• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
स्पोर्ट्स

Ajinkya Rahane: मुंबई के बल्लेबाजी घराने का अनुशासित शास्त्रीय गायन

    • धीरेंद्र राय
    • Updated: 29 दिसम्बर, 2020 12:41 PM
  • 28 दिसम्बर, 2020 09:32 AM
offline
ऑस्ट्रेलिया बनाम भारत की टेस्ट सीरीज के पहले मैच में शर्मनाक हार के बाद टीम इंडिया के कंधे झुके हुए थे. ऐसे में विराट कोहली की अनुपस्थिति में कप्तानी संभाल रहे अजिंक्य रहाणे ने आग उगल रही ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजी पर जो पानी डाला, वो उनके मिजाज की गवाही देता है. औसत कद काठी वाले रहाणे का यह प्रदर्शन कई मायनों में असाधारण है.

विराट कोहली की कमान में टीम इंडिया के खिलाड़ी जब पूरी तरह पब कल्चर को आत्मसात कर चुके हैं, ऐसे में औसत कद काठी वाले सौम्य अजिंक्य रहाणे को देखना सुकून देता है. एक ऐसे दौर में जब खिलाड़ियों के टैटू उनकी आस्तीन औेर कॉलर से बाहर आ रहे हैं, तो अजिंक्य को देखकर लगता है कि उनके गले में अब भी एक रुद्राक्ष पड़ा होगा. जब टीम इंडिया के बाकी खिलाड़ियों का एड्रेलेनिन मुंह के बल गिर जाने तक का अतिरिक्त उछाल दे रहा है, तो अजिंक्य किसी ऋषि की तरह मैदान में साधना करते नजर आते हैं. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले टेस्ट की शर्मनाक हार के बाद दूसरे टेस्ट में विराट कोहली की जगह कप्तानी संभाल रहे अजिंक्य रहाणे के नेतृत्व और उनके शतक ने कई संदेश दिए हैं.   

इलाकाई तासीर आपको लोगों की बॉडी लैंग्वेज में दिख जाएगी. ये बात क्रिकेट खिलाड़ियों पर भी लागू होती है. मुंबई और दिल्ली के मिजाज का फर्क इन दोनों महानगरों से आने वाले खिलाड़ियों में भी दिखाई पड़ता रहा है. और अजिंक्य रहाणे तो मध्य महाराष्ट्र अंचल से मुंबई होकर टीम इंडिया का हिस्सा बनते हैं. ऐसे में उनकी खामोशी उस लड़के की मनोदशा से समझी जा सकती है जो अंचल के घर से शहर के कॉलेज में दाखिला लेने आया है. इंटरनेट के दौर में अर्बन एटीट्यूड वाली खुमारी टीम इंडिया में एक समान फैली है, लेकिन अहमदनगर जिला मुख्यालय से 75 किमी दूर स्थित आश्वी खुर्द से आने वाले 32 साल के रहाणे अपनी पहचान को साथ लेकर चलते हैं. आखिर ऐसा हो भी क्यों न, चार हजार लोगों की आबादी वाले इस कस्बे के बारे में विकिपीडिया पर तमाम जानकारियों के अलावा यह भी यही दर्ज है कि प्रसिद्ध खिलाड़ी अजिंक्य रहाणे यहीं जन्मे हैं. एक कस्बे के इस अभिमान को उसका संस्कारी बेटा कैसे भूल सकता है.

अजिंक्य रहाणे की शालीनता से खेली गई शतकीय पारी ने उनकी सोच और...

विराट कोहली की कमान में टीम इंडिया के खिलाड़ी जब पूरी तरह पब कल्चर को आत्मसात कर चुके हैं, ऐसे में औसत कद काठी वाले सौम्य अजिंक्य रहाणे को देखना सुकून देता है. एक ऐसे दौर में जब खिलाड़ियों के टैटू उनकी आस्तीन औेर कॉलर से बाहर आ रहे हैं, तो अजिंक्य को देखकर लगता है कि उनके गले में अब भी एक रुद्राक्ष पड़ा होगा. जब टीम इंडिया के बाकी खिलाड़ियों का एड्रेलेनिन मुंह के बल गिर जाने तक का अतिरिक्त उछाल दे रहा है, तो अजिंक्य किसी ऋषि की तरह मैदान में साधना करते नजर आते हैं. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले टेस्ट की शर्मनाक हार के बाद दूसरे टेस्ट में विराट कोहली की जगह कप्तानी संभाल रहे अजिंक्य रहाणे के नेतृत्व और उनके शतक ने कई संदेश दिए हैं.   

