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फीफा विश्व कप 2018: कौन सा ग्रुप 'ग्रुप ऑफ डेथ' है?

    • रनित दास
    • Updated: 31 मई, 2018 03:53 PM
  • 31 मई, 2018 03:53 PM
offline
रूस में 14 जून से शुरू होने वाले 2018 के फीफा विश्व कप में जर्मनी, स्वीडन, मेक्सिको और कोरिया गणराज्य से भरा ग्रुप 'एफ' सबसे कठिन ग्रुप हो सकता है.

रूस में होने वाला फीफा विश्व कप 2018 सिर्फ दो हफ्ते दूर है और टूर्नामेंट के इतिहास में जाने वाले सबसे कड़े ग्रुप प्रतियोगिताओं में से एक है. हर साल विश्व कप में एक समूह होता है जिसे 'ग्रुप ऑफ डेथ' कहा जा सकता है. क्योंकि इस ग्रुप में शामिल टीमें प्रतिस्पर्धा के मामले में और मजबूत टीमों को एक साथ रखा जाता है. लेकिन, इस साल नजारा अलग है. इटली, नीदरलैंड, संयुक्त राज्य अमेरिका, चिली, आइवरी कोस्ट और कैमरून इस बार बाहर हैं. ऐसे में एक भी ग्रुप ऐसा नहीं है, जहां दो या तीन बड़ी टीमें टूर्नामेंट के शुरुआती चरण में बाहर हो जाएं.

एक से अधिक ग्रुप में ऐसी टीमें हैं जो कप के 'प्रबल दावेदार' को परेशान कर सकती हैं और राउंड-ऑफ-16 में जगह बना सकती हैं. चलिए एक नजर डालते हैं ऐसी टीमों पर जो रूस में Ro16s में अपनी जगह बना सकती हैं.

ग्रुप A - रूस, सऊदी अरब, मिस्र और उरुग्वे

कप्तान: इगोर अकिन्फीव (रूस), ओसामा हौसावी (सऊदी अरब), एस्सम एल-हदरी (मिस्र) और डिएगो गोडिन (उरुग्वे)

वर्तमान रैंकिंग: उरुग्वे (14), मिस्र (46), रूस (66) और सऊदी अरब (67)

टूर्नामेंट में जाने वाला यह अपेक्षाकृत आसान समूहों में से एक है. मेजबान रुस के साथ सऊदी अरब ग्रुप में सबसे ऊंचे रैंक वाली टीम उरुग्वे को कड़ी टक्कर दे सकते हैं. लेकिन फिर भी वे अपने स्टार खिलाड़ियों और अनुभव के बदौलत आगे बढ़ेंगे इसकी संभावना है.

इस ग्रुप में असली मुकाबल दूसरे स्थान के लिए होने की संभावना है. अगर टीमों के अभी के फॉर्म को देखें तो इस ग्रुप में मिस्र वो टीम है जिसकी संभावन दूसरी टीम होने की है. लेकिन मोहम्मद सलाह का न होना अफ्रीकी राष्ट्र के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकती है.

सऊदी अरब...

रूस में होने वाला फीफा विश्व कप 2018 सिर्फ दो हफ्ते दूर है और टूर्नामेंट के इतिहास में जाने वाले सबसे कड़े ग्रुप प्रतियोगिताओं में से एक है. हर साल विश्व कप में एक समूह होता है जिसे 'ग्रुप ऑफ डेथ' कहा जा सकता है. क्योंकि इस ग्रुप में शामिल टीमें प्रतिस्पर्धा के मामले में और मजबूत टीमों को एक साथ रखा जाता है. लेकिन, इस साल नजारा अलग है. इटली, नीदरलैंड, संयुक्त राज्य अमेरिका, चिली, आइवरी कोस्ट और कैमरून इस बार बाहर हैं. ऐसे में एक भी ग्रुप ऐसा नहीं है, जहां दो या तीन बड़ी टीमें टूर्नामेंट के शुरुआती चरण में बाहर हो जाएं.

