शोषण के बारे में क्या कहेंगे आप? महिलाएं बहुत कमजोर होती हैं, पुरुष उनपर अत्याचार करते हैं, उनका फायदा उठाते हैं और तरह-तरह की बातें. इसपर कुछ फेमिनिस्ट ये भी कहेंगी कि महिलाएं कमजोर नहीं होतीं और पुरुषों का जवाब दे सकती हैं वगैरह-वगैरह. मैं एक लड़की हूं और लड़कियों पर होने वाले अत्याचार, शोषण और प्रताड़ना को अच्छी तरह समझती हूं, लेकिन क्या ये सिर्फ लड़कियों के साथ ही होता है? इस बात पर मैं ये कहूंगी कि नहीं. अगर कोई ये कहे कि ज्यादातर ये लड़कियों के साथ होता है तो भी मेरा जवाब होगा नहीं. हां, महिलाओं और बच्चों के खिलाफ जुर्म ज्यादा होते हैं और इस बात पर कोई शक नहीं किया जा सकता, लेकिन पुरुषों के साथ भी शोषण होता है और उन्हें भी शायद उतना ही प्रताड़ित किया जाता है जितना महिलाओं को.
मर्द को दर्द नहीं होता, लड़के रोते नहीं... ये सभी हम बचपन से सुनते आ रहे हैं और ये झूठी मर्दानगी दिखाने के कारण ही शायद पुरुषों के शोषण को हंसी में उड़ा दिया जाता है. भले ही औरतें उनपर हाथ नहीं उठातीं उन्हें मारती नहीं है, लेकिन मानसिक तौर पर प्रताड़ना तो पुरुष और महिलाओं दोनों को दी जा सकती है न. ट्विटर पर ऐसे दो हैशटैग वायरल हो रहे हैं जिसमें पुरुष और महिलाओं ने अपने-अपने हैरेस्मेंट की कहानियां बताई हैं. #MaybeSheDoesntHitYou और #MaybeheDoesntHitYou वो हैशटैग हैं जो ये बताते हैं कि शोषण सिर्फ शारीरिक ही नहीं होता.
ऐसे न जाने कितने ही उदाहरण और कितनी ही कहानियां हैं जो पुरुषों ने लिखीं हैं और ये बताती हैं कि कई बार रिश्तों में वो भी कितने प्रताड़ित होते हैं.
ऐसा ही एक हैशटैग महिलाओं के लिए भी चल रहा है #maybehedoesnthityou. जी हां, ट्विटर पर कुछ दिन पहले ये हैशटैग भी वायरल हो रहा था. इस हैशटैग के साथ महिलाएं अपनी समस्याएं और शोषण की कहानियां शेयर कर रही थीं.
ये हैशटैग्स और ट्वीट्स काफी जरूरी हैं. एक बार सोचिए, समझिए और फिर फैसला कीजिए कि आखिर शोषण और प्रताड़ना सिर्फ शारीरिक होती है क्या? किसी रिश्ते में लगातार अगर कोई एक दूसरे की बुराई कर रहा है, उसके काम को लेकर ताने मार रहा है, उसे दूसरों के सामने नीचा दिखा रहा है, उसे ये अहसास करा रहा है कि वो तो जरूरी है ही नहीं, उसके अपनों से उसे दूर कर रहा है तो वो भी एक तरह का शोषण ही होता है. ये इस बात पर निर्भर नहीं करता कि कोई स्त्री है या पुरुष. शोषण दोनों का ही हो सकता है. सोचने वाली बात ये है कि लोगों को मानसिक प्रताड़ना बड़ी नहीं लगती, ऐसा लगता है कि ये तो बस प्यार का एक तरीका है, पर ये प्यार कब नासूर बन जाता है वो समझ ही नहीं आता.
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