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क़ुर्बानी के भैंसे का इंटरव्यू... पाकिस्तान में मीडिया खतरे के निशान से दो बिलांग ऊपर है!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 24 जुलाई, 2021 01:24 PM
  • 24 जुलाई, 2021 01:24 PM
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जिस मुल्क में गधे पर बैठकर पत्रकारिता हो चुकी हो और उसे लोग देख चुके हों. वहां अगर वही बंदा बकरीद के लिए आई भैंसों का इंटरव्यू कर दे तो भले ही पल दो पल के लिए हंसी आए मगर जब सीरियस होकर विचार किया जाए तो महसूस यही होगा कि अपने पड़ोसी मुल्क में मीडिया खतरे के निशान से दो बिलांग ऊपर है.

पत्रकारिता को लेकर अंग्रेजी में एक कोट है. कोट कई साल पहले Toomas Hendrik Ilves ने दिया था. Ilves के अनुसार Fake news is cheap to produce. Genuine journalism is expensive. इस कोटेशन को यदि हम अपने पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के संदर्भ में रखकर देखें तो उन्हें Genuine Journalism से यूं भी कोई मतलब नहीं है. फेक न्यूज़ चल रही है. चलती रहनी चाहिए. अरे भइया बात सीधी है. जिस मुल्क में गधे पर बैठकर पत्रकारिता हो चुकी हो और उसे लोग देख चुके हों वहां अगर वही बंदा बकरीद के लिए आई भैंसों का इंटरव्यू कर दे तो भले ही पल दो पल के लिए हंसी आए मगर जब सीरियस होकर विचार किया जाए तो महसूस यही होगा कि अपने पड़ोसी मुल्क में मीडिया खतरे के निशान से दो बिलांग ऊपर है.

पाकिस्तान के नामी पत्रकार ने कुछ इस अंदाज में लिया है भैंसे का इंटरव्यू

दरअसल मैटर ये है कि पाकिस्तान से एक इंटरव्यू का वीडियो जंगल की आग की तरह वायरल हो रहा है. वीडियो में पाकिस्तानी रिपोर्टर अमीन हफीज हैं जिन्होंने अपने अजब गजब अंदाज में भैंसे का अनोखा इंटरव्यू लिया है. वीडियो में पाकिस्तानी रिपोर्टर अमीन हफीज कुर्बानी के लिए लाए गए एक भैंसे के आगे अजीब सी बेवकूफी करते नजर आ रहे हैं.

अमीन भैंसे के पास माइक ले जाकर उसका इंटरव्यू लेते हैं और सवाल पूछते हैं कि 'हांजी आप बताये कि आपको लाहौर में आकर कैसा लगा?', जाहिर सी बात है भैंसा क्या ही जवाब देता. भैंसे को चुप देख रिपोर्टर उसे पुचकारते हुए फिर अपना सवाल दोहराते हैं और पूछते हैं कि, 'लाहौर कैसा लगा आपको? इस पर भैंसा रंभाता है तो रिपोर्टर का दिल बाग बाग हो जाता है. साथ ही उनकी खुशी का ठिकाना...

पत्रकारिता को लेकर अंग्रेजी में एक कोट है. कोट कई साल पहले Toomas Hendrik Ilves ने दिया था. Ilves के अनुसार Fake news is cheap to produce. Genuine journalism is expensive. इस कोटेशन को यदि हम अपने पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के संदर्भ में रखकर देखें तो उन्हें Genuine Journalism से यूं भी कोई मतलब नहीं है. फेक न्यूज़ चल रही है. चलती रहनी चाहिए. अरे भइया बात सीधी है. जिस मुल्क में गधे पर बैठकर पत्रकारिता हो चुकी हो और उसे लोग देख चुके हों वहां अगर वही बंदा बकरीद के लिए आई भैंसों का इंटरव्यू कर दे तो भले ही पल दो पल के लिए हंसी आए मगर जब सीरियस होकर विचार किया जाए तो महसूस यही होगा कि अपने पड़ोसी मुल्क में मीडिया खतरे के निशान से दो बिलांग ऊपर है.

पाकिस्तान के नामी पत्रकार ने कुछ इस अंदाज में लिया है भैंसे का इंटरव्यू

दरअसल मैटर ये है कि पाकिस्तान से एक इंटरव्यू का वीडियो जंगल की आग की तरह वायरल हो रहा है. वीडियो में पाकिस्तानी रिपोर्टर अमीन हफीज हैं जिन्होंने अपने अजब गजब अंदाज में भैंसे का अनोखा इंटरव्यू लिया है. वीडियो में पाकिस्तानी रिपोर्टर अमीन हफीज कुर्बानी के लिए लाए गए एक भैंसे के आगे अजीब सी बेवकूफी करते नजर आ रहे हैं.

