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क्या इनके कपड़े ही अत्याचार के लिए जिम्मेदार थे?

    • ऑनलाइन एडिक्ट
    • Updated: 21 जनवरी, 2017 02:03 PM
  • 21 जनवरी, 2017 02:03 PM
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ठंड के मौसम में सिर से पांव तक ढके होने के बाद भी जो अनुभव हुआ उससे 6 डिग्री टेम्प्रेचर में भी पसीने आ गए. महिलाओं की ऐसी ही अग्नीपरीक्षा को सामने ला रही है ये फोटो सीरीज.

हाल ही की एक घटना है जब रात 9 बजे करीब मैं और मेरी रूममेट मेट्रो से उतरकर घर की ओर जा रहे थे. पैदल नहीं रिक्शे में. ठंड के कारण जीन्स, स्वेटर, जैकेट, मोजे और मफलर सब था. बालों में कैप भी थी. अचानक लगा कि रिक्शे के पीछे एक गाड़ी चल रही है. एक बार वो गाड़ी आगे जाकर यू-टर्न लेकर वापस आई. पीछा करने लगी और चक्कर काटने लगी. मैंने अपने बैग से स्टन गन निकाल कर हाथ में रख ली. एक अंजाना डर माथे पर 6 डिग्री टेम्प्रेचर के बाद भी पसीने की तरह सामने आ गया. ऐसा लगा मानो बस अब हिम्मत नहीं हारनी है वर्ना कुछ गलत हो जाएगा. रिक्शे वाले को जल्दी चलाने को कहा तो उसने गाड़ी को पलट कर देखा. तेज म्यूजिक चल रहा था. गाड़ी में चार लड़के हमारी ओर शराब की बॉटल लेकर इशारा कर रहे थे. सोसाइटी तक पहुंचने पर गार्ड को शिकायत की ओर दूर से देखा तो गाड़ी में मौजूद लोग अभी भी घूर रहे थे. सुरक्षित घर पहुंचकर भगवान को धन्यवाद दिया. स्टनगन बैग में रखते हुए सोचा कि भगवान इसे इस्तेमाल करने की नौबत कभी ना आए और थोड़ी देर तक सदमे में रहने के बाद हम अपने काम में लग गए.

ये भी पढ़ें- ये भारत है, यहां नहीं चलता 'No Means No'

तो क्या हमारे कपड़ों की वजह से हमारा पीछा किया गया? ग्लव्ज से लेकर कैप तक सब ढका हुआ था. हां चेहरा जरूर दिख रहा था. एक बार सोचती हूं कि अगर हम पैदल होते तो? अगर साथ में स्टनगन ना होती तो? अगर गाड़ी में खींच लिया जाता तो? इन सब सवालों के जवाब नहीं दिए जा सकते. बस डर महसूस होता है. आए दिन अपने पीजी की किसी लड़की के साथ हुई किसी हरकत पर गुस्सा आता है. तो कभी अफसोस होता है. दिन पर दिन और मजबूत होते जा रहे हैं हम, लेकिन सवाल अभी भी वही, क्या कपड़े जिम्मेदार हैं?

रात सोते-सोते एक फेसबुक पोस्ट पर नजर पड़ी.

हाल ही की एक घटना है जब रात 9 बजे करीब मैं और मेरी रूममेट मेट्रो से उतरकर घर की ओर जा रहे थे. पैदल नहीं रिक्शे में. ठंड के कारण जीन्स, स्वेटर, जैकेट, मोजे और मफलर सब था. बालों में कैप भी थी. अचानक लगा कि रिक्शे के पीछे एक गाड़ी चल रही है. एक बार वो गाड़ी आगे जाकर यू-टर्न लेकर वापस आई. पीछा करने लगी और चक्कर काटने लगी. मैंने अपने बैग से स्टन गन निकाल कर हाथ में रख ली. एक अंजाना डर माथे पर 6 डिग्री टेम्प्रेचर के बाद भी पसीने की तरह सामने आ गया. ऐसा लगा मानो बस अब हिम्मत नहीं हारनी है वर्ना कुछ गलत हो जाएगा. रिक्शे वाले को जल्दी चलाने को कहा तो उसने गाड़ी को पलट कर देखा. तेज म्यूजिक चल रहा था. गाड़ी में चार लड़के हमारी ओर शराब की बॉटल लेकर इशारा कर रहे थे. सोसाइटी तक पहुंचने पर गार्ड को शिकायत की ओर दूर से देखा तो गाड़ी में मौजूद लोग अभी भी घूर रहे थे. सुरक्षित घर पहुंचकर भगवान को धन्यवाद दिया. स्टनगन बैग में रखते हुए सोचा कि भगवान इसे इस्तेमाल करने की नौबत कभी ना आए और थोड़ी देर तक सदमे में रहने के बाद हम अपने काम में लग गए.

