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सानिया मिर्जा को सीखना चाहिए ट्रोल-कंट्रोल मैनेजमेंट

    • पारुल चंद्रा
    • Updated: 19 फरवरी, 2019 12:12 PM
  • 19 फरवरी, 2019 11:47 AM
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सानिया मिर्जा कहती हैं कि देशभक्ति दिखाने के लिए क्‍या मैं छत पर खड़ी होकर चिल्‍लाउं. तो इसका जवाब ये है कि इसके लिए छत पर खड़े होने की जरूरत नहीं है. जिस सोशल मीडिया पर वे लहंगा दिखा रही थीं, उसी से संवेदना का संदेश दे देतीं, बिना बवाल किए.

अक्सर हमारे सेलिब्रिटी इस बात की शिकायत करते हैं कि उन्हें 'जज' किया जाता है? क्यों बार-बार उन्हें अपनी देशभक्ति साबित करने की ज़रूरत पड़ती है? कई बार इनकी ये शिकायत सही भी लगती है लेकिन परिस्थितियां इस बार कुछ अलग हैं. यहां बात हो रही है भारत की टेनिस स्टार सानिया मिर्जा की. वही सानिया जो देश की बेटी हैं, और उस देश की बहू भी जिसने पुलवामा हमला करके हमारे सैनिकों की जान ली है.

14 फरवरी देर दोपहर पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों के काफिले पर हमला किया गया. और शाम तक ये खबर सारे मीडिया चैनलों पर फ्लैश हो रही थी. पूरा देश स्तब्ध था क्योंकि एक-एक करके शहीद होने वाले सैनिकों की संख्या लगातार बढ़ रही थी. और वक्त के साथ-साथ लोगों का गुस्सा भी. भारत की अगली सुबह मातम से शुरू हुई. पूरा देश जब सैनिकों की शहादत पर आंसू बहा रहा था, तभी सानिया मिर्जा ने सोशल मीडिया पर डिजायनर लहंगे का प्रमोशन कर डाला. उन्होंने एक के बाद एक अपनी तीन तस्वीरें शेयर कीं.

सानिया इंस्टाग्राम पर ये तस्वीरें शेयर करने पर ट्रोल हुईं

हो सकता है कि उन्हें इस त्रासदी के बारे में पता न हो. इसलिए उसी सोशल मीडिया पर मौजूद लाेेेगोंं ने सानिया को याद भी दिलाया कि देश में कहीं आतंकी हमला हुआ है. क्‍या वे उनके बारेे में भी कुछ कहेंगी?  

यानी एक जिम्मेदार नागरिक और देश का प्रतिनिधित्व करने वाली इस खिलाड़ी से सोशल मीडिया के लोग उम्मीद कर रहे थे कि वो पुलवामा पर भी कुछ कहेंगी. जब सानिया ट्रोल हुईं तो उन्हें अहसास हुआ और उन्होंने एक ट्वीट किया.

अक्सर हमारे सेलिब्रिटी इस बात की शिकायत करते हैं कि उन्हें 'जज' किया जाता है? क्यों बार-बार उन्हें अपनी देशभक्ति साबित करने की ज़रूरत पड़ती है? कई बार इनकी ये शिकायत सही भी लगती है लेकिन परिस्थितियां इस बार कुछ अलग हैं. यहां बात हो रही है भारत की टेनिस स्टार सानिया मिर्जा की. वही सानिया जो देश की बेटी हैं, और उस देश की बहू भी जिसने पुलवामा हमला करके हमारे सैनिकों की जान ली है.

14 फरवरी देर दोपहर पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों के काफिले पर हमला किया गया. और शाम तक ये खबर सारे मीडिया चैनलों पर फ्लैश हो रही थी. पूरा देश स्तब्ध था क्योंकि एक-एक करके शहीद होने वाले सैनिकों की संख्या लगातार बढ़ रही थी. और वक्त के साथ-साथ लोगों का गुस्सा भी. भारत की अगली सुबह मातम से शुरू हुई. पूरा देश जब सैनिकों की शहादत पर आंसू बहा रहा था, तभी सानिया मिर्जा ने सोशल मीडिया पर डिजायनर लहंगे का प्रमोशन कर डाला. उन्होंने एक के बाद एक अपनी तीन तस्वीरें शेयर कीं.

सानिया इंस्टाग्राम पर ये तस्वीरें शेयर करने पर ट्रोल हुईं

हो सकता है कि उन्हें इस त्रासदी के बारे में पता न हो. इसलिए उसी सोशल मीडिया पर मौजूद लाेेेगोंं ने सानिया को याद भी दिलाया कि देश में कहीं आतंकी हमला हुआ है. क्‍या वे उनके बारेे में भी कुछ कहेंगी?  

यानी एक जिम्मेदार नागरिक और देश का प्रतिनिधित्व करने वाली इस खिलाड़ी से सोशल मीडिया के लोग उम्मीद कर रहे थे कि वो पुलवामा पर भी कुछ कहेंगी. जब सानिया ट्रोल हुईं तो उन्हें अहसास हुआ और उन्होंने एक ट्वीट किया.

लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी. सानिया को सोशल मीडिया पर बहुत कुछ सुनाया भी जा चुका था. अब तक जो कुछ हुआ उसे इग्नोर किया जा सकता था, क्योंकि विराट कोहली से भी ये भूल हुई थी और उन्होंने ये भूल सुधारी भी. कोहली ने अपने ट्वीट डिलीट किए और पुलवामा के लिए पोस्ट लिखी. लेकिन ट्रोल किए जाने से सानिया इतनी आहत हो गईं. दो दिन बाद उन्होंने 17 फरवरी को एक लंबी चौड़ी पोस्ट और लिख डाली.

इस पोल्ट के जरिए सानिया ने अपना गुस्सा जाहिर किया है

सानिया लिखती हैं-

'यह पोस्ट उन लोगों के लिए है, जो सोचते हैं कि मशहूर हस्तियों के रूप में हमें किसी हमले की निंदा ट्विटर और इंस्टाग्राम पर करनी चाहिए, यह साबित करने के लिए कि हम देशभक्त हैं और हमें देश की परवाह है. क्यों?? क्योंकि हम सेलेब्स हैं.

और आप में से कुछ ऐसे निराश व्यक्ति हैं, जिनके पास अपने गुस्से को निकालने के लिए कोई टारगेट नहीं है तो नफरत फैलाने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं.

मुझे सार्वजनिक रूप से हमले की निंदा करने की जरूरत नहीं है. और न ही इस बात की कि मैं छत पर खड़ी होकर या पूरे सोशल मीडिया पर चिल्ला-चिल्ला कर ये बताने की जरूरत नहीं है कि हम आतंकवाद के खिलाफ हैं.

मैं अपने देश के लिए खेलती हूं, इस देश के लिए पसीना बहाती हूं और इसी तरह मैं अपने देश की सेवा करती हूं और साथ ही अपने CRPF के जवानों और उनके परिवार के साथ खड़ी हूं.

14 फरवरी का दिन भारत के लिए एक काला दिन था और मैं उम्मीद करती हूं कि हमें फिर ऐसा दिन न देखना पड़े. यह दिन कभी नहीं भूला जाएगा. मैं शांति के लिए प्रार्थना करती हूं. गुस्सा तभी तक अच्छा है, जब तक इससे कुछ अच्छा निकलकर आ रहा हो और किसी व्यक्ति को ट्रोल करने से आपको कुछ हासिल नहीं होगा.'

सानिया जब किसी ब्रांड को इनडॉर्स करती हैं तो उसका प्रमोशन सोशल मीडिया पर क्यों करती हैं? इसीलिए न ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग उसे देखें और उस ब्रांड का प्रमोशन हो सके. जिससे चीज बिके और सानिया और ब्रांड दोनों को फायदा हो. लेकिन वही सोशल मीडिया जब शहीदों के लिए दो शब्द लिखने की उम्मीद करता है तो आप हर्ट हो जाती हैं. सानिया कहती हैं कि देशभक्ति दिखाने के लिए क्‍या मैं छत पर खड़ी होकर चिल्‍लाउं. तो इसका जवाब ये है कि इसके लिए छत पर खड़े होने की जरूरत नहीं है. जिस सोशल मीडिया पर वे लहंगा दिखा रही थीं, उसी से संवेदना का संदेश दे देतीं, बिना बवाल किए.  

दरअसल सोशल मीडिया एक बेहद औसत आम आदमी (जिसे आप निराश कहती हैं) का प्रतिनिधित्व करता है जो जितनी जल्दी आप को स्टार बनाता है उतनी ही जल्दी आपसे अपेक्षाएं भी रखने लगता है. वो देश को लेकर भी उतना ही संवेदनशील है जितना कि आप. अब यदि उसे लगता है कि देश के दुख में आप भी शामिल हों, तो इसमे गलत क्या है. आपने भले ही देश के लिए पसीना बहाया हो, लेकिन पुलवामा में सैनिकों ने खून बहाया है.

सानिया की नाराजगी जायज है कि उनकी देशभक्ति पर सवाल नहीं उठाये जाने चाहिए. लेकिन उन्होंने लिखा कि 'आप आतंक की ऐसी घटनाओं के खिलाफ हैं. भारत के लिए ये एक काला दिन था.' लेकिन आश्चर्य होता है ये जानकर कि पाकिस्तान और चीन ने भी आतंकवाद की निंदा इसी तरह की है. चीन ने भी पाकिस्तान का नाम नहीं लिया. जब सानिया के फैन्स ने देश के सैनिकों के लिए सम्मान दिखाने की बात कही तो सानिया ने पाकिस्तान का नाम बिना लिए बड़ी संयमित प्रतिक्रिया दी.

तो सानिया आपके लिए यही दुआ है कि आप खूब तरक़्क़ी करें, भारत का नाम रौशन करें. लेकिन जिन शहीदों के लिए देश आहत है, उनकी भावना से टकराने का कोई मतलब नहीं है. ऐसी ही बात पर विराट कोहली को भी ट्रोल किया गया था, लेकिन उन्‍होंंने खुद पर कंट्रोल रखा. आप भी सीखिए.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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