अमीन भैंसे के पास माइक ले जाकर उसका इंटरव्यू लेते हैं और सवाल पूछते हैं कि 'हांजी आप बताये कि आपको लाहौर में आकर कैसा लगा?', जाहिर सी बात है भैंसा क्या ही जवाब देता. भैंसे को चुप देख रिपोर्टर उसे पुचकारते हुए फिर अपना सवाल दोहराते हैं और पूछते हैं कि, 'लाहौर कैसा लगा आपको? इस पर भैंसा रंभाता है तो रिपोर्टर का दिल बाग बाग हो जाता है. साथ ही उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहता है वो कहते हैं, 'लाहौर अच्छा लगा, वाह जी वाह!‘

इसके बाद रिपोर्टर हफीज भैंसे से दूसरा सवाल पूछते हैं कि आप बताइए, लाहौर का खाना अच्छा है या आपके गांव का खाना अच्छा है.’ इस बार भैंसा फिर से जवाब नहीं देता, तो रिपोर्टर अमीन एक बार फिर पूछता है बताइये "लाहौर का खाना अच्छा लगा या आपके गांव का खाना अच्छा है ' इस पर भैंसा आवाज निकालता है तो अमीन हफीज फिर खुशी से उछलते हुए कहते हैं, ‘हां कहती है लाहौर का खाना अच्छा है.’

वीडियो की ड्यूरेशन 28 सेकंड है जिसे सबसे पहले अक्सर ही अपने ट्वीट्स के जरिये हुकूमत ए पाकिस्तान की आलोचना करने वाली पाकिस्तानी महिला पत्रकार नायला इनायत ने शेयर किया है. वीडियो पर रिट्वीट्स का तांता लगा है और जिस तरह का ये वीडियो है उसी तरह की अतरंगी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं

.

बताया जा रहा है कि इंटरनेट पर वायरल हो रहे इस वीडियो को पत्रकार अमीन हफीज ने पिछली बकरीद में ये वीडियो बनाया था.वीडियो को खुद पत्रकार अमीन हफीज ने अपने यूट्यूब चैनल पर 14 जुलाई 2020 को अपलोड किया था.

जैसा कि हम बता चुके हैं पाकिस्तान में अनोखी पत्रकारिता कोई आज की नहीं है. पाकिस्तान में बात पत्रकारिता की हो और हम चांद नवाब का जिक्र न करें तो बात अपने आप में अधूरी रह जाती है. आज भी इंटरनेट पर ऐसे तमाम वीडियो मौजूद हैं जिनमें हम चांद नवाब को तूफानी रिपोर्टिंग करते देख चुके हैं.

खैर बात पत्रकार अमीन हफीज के वीडियो की हुई है तो उनकी जानवरों से दोस्ती या जानवरों के नाम पर एक्सक्लूसिव वीडियो बनानाकोई नई बात नहीं है.जैसा कि हमने गधों का जिक्र किया था साथ ही बात अमीन हफीज की हुई थी तो बता दें कि 2018 में अमीन के कारण पाकिस्तान उस वक़्त सुर्खियों में आया था जब उन्होंने गधे के ऊपर बैठकर पीटीसी यानी पीस टू कैमरा किया था.

2018 में पाकिस्तान में गधों की संख्या में जबरदस्त उछाल देखने को मिला था और तब अमीन हफीज के उस वीडियो ने जबरदस्त तहलका मचाया था. तब सोशल मीडिया पर आलोचकों का एक बड़ा वर्ग खुलकर अमीन हफीज की रिपोर्टिंग के विरोध में सामने आया था और उन्होंने उनके अंदाज को पत्रकारिता का भद्दा मजाक बताया था.

तब भी लोगों ने यही सवाल उठाया था कि जिस देश में पत्रकारिता का लेवल ऐसा है उस देश और वहां की हुकूमत का अल्लाह ही मालिक है. चूंकि अमीन हफीज पाकिस्तान में पत्रकारिता का बड़ा चेहरा हैं तो जैसी उनकी रिपोर्टिंग है उससे कहीं न कहीं हम इस बात का भी अंदाजा लगा सकते हैं कि पाकिस्तानी आवाम कैसी है और ख़बरों के लिए उसकी समझ और टेस्ट कैसा है.

बहरहाल बात एक नामी पत्रकार द्वारा क़ुरबानी के भैंसे के इंटरव्यू से शुरू हुई है तो हम भी बस ये कहकर अपने द्वारा कही गयी तमाम बातों को विराम देंगे कि पाकिस्तान के लोग भारतीय मीडिया पर लोड लेना और उसकी आलोचना करना छोड़ दें. उनके मुल्क में जानवरों के इंटरव्यू होते हैं और जहां मीडिया जानवरों से उनका हाल चाल पूछे वहां पर मीडिया खतरे के निशान से दो बिलांग ऊपर है. ये पत्रकारिता सही है या गलत जवाब जनता दे. 

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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