इलाकाई तासीर आपको लोगों की बॉडी लैंग्वेज में दिख जाएगी. ये बात क्रिकेट खिलाड़ियों पर भी लागू होती है. मुंबई और दिल्ली के मिजाज का फर्क इन दोनों महानगरों से आने वाले खिलाड़ियों में भी दिखाई पड़ता रहा है. और अजिंक्य रहाणे तो मध्य महाराष्ट्र अंचल से मुंबई होकर टीम इंडिया का हिस्सा बनते हैं. ऐसे में उनकी खामोशी उस लड़के की मनोदशा से समझी जा सकती है जो अंचल के घर से शहर के कॉलेज में दाखिला लेने आया है. इंटरनेट के दौर में अर्बन एटीट्यूड वाली खुमारी टीम इंडिया में एक समान फैली है, लेकिन अहमदनगर जिला मुख्यालय से 75 किमी दूर स्थित आश्वी खुर्द से आने वाले 32 साल के रहाणे अपनी पहचान को साथ लेकर चलते हैं. आखिर ऐसा हो भी क्यों न, चार हजार लोगों की आबादी वाले इस कस्बे के बारे में विकिपीडिया पर तमाम जानकारियों के अलावा यह भी यही दर्ज है कि प्रसिद्ध खिलाड़ी अजिंक्य रहाणे यहीं जन्मे हैं. एक कस्बे के इस अभिमान को उसका संस्कारी बेटा कैसे भूल सकता है.

अजिंक्य रहाणे की शालीनता से खेली गई शतकीय पारी ने उनकी सोच और बैकग्राउंड का परिचय दिया है.

अर्बन होड़ से बचे, तो एक्सीलेंस पा ली

मधुकर बाबूराव रहाणे को अपने बच्चे में क्रिकेट के प्रति दीवानगी बचपन में ही दिख गई थी. सात साल के अजिंक्य को एक छोटे से क्रिकेट कोचिंग कैंप के लिए वो डोंबीवली ले आए. वे चाहते थे कि स्कूल की छुट्टियां बर्बाद न हो. यहां मैटिंग पर बच्चों को कोचिंग दी जाती थी. पिता ने कोचिंग कैंप में दाखिला करवाया तो आगे की जिम्मेदारी मां सुजाता ने संभाल ली. वे नियमित रूप से अजिंक्य को दो किमी दूर कैंप तक छोड़ने जाती थी, और कैंप खत्म होने पर लेने भी. मां की गोद में अजिंक्य के छोटे भाई शशांक होते थे और अजिंक्य का आधा क्रिकेट किट भी. क्योंकि पूरा किट इतना भारी होता था कि अजिंक्य उठा नहीं पाते थे. कई बार रास्ते में मां से कहते कि एक ऑटो कर लेते हैं, लेकिन वे नन्हें बच्चे को कह नहीं पाती थीं कि परिवार की इतनी कमाई नहीं है कि रोज ऑटो ले सकें. अजिंक्य भी स्थिति को समझने लगे और खेल के प्रति अपना समर्पण बढ़ाते चले गए.

