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इन महिला बॉडी बिल्डर्स की कामयाबी से बड़ा है उनका संघर्ष

    • मोहित चतुर्वेदी
    • Updated: 27 जून, 2017 05:33 PM
  • 27 जून, 2017 05:33 PM
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बॉडी बिल्डिंग पहले मर्दों का खेल हुआ करता था. लेकिन महिलाओं ने यहां भी झंडे गाड़ दिए हैं. जो मर्द न कर सके वो बॉडी बिल्डर भूमिका शर्मा ने कर दिखाया.

बॉडी बिल्डिंग को आमतौर पर पुरुषों का ही खेल समझा जाता है. विशेष कर भारत में. अगर यहां की महिलाएं चूल्हा चौका छोड़कर खेल में लग जाती हैं तो घर के बड़े ही उन्हें रोक देते हैं. लेकिन इन सब के बावजूद बॉडी बिल्डिंग तेजी से बढ़ते हुए खेलों में से एक है और इसी के साथ महिलाएं भी बॉडी बिल्डिंग में अपना अलग ही मुकाम बना रही हैं.

अभी महिलाओं का एक छोटा से तपका ही है जो इस खेल में कुछ बदलाव लाने की कोशिश कर रही हैं और इस खेल में सम्मानजनक नाम कमाकर यह अभी तक समाज में चल रहे कुछ नियमों को तोड़ने में कामयाब भी रही हैं. इस महिला बॉडी बिल्डर्स ने भारत में ही नहीं विदेशों में भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है.

इसी में एक नाम शामिल हुआ है भूमिका शर्मा का. जिन्होंने 50 देशों की महिला बॉडी बिल्डर्स को पछाड़कर वर्ल्ड बॉडी बिल्डिंग चैम्पियनशिप में गोल्ड हासिल किया और मिस वर्ल्ड बनीं अब वे मिस यूनिवर्स की तैयारी कर रही हैं. लेकिन वो बॉडी बिल्डर नहीं बनना चाहती थी. उनको देश के लिए शूटिंग करना था. लेकिन एक ऐसा टर्निंग प्वाइंट आया और अब वो वर्ल्ड चैम्पियन है. आइए जानते हैं उनकी इनसाइड स्टोरी...

भूमिका शर्मा, जिन्होंने बॉडी बिल्डिंग चैम्पियनशिप में गोल्ड हासिल किया.

भूमिका शर्मा: वीडियो देखकर सोचा बॉडी बिल्डर बनना चाहिए

भूमिका देहरादून के एक प्राइवेट कॉलेज में सेकंड ईयर में हैं. उनकी मां हंसा मनराल शर्मा महिला वेटलिफ्टिंग टीम की हेड कोच रह चुकी हैं और वो चाहती थीं कि उनकी बेटी शूटर बने. लेकिन एक दिन जिम में उनके कोच ने उनको बॉडी बिल्डिंग के कुछ वीडियो दिखाए. जिसके बाद उन्होंने बॉडी बिल्डिंग करने का सोचा.

परिवार ने भी उनका साथ दिया. शुरुआत में जब वो जिम में पसीना बहाया करती थीं तो लोग उनका मजाक उड़ाते थे. लेकिन उन्होंने...

बॉडी बिल्डिंग को आमतौर पर पुरुषों का ही खेल समझा जाता है. विशेष कर भारत में. अगर यहां की महिलाएं चूल्हा चौका छोड़कर खेल में लग जाती हैं तो घर के बड़े ही उन्हें रोक देते हैं. लेकिन इन सब के बावजूद बॉडी बिल्डिंग तेजी से बढ़ते हुए खेलों में से एक है और इसी के साथ महिलाएं भी बॉडी बिल्डिंग में अपना अलग ही मुकाम बना रही हैं.

अभी महिलाओं का एक छोटा से तपका ही है जो इस खेल में कुछ बदलाव लाने की कोशिश कर रही हैं और इस खेल में सम्मानजनक नाम कमाकर यह अभी तक समाज में चल रहे कुछ नियमों को तोड़ने में कामयाब भी रही हैं. इस महिला बॉडी बिल्डर्स ने भारत में ही नहीं विदेशों में भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है.

इसी में एक नाम शामिल हुआ है भूमिका शर्मा का. जिन्होंने 50 देशों की महिला बॉडी बिल्डर्स को पछाड़कर वर्ल्ड बॉडी बिल्डिंग चैम्पियनशिप में गोल्ड हासिल किया और मिस वर्ल्ड बनीं अब वे मिस यूनिवर्स की तैयारी कर रही हैं. लेकिन वो बॉडी बिल्डर नहीं बनना चाहती थी. उनको देश के लिए शूटिंग करना था. लेकिन एक ऐसा टर्निंग प्वाइंट आया और अब वो वर्ल्ड चैम्पियन है. आइए जानते हैं उनकी इनसाइड स्टोरी...

भूमिका शर्मा, जिन्होंने बॉडी बिल्डिंग चैम्पियनशिप में गोल्ड हासिल किया.

भूमिका शर्मा: वीडियो देखकर सोचा बॉडी बिल्डर बनना चाहिए

भूमिका देहरादून के एक प्राइवेट कॉलेज में सेकंड ईयर में हैं. उनकी मां हंसा मनराल शर्मा महिला वेटलिफ्टिंग टीम की हेड कोच रह चुकी हैं और वो चाहती थीं कि उनकी बेटी शूटर बने. लेकिन एक दिन जिम में उनके कोच ने उनको बॉडी बिल्डिंग के कुछ वीडियो दिखाए. जिसके बाद उन्होंने बॉडी बिल्डिंग करने का सोचा.

