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अजमेर में भिखारी की पिटाई, लेकिन 'लिंचिंग' का विरोध कांग्रेस-भाजपा देखकर ही होता है!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 29 अगस्त, 2021 02:43 PM
  • 29 अगस्त, 2021 02:43 PM
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मध्य प्रदेश के इंदौर में चूड़ी वाले की पिटाई से 'आहत' सेकुलर अजमेर में भिखारी की पिटाई पर चुप है. मामले को ठीक ठाक समय बीत गया है कहीं हैश टैग नहीं। कोई मोमबत्ती जुलूस या पोस्टर वॉर नहीं... तो क्या ये मान लिया जाए 'लिंचिंग के मद्देनजर विरोध कांग्रेस भाजपा देखकर ही होता है.

वाह दद्दा और सहमत जिज्जी वाले इस सोशल मीडिया के कमोड काल में आधी से ज्यादा चीजें फेसबुक पर लाइक, कमेंट, शेयर, फॉलोवर पाने के लिए होती हैं. वहीं इसके बाद जो आधी बचती हैं उनमें ट्वीट, रिट्वीट वाला खेल बदस्तूर चलता है और यही खेल मजबूर करता है लिंचिंग के लिए, लिंचिंग वाले वीडियो वायरल करने के लिए. अब जब इतनी बात हो चुकी है तो इंदौर में चूड़ीवाले के साथ हुई वारदात को क्यों भूला जाए. मामले में पिटने वाला मुसलमान था पीटने वाले हिंदू. घटना की वजह थी चूड़ीवाले का महिलाओं के साथ छेड़छाड़ करना और अपने पास एक से अधिक आधार कार्ड रखना ( ये आधार कार्ड वाली बात सोशल मीडिया पर जंगल की आग की तरह फैलाई जा रही है) मामले के तहत एजेंडा बाजों का एजेंडा तैयार है. घटना को बीते भले ही ठीक ठाक वक़्त गुजर चुका है लेकिन पूछा यही जा रहा है कि कहां हैं सूबे के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह. वो सामने आएं और जवाब दें. सही बात है. चूंकि ये घटना मध्य प्रदेश में हुई है तो चाहे गरीब मुस्लिम चूड़ीवाला हो या फिर कोई हिंदू मोची, बढ़ई और नाई जवाब तो उनको भी देना पड़ेगा और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी.

इंदौर अजमेर मामले पर लोगों की सिलेक्टिव चुप्पी कहीं ज्यादा आहत करती है

बात मध्य प्रदेश के मामले की चल रही है हम मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ साथ राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से भी जवाब तलब कर रहे हैं. जनता का सवाल करना और फिक्र दोनों ही लाजमी है. असल में मध्य प्रदेश की ही तरह राजस्थान के अजमेर में भी एक मुस्लिम भिखारी की पिटाई हिंदू वादी संगठन के कार्यकर्ता ने की है.

जैसे हालात हैं और जिस तरह की पॉलिटिक्स देश में है....

वाह दद्दा और सहमत जिज्जी वाले इस सोशल मीडिया के कमोड काल में आधी से ज्यादा चीजें फेसबुक पर लाइक, कमेंट, शेयर, फॉलोवर पाने के लिए होती हैं. वहीं इसके बाद जो आधी बचती हैं उनमें ट्वीट, रिट्वीट वाला खेल बदस्तूर चलता है और यही खेल मजबूर करता है लिंचिंग के लिए, लिंचिंग वाले वीडियो वायरल करने के लिए. अब जब इतनी बात हो चुकी है तो इंदौर में चूड़ीवाले के साथ हुई वारदात को क्यों भूला जाए. मामले में पिटने वाला मुसलमान था पीटने वाले हिंदू. घटना की वजह थी चूड़ीवाले का महिलाओं के साथ छेड़छाड़ करना और अपने पास एक से अधिक आधार कार्ड रखना ( ये आधार कार्ड वाली बात सोशल मीडिया पर जंगल की आग की तरह फैलाई जा रही है) मामले के तहत एजेंडा बाजों का एजेंडा तैयार है. घटना को बीते भले ही ठीक ठाक वक़्त गुजर चुका है लेकिन पूछा यही जा रहा है कि कहां हैं सूबे के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह. वो सामने आएं और जवाब दें. सही बात है. चूंकि ये घटना मध्य प्रदेश में हुई है तो चाहे गरीब मुस्लिम चूड़ीवाला हो या फिर कोई हिंदू मोची, बढ़ई और नाई जवाब तो उनको भी देना पड़ेगा और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी.

इंदौर अजमेर मामले पर लोगों की सिलेक्टिव चुप्पी कहीं ज्यादा आहत करती है

बात मध्य प्रदेश के मामले की चल रही है हम मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ साथ राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से भी जवाब तलब कर रहे हैं. जनता का सवाल करना और फिक्र दोनों ही लाजमी है. असल में मध्य प्रदेश की ही तरह राजस्थान के अजमेर में भी एक मुस्लिम भिखारी की पिटाई हिंदू वादी संगठन के कार्यकर्ता ने की है.

जैसे हालात हैं और जिस तरह की पॉलिटिक्स देश में है. ये कहना हमारे लिए अतिश्योक्ति नहीं है कि मामला बड़ी ही चतुराई के साथ सोशल मीडिया से नौ दो ग्यारह कर दिया गया है. राजस्थान के अजमेर मामले पर लोगों की चुप्पी दुर्भाग्यपूर्ण है.

