउथ अफ्रीका के खिलाफ वनडे से क्रिकेट करियर की शुरुआत की. दीप्ति टीम इंडिया में ऑलराउंडर का रोल निभा रही हैं. दीप्ति ने अब तक 24 वनडे खेलते हुए 1 सेंचुरी और 5 हाफ सेंचुरी की मदद से 779 रन बनाए हैं. उनका बेस्ट स्कोर 188 रन रहा है. बॉलिंग में उन्होंने 24 मैच में 34 विकेट लिए हैं.

यही नहीं वर्ल्ड कप में वो टॉप विकेट टेकर हैं. अब तक वो 3 मैच खेलते हुए 6 विकेट ले चुकी हैं. विरोधियों के लिए उनकी बॉलिंग एक रहस्य बन चुकी है. अगर बचपन में उनके पास बॉल नहीं आई होती तो हो सकता है वो क्रिकेट में टीम इंडिया का प्रतिनिधित्व नहीं कर पातीं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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