परिवार ने भी उनका साथ दिया. शुरुआत में जब वो जिम में पसीना बहाया करती थीं तो लोग उनका मजाक उड़ाते थे. लेकिन उन्होंने बिलकुल ध्यान नहीं दिया और एक कामयाब बॉडी बिल्डर बनीं. मिस वर्ल्ड बनने के बाद अब वो मिस यूनिवर्स बॉडी बिल्डिंग चैम्पियनशिप की तैयारी में जुट गई हैं. यही नहीं इन्हीं के जैसे और भी कई महिला बॉडी बिल्डर्स हैं जिन्होंने काफी संघर्ष कर ये मुकाम हासिल किया.

बॉडी बिल्डर श्वेता पेशे से इंजीनियर हैं.

इंजीनियर श्‍वेता राठौड़: घरवाले भेजते थे स्‍कूल, चली जाती थी जिम

श्वेता राठौड़ भारत की सबसे कामयाब बॉडी बिल्डर हैं. बचपन में उनके पिता इसके खिलाफ थे. लेकिन वह पढाई के बहाने जिम चली जाती थी. लेकिन अब उनका परिवार उनके साथ हैं. श्‍वेता अब तक मिस वर्ल्‍ड 2014(फिटनेस फिजीक), मिस एशिया 2015(फिटनेस फिजीक), मिस इंडिया(स्‍पोर्टस फिजीक) मिस मुंबई 2016 का खिताब जीत चुकी है. श्‍वेता के पिता बीएसएनएल में काम करते हैं. श्‍वेता मूल रूप से जयपुर की रहने वाली हैं लेकिन मुंबई में रहती हैं. श्वेता राठौड़ पेशे में इंजीनियर हैं. बता दें कि श्वेता एक एनजीओ भी चलाती है. वे फिटनेस फॉरएवर एकेडमी भी चलाती हैं.

अश्विनी गरीबी से संघर्ष कर बनीं बॉडी बिल्डर.

अश्विनी वासकर: सोने की चेन बेचकर ज्वाइन किया जिम

महाराष्ट्र के रायगढ़ की रहने वाली अश्विनी बॉडी बिल्डिंग चैम्पियनशिप में हिस्सा ले चुकी हैं, जिसमें से एक इंटरनेशनल चैम्पियनशिप शामिल है. लेकिन अश्विवी के लिए ये रास्ता इतना आसान नहीं था. 2012 में जिम और सप्लिमेंट्स लेने के लिए अश्विनी को 20 हजार रुपए की जरूरत थी. इसके लिए उन्होंने अपनी सोने की चेन बेच दी. जिसके बाद उनका संघर्ष शुरू हुआ. लेकिन उन्हें ज्यादा मौके नहीं मिले.

जिससे निराश होकर वो मुंबई के सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फिशरीज एजुकेशन में सीनियर फैलो की टेम्पररी जॉब करने लगीं. 2013 में उन्होंने एक पुरुषों की बॉडी बिल्डिंग कॉम्पिटिशन में पहुंची तब लगा कि ये करियर ऑप्शन हो सकता है. उसके बाद महिला बॉडी बिल्डिंग कॉम्पिटिशन की घोषणा हुई तो उन्होंने वहां हिस्सा लिया और बॉडी बिल्डर बन गईं.

प्यार में धोखा खाने के बाद अंकिता ने बॉडी बिल्डिंग करना शुरू किया.

अंकिता सिंह : प्यार में मिला धोखा तो बन गईं बॉडी बिल्डर

किता यूपी के सोनभद्र की रहनेवाली हैं. इंजीनियरिंग के लिए जब अंकिता बेंगलुरु गईं तो उन्हें कॉलेज के एक लड़के से प्यार हो गया. ब्वॉयफ्रेंस से धोखा मिलने के बाद वो डिप्रेशन में चली गईं. जिसके बाद उन्होंने जिम में समय बिताना शुरू किया और फैसला किया कि वो बॉडी बिल्डिंग में करियर बनाएंगी. अंकिता एक राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखती हैं.

इसी वजह से उन्हें फिटनेस मॉडलिंग में करियर बनाने के लिए काफी विरोध सहना पड़ा. क्योंकि उसमें बिकनी पहनना पड़ता है. इस ड्रेस कोड उनके परिवार वालों को पसंद नहीं था. लेकिन छोटे भाई ने उनका पूरा सपोर्ट किया और 5 नेशनल और 8 इंटरनेशनल इवेंट्स में इंडिया को रिप्रेजेंट किया. वे एमटीवी के फिटनेस चैलेंज की सेमी-फाइनलिस्ट रह चुकी हैं. इसके अलावा फिटनेस गुरु मैगजीन की कवर गर्ल भी रह चुकी हैं.

बीमारी को हराकर यासमीन बनीं बॉडी बिल्डर.यासमीन मनक : बीमारी से निकलकर बनी बॉडी बिल्डर

चंडीगढ़ की यासमीन मनक मिस इंडिय डबल्स में गोल्ड और मिस एशिया चैम्पियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाली एकमात्र भारतीय महिला रह चुकी हैं. बचपन में यासमीन एक दवाई के कारण काफी बीमार पड़ गई थीं. उनके बाल तेजी से झड़ने लगे थे और शरीर पर भी अजीब से निशान पड़ गए थे.

डॉक्टर्स ने उन्हें योग करने की सलाह दी. लेकिन यासमीन का सपना तो कुछ और ही था. उन्होंने मसल्स बनाने का सोचा और बॉडी बिल्डिंग की तरफ बढ़ीं. आज के समय में वह हर लड़की की तरह वो इंस्पिरेशन बन चुकी हैं. यही नहीं उन्होंने गुड़गांव में अपना जिम भी खोला है जहां वो हर महीने 300 लड़के-लड़कियों को ट्रेन करती हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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