एक से अधिक ग्रुप में ऐसी टीमें हैं जो कप के 'प्रबल दावेदार' को परेशान कर सकती हैं और राउंड-ऑफ-16 में जगह बना सकती हैं. चलिए एक नजर डालते हैं ऐसी टीमों पर जो रूस में Ro16s में अपनी जगह बना सकती हैं.

ग्रुप A - रूस, सऊदी अरब, मिस्र और उरुग्वे

कप्तान: इगोर अकिन्फीव (रूस), ओसामा हौसावी (सऊदी अरब), एस्सम एल-हदरी (मिस्र) और डिएगो गोडिन (उरुग्वे)

वर्तमान रैंकिंग: उरुग्वे (14), मिस्र (46), रूस (66) और सऊदी अरब (67)

टूर्नामेंट में जाने वाला यह अपेक्षाकृत आसान समूहों में से एक है. मेजबान रुस के साथ सऊदी अरब ग्रुप में सबसे ऊंचे रैंक वाली टीम उरुग्वे को कड़ी टक्कर दे सकते हैं. लेकिन फिर भी वे अपने स्टार खिलाड़ियों और अनुभव के बदौलत आगे बढ़ेंगे इसकी संभावना है.

इस ग्रुप में असली मुकाबल दूसरे स्थान के लिए होने की संभावना है. अगर टीमों के अभी के फॉर्म को देखें तो इस ग्रुप में मिस्र वो टीम है जिसकी संभावन दूसरी टीम होने की है. लेकिन मोहम्मद सलाह का न होना अफ्रीकी राष्ट्र के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकती है.

सऊदी अरब अंडरडॉग है और अगर कोई चमत्कार नहीं हुआ तो ग्रुप में सबसे पहले उन्हें ही बाहर जाना चाहिए.

रूस के पास इगोर अकिन्फीव, एलन ज़ागोव, यूरी झिर्कोव और अलेक्जेंडर गोलोविन जैसे प्रतिभाशाली और अनुभवी खिलाड़ियों का मिश्रण है. लेकिन अगले दौर में जगह बनाने के लिए उन्हें जान लगा देनी होगी. हालांकि होम ग्राउंड पर खेलने का थोड़ा बहुत फायदा उनको जरुर हो सकता है.

इस ग्रुप से अगले दौर में जाने वाली संभावित टीमें: उरुग्वे और मिस्र.

ग्रुप B - पुर्तगाल, स्पेन, मोरक्को और ईरान

कप्तान: क्रिस्टियानो रोनाल्डो (पुर्तगाल), सर्जीओ रामोस (स्पेन), मेधी बेनातिया (मोरक्को) और मसूद शोजेई (ईरान)

वर्तमान रैंकिंग: पुर्तगाल (4), स्पेन (8), ईरान (36) और मोरक्को (42)

स्पेन और पुर्तगाल इस ग्रुप की मजबूत टीमें हैं उन्हें ही दूसरे दौर में जाना चाहिए.

स्पेन की टीम अच्छी, गहरी और संतुलित टीम है. और शायद उनके रैंक में सर्वश्रेष्ठ गोलकीपर भी उनके ही पास है. इस टीम को हराना बहुत कठिन होगा. मिडफील्ड में इस्को, असेंसिओ और थियागो के साथ, उनके पास युवा खिलाड़ियों की एक बड़ी फौज है. साथ ही इनइस्टा, डेविड सिल्वा और सर्जीओ बुस्केट्स का अनुभव भी है. उनका मिडफील्ड उनके लिए सबसे बड़ा हथियार है. और डिएगो कोस्टा और रॉड्रिओ के फॉर्म होने से उम्मीद है कि रुस में स्पेन एक खतरनाक टीम साबित होगी.

दूसरी तरफ पुर्तगाल क्रिस्टियानो रोनाल्डो पर निर्भर है. और रोनाल्डो ने समय समय पर प्रदर्शन भी किया है. यूरो 2016 में पुर्तगाल की जीत में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी और फिर से रूस में उनके नेतृत्व करने की उम्मीद है.

