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World cup 2019: भारत से मुकाबले से पहले पाक के पैर कांपने लगे

    • श्रुति दीक्षित
    • Updated: 07 जून, 2019 03:20 PM
  • 07 जून, 2019 03:18 PM
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ICC Cricket World Cup के दौरान महेंद्र सिंह धोनी के दस्ताने पर बने बलिदान बैज को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. लेकिन इस बारे में पाकिस्तान का रिएक्शन बहुत ही अजीब है.

अगर आप भारत में रहते हैं और क्रिकेट के दीवाने हैं तो मुमकिन है कि आपने अभी बलिदान बैज (#BalidanBadge) के बारे में पढ़ लिया होगा. ईद के दिन हुए India vs SouthAfrica World Cup match के समय टीम इंडिया के प्रदर्शन और रोहित शर्मा की 122 रनों की शानदार पारी के साथ-साथ उस मैच में दर्शकों का ध्यान किसी और चीज़ पर भी गया. ये थे महेंद्र सिंह धोनी के ग्लव्ज यानी दस्ताने. महेंद्र सिंह धोनी के ग्लव्ज में एक खास निशान बना हुआ था. ये था इंडियन पैरा स्पेशल फोर्सेज का प्रतीक चिन्ह 'रेजिमेंटल डैगर' जिसे 'बलिदान' भी कहा जाता है. महेंद्र सिंह धोनी के फैन्स ने इसे बेहद पसंद किया और ट्विटर पर ये सिम्बल ट्रेंड करने लगा. लोगों ने इसकी तारीफ करनी शुरू कर दी. पर इस बात पर ICC ने आपत्ती जताई. शायद धोनी अगले मैच में ये दस्ताने न पहनें क्योंकि इसपर इतना विवाद हो चुका है.

आईसीसी ने गुरुवार को इस संबंध में बीसीसीआई से निवेदन किया है कि वह धोनी के दस्तानों से वह निशान हटवा दें. हालांकि, अभी इस बात पर BCCI की तरफ से आईसीसी को चिट्ठी लिखी गई है कि धोनी को ये दस्ताने पहनने दें. पर यहां ICC और BCCI की बात अभी पूरी हुई भी नहीं लेकिन एक दिन पहले ही पाकिस्तान के मंत्री ने इस बात पर अपनी आपत्ती जता दी. इतना ही नहीं उन्होंने तो भारतीय मीडिया की एक डिबेट को लेकर ये भी लिखा कि कितनी बेवकूफी भरी डिबेट है. अपनी बातें लिखने के चक्कर में पाकिस्तान के विज्ञान और तकनीक मंत्री चौधरी फवाज हुसैन ये भी भूल गए कि वो अफ्गानिस्तान, सीरिया, रवांडा जैसे देशों की हालत पर तंज कस रहे हैं. आज Pakistan Vs SriLanka World Cup Match Live pdates पर पाकिस्तान को ज्यादा ध्यान देना चाहिए.

धोनी के दस्तानों को लेकर डिबेट भी सुन रहे हैं चौधरी फवाद हुसैन.

चौधरी फवाद हुसैन के बारे में...

अगर आप भारत में रहते हैं और क्रिकेट के दीवाने हैं तो मुमकिन है कि आपने अभी बलिदान बैज (#BalidanBadge) के बारे में पढ़ लिया होगा. ईद के दिन हुए India vs SouthAfrica World Cup match के समय टीम इंडिया के प्रदर्शन और रोहित शर्मा की 122 रनों की शानदार पारी के साथ-साथ उस मैच में दर्शकों का ध्यान किसी और चीज़ पर भी गया. ये थे महेंद्र सिंह धोनी के ग्लव्ज यानी दस्ताने. महेंद्र सिंह धोनी के ग्लव्ज में एक खास निशान बना हुआ था. ये था इंडियन पैरा स्पेशल फोर्सेज का प्रतीक चिन्ह 'रेजिमेंटल डैगर' जिसे 'बलिदान' भी कहा जाता है. महेंद्र सिंह धोनी के फैन्स ने इसे बेहद पसंद किया और ट्विटर पर ये सिम्बल ट्रेंड करने लगा. लोगों ने इसकी तारीफ करनी शुरू कर दी. पर इस बात पर ICC ने आपत्ती जताई. शायद धोनी अगले मैच में ये दस्ताने न पहनें क्योंकि इसपर इतना विवाद हो चुका है.