एक बार कोच ने सचिन तेंडुलकर की एक ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीर दिखाते हुए पूछा जानते हो, ये कौन हैं? अजिंक्य ने सिर हिला कर सचिन का नाम लिया. कोच ने मजाक में पूछा कि इनके साथ खेलना चाहते हो. अजिंक्य ने दृढ़ विश्वास के साथ कहा कि वो एक दिन सचिन के साथ जरूर खेलेंगे. उनके पिता उस घटना के साक्षी हैं, और कहते हैं कि उस समय मैंने अजिंक्य की बात को बड़बोलेपन के रूप में लिया, और बहुत शर्मिंदा हुआ. लेकिन, उस दिन आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा जब अजिंक्य की बचपन में कही गई बात 2011 में सच हुई. वे 16 महीनों से टीम का हिस्सा तो थे, लेकिन उन्हें 12वें खिलाड़ी से ऊपर जगह नहीं मिल पा रही थी. ड्रिंक्स ब्रेक में साथी खिलाड़ियों का गला तर कर रहे अजिंक्य के दिल की प्यास दिल्ली के कोटला स्टेडियम में बुझी. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ शुरू हो रहे टेस्ट मैच से एक दिन पहले उन्हें बताया गया कि उनका नाम भी अंतिम 11 में हैं. उन 16 महीने अजिंक्य के संघर्ष के साथी रहे उनके मैनेजर अतुल श्रीवास्तव, उन भावुक पलों को याद करते हुए कहते हैं कि अज्जू मेरे कमरे में आए. हम दोनों ने एक दूसरे से कुछ नहीं कहा. गले लगे, और फूटफूट कर रोए. माता-पिता को ताबड़तोड़ गांव से दिल्ली बुलवाया गया, ताकि वो पहली बार अपने बेटे को अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खेलते हुए देखें. कराटे में ब्लैक बेल्ट रहाणे का पहला प्यार क्रिकेट ही है. और उसने अपने इस प्यार से अपने माता-पिता का सिर हमेशा गर्व से ऊंचा रखा है. 

विपरीत स्वभाव वाले होने के बावजूद विराट कोहली और रहाणे के बीच कैमेस्ट्री बहुत गजब है.

कप्तानी के संघर्ष से दूर चिर-उपकप्तान

मन चाहे अवसर का सपना दुनिया देखती है, लेकिन मौजूद अवसर को सपना बनाने का प्रैक्टिकल तरीका अजिंक्य रहाणे ने ढूंढ लिया. रहाणे की कलात्मक तकनीक उन्हें ओपनिंग बल्लेबाजी का दावेदार तो बनाती थी, लेकिन टीम इंडिया में ओपनर की हमेशा से भरमार रही. इसके उलट मिडिल ऑर्डर हमेशा से कमजोर नजर आया. यही कारण रहा कि शुरुआती तीन बल्लेबाज आउट होने के बाद पूरी टीम ताश के पत्ते की तरह ढह जाती थी. सुरेश रैना, मुरली विजय, युवराज सिंह, शिखर धवन को मिडिल ऑर्डर में आजमाने की कोशिश नाकाम रही. ऐसे में टीम मैनेजमेंट का भरोसा अजिंक्य में जगा, और अजिंक्य ने भी इस मौके को सिर आंखों पर लिया. उनकी पॉजिशन को चैलेंज करने के लिए खिलाड़ी आते जाते रहे, लेकिन रहाणे एक अनुशासित सिपाही की तरह अपनी ड्यूटी करते रहे. वे ओपनर बनने के लिए तड़पते हुए कभी नजर नहीं आए.

एक ऐसे समय में जब टीम के नेतृत्व को लेकर विराट कोहली और रोहित शर्मा के समर्थक आपस में बहस को उतारू रहते हैं, रहाणे की पॉजिशन चिर-उपकप्तान की तरह कायम है. विराट अपने इस भरोसेमंद डिप्टी को जिंक्स कहकर बुलाते हैं. और उनकी बैटिंग तकनीक की तारीफ करते नहीं थकते. 2017 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज के अंतिम टेस्ट से पहले विराट चोटिल होकर बाहर हो गए तब रहाणे को टीम की कमान संभालने का पहली बार मौका मिला. उन्होंने ही विराट की जगह कुलदीप यादव को खिलाने का साहसिक फैसला लिया, और कुलदीप ने बेशकीमती चार विकेट लेकर रहाणे को अपनी कप्तानी के पहले ही टेस्ट में जीत के रूप में रिटर्न गिफ्ट दे दिया. इसके अलावा रहाणे ने अफगानिस्तान के साथ खेले गए ऐतिहासिक टेस्ट की कप्तानी की. उम्मीद के मुताबिक नतीजा तो भारत के पक्ष में ही गया, लेकिन रहाणे ने जीत की खुशी में अफगानिस्तान के खिलाड़ियों को साथ शामिल करके दोनों टीम की संयुक्त फोटो खिंचवाई, जो कि खेल भावना की उम्दा मिसाल कही जाएगी.    