इस ग्रुप में ईरान अप्रत्याशित टीम साबित हो सकती है. सालों से वो एशिया की शीर्ष टीमों में से एक रहे हैं. और वे इस ग्रुप में उलटफेर करने की ताकत रखते हैं. भले ही उनके पास गिनाने के लिए स्टार खिलाड़ी नहीं हैं लेकिन वो एक एकजुट टीम है और खेल को अंत तक पूरी ताकत से खेलने की उनकी क्षमता उनके पक्ष में जाती है.

मोरक्को कम से कम एक गेम जीतने में कामयाब हो सकती है.

अगले दौर में जो टीमें जा सकती हैं: स्पेन और पुर्तगाल.

ग्रुप C - फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, पेरू और डेनमार्क

कप्तान: ह्यूगो लोरोरिस (फ्रांस), माइल जेदीनाक (ऑस्ट्रेलिया), अल्बर्टो रोड्रिगुएज़ (पेरू) और साइमन केजेर (डेनमार्क)

वर्तमान रैंकिंग: फ्रांस (7), पेरू (11), डेनमार्क (12) और ऑस्ट्रेलिया (40)

यही से सारी मुश्किल शुरु होती है.

2018 में ट्रॉफी पर कब्जा करने वालों में फ्रांस का नाम पसंदीदा टीमों में शामिल है. और निश्चित रूप से इस ग्रुप को आसानी से पार कर जाएंगे. टीम की गहराई और प्रतिभा के साथ, उन्हें 16 टीमों में जगह बनाने के लिए ज्यादा चिंता करने की जरुरत नहीं है.

बाकी तीनों टीमें दूसरे स्पॉट के लिए एकदूसरे से भिडेंगीं. अगर फॉर्म को देखें तो डेनमार्क अगले राउंड में जा सकती है. लेकिन पेरू से उन्हें कड़ी टक्कर मिल सकती है.

ऑस्ट्रेलिया को अनदेखा नहीं कर सकते. अगर उनका दिन हो तो वो अपने प्रतिद्वंदी को कड़ी टक्कर दे सकते हैं. और उनके पास टिम काहिल भी है जो विपक्षी टीम के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं.

अगले दौर में जो टीमें जा सकती हैं: फ्रांस और डेनमार्क.

ग्रुप D - अर्जेंटीना, आइसलैंड, क्रोएशिया और नाइजीरिया

कप्तान: लियोनेल मेसी (अर्जेंटीना), अरोन गुन्नर्सन (आइसलैंड), लुका मोड्रिक (क्रोएशिया) और जॉन ओबी मिकेल (नाइजीरिया)

वर्तमान रैंकिंग: अर्जेंटीना (5), क्रोएशिया (18), आइसलैंड (22) और नाइजीरिया (47)

यह शायद टूर्नामेंट के सबसे कठिन ग्रुपों में से एक है.

अर्जेंटीना की टीम में स्टार खिलाड़ियों की भरमार और अपने रैंक में उनके अनुभव को देखते हुए लगता है कि वो अगले दौर में जगह बनाने में सफल हो जाएगी. लेकिन अभी के उनके फॉर्म को देखते हुए लगता है उनके लिए ये उतना आसान भी नहीं होगा. फाइनल में उन्होंने मुश्किल से जगह बनायी और अगर वो पहले दौर में ही बाहर हो जाते हैं तो कोई आश्चर्य भी नहीं होगा. हाँ! निश्चित रूप से ये उलटफेर तो होगा पर आश्चर्य की बात नहीं होगी.

क्रोएशिया और आइसलैंड दो यूरोपीय टीमें हैं जो न सिर्फ अगले राउंड में जाने की क्षमता रखते हैं बल्कि उसके आगे भी जाएंगे. हालांकि अगले राउंड में जाने के लिए अंर्जेटीना के साथ साथ क्रोएशिया भी फेवरेट टीम है. वहीं यूरो 2016 में आइसलैंड के दमदार प्रदर्शन ने किसी भी चरण में अपने विरोधी टीमों के लिए कड़ी टक्कर वाला प्रतिद्वंदी बना सकता है.

