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जीत के पागलपन ने ऑस्‍ट्रेलिया को कुछ यूं बेईमान बनाया

    • अभिनव राजवंश
    • Updated: 01 नवम्बर, 2018 04:09 PM
  • 31 अक्टूबर, 2018 10:45 PM
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एथिक्स सेन्टर की रिपोर्ट ने क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया को अभिमानी और दूसरों पर काबू रखने वाला बताया है. क्रिकेटरों पर जीत का दबाव इतना ज्यादा है कि खिलाड़ी धोखेबाजी तक कर रहे हैं.

विश्व क्रिकेट पर ऑस्ट्रेलिया का दबदबा कोई छुपी हुई बात नहीं है. ऑस्ट्रेलियाई टीम पिछले तीन चार दशक से लगातार विश्व क्रिकेट पर अपनी धाक जमाये हुए है. विश्व भर में ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों के कभी ना हारने का माद्दा तारीफ के काबिल है. हालांकि कई मौकों पर अलग अलग देश के खिलाड़ी ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों के जीत के रवैये की भी आलोचना करते रहें हैं. ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों द्वारा मैदान पर गाली गलौज करना आम बात रही है और कमोबेश हरेक देश के खिलाड़ियों को इसका सामना करना पड़ा है.

कभी न हारने का माद्दा रखती है ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम

हालांकि पहली बार क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया की एक समीक्षा रिपोर्ट ने भी इस बात को माना है कि जीत के लिए ऑस्ट्रेलियाई किसी भी हद तक जा सकते हैं और इसकी बानगी इसी साल मार्च में ऑस्ट्रेलिया के साउथ अफ्रीका दौरे पर दिखी थी. उस दौरे पर ऑस्ट्रेलिया टीम के कप्तान स्टीव स्मिथ और उपकप्तान डेविड वार्नर को गेंद से छेड़ छाड़ का दोषी पाए जाने के बाद एक साल के लिए निलंबित कर दिया था. इसी विवाद के बाद क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने कल्चरल और एथिक्स कमिटी को एक समीक्षा रिपोर्ट बनाने को कहा था, डॉ साइमन लोंगस्टाफ़ की अध्यक्षता और एथिक्स सेन्टर की इस रिपोर्ट को सोमवार को सार्वजनिक किया गया है.

ऑस्ट्रेलियाई टीम को अभिमानी  कहा गया है

145 पन्नों की इस रिपोर्ट ने मार्च में हुई घटना के लिए ना केवल खिलाडियों बल्कि क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया की हर हालत में जीत की मानसिकता को भी घटना का जिम्मेदार बताया था. रिपोर्ट के अनुसार- क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया को...

विश्व क्रिकेट पर ऑस्ट्रेलिया का दबदबा कोई छुपी हुई बात नहीं है. ऑस्ट्रेलियाई टीम पिछले तीन चार दशक से लगातार विश्व क्रिकेट पर अपनी धाक जमाये हुए है. विश्व भर में ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों के कभी ना हारने का माद्दा तारीफ के काबिल है. हालांकि कई मौकों पर अलग अलग देश के खिलाड़ी ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों के जीत के रवैये की भी आलोचना करते रहें हैं. ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों द्वारा मैदान पर गाली गलौज करना आम बात रही है और कमोबेश हरेक देश के खिलाड़ियों को इसका सामना करना पड़ा है.

कभी न हारने का माद्दा रखती है ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम

हालांकि पहली बार क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया की एक समीक्षा रिपोर्ट ने भी इस बात को माना है कि जीत के लिए ऑस्ट्रेलियाई किसी भी हद तक जा सकते हैं और इसकी बानगी इसी साल मार्च में ऑस्ट्रेलिया के साउथ अफ्रीका दौरे पर दिखी थी. उस दौरे पर ऑस्ट्रेलिया टीम के कप्तान स्टीव स्मिथ और उपकप्तान डेविड वार्नर को गेंद से छेड़ छाड़ का दोषी पाए जाने के बाद एक साल के लिए निलंबित कर दिया था. इसी विवाद के बाद क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने कल्चरल और एथिक्स कमिटी को एक समीक्षा रिपोर्ट बनाने को कहा था, डॉ साइमन लोंगस्टाफ़ की अध्यक्षता और एथिक्स सेन्टर की इस रिपोर्ट को सोमवार को सार्वजनिक किया गया है.

ऑस्ट्रेलियाई टीम को अभिमानी  कहा गया है

145 पन्नों की इस रिपोर्ट ने मार्च में हुई घटना के लिए ना केवल खिलाडियों बल्कि क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया की हर हालत में जीत की मानसिकता को भी घटना का जिम्मेदार बताया था. रिपोर्ट के अनुसार- क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया को अभिमानी और दूसरों पर काबू रखने वाला बताया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि क्रिकेटरों पर जीत का दबाव इतना ज्यादा है कि खिलाड़ी धोखेबाजी तक कर रहे हैं. एथिक्स सेन्टर की रिपोर्ट ने क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया पर खिलाड़ियों को नैतिकता का पाठ ना पढ़ाने का भी आरोप लगाया है. रिपोर्ट के अनुसार खेलभावना की केवल बातें की गई है जबकि कुछ भी अमल में नहीं लाया गया है. रिपोर्ट में यह बात भी कही गयी है कि क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया की कथनी और करनी में फर्क है और सीए अपनी सिद्धान्तों पर लगातार अमल नहीं कर रहा है.

ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम के इस रवैये का एक नमूना यहा देख सकते हैं-

इसी रिपोर्ट के बाद अब बॉल टेंपरिंग विवाद में एक साल का बैन झेल रहे डेविड वार्नर और स्टीव स्मिथ की वापसी की मांग तेज हो गयी है. ऑस्ट्रेलियन क्रिकेटर एसोसिएशन (एसीए) ने क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया (सीए) से अनुरोध किया था कि उनकी सजा पर फिर से विचार करके इसे कम कर दिया जाए. हालांकि क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने ऐसा कुछ भी करने से इनकार कर दिया. क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के चेयरमैन डेविड पेवेर ने कहा कि ये फैसला काफी सोच समझकर लिया गया था और इसे बरकरार रखा जाएगा.

ऐसे में इस बात की उम्मीद कम ही है कि स्मिथ और वार्नर के बैन को कम किया जाए. हालांकि इस रिपोर्ट के बाद यह जरूर साफ हो गया कि मैदान पर ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ियों का खराब व्यवहार केवल उनका ही नहीं बल्कि इसके पीछे पूरा एक तंत्र काम करता है, जो खिलाड़ियों से हर हालत में केवल और केवल जीत चाहता है और जीत की यही दीवानगी उन्हें अच्छा बुरा सब कुछ करने को तैयार करती है. हालांकि इस रिपोर्ट के सार्वजनिक होने के बाद हो सकता है कि ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी अपने रवैये में कुछ बदलाव लाएं, हालांकि वर्षों से चली आ रही बीमारी इतनी जल्दी हल हो जाये यह भी मुश्किल ही लगता है. 

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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