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पार्ट 1: अपने शहर की सर्दी और गर्मी भूल जाएंगे इन जगहों के बारे में जानकर !

    • आईचौक
    • Updated: 11 जनवरी, 2019 01:58 PM
  • 28 सितम्बर, 2017 02:50 PM
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दुनिया की सबसे गर्म और सबसे ठंडी जगह के बारे में क्या जानते हैं आप? इन जगहों के बारे में जानेंगे तो अपने शहर का बिगड़ा हुआ मौसम भी खुशनुमा लगने लगेगा!

आपके शहर में कौन सा मौसम सबसे सुहाना होता है? सर्दी, गर्मी, बरसात या बसंत? चाहें कोई भी हो अधिकतर लोगों को सर्दी या गर्मी सबसे बुरा मौसम लगता है. भारत में किसी भी शहर में इतनी सर्दी या गर्मी नहीं होती कि वहां जीना ही मुश्किल हो जाए. क्या कभी सोचा है कि दुनिया की सबसे गर्म या सबसे सर्द जगह पर लोग कैसे रहते हैं?

1. दुनिया की सबसे गर्म जगह...

दुनिया की सबसे गर्म जगह है इथोपिया में. इस अफ्रीकी देश में दल्लोल (Dallol) नाम का एक शहर है. इससे कोई मतलब नहीं कि आपके शहर में ज्यादा गर्मी होती है या नहीं. दल्लोल से दुनिया का हर दूसरा शहर ठंडा ही होगा.

नमक की खुदाई करता एक मजदूर

यहां पानी सोने से भी ज्यादा महंगा है और लोग सिर्फ नमक के भरोसे जीते हैं. यहां का औसत तापमान 34.5 डिग्री होता है जो दुनिया के किसी भी देश, किसी भी शहर के तापमान से ज्यादा है. यहां पानी की एक बूंद भी नहीं है.

यहां की जमीन पर कई तरह के रंग दिखते हैं

यहां एक ज्वालामुखी भी है जो दुनिया में सबसे निचले स्तर पर मौजूद ज्वालामुखी है. यहां के कुछ हिस्सों में जाने की इजाजत ही नहीं है.

यहां गर्म पानी के स्त्रोत हैं जिनमें कई तरह के कैमिकल होते हैं. इनके कारण ही ये जगह दिखने में इतनी अद्भुत दिखती है जैसे पृथ्वी की हो ही न. पर इन कैमिकल के कारण यहां जमीन से ऐसी बदबू आती है जैसे सड़े हुए अंडे से आती है. यहां कोई भी अनाज नहीं उगाया जा सकता. ऐसे जीव मिलते हैं जिनके बारे में सोचा नहीं जा सकता. यहां जो लोग भी सफर पर आते हैं उन्हें अपने साथ भरपूर...

आपके शहर में कौन सा मौसम सबसे सुहाना होता है? सर्दी, गर्मी, बरसात या बसंत? चाहें कोई भी हो अधिकतर लोगों को सर्दी या गर्मी सबसे बुरा मौसम लगता है. भारत में किसी भी शहर में इतनी सर्दी या गर्मी नहीं होती कि वहां जीना ही मुश्किल हो जाए. क्या कभी सोचा है कि दुनिया की सबसे गर्म या सबसे सर्द जगह पर लोग कैसे रहते हैं?

1. दुनिया की सबसे गर्म जगह...

दुनिया की सबसे गर्म जगह है इथोपिया में. इस अफ्रीकी देश में दल्लोल (Dallol) नाम का एक शहर है. इससे कोई मतलब नहीं कि आपके शहर में ज्यादा गर्मी होती है या नहीं. दल्लोल से दुनिया का हर दूसरा शहर ठंडा ही होगा.

नमक की खुदाई करता एक मजदूर

यहां पानी सोने से भी ज्यादा महंगा है और लोग सिर्फ नमक के भरोसे जीते हैं. यहां का औसत तापमान 34.5 डिग्री होता है जो दुनिया के किसी भी देश, किसी भी शहर के तापमान से ज्यादा है. यहां पानी की एक बूंद भी नहीं है.

यहां की जमीन पर कई तरह के रंग दिखते हैं

यहां एक ज्वालामुखी भी है जो दुनिया में सबसे निचले स्तर पर मौजूद ज्वालामुखी है. यहां के कुछ हिस्सों में जाने की इजाजत ही नहीं है.

यहां गर्म पानी के स्त्रोत हैं जिनमें कई तरह के कैमिकल होते हैं. इनके कारण ही ये जगह दिखने में इतनी अद्भुत दिखती है जैसे पृथ्वी की हो ही न. पर इन कैमिकल के कारण यहां जमीन से ऐसी बदबू आती है जैसे सड़े हुए अंडे से आती है. यहां कोई भी अनाज नहीं उगाया जा सकता. ऐसे जीव मिलते हैं जिनके बारे में सोचा नहीं जा सकता. यहां जो लोग भी सफर पर आते हैं उन्हें अपने साथ भरपूर पानी और गार्ड्स लाने होते हैं क्योंकि बहुत आसानी से कोई यहां मर सकता है. बिना पानी के बहुत समय नहीं निकाला जा सकता.