इस ग्रुप में रैंकिंग और अनुभव के हिसाब से नाइजीरिया सबसे कमजोर टीम है. लेकिन उनकी टीम में कुछ महान खिलाड़ी मौजूद हैं, जो कभी भी खेल बदल सकते हैं और अपने देश को अगले दौर में ले जा सकते हैं. एलेक्स इवोबी, केलेची इहेनाचो, अहमद मुसा, ओडियन इघेलो और विक्टर मूसा पर सभी की नजरे टिकी होगी.

अगली दौर में जिन टीमों के जाने की संभावना है: अर्जेंटीना और क्रोएशिया.

ग्रुप E - ब्राजील, स्विट्जरलैंड, कोस्टा रिका और सर्बिया

कप्तान: थियागो सिल्वा (ब्राजील), स्टीफन लिचस्टीनर (स्विट्जरलैंड), ब्रायन रुइज़ (कोस्टा रिका) और एलेक्जेंडर कोलारोव (सर्बिया)

वर्तमान रैंकिंग: ब्राजील (2), स्विट्जरलैंड (6), कोस्टा रिका (25) और सर्बिया (35)

फ्रांस और अर्जेंटीना की ही तरह ब्राजील भी इस ग्रुप से टॉप पर जाने वाली टीम के रुप में पसंदीदा है. और अपने ग्रुप में वो 3-0 से जीत दर्ज करते हैं. उनके पास एक शानदार टीम है और साथ ही वो शानदार फॉर्म में भी हैं.

समूह डी की ही तरह, बाकी की तीन टीमें इस ग्रुप में दूसरे स्थान के लिए लड़ेंगी. सभी टीमों के पास अगले दौर में जाने की ताकत है. लेकिन सर्बिया के पास बड़े-बड़े खिलाड़ियों और अनुभव का फायदा हो सकता है. स्विट्जरलैंड की उम्मीद है कि ज़ेरडन शाकिरी, ग्रेनाइट झाका और ब्रेल एम्बोलो उन्हें अगले दौर में लेकर जाएंगे.

दूसरी तरफ कोस्टा रिका अपने अनुभवी खिलाड़ी ब्रायन रुइज और युवा जोएल कैंपबेल पर कुछ जादू करने की उम्मीद के साथ टिका रहेगा.

जो टीम अगले दौर में जा सकती है: ब्राजील और सर्बिया.

ग्रुप F - जर्मनी, मेक्सिको, स्वीडन और कोरिया गणराज्य

कप्तान: मैनुअल नियुअर (जर्मनी), एंड्रेस गार्डडो (मेक्सिको), एंड्रियास ग्रैनक्विस्ट (स्वीडन) और की सुंग-युंग (कोरिया गणराज्य)

वर्तमान रैंकिंग: जर्मनी (1), मेक्सिको (15), स्वीडन (23) और कोरिया गणराज्य (61)

ये 'ग्रुप ऑफ डेथ' है. हाँ! आम धारणा है कि ग्रुप ऑफ डेथ अर्जेंटीना, आइसलैंड, क्रोएशिया और नाइजीरिया से भरा ग्रुप डी है लेकिन ग्रुप एफ ही वो ग्रुप है जिसपर सभी की निगाहें टिकी होंगी. जर्मनी, मेक्सिको और स्वीडन के बीच टॉप के दो स्पॉट के लिए कड़ा संघर्ष देखने को मिलेगा.

जर्मनी के पिछले और आज के रिकॉर्ड को देखते हुए कहा जा सकता है कि इस साल कप के दावेदार वही हैं और दूसरे राउंड में पहुंचने में भी उन्हें कोई परेशानी नहीं होने वाली. और अगर कोई कहता है कि वो ग्रुप स्टेज में ही बाहर हो जाएंगे तो खुद को मूर्ख बना रहा है.

