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क्या इस ओलंपिक में ख़त्म होगा गोल्ड का सूखा?

    • अभिनव राजवंश
    • Updated: 04 अगस्त, 2016 10:30 PM
  • 04 अगस्त, 2016 10:30 PM
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भारत के प्रदर्शन का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अभी तक भारत के पदकों कि संख्या दो अंको तक भी नहीं पहुंच सकी है.

रियो, ब्राजील खेलों का महाकुम्भ शुरू होने जा रहा है. भारतीय ओलंपिक टीम को भी इस बार के ओलंपिक खेलों से काफी उम्मीदें हैं. हालाँकि, भारत का अभी तक का ओलंपिक में प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा है.

भारत के प्रदर्शन का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अभी तक भारत के पदकों कि संख्या दो अंको तक भी नहीं पहुंच सकी है. व्यक्तिगत खेलों में गोल्ड मेडल अभी तक केवल अभिनव बिंद्रा के खाते में ही दर्ज है.

 भारतीय ओलंपिक टीम को भी इस बार के ओलंपिक खेलों से काफी उम्मीदें हैं

जो उन्होंने 2008 के बीजिंग ओलंपिक में जीता था. ओलंपिक में भारत का सर्वेश्रेष्ठ प्रदर्शन 2012 के लन्दन ओलंपिक में रहा जब भारत ने 2 सिल्वर और 4 ब्रांज मेडल के साथ कुल 6 मेडल जीते थे.

प्रत्येक ओलंपिक के साथ सुधरा है भारत का प्रदर्शन

हालांकि आंकड़े जरूर यह बताते है कि भारतीय टीम ओलंपिक में अब तक कुछ खास नहीं कर पाई है. लेकिन तस्वीर का दूसरा पहलू खिलाड़ियों के प्रदर्शन में हो रहे लगातार सुधार की भी गवाही देता है. 2008 के ओलंपिक खेलो से पहले एटलांटा, सिडनी और एथेंस में हुए तीन ओलंपिक खेलों में भारत को केवल 1-1 मेडल से संतोष करना पड़ा था. तो वही 2008 के ओलंपिक खेलों में भारत ने 3 पदक जीते. इसी के साथ ही भारत को व्यक्तिगत खेलों का पहला गोल्ड मेडल भी मिला.

2012 के लन्दन ओलंपिक में खिलाडियों ने और बेहतर प्रदर्शन करते हुए 2008 में जीते गए 3 पदकों के आंकड़ों को 2012 में 6 तक पहुंचाया.

इस बार है ज्यादा पदकों की उम्मीद

इस बार के ओलंपिक में भारत से अब तक के सबसे बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद की जा रही है. विशेषज्ञ...

रियो, ब्राजील खेलों का महाकुम्भ शुरू होने जा रहा है. भारतीय ओलंपिक टीम को भी इस बार के ओलंपिक खेलों से काफी उम्मीदें हैं. हालाँकि, भारत का अभी तक का ओलंपिक में प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा है.

भारत के प्रदर्शन का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अभी तक भारत के पदकों कि संख्या दो अंको तक भी नहीं पहुंच सकी है. व्यक्तिगत खेलों में गोल्ड मेडल अभी तक केवल अभिनव बिंद्रा के खाते में ही दर्ज है.

 भारतीय ओलंपिक टीम को भी इस बार के ओलंपिक खेलों से काफी उम्मीदें हैं

जो उन्होंने 2008 के बीजिंग ओलंपिक में जीता था. ओलंपिक में भारत का सर्वेश्रेष्ठ प्रदर्शन 2012 के लन्दन ओलंपिक में रहा जब भारत ने 2 सिल्वर और 4 ब्रांज मेडल के साथ कुल 6 मेडल जीते थे.

प्रत्येक ओलंपिक के साथ सुधरा है भारत का प्रदर्शन

हालांकि आंकड़े जरूर यह बताते है कि भारतीय टीम ओलंपिक में अब तक कुछ खास नहीं कर पाई है. लेकिन तस्वीर का दूसरा पहलू खिलाड़ियों के प्रदर्शन में हो रहे लगातार सुधार की भी गवाही देता है. 2008 के ओलंपिक खेलो से पहले एटलांटा, सिडनी और एथेंस में हुए तीन ओलंपिक खेलों में भारत को केवल 1-1 मेडल से संतोष करना पड़ा था. तो वही 2008 के ओलंपिक खेलों में भारत ने 3 पदक जीते. इसी के साथ ही भारत को व्यक्तिगत खेलों का पहला गोल्ड मेडल भी मिला.

2012 के लन्दन ओलंपिक में खिलाडियों ने और बेहतर प्रदर्शन करते हुए 2008 में जीते गए 3 पदकों के आंकड़ों को 2012 में 6 तक पहुंचाया.

इस बार है ज्यादा पदकों की उम्मीद

इस बार के ओलंपिक में भारत से अब तक के सबसे बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद की जा रही है. विशेषज्ञ भी मानते है की भारतीय टीम इस बार कम से कम 10 पदकों को जीत सकता है और ऐसा मानने के कई कारण भी है.

1. 2016 के रियो ओलंपिक में भारत ने अब तक की सबसे बड़ी ओलंपिक टीम भेजी है.

2. इस बार भारत की तरफ से 66 पुरुष और 54 महिला खिलाड़ियों के साथ 120 लोगो की टीम रियो गयी है. इससे पहले 2012 के लन्दन ओलिंपिक में 83 खिलाडियों की टीम भेजी गयी थी.

3. भारत में 2012 की तुलना में खेलों के इंफ्रास्ट्रक्चर में काफी सुधार हुआ है और इस दौरान भारतीय खिलाड़ियों ने विश्व स्तर पर खेलों में भी अच्छा प्रदर्शन किया. ऐसे में ओलिंपिक में उनसे बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद हर भारतीयों की होगी

इन खिलाडियों से होंगी उम्मीद

जीतू राय: वर्ल्ड रैंकिंग में दूसरा नंबर पर काबिज जीतू राय को पदक का प्रबल दावेदार माना जा रहा है. जीतू 10 मीटर और 50 मीटर पिस्टल शूटिंग में भाग लेंगे.

साइना नेहवाल: भारत की नंबर एक बैडमिंटन खिलाडी साइना नेहवाल से इस बार भी पदक की उम्मीद है. पिछले ओलंपिक में साइना ने भारत को ब्रांज मेडल दिलाया था.

योगेश्वर दत्त: कुश्ती में 65 किलोवर्ग में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले योगेश्वर से इस बार भी ओलंपिक मेडल की उम्मीद होगी. पिछले बार के ओलंपिक में योगेश्वर ने कांस्य पदक जीता था.

लिएंडर पेस और रोहन बोपन्ना: भारत के सबसे अनुभवी टेनिस खिलाडी लिएंडर पेस और बोपन्ना की जोड़ी से भारत ओलंपिक पदक की उम्मीद लगा रहा है. शायद यह पेस का आखिरी ओलंपिक होगा ऐसे में पेस भी मेडल के साथ ही अपने ओलंपिक सफर का अंत करना चाहेंगे.

सानिया मिर्ज़ा: भारत टेनिस की पहचान और भारत की नंबर वन टेनिस खिलाडी से पदक की उम्मीद रहेगी.

नरसिंह यादव: तमाम कठिनाइयों से आख़िरकार रियो तक का सफर तय करने वाले नरसिंह यादव पदक के जरिए अपने आलोचकों को जवाब देना चाहेंगे.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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