ऊंठ पर नमक की सिल्लियां लादी जाती हैं. यहां के लोग नमक बेचकर ही अपनी जिंदगी जीते हैं.

यहां जो पानी दिखता है वो बहुत जहरीला होता है और उसे इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. यहां लोग सिर्फ नमक का व्यापार ही करते हैं. यहां पर 1.3 मिलियन टन नमक हर साल खोदा जाता है. इन्हें ऊंठ पर रखकर ले जाते हैं और नमक खोदने के लिए ज्यादा खुदाई नहीं करनी पड़ती. यहां जाने के लिए सिर्फ ऊंठ ही सहारा है.

बीराहिल नाम के एक छोटे से गांव में ले जाया जाता है. यहां पर दुकानदार नमक लेकर पैसे देते हैं और यहीं से नमक बाकी जगहों पर भेजा जाता है. यहां 19वीं सदी में कॉलोनी बसाने के बारे में सोचा गया था और नमक खोदने का काम होता था, लेकिन यहां कोई बस न सका और अब बस व्यापारी और नमक निकालने वाले मजदूर ही यहां आते हैं. इथोपिया के नमक की पूरी खपत यहीं से पूरी की जाती है.

2. दुनिया की सबसे ठंडी जगह...

जब फोटोग्राफर एमोस चैपल (AMos Chapple) के द्वारा खींची गई तस्वीरें सामने आईं तब दुनिया की सबसे ठंडी जगह और उसके जीवन के बारे में लोगों को अलग ही रंग दिखे. रशिया का एक सुदूर छोटा का गांव ओमायकॉन (Oymyakon) इतना ठंडा है कि वहां गर्म पानी को हवा में उछालो तो वो बर्फ बन जाता है.

यहां लोगों के घरों में बाथरूम नहीं होते. क्योंकि पानी का पाइप में पानी जम जाएगा. बाथरूम जाने के लिए लोगों को घर के बाहर जाना होता है. वहां लोग अपनी गाड़ियों के इंजन बंद नहीं कर सकते. अगर बंद करेंगे तो गाड़ी दोबारा स्टार्ट ही नहीं होगी. इसलिए उसे 24 घंटे ऑन ही रखा जाता है. किसी को दफनाने के लिए यहां जमीन को कई दिन तक गर्म करना पड़ता है ताकि बर्फ पिछले और दफनाने के लिए गड्ढा बनाया जा सके.

यहां का आम नजारा कुछ इस तरह का होता है.

इस जगह का न्यूनतम तापमान -72 डिग्री सेल्सियस गया है. ऐसी ठंड जहां सांसें भी जम जाएं. यहां स्कूल -50 डिग्री सेल्सियस पर बंद कर दिए जाते हैं. जगह-जगह थर्मामीटर लगाए गए हैं. यहां लोगों को सिर्फ घर से बाहर टॉयलेट जाने के लिए भी किसी जंग पर जाने जैसी तैयारी करनी होती है. सर्दियों के दौरान यहां प्लेन लैंड ही नहीं कर सकते हैं और नजदीकी शहर याकुत्सक से कार के जरिए यहां पहुंचने के लिए दो दिन लग जाते हैं.

ये शबर आर्कटिक सर्कल से बहुत पास है. सर्दियों के दौरान औसत तापमान -56 डिग्री सेल्सियस होता है. सर्दियों के दौर में 21 घंटे अंधेरा ही रहता है. यहां कोई अनाज नहीं उगाया जा सकता. लोग खरगोश, रेंडियर, मछलियों पर जिंदा रहते हैं और चाय की जगह वोदका उनका आहार होती है. अगर वोदका नहीं पी तो लोग अपने शरीर को गर्म नहीं रख पाएंगे.

इस तस्वीर को खींचते समय एमोस चैपल का अंगूठ लगभग जम गया था.

फोटोग्राफर एमोस चैपल को फोटोज खींचने में भी काफी समस्या हुई. कैमरा अधिकतर समय जम जाता था और कई दिनों तक उन्हें कोई फोटो ही नहीं मिली. फोटो खींचते समय चैपल को अपनी सांस रोकनी होती थी क्योंकि अगर वो ऐसा नहीं करते तो उनकी सांस सिगार के धुएं की तरह बाहर आती और इससे फोटो खराब हो जाती.

इस शहर का ऊंचा शॉट लेने के लिए चैपल एक बिल्डिंग पर चढ़ गए. वहां से भी उन्हें ठीक शॉट नहीं मिला तो अपने हाथ का दस्ताना उतार कर कैमरा ऊपर कर शॉट लेने लगे, लेकिन ये भी ज्यादा नहीं ले पाए. कारण? उनका अंगूठा जम गया. जब तक वो अपने गेस्ट हाउस पहुंचे तब तक अंगूठे की हालत काफी खराब हो गई थी और 2 हफ्तों तक उनके अंगूठे से चमड़ी निकलती रही.

यहां फ्रोजन जानवर मिलते हैं

इस शहर में मरे हुए जानवर भी जम जाते हैं और उन्हें पकाने से पहले पिघलाना होता है. खाना-पीना, जीना यहां इतना मुश्किल है कि यहां आने वाले लोगों को पहले 1 महीने की ट्रेनिंग भी दी जाती है. खास तौर पर उन लोगों को जो ठंडी जगहों से नहीं आए हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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