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जिम्नास्टिक के एवरेस्ट पर कितनी आसानी से चढ़ जाती है हमारी दीपा!

    • आईचौक
    • Updated: 18 अप्रिल, 2016 02:38 PM
  • 18 अप्रिल, 2016 02:38 PM
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जाहिर तौर पर इंडियन जिम्नास्टिक के लिए ये सबसे खास लम्हा है. पहली भारतीय महिला होने के साथ-साथ दीपा पहली भारतीय बन गई हैं जो ओलंपिक में 1964 के बाद जिमनास्ट में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी.

त्रिपुरा के अगरतला की 22 साल की एक लड़की. उसे जिम्नास्टिक बिल्कुल पसंद नहीं था. एक तरह से कहें तो उसे नफरत थी इस खेल से. वेटलिफ्टिंग कोच रहे उसके पिता ने उसे जिम्नास्टिक की दुनिया में ही उतार दिया. ट्रेनिंग शुरू की, लेकिन उसे गिरने से डर लगता था. अब वह इसी खेल में इतिहास रचने जा रही है. दीपा करमाकर पहली भारतीय महिला जिम्नास्ट होंगी जो ओलिंपिक में हिस्सा लेने जा रही हैं. पूरा हिंदुस्तान उन्‍हें बधाई देते नहीं थक रहा. ट्विटर पर #DipaKarmakar ट्रेंडिंग हैं.

यूं तो क्रिकेटर और जिमनास्ट की तुलना करना बेमानी है फिर भी बात तो होनी ही चाहिए. क्रिकेट में 1983 में वर्ल्ड कप जीतने के 24 साल बाद जब 2007 में हम विश्वविजेता (टी-20) बने तो पूरे देश में क्या आलम था, इसे हम सब भूले नहीं हैं. फिर 2011 का वो साल भी आया जब वनडे में हम विश्व कप जीतने में कामयाब हुए बने. हर साल के इंतजार का हिसाब हुआ. लेकिन उस खेल के बारे में सोचिए जहां 52 साल बाद एक शानदार सफलता हमें हासिल हुई है.

यह भी पढ़ें- एशियाड वाली कबड्डी जैसा ही तो होगा ओलिंपिक का क्रिकेट?

जाहिर तौर पर इंडियन जिम्नास्टिक के लिए ये सबसे खास लम्हा है. पहली भारतीय महिला होने के साथ-साथ दीपा पहली भारतीय बन गई हैं जो ओलंपिक में 1964 के बाद जिमनास्ट में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी. दीपा ने ब्राजील के रियो डि जनेरियो में आखिरी क्वॉलिफायर में 52.98 अंक हासिल कर ओलंपिक के लिए अपनी दावेदारी पक्की की.

जिमनास्ट का 'एवरेस्ट' चढ़ना जानती हैं दीपा!

अगर आप जिम्नास्टिक से परिचित होंगे तो शायद ये जानते होंगे कि 'प्रोड्यूनोवा' इस खेल में सबसे कठिन माना जाता है. एक तरह से कहें तो प्रोड्यूनोवा दरअसल जिम्नास्टिक का...

त्रिपुरा के अगरतला की 22 साल की एक लड़की. उसे जिम्नास्टिक बिल्कुल पसंद नहीं था. एक तरह से कहें तो उसे नफरत थी इस खेल से. वेटलिफ्टिंग कोच रहे उसके पिता ने उसे जिम्नास्टिक की दुनिया में ही उतार दिया. ट्रेनिंग शुरू की, लेकिन उसे गिरने से डर लगता था. अब वह इसी खेल में इतिहास रचने जा रही है. दीपा करमाकर पहली भारतीय महिला जिम्नास्ट होंगी जो ओलिंपिक में हिस्सा लेने जा रही हैं. पूरा हिंदुस्तान उन्‍हें बधाई देते नहीं थक रहा. ट्विटर पर #DipaKarmakar ट्रेंडिंग हैं.

यूं तो क्रिकेटर और जिमनास्ट की तुलना करना बेमानी है फिर भी बात तो होनी ही चाहिए. क्रिकेट में 1983 में वर्ल्ड कप जीतने के 24 साल बाद जब 2007 में हम विश्वविजेता (टी-20) बने तो पूरे देश में क्या आलम था, इसे हम सब भूले नहीं हैं. फिर 2011 का वो साल भी आया जब वनडे में हम विश्व कप जीतने में कामयाब हुए बने. हर साल के इंतजार का हिसाब हुआ. लेकिन उस खेल के बारे में सोचिए जहां 52 साल बाद एक शानदार सफलता हमें हासिल हुई है.

