भारत में कोरोना महामारी की दूसरी लहर के चलते संक्रमण के मामलों में अप्रत्याशित तेजी आई है. राज्य सरकारें कोविड-19 संक्रमण के मामलों में कमी लाने के लिए लॉकडाउन से लेकर कोरोना कर्फ्यू तक लगा रही हैं. इन सबके बीच एक राहत भरी खबर है कि कोवैक्सीन और कोविशील्ड के बाद अब भारत को कोरोना से लड़ने के लिए एक और वैक्सीन मिल गई है. रूस में बनी स्पूतनिक V (Sputnik V) को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने आपात इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है. नेशनल एक्सपर्ट ग्रुप ऑन वैक्सीन एडमिनिस्ट्रेशन फॉर कोविड-19 ने भारत सरकार को सुझाव दिया था कि WHO की लिस्ट में शामिल अन्य देशों की वैक्सीन को भी आपात स्थिति में इस्तेमाल करने की मंजूरी दी जाए. इस सुझाव को भारत सरकार ने मान लिया है, जिसके बाद कहा जा सकता है कि जल्द ही भारत में स्पूतनिक V जैसी अन्य विदेशी वैक्सीन भी लोगों को उपलब्ध होने लगेंगी. स्पूतनिक V वैक्सीन को 60 देशों में इस्तेमाल किया जा रहा है. कोविशील्ड और कोवैक्सीन आने के समय भी लोगों के मन में कई सवाल उठे थे. इस स्थिति में स्पूतनिक V को लेकर भी सवाल उठना वाजिब है. आइए जानते हैं स्पूतनिक V वैक्सीन से जुड़ी हर जानकारी.
स्पूतनिक V को किसने बनाया और भारत में कौन बनाएगा?
स्पूतनिक V वैक्सीन को रूस में बनाया गया है. रूस में इस वैक्सीन का इस्तेमाल बीते साल अगस्त से ही किया जा रहा है. स्पूतनिक V को गेमालेया नेशनल रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी ने बनाया है और भारत में डॉ. रेड्डी लैब्स इसकी 10 करोड़ डोज का निर्माण करेगी. रशियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड (RDIF) ने भारतीय कंपनियों हेटरो बायोफार्मा, ग्लैंड फार्मा, स्टेलिस बायोफार्मा, विक्ट्री बायोटेक के साथ वैक्सीन की करीब 85 करोड़ डोज बनाने का करार किया है. माना जा रहा है कि ये सभी कंपनियां एक साल में करीब 90 करोड़ डोज तैयार करेंगी.