आईसीसी ने गुरुवार को इस संबंध में बीसीसीआई से निवेदन किया है कि वह धोनी के दस्तानों से वह निशान हटवा दें. हालांकि, अभी इस बात पर BCCI की तरफ से आईसीसी को चिट्ठी लिखी गई है कि धोनी को ये दस्ताने पहनने दें. पर यहां ICC और BCCI की बात अभी पूरी हुई भी नहीं लेकिन एक दिन पहले ही पाकिस्तान के मंत्री ने इस बात पर अपनी आपत्ती जता दी. इतना ही नहीं उन्होंने तो भारतीय मीडिया की एक डिबेट को लेकर ये भी लिखा कि कितनी बेवकूफी भरी डिबेट है. अपनी बातें लिखने के चक्कर में पाकिस्तान के विज्ञान और तकनीक मंत्री चौधरी फवाज हुसैन ये भी भूल गए कि वो अफ्गानिस्तान, सीरिया, रवांडा जैसे देशों की हालत पर तंज कस रहे हैं. आज Pakistan Vs SriLanka World Cup Match Live pdates पर पाकिस्तान को ज्यादा ध्यान देना चाहिए.

धोनी के दस्तानों को लेकर डिबेट भी सुन रहे हैं चौधरी फवाद हुसैन.

चौधरी फवाद हुसैन के बारे में ये बात माननी होगी कि उन्हें भारतीय क्रिकेट टीम में बहुत ज्यादा रुचि है. पाकिस्तान की तरफ से वही सबसे पहले बीड़ा उठाते हैं इस बात का कि भारतीय क्रिकेट टीम को लेकर किसी गया कोई भी विरोध उनके ट्विटर हैंडल से सबसे पहले जाए. ये अभी की बात नहीं है. पुलवामा हमले के बाद जब भारतीय टीम ने मिलिट्री कैप पहनी थी ताकि शहीदों का सम्मान किया जा सके तब भी चौधरी फवाद हुसैन ने इसी तरह की हरकत की थी.

फवाद चौधरी ने उस समय भी ICC से भारतीय टीम की शिकायत करने की बात की थी.

उस समय भी चौधरी फवाद हुसैन ने लिखा था कि पाकिस्तान को भी काले पट्टे पहनने चाहिए ताकि वो भारतीय सेनाओं द्वारा कश्मीर में की जा रही हिंसा की बात दुनिया को याद दिलाई जा सके. इस मामले में हुसैन ने पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड को भी घसीटा था. इसमें बाद में ICC ने खुद बात साफ की थी कि भारतीय टीम ने इस मामले में पहले ही इजाजत ले ली थी.

पाकिस्तान की तरफ से हर बार कुछ न कुछ ऐसा किया जाता रहा है. न सिर्फ पाकिस्तान के मंत्री भारत के मीडिया पर नजर रखते हैं बल्कि खिलाड़ियों पर भी. इतना ही नहीं हर मामले में फवाद चौधरी के उदाहरण भी अलग होते हैं. एक तरफ तो पाकिस्तान को हमेशा इसी तरह की बातें करते देखा जाता है ऊपर से शायद वो ये भूल जाता है कि खुद उसके खिलाड़ी फील्ड पर क्या-क्या कर चुके हैं.

पाकिस्तानी क्रिकेटर भी गाहे-बगाहे खेल के मैदान से लेकर ट्विटर अकाउंट तक हर जगह पाकिस्तानी सेना को सम्मान देते और शहीदों का सम्मान करते देखे जाते हैं. अगर सिर्फ क्रिकेट के मैदान की ही बात की जाए तो एक तस्वीर शायद आपको याद हो.

पाकिस्तानी खिलाड़ी, कोच यूनुस खान को मिलिट्री सलूट करते हुए.

