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India-England series win: भारत और दुनिया के लिये क्या है सबक?

    • आईचौक
    • Updated: 08 मार्च, 2021 09:50 PM
  • 08 मार्च, 2021 09:50 PM
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यह टेस्ट सीरीज भारत के लिए कई मायनों में खास रही है. अव्वल तो तमाम चुनौतियों के बावजूद विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में जगह बनाना ही रहा. दरअसल, वैश्विक महामारी कोविड-19 की वजह से आईसीसी ने डब्ल्यूटीसी के नियमों में बदलाव किए थे. आईसीसी ने प्रतिशत प्रणाली (परसेंटाइल) से टीमों के चयन का नियम बनाया था.

इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में 3-1 से जीत दर्ज कर भारत अब ICC की विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) के फाइनल में पहुंच गया है. भारत दौरे पर इंग्लैंड ने पहले ही मैच में टीम इंडिया को 227 रनों के बड़े अंतर से हराया था. इंग्लिश टीम के कप्तान जो रूट का दोहरा शतक देखने के बाद लगने लगा था कि टीम इंडिया के लिए विश्व टेस्ट चैंपियनशिप की राह मुश्किल होगी. इंग्लैंड की शानदार शुरुआत ने भारत को तगड़ा झटका दिया था. लेकिन, टीम इंडिया ने दूसरे टेस्ट में जीत के साथ वापसी करते हुए सीरीज बराबर कर ली. लड़खड़ाने के बाद फिर से उठ खड़ी हुई टीम ने अहमदाबाद में खेले गए दोनों टेस्ट मैच में अपने स्पिन आक्रमण के दम पर 2 और 3 दिन में आसानी से जीत हासिल कर ली. इंग्लिश बल्लेबाजों का प्रदर्शन देखकर ऐसा लग रहा था कि उन्होंने स्पिन गेंदबाजों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया हो.

टीम इंडिया का लगातार अच्छा प्रदर्शन

यह टेस्ट सीरीज भारत के लिए कई मायनों में खास रही है. अव्वल तो तमाम चुनौतियों के बावजूद विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में जगह बनाना ही रहा. दरअसल, वैश्विक महामारी कोविड-19 की वजह से आईसीसी ने डब्ल्यूटीसी के नियमों में बदलाव किए थे. आईसीसी ने प्रतिशत प्रणाली (परसेंटाइल) से टीमों के चयन का नियम बनाया था. जिसकी वजह से टीम इंडिया के सामने पहले ऑस्ट्रेलिया और फिर इंग्लैंड को हराने की चुनौती खड़ी हो गई थी. हालांकि, टीम इंडिया ने दोनों ही टीमों के खिलाफ बेहतरीन प्रदर्शन के दम पर यह बाधा पार कर ली. लेकिन, भारत के लिए यह राह आसान नहीं थी. ऑस्ट्रेलिया दौरे पर विराट कोहली की गैर-मौजूदगी में कार्यकारी कप्तान अजिंक्य रहाणे के नेतृत्व में चोटिल खिलाड़ियों की समस्या से जूझ रही भारत की टीम ने जबरदस्त खेल दिखाते हुए सीरीज पर 2-1 से कब्जा जमाया था. इसके बाद भी डब्ल्यूटीसी के फाइनल में जगह बनाने के लिए टीम इंडिया को इंग्लैंड पर जीत दर्ज करनी ही थी. खैर, नतीजे सबके सामने हैं और अब विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में भारत का मुकाबला न्यूजीलैंड के साथ होगा.

इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में 3-1 से जीत दर्ज कर भारत अब ICC की विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) के फाइनल में पहुंच गया है. भारत दौरे पर इंग्लैंड ने पहले ही मैच में टीम इंडिया को 227 रनों के बड़े अंतर से हराया था. इंग्लिश टीम के कप्तान जो रूट का दोहरा शतक देखने के बाद लगने लगा था कि टीम इंडिया के लिए विश्व टेस्ट चैंपियनशिप की राह मुश्किल होगी. इंग्लैंड की शानदार शुरुआत ने भारत को तगड़ा झटका दिया था. लेकिन, टीम इंडिया ने दूसरे टेस्ट में जीत के साथ वापसी करते हुए सीरीज बराबर कर ली. लड़खड़ाने के बाद फिर से उठ खड़ी हुई टीम ने अहमदाबाद में खेले गए दोनों टेस्ट मैच में अपने स्पिन आक्रमण के दम पर 2 और 3 दिन में आसानी से जीत हासिल कर ली. इंग्लिश बल्लेबाजों का प्रदर्शन देखकर ऐसा लग रहा था कि उन्होंने स्पिन गेंदबाजों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया हो.

टीम इंडिया का लगातार अच्छा प्रदर्शन

यह टेस्ट सीरीज भारत के लिए कई मायनों में खास रही है. अव्वल तो तमाम चुनौतियों के बावजूद विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में जगह बनाना ही रहा. दरअसल, वैश्विक महामारी कोविड-19 की वजह से आईसीसी ने डब्ल्यूटीसी के नियमों में बदलाव किए थे. आईसीसी ने प्रतिशत प्रणाली (परसेंटाइल) से टीमों के चयन का नियम बनाया था. जिसकी वजह से टीम इंडिया के सामने पहले ऑस्ट्रेलिया और फिर इंग्लैंड को हराने की चुनौती खड़ी हो गई थी. हालांकि, टीम इंडिया ने दोनों ही टीमों के खिलाफ बेहतरीन प्रदर्शन के दम पर यह बाधा पार कर ली. लेकिन, भारत के लिए यह राह आसान नहीं थी. ऑस्ट्रेलिया दौरे पर विराट कोहली की गैर-मौजूदगी में कार्यकारी कप्तान अजिंक्य रहाणे के नेतृत्व में चोटिल खिलाड़ियों की समस्या से जूझ रही भारत की टीम ने जबरदस्त खेल दिखाते हुए सीरीज पर 2-1 से कब्जा जमाया था. इसके बाद भी डब्ल्यूटीसी के फाइनल में जगह बनाने के लिए टीम इंडिया को इंग्लैंड पर जीत दर्ज करनी ही थी. खैर, नतीजे सबके सामने हैं और अब विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में भारत का मुकाबला न्यूजीलैंड के साथ होगा.

विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में भारत का मुकाबला न्यूजीलैंड के साथ होगा. (Photo Courtesy : ICC)

युवा खिलाड़ियों ने संभाली जिम्मेदारी

टीम इंडिया की इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट जीत में एक खास बात ये भी रही कि टीम के युवा खिलाड़ियों ने जैसा शानदार प्रदर्शन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ किया था. वह इंग्लैंड के खिलाफ हुई टेस्ट सीरीज में भी जारी रहा. बड़ी बात ये रही कि इस टेस्ट सीरीज की जीत के हीरो भारतीय टीम के दिग्गज नहीं रहे. टीम इंडिया का टॉप ऑर्डर अपनी क्षमता के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर सका. विराट कोहली, अजिंक्य रहाणे और चेतेश्वर पुजारा ने भारतीय प्रशंसकों की उम्मीद के हिसाब से कमजोर प्रदर्शन किया. रोहित शर्मा ने एक बार फिर से खुद को टीम इंडिया की बल्लेबाजी की रीढ़ साबित किया. एक शतक और एक अर्धशतक के सहारे रोहित शर्मा ने 4 मैचों में 345 रन ठोके और उनका बल्लेबाजी औसत 57.50 रहा. मुश्किल मौकों पर अधिकतर रोहित का प्रदर्शन अच्छा ही रहा है. युवा खिलाड़ियों ने एकबार फिर अपने प्रदर्शन से वाहवाही लूटी. ऋषभ पंत, वाशिंगटन सुंदर, अक्षर पटेल ने इस सीरीज में कमाल कर दिया.