अब बात आती है दूसरे स्थान की. मेक्सिको और स्वीडन दोनों में ही बड़ी टीमों को परेशान करने की क्षमता है. मैक्सिको के पास एक बढ़िया टीम है. वहीं स्वीडन युवाओं और अनुभव के मिश्रण पर टिका है. दोनों में से कोई भी किसी को भी हरा सकता है और दूसरे स्पॉट पर काबिज हो सकता है.

कोरिया के पास भी स्टार खिलाड़ियों की फौज है. वे फुटबॉल को शानदार तरीके से खेलते हैं और अपने दिन में वो सर्वश्रेष्ठ टीमों को भी हरा सकते हैं. इसलिए, ही जर्मनी के बाद दूसरी टीम की भविष्यवाणी करने के लिए यह सबसे कठिन ग्रुप है.

अगले दौर में टीमों की संभावना है: जर्मनी और मेक्सिको

ग्रुप G - बेल्जियम, पनामा, इंग्लैंड और ट्यूनीशिया

कप्तान: ईडन हैजर (बेल्जियम), फेलिप बलॉय (पनामा), हैरी केन (इंग्लैंड) और अयमन मथलाउथी (ट्यूनीशिया)

वर्तमान रैंकिंग: बेल्जियम (3), इंग्लैंड (13), ट्यूनीशिया (14) और पनामा (55)

इसे तो कोई बच्चा भी बता सकता है. इस ग्रुप का फेवरेट बेल्जियम है जबकि इंग्लैंड दूसरे स्थान पर होगा इसकी उम्मीद है. हालांकि, निराशावादी लोग कह सकते हैं कि 'इंग्लैंड के साथ आप कुछ नहीं जानते'. लेकिन यूरो 2016 में आइसलैंड से हारने के बाद और गैरेथ साउथगेट की टीम में वापसी के बाद से ये एक पूरी तरह से बदली हुई टीम है. और उनके पास रोमांचक फुटबॉल खेलने की क्षमता है साथ ही टूर्नामेंट में ये दूर तक भी जाने की कुव्वत रखते हैं.

पनामा या ट्यूनीशिया से ज्यादा उम्मीद नहीं है. और उनमें से किसी के भी लिए अगले दौर में जाना मुश्किल है.

अगले दौर में टीमों की प्रगति की संभावना है: बेल्जियम और इंग्लैंड

ग्रुप H - पोलैंड, सेनेगल, कोलंबिया और जापान

कप्तान: रॉबर्ट लेवांडोस्की (पोलैंड), चेखौ कौयेट (सेनेगल), राडमेल फाल्को (कोलंबिया) और मकोटो हसेबे (जापान)

वर्तमान रैंकिंग: पोलैंड (10), कोलंबिया (16), सेनेगल (28) और जापान (60)

यह ऐसा ग्रुप है जहां सभी टीमें अगले दौर के लिए क्वालिफाई कर सकती हैं. हाँ! पोलैंड और कोलंबिया अपनी पिछली उपलब्धियों और स्टार पावर की वजह से भले ही पसंदीदा हैं लेकिन सेनेगल और जापान में कोई छोटी टीमें नहीं हैं.

2002 में सेनेगल ने सभी को चौंका दिया था लेकिन उसके बाद से वो शांत हैं. अगर मबेई नियांग, दीफ्रा साखो, सैडियो माने और मैम बिरम दीउफ अपनी पूरी ताकत से खेलते हैं तो फिर ये टीम बाकि तीनों टीमों को परेशान कर सकते हैं. दूसरी तरफ जापान के पास शिन्जी कागवा, केसुक होंडा के रुप में अच्छे रचनात्मक खिलाड़ी हैं. लेकिन सेनेगल की ही तरह उन्हें भी अगले दौर में जाने के लिए अपनी टीम को एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ेगा. पर दूसरे ग्रुपों की तरह ये कोई कठिन कार्य नहीं होगा.

अगले दौर में जाने वाली संभावित टीमें: पोलैंड और कोलंबिया.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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