ये फोटो इंग्लैंड की है. यहां पाकिस्तानी खिलाड़ी जीत के बाद अपने कोच को मिलिट्री सलूट कर रहे हैं. यहां भी पाकिस्तानी खिलाड़ी फील्ड पर ही हैं और जश्न मनाने के लिए मिलिट्री सलूट का सहारा लिया जा रहा है. ये फोटो 2016 की है वो साल जब पठानकोट हमले से लेकर उरी तक बहुत कुछ भारत में हुआ था और भारत-पाकिस्तान के रिश्ते सुधर नहीं रहे थे.

अभी इस फोटो को देखकर क्या भारत में भी ये बोला जाए कि पाकिस्तानी खिलाड़ी आक्रामकता का सबूत दे रहे हैं और मिलिट्री सलूट फील्ड में करना जेनटलमैन्स गेम के खिलाफ है? फील्ड में मिलिट्री को नहीं लेकर आना चाहिए? ये भी तो पाकिस्तानी क्रिकेट टीम का एक तरीका ही था. पर शायद पाकिस्तान को ये समझ नहीं आएगा.

अगर ये भी कम हो तो इस वीडियो को देख लीजिए. ये पाकिस्तानी क्रिकेट टीम है जो 2011 के वर्ल्ड कप के दौरान मोहाली स्टेडियम में फील्ड पर नमाज़ पढ़ रही है.

क्या कहता है ICC का नियम?

ICC के नियम कहते हैं कि किसी भी तरह के स्पोर्ट्स इक्विपमेंट और कपड़े या फील्ड पर ऐसा कुछ भी मैसेज नहीं जाना चाहिए जो राजनीतिक, धार्मिक, जातिवाद या उसका कारण बनने वाला कोई भी चिन्ह नहीं होना चाहिए, किसी भी अंतरराष्ट्रीय मैच में.

अब पाकिस्तानी क्रिकेट टीम के ये दोनों उदाहरण अंतरराष्ट्रीय मैच के दौरान के हैं और फिर भी उस बारे में शायद पाकिस्तानी बोर्ड को याद नहीं है. अब वो अगर ऐसा कुछ करें तो ये ठीक है, लेकिन अगर भारत करे तो ये बहुत गलत है आखिर ऐसा क्यों?

क्यों धोनी ने पहने थे ऐसे दस्ताने?

क्योंकि महेंद्र सिंह धोनी को खुद लेफ्ट. कर्नल की रैंक हासिल है. महेंद्र सिंह धोनी को साल 2011 में पैराशूट रेजिमेंट में ये मानद रैंक दी गई थी. साल 2015 में उन्होंने पैरा ब्रिगेड के तहत ट्रेनिंग भी की थी.

धोनी के दस्तानों को लेकर अब सबसे बड़ी बहस ये है कि ये दस्ताने न तो राजनीतिक, न ही धार्मिक, न ही जातिवाद या उसका कारण बन रहे हैं. फिर क्यों ICC इस तरह से रिएक्ट कर रहा है. इसका सीधा सा जवाब BCCI की देरी हो सकता है, पिछली बार भी टीम इंडिया ने जब भारतीय सेना का सम्मान करने के लिए मिलिट्री कैप फील्ड पर पहनी थी तो BCCI ने पहले से ही इसकी इजाजत ले ली थी. ऐसा इस बार महेंद्र सिंह धोनी के दस्तानों के लिए भी किया जा सकता था. ICC अंतराष्ट्रीय बॉडी है और टीम इंडिया की भावनाओं के साथ अन्य टीमों की भावनाओं को भी उसे देखना होगा. अगर BCCI की तरफ से पहले ही इसकी इजाजत ले ली जाती तो महेंद्र सिंह धोनी द्वारा सेना के सम्मान को लेकर कोई बहस उठती ही नहीं.

सेना का सम्मान हर भारतीय का सम्मान है और महेंद्र सिंह धोनी ने अपने दस्तानों पर ये चिन्ह लगाकर बेहद अच्छा काम किया. शायद यही #DhoniKeepTheGlove हैशटैग की वजह थी. अब उम्मीद है कि BCCI और ICC इस मुद्दे को जल्दी ही सुलझा लेंगे. हम तो यही चाहेंगे कि धोनी अपने दस्तानों पर उसी बलिदान बैज के साथ दोबारा मैदान में उतरें.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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