कुछ अहम सवाल

लिंचिंग हो या फिर किसी गरीब मजलूम की पिटाई क्या उसपर विरोध कांग्रेस भाजपा देखकर होगा?

क्या हैश टैग भाजपा की सरकार देखकर बनेंगे?

क्या यदि मौका ए वारदात कांग्रेस शासित प्रदेश हो तो उसे ट्रेंड नहीं कराया जाएगा?

यदि इन सभी सवालों के जवाब हां में हों तो न केवल ये शर्मनाक है. बल्कि साफ तौर पर ये भी बताता है कि हम बुरी तरह से सलेक्टिव आउटरेज की गिरफ्त में जकड़े हुए हैं और अपनी विचारधारा के चलते एक देश के रूप में भारत पर बदनुमा दाग लगा रहे हैं.

क्या हुआ था राजस्थान के अजमेर में?

इंटरनेट पर चुनिंदा प्रोफाइल्स से एक वीडियो शेयर किया जा रहा है जहां राजस्थान के अजमेर में एक भिखारी को मुसलमान होने के कारण न केवल पीटा गया है बल्कि उसे ये भी हिदायत दी गयी है कि वो पाकिस्तान जाए और वहां पर भीख मांगे. मामला सोशल मीडिया पर आने के बाद अजमेर पुलिस भी हरकत में आई है और उसने 5 लोगों को गिरफ्तार किया है. मामले में दिलचस्प ये कि घटना ने असदुद्दीन ओवैसी जैसे नेताओं को एक बार फिर से नफरत की राजनीति करने और अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने का मौका दे दिया है.

घटना बीते 21 अगस्त की बताई जा रही है.जिसमें अजमेर के रामगंज थाना क्षेत्र में कुछ लोगों ने एक भिखारी के साथ बदसलूकी की है. इंटरनेट पर जो वीडियो वायरल हुआ है उसे देखें और उसका अवलोकन करें तो मिलता है कि कुछ लोग एक भिखारी को पीटते नजर आ रहे हैं. भिखारी के साथ बच्चे भी है जिनके साथ भी मारपीट हुई है.

भिखारी क्यों पिटे इसका कारण बस इतना था कि ये सभी मुस्लिम थे जो हिंदू आबादी के बीच 'अल्लाह' का नाम लेकर भीख मांग रहे थे. वायरल वीडियो में एक व्यक्ति ये कहते हुए साफ सुनाई देता है कि जा तू पाकिस्तान चला जा. वहां मिलेगी भीख वहां भीख. घटना का वीडियो वायरल होने के बाद अजमेर पुलिस जागी और उसने 5 लोगों को गिरफ्तार किया है.

रामगंज थाने के अधिकारियों की मानें तो मामले में पीड़ित परिवार की तलाश की गई है लेकिन परिवार की पहचान नहीं हो सकी है. पुलिस ने मामले का स्वतः संज्ञान लिया और मारपीट करने वाले ललित शर्मा समेत 5 लोगों पर धारा 151 के तहत केस रजिस्टर किया है.

जैसा कि हम बता चुके है सोशल मीडिया चाहे वो फेसबुक और ट्विटर हों या फिर इंस्टाग्राम हर जगह एजेंडा चल रहा है और अपनी सुचिता सुविधा के मद्देनजर चल रहा है. यदि पुलिस द्वारा एक्शन लिए जाने के बावजूद मध्य प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की आलोचना हो रही है तो ऐसी ही आलोचना राजस्थान सरकार और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की भी होनी चाहिए.

बात सीधी और साफ है. दिक्कत चुप्पी में नहीं बल्कि सिलेक्टिव चुप्पी में है. वो तमाम लोग जो भाजपा शासित मधय प्रदेश में मुस्लिम चूड़ी वाले की पिटाई से आहत थे और बार बार इसी बात की दुहाई दे रहे थे कि भाजपा के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इतने संगीन मसलों पर चुप्पी साधे  बैठे हैं अगर वो लोग आज अजमेर पर चुप हैं या फिर कांग्रेस शासित प्रदेश होने के कारण उन्होंने राजस्थान और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अपनी लिस्ट से बाहर कर दिया है तो फिर साफ़ है कि एक पार्टी के खिलाफ एजेंडा चलाया जा रहा है. 

चाहे वो मध्य प्रदेश का इंदौर हो या फिर राजस्थान का अजमेर हम इस बात को जरूर स्पष्ट करना चाहेंगे कि लिंचिंग कहीं भी हो दोषियों को किसी सूरत में बख्शा नहीं जाना चाहिए. साथ ही यदि हम एक प्रदेश की सरकार को गलत कह रहे हैं तो हमें उतनी ही शिद्दत से दूसरी सरकार को भी गलत कहना चाहिए और उसकी निंदा करनी चाहिए। 

चाहे वो अशोक गहलोत हों या फिर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हमें इस बात को भी समझना होगा कि किसी की जान और सम्मान एक मुख्यमंत्री जितनी ही जरूरी है और चूड़ीवाले से लेकर भिखारी तक सबको इंसाफ पाने का हक़ है. हम फिर इस बात को दोहराना चाहेंगे कि समस्या चुप रहने में नहीं है बल्कि समस्या की असली वजह सिलेक्टिव होकर विरोध करने में है. इंसानियत का तकाजा यही है कि लिंचिंग जैसे मामलों को हमें कांग्रेस भाजपा से दूर रखना चाहिए और ऐसे मामलों की निंदा एक सामान करनी चाहिए.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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