'पंत' का अंदाज हो रहा है 'सुंदर' 

टीम इंडिया की मध्यक्रम बल्लेबाजी में मजबूती आई है. ऋषभ पंत और वाशिंगटन सुंदर ने ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड दोनों के ही खिलाफ दमदार प्रदर्शन किया है. विकेटकीपिंग को लेकर आलोचनाओं का शिकार रहे ऋषभ पंत ने इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज में 13 शिकार किये हैं. 4 मैचों में विकेट के पीछे से पंत ने 8 कैच लपके और 5 स्टंपिंग्स करीं. साथ ही पंत ने एक शतक और दो अर्धशतक जड़ते हुए 54 की औसत से 270 रन भी बनाए. वॉशिंगटन सुंदर ने सीरीज में खुद को साबित करने के कम मौके मिलने के बावजूद 90 से ज्यादा के औसत से 181 रन बनाए. ऑलराउंडर के तौर पर टीम में खेल रहे सुंदर को 7वें और 8वें नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए दो अर्धशतक लगाते हुए देखना सुकून देता है. इसमें उनकी चौथे टेस्ट की दूसरी पारी भी शामिल है, जिसमें वह शतक बनाने से चूक गए थे और 96 रन बनाकर नाबाद लौटे थे.

ऋषभ पंत और वाशिंगटन सुंदर ने ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड दोनों के ही खिलाफ दमदार प्रदर्शन किया है.

अश्विन ने सिखाया कैसे करते हैं 'बीच' पर 'सर्फिंग'

सीरीज के दूसरे टेस्ट में टीम इंडिया की 329 रनों की पारी के बाद इंग्लैंड की टीम पहली पारी में 134 पर ढेर हो गई थी. इसके बाद से ही पिच पर सवाल उठाए जाने लगे थे. लेकिन, भारत की ओर से दूसरी पारी में रविचंद्रन अश्विन के शतक ने सभी आलोचकों को एक करारा जवाब दिया था. एक ऐसी पिच जिस पर बल्लेबाज ठीक ढंग से प्रदर्शन नहीं कर पाए, उस पिच पर अश्विन का शतक इंग्लिश बल्लेबाजों के लिए एक बड़ी सीख के तौर पर रहा. इंग्लैंड के पूर्व बल्लेबाज माइकल वॉन ने चेपॉक की पिच को 'बीच' की तरह बताया. उस 'बीच' पर अश्विन का शतक बेहतरीन 'सर्फिंग' की तरह नजर आया. धैर्य और सावधानी के साथ खेली गई अश्विन की पारी ने आलोचकों के मुंह पर ताला लगा दिया था.

'पिच' में नहीं था कोई दोष

सीरीज के तीसरे और चौथे टेस्ट में भारत को क्रमश: 2 और 3 दिन में ही जीत हासिल हो गई. दूसरे टेस्ट से ही जारी हो चुकी पिच की आलोचना को इसके बाद और हवा मिल गई. इंग्लैंड के कई पूर्व खिलाड़ियों एंड्रयू स्ट्रॉस, एलिस्टर कुक और माइकल वॉन ने पिच को लेकर असंतोष जताया था. भारत और इंग्लैंड के बीच तीसरा टेस्ट मैच 'पिंक बॉल' से हुआ था. इस मैच के दौरान दोनों ही टीमों के बल्लेबाज कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर सके थे. बावजूद इसके सारा दोष 'पिच' पर ही लगा दिया गया. चौथे टेस्ट में भी कमोबेश यही हाल रहा और एक बार फिर से 'पिच' पर ही सारा दोषारोपण कर दिया गया. हालांकि, मेहमान टीम के कप्तान जो रूट और उनके किसी खिलाड़ी ने पिच पर सवाल नहीं उठाए. फिर भी इंग्लैंड के पूर्व खिलाड़ियों ने सारा गुस्सा पिच पर निकाला.