यह भी पढ़ें- एशियाड वाली कबड्डी जैसा ही तो होगा ओलिंपिक का क्रिकेट?

जाहिर तौर पर इंडियन जिम्नास्टिक के लिए ये सबसे खास लम्हा है. पहली भारतीय महिला होने के साथ-साथ दीपा पहली भारतीय बन गई हैं जो ओलंपिक में 1964 के बाद जिमनास्ट में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी. दीपा ने ब्राजील के रियो डि जनेरियो में आखिरी क्वॉलिफायर में 52.98 अंक हासिल कर ओलंपिक के लिए अपनी दावेदारी पक्की की.

जिमनास्ट का 'एवरेस्ट' चढ़ना जानती हैं दीपा!

अगर आप जिम्नास्टिक से परिचित होंगे तो शायद ये जानते होंगे कि 'प्रोड्यूनोवा' इस खेल में सबसे कठिन माना जाता है. एक तरह से कहें तो प्रोड्यूनोवा दरअसल जिम्नास्टिक का एवरेस्ट है. ये इतना खतरनाक है कि अगर इसे करते हुए आपके मूव्स और कलाबाजी में थोड़ी भी चूक हुई तो आपकी गर्दन टूट सकती है. खतरनाक चोट लग सकती है. लकवा के शिकार हो सकते हैं या फिर शायद जान भी जा सकती है. लेकिन दीपा ने क्वॉलिफायर मुकाबले में इसी वर्ग में सबसे शानदार और चौंकाने वाला प्रदर्शन किया. 

प्रोड्यूनोवा में सबसे ज्यादा 15.100 अंक हासिल किए. ऐसा बहुत कम ही होता है जब कोई जिमनास्ट प्रोड्यूनोवा में 15 अंक हासिल कर ले.

दीपा का एक प्रोड्यूनोवा परफॉर्मेंस

यह भी पढ़ें- कैसे एक सितारा चमकने से पहले ही डूब गया!

क्या है प्रोड्यूनोवा और कैसे हुई जिम्नास्टिक में इसकी शुरुआत

प्रोड्यूनोवा की शुरुआत रूसी जिमनास्ट येलेना प्रोड्यूनोवा ने की थी. ये उन्ही के नाम पर है. देखिए प्रोड्यूनोवा की कहानी बताता ये वीडियो... 

दीपा पहले भी कर चुकी हैं कमाल

इससे पहले दीपा पहली ऐसी भारतीय महिला जिमनास्ट थीं जिन्होंने 2014 ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स में ब्रॉन्ज मेडल जीता था.

 ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स में दीपा कर्माकर

इसके बाद वह ऐसी पहली भारतीय महिला जिमनास्ट भी बनीं जिसने पिछले साल नवंबर में हुए वर्ल्ड जिम्नास्टिक्स चैंपियनशिप्स फाइनल्स के लिए क्वालिफाई किया. हालांकि पिछले साल दक्षिण कोरिया के इंचियोन में हुए एशियन गेम्स में जरूर मामूली अंतर से वो मेडल जीतने से चूक गईं.

देखिए ग्लास्गो में दीपा का एक और परफॉर्मेंस

इंडियन जिमनास्ट के लिए उम्मीद की किरण

1964 के बाद ये पहला मौका होगा जब कोई इंडियन जिमनास्ट ओलंपिक में मौजूद होगा. आजादी के बाद 1952 में दो, 1956 में तीन और फिर आखिरी बार 1964 में छह भारतीय पुरुष जिमनास्टों ने ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया था. ये 52 वर्षों का लंबा अंतराल ही दिखाता है कि दीपा की उपलब्धि कितनी बड़ी है. बस! उम्मीद कीजिए और थोड़ी प्रार्थना भी कि क्रिकेट से इतर इन खेलों में भी हमारे एथलीट ऐसे ही सफलता के परचम लहराने में कामयाब हों.

यह भी पढ़ें- अदिति चौहान की उपलब्धि से क्या भारतीय फुटबॉल को मिलेगी किक




इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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