अब बात मेलबर्न टेस्ट की

विराट कोहली पिता बनने वाले हैं, और वे अपने बच्चे के जन्म से पहले पत्नी की अनुष्का के साथ होना चाहते थे, लिहाजा भारत चले आए. अब शेष सीरीज में कप्तानी की जिम्मेदारी रहाणे के कंधों पर है. वही रहाणे जिनके मिडिल ऑर्डर की बैटिंग पोजिशन पर ही तलवार लटकती रही है. उन्हें न सिर्फ अपनी पॉजिशन को सॉलिड करना है, बल्कि अपने नेतृत्व से यह भी साबित करना है कि पिछले बार की तरह इस बार भी सीरीज जीतने का दम भारत के पास है. मेलबर्न टेस्ट की शुरुआत तो टीम इंडिया के मनमुताबित ही हुई. ऑस्ट्रेलिया को 195 पर समेट दिया. लेकिन, एडिलेड ओवल में जिस तरह भारतीय बल्लेबाजी दूसरी पारी में सिमटी, उसका डर दूसरे टेस्ट में भी कायम रहा.

भारतीय टेस्ट टीम जिस ऊपरी क्रम के भरोसे किले फतेह करती आई है, वे 64 रन के स्कोर पर पैवेलियन लौट आया. बल्लेबाजी के लिहाज से देखें तो रहाणे और पुजारा के अलावा किसी के पास दस-पंद्रह टेस्ट से ज्यादा खेलने का अनुभव है ही नहीं. शायद इसी परिस्थिति के लिए रहाणे जैसी शख्सियत वाले लोगों का नेतृत्व सफल होता है. रहाणे जब क्रीज पर पहुंचे, तो टीम इंडिया खासे दबाव में थी. ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज आग उगल रहे थे. लेकिन, महाराष्ट्र के दूरस्थ गांव के इस लड़के को इस सबसे क्या लेना देना. वो तो अपनी जिम्मेदारी निभाने आया था. वो तो ये बताने आया था कि जिस मां की अंगुली पकड़े वो कोचिंग लेने जाया करता था, वहां उसने सीखा क्या है. ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी उसे तेवर दिखाएंगे तो क्या हुआ, जवाब में उन्हें संस्कारी सौम्यता ही तो मिलेगी.

रहाणे ने जिस तरह खुद को संभालते हुए भारतीय पारी को बनाया, वो काबिले तारीफ है. ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों को उन्होंने अपने नजरिये से थका दिया. क्रिकेट के इस साधक के आगे टीम ऑस्ट्रेलिया नतमस्तक थी. हनुमा विहारी, ऋषभ पंत और फिर रविंद्र जडेजा के साथ पारी को आगे बढ़ाते गए रहाणे ने अपने मन में कोई बहुत बड़ा संकल्प लिया है, ऐसा दिखा नहीं. वे बल्लेबाज की भूमिका में वैसे ही दिखे, जैसे मुंबई का कोई नौकरीपेशा शख्स होता है. सुबह उठता है. नहा-धोकर तैयार होता है. टिफिन और बैग उठाकर मुंबई लोकल पकड़ता है. दिनभर दफ्तर में तन्मयता से काम करता है, और शाम को नियत समय पर घर लौट आता है. रहाणे इसी अनुशासित रूटीन के साथ बल्लेबाजी करते दिखे. हां, आज उनके स्ट्रोक्स में उस मेहनतकश मां का आशीर्वाद नजर आ रहा था. जिसने कभी एक चम्मच तुलसी डला दही अपने लाड़ले अजिंक्य को पिलाया होगा, और मन से कहा होगा कि जा बेटा, विजयी भव!

....और नतीजा आपके सामने है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    महेंद्र सिंह धोनी अपने आप में मोटिवेशन की मुकम्मल दास्तान हैं!
  • offline
    अब गंभीर को 5 और कोहली-नवीन को कम से कम 2 मैचों के लिए बैन करना चाहिए
  • offline
    गुजरात के खिलाफ 5 छक्के जड़ने वाले रिंकू ने अपनी ज़िंदगी में भी कई बड़े छक्के मारे हैं!
  • offline
    जापान के प्रस्तावित स्पोगोमी खेल का प्रेरणा स्रोत इंडिया ही है
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