ये भी पढ़ें- ये भारत है, यहां नहीं चलता 'No Means No'

तो क्या हमारे कपड़ों की वजह से हमारा पीछा किया गया? ग्लव्ज से लेकर कैप तक सब ढका हुआ था. हां चेहरा जरूर दिख रहा था. एक बार सोचती हूं कि अगर हम पैदल होते तो? अगर साथ में स्टनगन ना होती तो? अगर गाड़ी में खींच लिया जाता तो? इन सब सवालों के जवाब नहीं दिए जा सकते. बस डर महसूस होता है. आए दिन अपने पीजी की किसी लड़की के साथ हुई किसी हरकत पर गुस्सा आता है. तो कभी अफसोस होता है. दिन पर दिन और मजबूत होते जा रहे हैं हम, लेकिन सवाल अभी भी वही, क्या कपड़े जिम्मेदार हैं?

रात सोते-सोते एक फेसबुक पोस्ट पर नजर पड़ी. AIE Services के पेज पर एक कैम्पेन था. एक फोटो सीरीज जो यही सवाल कर रही थी. भारत में औरतों के लिए सुरक्षित माने जाने वाले मुंबई शहर की घटनाएं थीं. इन फोटोज को देखिए और सोचिए क्या वाकई कपड़े जिम्मेदार होते हैं?

1.उम्र- 25 साल

जगह- सोबो क्लब

क्या कपड़े पहने थे- जीन्स और टॉप पहना था

 क्या कपड़े जिम्मेदार थे?

4 नेवी वालों ने मिलकर महिला के साथ अभद्र व्यवहार किया. ऐसा तब हुआ जब वो अपने पति और दो दोस्तों के साथ हाथापाई भी की. जब महिला अपने पति के साथ घर जाने के लिए बाहर निकली तब भी उनका पीछा किया गया और कमेंट्स भी किए.

2. उम्र- 18 साल

जगह- BEST बस

क्या कपड़े पहने थे- ड्रेस

 क्या कपड़े जिम्मेदार थे?

एक भरी बस में लड़की के साथ छेड़छाड़ होती है. ना ही कोई पैसेंजर और ना ही कंडक्टर या ड्राइवर उसकी मदद के लिए आए. बस दो स्टॉप बाद जाकर रुकी और फिर भी छेड़छाड़ करने वाला भाग गया.

3.  उम्र- 15 साल

जगह- मरीन ड्राइव

क्या कपड़े पहने थे- लंबा गाउन

 शायद यहां भी कपड़े ही वजह रहे होंगे.

एक पुलिस वाले ने ही 15 साल की लड़की के साथ बलात्कार किया. जो हमारी रक्षा के लिए हैं वही इस तरह का काम कर सकते हैं तो किसी और से क्या उम्मीद की जाए.

4. उम्र- 2.5 साल

जगह- विकरोली पार्क

क्या कपड़े पहने थे- फ्रॉक

 शायद फ्रॉक में वो बच्ची सुंदर लग रही होगा.

2.5 साल की बच्ची को सुनसान जगह पर ले जाकर उसके साथ रेप किया गया. क्या बच्ची की फ्रॉक देखकर आरोपी को इन्विटेशन मिला होगा.

5. उम्र- 38 साल

जगह- सीएसटी इंटरनेशनल एयरपोर्ट

क्या कपड़े पहने थे- फॉर्मल ड्रेस

 फॉर्मल ड्रेस भी तो जिम्मेदार हो सकती है

सबसे ज्यादा सिक्योरिटी वाली जगह पर भी महिला के साथ छेड़खानी हुई. एक छोटी सी बहस के कारण महिला को उसके पति के सामने ही छेड़ा गया.

6. उम्र- 25 साल

जगह- बॉलीवुड

क्या कपड़े पहने थे- कैजुअल

 जरूर रणबीर के शर्ट के एक दो बटन खुले होंगे!

रणवीर सिंह ने भी इस बारे में कहा कि उन्हें कास्टिंग काउच का शिकार होना पड़ा था.

7. उम्र- 22 साल

जगह- शक्ति मिल्स

क्या कपड़े पहने थे- फॉर्मल

 य़हां भी पूरा दोष कपड़ों का ही है!

22 साल की फोटोजर्नलिस्ट का गैंगरेप किया गया था. उसके साथी को बेल्ट से बांध दिया गया था और लड़की की तस्वीरें खींचकर उन्हें सोशल मीडिया पर वायरल करने की धमकी भी दी थी. 5 अपराधियों में से दो नाबालिग थे.

8. उम्र- 22 साल

जगह- सेंट्रल लोकल ट्रेन

क्या कपड़े पहने थे- ड्रेस

 लेडीज कोच में भी आप सुरक्षित हों इसकी गारंटी नहीं.

लोकल ट्रेन के लेडीज कोच में लड़की को छेड़ा गया. उसके कपड़े फाड़े गए और परेशान किया गया. रात के 11 बज रहे थे और एक आदमी जबरन लेडीज कोच में घुस आया था. उस समय कोच में लड़की अकेली थी.

ये सभी वाकये मुंबई के हैं. जिसे महिलाओं के लिए सुरक्षित माना जाता है. तो फिर देश के बाकी शहरों के बारे में क्या कहा जाए. अगर सोच नहीं बदली जाएगी तो कपड़े बदलने से भी कुछ नहीं होगा.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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