• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
स्पोर्ट्स

यदि कुंबले दौड़ में रहेंगे तो वे ही जीतेंगे

    • विक्रांत गुप्ता
    • Updated: 14 जून, 2016 07:21 PM
  • 14 जून, 2016 07:21 PM
offline
भले ही टीम इंडिया का अगला कोच बनने के लिए 57 लोगों ने आवेदन किया हो लेकिन अनिल कुंबले का आवेदन सब पर भारी पड़ता है, जानिए क्यो?

तकनीकी तौर पर देखें तो अनिल कुंबले का भारतीय कोच पद के लिए आवेदन बनता ही नहीं है. इस पद के लिए बीसीसीआई के विज्ञापन का क्लॉज-1 कहता है, '(कैंडिडेट) ने आईसीसी के किसी सदस्य देशों की टीमों को प्रथम श्रेणी या अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सफतापूर्वक कोचिंग दी हो' - साफतौर पर कुंबले को दौड़ से बाहर कर देता है. कुंबले ने अब तक सिर्फ आईपीएल टीमों रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर और मुंबई इंडियंस के मेंटर के तौर पर ही काम किया है लेकिन किसी टीम को कोचिंग नहीं दी है.

ये एक विरासत का मामला है. कुंबले के नाम 956 इंटरनेशनल विकेट दर्ज हैं जोकि उन्हें न सिर्फ भारत का सबसे बड़े मैच विनर बनाते हैं बल्कि वर्ल्ड क्रिकेट में वह सबसे सम्मानित क्रिकेटरों में से एक हैं. कोच पद की रेस में जहां रवि शास्त्री का नाम फिर से सामने आया है तो वहीं कुंबले के इस रेस में शामिल होने से न सिर्फ शास्त्री बल्कि बाकी के 55 प्रतिभागियों के लिए भी मुकाबला कड़ा हो गया है.

कुंबले के दो पक्ष हैं: एक वह जो मैदान पर चमका, विकेट पर विकेट लिए, जिसमें पाकिस्तान के खिलाफ एक पारी में लिए गए ऐतिहासिक 10 विकेट शामिल हैं, टेस्ट क्रिकेट में शेन वॉर्न और मुथैया मुरलीधरन के बाद वह तीसरे सबसे सफल गेंदबाज हैं. एक बार उन्होंने 2002 में एंटीगा टेस्ट में टूटे हुए जबड़े के साथ गेंदबाजी की थी. लेकिन कुंबले को सबसे ज्यादा याद कुख्यात 'मंकीगेट' प्रकरण के दौरान उनकी नेतृत्व क्षमता के लिए किया जाएगा. मैं सिडनी क्रिकेट ग्राउंड के मीडिया हॉल में उस समय मौजूद था, जब कुंबले ने ऑस्ट्रेलिया टीम की खेल भावना में कमी की तरफ इशारा करते हुए कहा था: 'सिर्फ एक ही टीम खेल भावना के साथ मैच खेल रही थी, मैं इतना ही कह सकता हूं.'

अनिल...

तकनीकी तौर पर देखें तो अनिल कुंबले का भारतीय कोच पद के लिए आवेदन बनता ही नहीं है. इस पद के लिए बीसीसीआई के विज्ञापन का क्लॉज-1 कहता है, '(कैंडिडेट) ने आईसीसी के किसी सदस्य देशों की टीमों को प्रथम श्रेणी या अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सफतापूर्वक कोचिंग दी हो' - साफतौर पर कुंबले को दौड़ से बाहर कर देता है. कुंबले ने अब तक सिर्फ आईपीएल टीमों रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर और मुंबई इंडियंस के मेंटर के तौर पर ही काम किया है लेकिन किसी टीम को कोचिंग नहीं दी है.

ये एक विरासत का मामला है. कुंबले के नाम 956 इंटरनेशनल विकेट दर्ज हैं जोकि उन्हें न सिर्फ भारत का सबसे बड़े मैच विनर बनाते हैं बल्कि वर्ल्ड क्रिकेट में वह सबसे सम्मानित क्रिकेटरों में से एक हैं. कोच पद की रेस में जहां रवि शास्त्री का नाम फिर से सामने आया है तो वहीं कुंबले के इस रेस में शामिल होने से न सिर्फ शास्त्री बल्कि बाकी के 55 प्रतिभागियों के लिए भी मुकाबला कड़ा हो गया है.