बल्लेबाज रहे 'फेल', पिच पर हुआ 'खेल'

पिच पर हुए इस विवाद पर रोहित शर्मा ने तीसरे टेस्ट के दौरान कहा था कि पिच में कोई 'राक्षस' नहीं थे. दरअसल, दोनों ही टीमों के खिलाड़ियों ने गलतियां की और उसका खामियाजा पिच को भुगतना पड़ा. दूसरे टेस्ट के बाद से ही इंग्लिश बल्लेबाज भारतीय स्पिन गेंदबाजी के सामने पस्त पड़ गए थे. अहमदाबाद में खेले गए तीसरे और चौथे टेस्ट में लोकल ब्वॉय अक्षर पटेल और रविचंद्रन अश्विन की जोड़ी ने इंग्लैंड के बल्लेबाजों को संभलने का मौका ही नहीं दिया. माना जाता है कि इंग्लिश बल्लेबाज स्पिन को तेज गेंदबाजी की तुलना में उतने अच्छे से नहीं खेल पाते हैं. आखिरी दो टेस्ट मैच देखकर ये कोई भी आसानी से कह सकता है. इंग्लैंड के पूर्व लेफ्ट आर्म स्पिनर मोंटी पनेसर ने भी माना कि इंग्लैंड के बल्लेबाज टर्निंग विकेट पर उस तरह नहीं खेल पाए, जिस तरह भारत ने खेला. पनेसर ने कहा कि इंग्लैंड के युवा बल्लेबाजों में कौशल की कमी थी.

भारत को याद है '36' रनों का अपनी पारी

कोई भी क्रिकेट मैच हो, वह पूरी तरह से बैटिंग और बॉलिंग पर निर्भर करता है और चर्चा भी इसी पर की जानी चाहिए. ऑस्ट्रेलिया की तेज विकेटों पर 36 रनों पर सिमटने के बाद भी भारत ने पिच पर आपत्ति नहीं जताई थी. बल्कि, खिलाड़ियों के उम्दा प्रदर्शन के दम पर टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया को उसी के घर में मात दी. भारत ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेली गई सीरीज में बैटिंग और बॉलिंग दोनों ही क्षेत्रों में बेजोड़ प्रदर्शन किया था और 2-1 से सीरीज जीती थी. भारत से बाहर की पिचों पर टीम इंडिया ने तेज गेंदबाजी आक्रमण के सामने दमदार प्रदर्शन किया है. भारत में अधिकतर विकेट स्पिन के लिए मददगार हैं. इस स्थिति में अन्य टीमों को स्पिन गेंदबाजी के खिलाफ अपनी बल्लेबाजी सुधारनी चाहिए. खराब बल्लेबाजी के प्रदर्शन पर 'पिच' को 'विलेन' बनाना गलत है.

अपनी ही गलतियों में उलझ गई इंग्लैंड

मोंटी पनेसर ने एक बयान में कहा था कि इंग्लैंड को भारत दौरे पर ज्यादातर स्पिन गेंदबाजों को खिलाना चाहिए था. इंग्लैंड की टीम के स्पिन गेंदबाज इस सीरीज में टर्निंग विकेट होने के बाद भी कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर सके. इंग्लैंड के रेगुलर लेफ्ट आर्म स्पिनर जैक लीच ने 4 टेस्ट मैच में कुल 18 विकेट लिये. वहीं, डोम बेस 2 टेस्ट मैच में केवल 5 विकेट ही चटका सके. बेस का प्रदर्शन बहुत ही कमजोर रहा. इंग्लैंड की टीम को स्पिन गेंदबाजों की कमी और उसकी रोटेशन पॉलिसी ने सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया. कुल मिलाकर बल्लेबाजी और बॉलिंग दोनों ही क्षेत्र में टीम इंग्लैंड का प्रदर्शन कमजोर रहा. इंग्लैंड टीम के कप्तान जो रूट ने सीरीज को गंवाने के बाद कहा कि उनकी टीम के पास मैच को अपने पक्ष में करने का मौका था, लेकिन वे इसे भुनाने में नाकाम रहे. भारत ने पिछले तीन मैचों में हमसे बेहतर प्रदर्शन किया और उन्हें इसका श्रेय मिलना चाहिए.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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