अब तक आपके पास तमाम तरह की फोन कॉल्स और मेल आ गए होंगे जिनमें आपको बताया गया होगा कि आपको अपने बैंक अकाउंट, मोबाइल नंबर, पैन कार्ड, एलपीजी कनेक्शन कार्ड, राशन कार्ड और वोटर आई डी कार्ड को अपने आधार कार्ड से लिंक करना है. इस खबर के बाद हममें से बहुत लोग खुश हुए और साथ ही बहुत से लोग नाराज भी हुए. जो खुश थे उनका तर्क था कि इससे सारी जानकारी एक ही प्लेटफोर्म पर आ जाएंगी और जो नाराज थे उन्होंने कहा कि हर चीज में आधार लिंक कर सरकार उनके पर्सनल स्पेस में जबरन घुसने का प्रयास कर रही है.
अब आधार ही जीवन का आधार है या फिर ये अपने में एक अनबुझी पहेली और पूर्णतः निराधार है ये हम नहीं कह सकते. लेकिन व्यक्ति अगर अपने को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नजदीक मानता है या फिर वो उनसे गहराई से जुड़ा है तो ये खबर उसे जरूर प्रभावित करेगी. बात कुछ यूं है कि अब भविष्य में यदि आपको पीएम मोदी का भाषण सुनना है या फिर आप उसे सुनने जा रहे हैं तो आपके लिए ये बेहद अनिवार्य हो जाएगा कि आपकी जेब में आधार कार्ड हो और उसमें मुस्कुराती हुई आपकी फोटो हो. जी हां बिल्कुल सही सुन रहे हैं आप. अब आप मोदी जी से तभी लिंक हो पाएंगे जब आपके पास आधार कार्ड हो. या दूसरे शब्दों में कहें तो मोदी वो पहले प्रधानमंत्री हैं जिन्हें सुनने के लिए आधार कार्ड लगेगा.
हो सकता है आप उपरोक्त लिखी बातों को पढ़कर थोड़ा कन्फ्यूज हो गए हो और सोच रहे हों कि आखिर माजरा क्या है? तो आपको बता दें कि पटना विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर और शोध छात्र जो भी प्रधानमंत्री मोदी के प्रोग्राम में अपनी उपस्थिति दर्ज कराना चाहते हैं उनके लिए आधार कार्ड अनिवार्य कर दिया गया है. आपको बताते चलें कि यह कदम इंदिरा गांधी इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल...
अब तक आपके पास तमाम तरह की फोन कॉल्स और मेल आ गए होंगे जिनमें आपको बताया गया होगा कि आपको अपने बैंक अकाउंट, मोबाइल नंबर, पैन कार्ड, एलपीजी कनेक्शन कार्ड, राशन कार्ड और वोटर आई डी कार्ड को अपने आधार कार्ड से लिंक करना है. इस खबर के बाद हममें से बहुत लोग खुश हुए और साथ ही बहुत से लोग नाराज भी हुए. जो खुश थे उनका तर्क था कि इससे सारी जानकारी एक ही प्लेटफोर्म पर आ जाएंगी और जो नाराज थे उन्होंने कहा कि हर चीज में आधार लिंक कर सरकार उनके पर्सनल स्पेस में जबरन घुसने का प्रयास कर रही है.
अब आधार ही जीवन का आधार है या फिर ये अपने में एक अनबुझी पहेली और पूर्णतः निराधार है ये हम नहीं कह सकते. लेकिन व्यक्ति अगर अपने को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नजदीक मानता है या फिर वो उनसे गहराई से जुड़ा है तो ये खबर उसे जरूर प्रभावित करेगी. बात कुछ यूं है कि अब भविष्य में यदि आपको पीएम मोदी का भाषण सुनना है या फिर आप उसे सुनने जा रहे हैं तो आपके लिए ये बेहद अनिवार्य हो जाएगा कि आपकी जेब में आधार कार्ड हो और उसमें मुस्कुराती हुई आपकी फोटो हो. जी हां बिल्कुल सही सुन रहे हैं आप. अब आप मोदी जी से तभी लिंक हो पाएंगे जब आपके पास आधार कार्ड हो. या दूसरे शब्दों में कहें तो मोदी वो पहले प्रधानमंत्री हैं जिन्हें सुनने के लिए आधार कार्ड लगेगा.
हो सकता है आप उपरोक्त लिखी बातों को पढ़कर थोड़ा कन्फ्यूज हो गए हो और सोच रहे हों कि आखिर माजरा क्या है? तो आपको बता दें कि पटना विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर और शोध छात्र जो भी प्रधानमंत्री मोदी के प्रोग्राम में अपनी उपस्थिति दर्ज कराना चाहते हैं उनके लिए आधार कार्ड अनिवार्य कर दिया गया है. आपको बताते चलें कि यह कदम इंदिरा गांधी इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस द्वारा मरीजों की भर्जी में आधार कार्ड को जरुरी करने के बाद उठाया गया है. बताया जा रहा है कि पटना विश्वविद्यालय में शताब्दी वर्ष समारोह का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी कार्यक्रम का शुभारम्भ करेंगे.
इस खबर को सुनने के बाद शायद पीएम को पसंद करने वाला व्यक्ति बिना किसी संकोच के ये कह दे कि प्रधानमंत्री से जुड़ी हर चीज में एक स्टाइल है और शायद उनका ऑरा और पर्सनालिटी ही ऐसा है जिसके चलते उनको एक झलक देखने और कुछ मिनट सुनने के लिए लोग आधार कार्ड हाथ में लिए लाइन में लगे- लगे पसीना बहा रहे हैं. वही इस खबर पर पीएम के अलोचक भी अपनी तरफ से इस घटनाक्रम की आलोचना करने से नहीं थकेंगे.
अंत में इतना ही कि जिस तरह लोग पीएम और उनकी कही बातों का समर्थन कर रहे हैं. उनको देखने या सुनने के लिए बेकरार हो जाते हैं उससे एक बात तो साफ है कि इस देश के लोगों को अपने प्रधानमंत्री से ढेर सारी उम्मीदें हैं और ऐसी खबरें अपने आप ये बता देती हैं कि लोग अपने प्रधानमंत्री में एक ऐसे व्यक्ति की झलक देखते हैं जो भारत को बेहतर कर सकता है और उसे विकासशील से विकसित बना सकता है.
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