कुंबले के दो पक्ष हैं: एक वह जो मैदान पर चमका, विकेट पर विकेट लिए, जिसमें पाकिस्तान के खिलाफ एक पारी में लिए गए ऐतिहासिक 10 विकेट शामिल हैं, टेस्ट क्रिकेट में शेन वॉर्न और मुथैया मुरलीधरन के बाद वह तीसरे सबसे सफल गेंदबाज हैं. एक बार उन्होंने 2002 में एंटीगा टेस्ट में टूटे हुए जबड़े के साथ गेंदबाजी की थी. लेकिन कुंबले को सबसे ज्यादा याद कुख्यात 'मंकीगेट' प्रकरण के दौरान उनकी नेतृत्व क्षमता के लिए किया जाएगा. मैं सिडनी क्रिकेट ग्राउंड के मीडिया हॉल में उस समय मौजूद था, जब कुंबले ने ऑस्ट्रेलिया टीम की खेल भावना में कमी की तरफ इशारा करते हुए कहा था: 'सिर्फ एक ही टीम खेल भावना के साथ मैच खेल रही थी, मैं इतना ही कह सकता हूं.'

अनिल कुंबले को टीम इंडिया का अगला कोच बनने का सबसे प्रबल दावेदार माना जा रहा है

इस बयान ने ऑस्‍ट्रेलियन मीडिया और वहां के लोगों पर गजब का काम किया और वे रिकी पोंटिंग के नेतृत्‍व वाली अपनी ही टीम की आलोचना करने लगे. उन्‍हें 'भेडि़यों का झुंड' तक कहा गया. जब भारत ने पर्थ का अगला टेस्‍ट मैच जीता, तो वह भारतीय कप्‍तान के जज्‍बे को सही साबित करने वाला क्षण माना गया.

एक साल भारतीय टीम के कप्‍तान रहकर 2008 में रिटायर होने के बाद भी वे खेल से जुड़े रहे: कर्नाटक स्‍टेट क्रिकेट एसोसिएशन के अध्‍यक्ष के बतौर, नेशनल क्रिकेट एकेडमी के चेअरमैन के बतौर, बीसीसीआई टेक्निकल कमेटी में और हां, चार साल आईसीसी क्रिकेट कमेटी में भी.

ये कोई राज नहीं है कि राहुल द्रविड़, कुंबले जैसे खिलाड़ी अपनी तरह के लीजेंड हैं, और भारतीय कोच के रूप में बीसीसीआई की पहली पसंद होने चाहिए, लेकिन वे शुरू से कहते रहे हैं कि वे इस तरह के फुल-टाइम रोल के लिए अभी तैयार नहीं हैं. तो भारत को अगला बेस्‍ट चाहिए. कुछ विदेशी तो हैं ही, कुंबले और शास्‍त्री अंतिम दौड़ तक होंगे. टीम डायरेक्‍टर के रूप में शास्‍त्री का डेढ़ साल का रिजल्‍ट मिला-जुला है. टेस्‍ट में अच्‍छा तो वन डे में औसत. लेकिन इस दौरान टेस्‍ट कप्‍तान विराट कोहली और कुछ अन्‍य खिलाडि़यों ने उनकी खूब तारीफ की है. भारतीय टीम के कोच पद के लिए शास्‍त्री का आवेदन स्‍वाभाविक था, लेकिन पिछले कुछ दिनों में तस्‍वीर बदल गई है.

अब सभी की नजर बीसीसीआई पर है, जिसके पास 57 आवेदन आ चुके हैं. क्‍या वे लिखित नियमों पर चलेंगे और कुंबले के दावे को नकार देंगे. या, फिर वे दरवाजा खोलेंगे भारतीय क्रिकेट के सबसे कीमती सिपाही के लिए और उसे 2019 तक के लिए अपनी टीम सौंप देंगे.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    महेंद्र सिंह धोनी अपने आप में मोटिवेशन की मुकम्मल दास्तान हैं!
  • offline
    अब गंभीर को 5 और कोहली-नवीन को कम से कम 2 मैचों के लिए बैन करना चाहिए
  • offline
    गुजरात के खिलाफ 5 छक्के जड़ने वाले रिंकू ने अपनी ज़िंदगी में भी कई बड़े छक्के मारे हैं!
  • offline
    जापान के प्रस्तावित स्पोगोमी खेल का प्रेरणा स्रोत इंडिया ही है
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