अंग्रेजी भारत में एक अजीबो-गरीब ट्रेंड है. भारत में अंग्रेजी बोलने वालों की संख्या इतनी तेजी से बढ़ रही है कि जल्दी ही इन्हें एक नई जाति घोषित करना पड़ेगा. खैर, भारत में अंग्रेजी और चर्चित लोगों के लिए दीवानगी इस तरह है कि लोग अपने बच्चों के नाम ही कुछ अजीब रख देते हैं.
ऐसा ही कुछ मामला है मेघालय के एक गांव अमनिऊह (mniuh) का. यहां बच्चों के नाम इटली, अर्जेंटीना, स्विडन, इंडोनेशिया आदि रखे गए हैं. mniuh-Tmar Elaka गांव शेला तहसील में आता है. ये ईस्ट खासी हिल्स जिले का हिस्सा है.
इस गांव में करीब 850 मर्द वोटर हैं और 916 महिलाएं. गांव के मुखिया का नाम है प्रिमियर सिंह. उनका कहना है कि गांव में लोगों को अंग्रेजी से बहुत प्यार है और इसलिए आधे से ज्यादा लोगों के नाम ऐसे शब्द हैं जिनका न तो उन्हें मतलब पता है और न ही इसके बारे में वो सोचते हैं. वो बस इसीलिए ऐसे नाम रख देते हैं क्योंकि वो शब्द उन्हें सुनने में अच्छे लगते हैं.
अजीबो-गरीब नाम...
प्रीमियर सिंह का कहना है कि उनके गांव में गोवा, त्रिपुरा, स्वेटर आदि नाम बहुत आम हैं. इतना ही नहीं एक 12वीं कक्षा की लड़की का नाम उसकी मां स्वेटर ने रखा था 'आई हैव बीन डेलिवर्ड' (‘I Have Been Delivered!’) (इसके दो मतलब हो सकते हैं, एक तो मुझे पहुंचा दिया गया और दूसरा मुझे पैदा कर दिया गया).
भारत में और भी हैं ऐसे किस्से...
क्या कभी आपने ऐसा किसी को कहते सुना है कि सोनिया गांधी स्कूल में शाहरुख खान के साथ लंच करेंगी और कांग्रेस और जनता पार्टी एक साथ खेल रहे हैं? जी हां, कुछ ऐसा ही नजारा रहता है दक्षिण भारत की एक आदिवासी जाति के लोगों का. इस आदिवासी जाति के लोग हमेशा से ही अपनी जमीन को लेकर विरोध करते रहे हैं. सरकार ने इन्हें बेंगलुरु के पास एक गांव...
अंग्रेजी भारत में एक अजीबो-गरीब ट्रेंड है. भारत में अंग्रेजी बोलने वालों की संख्या इतनी तेजी से बढ़ रही है कि जल्दी ही इन्हें एक नई जाति घोषित करना पड़ेगा. खैर, भारत में अंग्रेजी और चर्चित लोगों के लिए दीवानगी इस तरह है कि लोग अपने बच्चों के नाम ही कुछ अजीब रख देते हैं.
ऐसा ही कुछ मामला है मेघालय के एक गांव अमनिऊह (mniuh) का. यहां बच्चों के नाम इटली, अर्जेंटीना, स्विडन, इंडोनेशिया आदि रखे गए हैं. mniuh-Tmar Elaka गांव शेला तहसील में आता है. ये ईस्ट खासी हिल्स जिले का हिस्सा है.
इस गांव में करीब 850 मर्द वोटर हैं और 916 महिलाएं. गांव के मुखिया का नाम है प्रिमियर सिंह. उनका कहना है कि गांव में लोगों को अंग्रेजी से बहुत प्यार है और इसलिए आधे से ज्यादा लोगों के नाम ऐसे शब्द हैं जिनका न तो उन्हें मतलब पता है और न ही इसके बारे में वो सोचते हैं. वो बस इसीलिए ऐसे नाम रख देते हैं क्योंकि वो शब्द उन्हें सुनने में अच्छे लगते हैं.
अजीबो-गरीब नाम...
प्रीमियर सिंह का कहना है कि उनके गांव में गोवा, त्रिपुरा, स्वेटर आदि नाम बहुत आम हैं. इतना ही नहीं एक 12वीं कक्षा की लड़की का नाम उसकी मां स्वेटर ने रखा था 'आई हैव बीन डेलिवर्ड' (‘I Have Been Delivered!’) (इसके दो मतलब हो सकते हैं, एक तो मुझे पहुंचा दिया गया और दूसरा मुझे पैदा कर दिया गया).
भारत में और भी हैं ऐसे किस्से...
क्या कभी आपने ऐसा किसी को कहते सुना है कि सोनिया गांधी स्कूल में शाहरुख खान के साथ लंच करेंगी और कांग्रेस और जनता पार्टी एक साथ खेल रहे हैं? जी हां, कुछ ऐसा ही नजारा रहता है दक्षिण भारत की एक आदिवासी जाति के लोगों का. इस आदिवासी जाति के लोग हमेशा से ही अपनी जमीन को लेकर विरोध करते रहे हैं. सरकार ने इन्हें बेंगलुरु के पास एक गांव भद्रपुर में जमीन दी है.
इस जाति के लोग अपने बच्चों के नाम चर्चित जगहों और लोगों के नाम पर रखते हैं. किसी का नाम सोनिया गांधी होगा, किसी का शाहरुख खान, किसी का अमिताभ बच्चन तो किसी का गूगल, फेसबुक.
कलक्टर सिंह याद हैं आपको?
ये प्रथा हिंदुस्तान के कई हिस्सों में भी है. चर्चित लेखक कलक्टर सिंह 'केसरी' के बारे में शायद बहुत सारे लोगों को पता होगा. बिहार में जन्मे कलक्टर सिंह इंग्लिश में एमए थे और समस्तीपुर कॉलेज के संस्थापक थे जिसके प्राचार्य पद को उन्होने 20 वर्षों तक सुशोभित किया.
डाकू तहसीलदार सिंह...
डाकू तहसीलदार सिंह इतने फेमस थे कि मुलायम सिंह यादव का पोलिंग बूथ लूटकर ले आए थे. तहसीलदार सिंह ने समर्पण के बाद भाजपा की सदस्यता ले ली थी.
कलक्टर सिंह और तहसीलदार सिंह भारत की उस मंशा को बताते हैं जहां मां-बाप चाहते हैं कि उनके बच्चों को कोई बड़ी पोस्ट मिले. खैर, जो भी हो. भारत में इस तरह के नामों की कमी नहीं है.
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