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मोरबी का झूलता पुल, जिसे 'झूला पुल' बना देने की खतरनाक रवायत बन गई थी

    • आईचौक
    • Updated: 01 नवम्बर, 2022 04:10 PM
  • 01 नवम्बर, 2022 04:10 PM
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मोरबी का झूलता पुल तोड़ने (Morbi Bridge Collapse) की 'कोशिश' वर्षों से चल रही थी. मजाक में ही सही लोग वर्षों से हादसे को न्योता देते चले आए हैं. इस पुल पर जाकर इसे हिलाना रिवाज जैसा था. आइए देखते हैं उन सबूतों को जो इंटरनेट पर बिखरे पड़े हैं...

Morbi Bridge Collapse: गुजरात के मोरबी में हुए पुल हादसे में 135 लोग अचानक ही काल के गाल में समा गए. करीब 145 साल पुराना ये पुल सैलानियों के बीच 'झूलतो पुल' के तौर पर जाना जाता था. और, यहां आने वाले लोगों में मोरबी पुल को हिलाकर देखने की रवायत सी बन गई थी. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर ऐसे दर्जनों वीडियो मौजूद हैं. जो इस बात की गवाही देते हैं कि मोरबी पुल हादसे की जिम्मेदारी जरूर रखरखाव करने वाली कंपनी और उससे जुड़े लोगों की थी. लेकिन, मोरबी पुल को झूलता पुल बना देने में लोगों ने भी गैर-जिम्मेदारी की सीमाओं को लांघने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी थी. इन सबके बीच पुलिस ने 9 लोगों को गिरफ्तार किया है. ट्विटर यूजर हॉक आई (@thehawkeyex) ने एक ट्वीट थ्रेड में मोरबी पुल हादसा के बारे में एक विस्तृत जानकारी शेयर की है. जो यूट्यूब पर मौजूद कई पुराने वीडियो पर आधारित है. आइए इन पर एक नजर डालते हैं...

गैर-जिम्मेदारी का बोझ सभी को उठाना होगा. बाकी जिम्मेदारों को सजा तो कानून दे ही देगा.

- 100 से भी ज्यादा पुराने ब्रिटिशकालीन पुल पर बड़ी संख्या में पैच थे. उनमें से कुछ इतने बड़े थे कि उनसे आर-पार नीचे नदी देखी जा सकती थी. कई वीडियो ब्लाॅगर्स ने इसके बारे में साफ तौर से बताते हुए कहा है कि लोगों को चोटिल होने से बचने के लिए इस पर सावधानी से चलना चाहिए. 

- दोनों छोर पर पुल पर बना रास्ता बहुत ही संकरा और ऊंचा-नीचा है. वहां तक पहुंचने के लिए बनी  सीढ़ियां रोमांचक तो लगती हैं, लेकिन भगदड़ जैसी स्थिति को न्‍यौता भी देती  हैं. पुल की चौड़ाई मात्र 4.5 फुट है, जिसकी एक तयशुदा क्षमता है.

- मोरबी पुल पर केयरटेकर की ओर से एक चेतावनी संदेश तो लिखा गया है, लेकिन उसे शायद ही कोई पढ़ता...

Morbi Bridge Collapse: गुजरात के मोरबी में हुए पुल हादसे में 135 लोग अचानक ही काल के गाल में समा गए. करीब 145 साल पुराना ये पुल सैलानियों के बीच 'झूलतो पुल' के तौर पर जाना जाता था. और, यहां आने वाले लोगों में मोरबी पुल को हिलाकर देखने की रवायत सी बन गई थी. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर ऐसे दर्जनों वीडियो मौजूद हैं. जो इस बात की गवाही देते हैं कि मोरबी पुल हादसे की जिम्मेदारी जरूर रखरखाव करने वाली कंपनी और उससे जुड़े लोगों की थी. लेकिन, मोरबी पुल को झूलता पुल बना देने में लोगों ने भी गैर-जिम्मेदारी की सीमाओं को लांघने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी थी. इन सबके बीच पुलिस ने 9 लोगों को गिरफ्तार किया है. ट्विटर यूजर हॉक आई (@thehawkeyex) ने एक ट्वीट थ्रेड में मोरबी पुल हादसा के बारे में एक विस्तृत जानकारी शेयर की है. जो यूट्यूब पर मौजूद कई पुराने वीडियो पर आधारित है. आइए इन पर एक नजर डालते हैं...

गैर-जिम्मेदारी का बोझ सभी को उठाना होगा. बाकी जिम्मेदारों को सजा तो कानून दे ही देगा.

- 100 से भी ज्यादा पुराने ब्रिटिशकालीन पुल पर बड़ी संख्या में पैच थे. उनमें से कुछ इतने बड़े थे कि उनसे आर-पार नीचे नदी देखी जा सकती थी. कई वीडियो ब्लाॅगर्स ने इसके बारे में साफ तौर से बताते हुए कहा है कि लोगों को चोटिल होने से बचने के लिए इस पर सावधानी से चलना चाहिए. 

- दोनों छोर पर पुल पर बना रास्ता बहुत ही संकरा और ऊंचा-नीचा है. वहां तक पहुंचने के लिए बनी  सीढ़ियां रोमांचक तो लगती हैं, लेकिन भगदड़ जैसी स्थिति को न्‍यौता भी देती  हैं. पुल की चौड़ाई मात्र 4.5 फुट है, जिसकी एक तयशुदा क्षमता है.

- मोरबी पुल पर केयरटेकर की ओर से एक चेतावनी संदेश तो लिखा गया है, लेकिन उसे शायद ही कोई पढ़ता होगा. संदेश में पुल को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की चेतावनी दी गई है.

- एक वीडियो ब्लॉगर ने जनवरी, 2022 में एक वीडियो अपलोड करते हुए बताया है कि 'असली मजा' पुल को हिलाने में ही है. और, इसी वजह से मोरबी पुल को झूलता पुल कहा जाता है. अगर आप ऐसे नहीं करते हैं, तो आप इस मजे को खो देंगे.

- जितने पुराने वीडियो देखे जाएं, मिलेगा कि पुल को पूरी ताकत से हिलाने का एक खतरनाक चलन बन गया था. भले ही यह दूसरों को कितना भी डरावना क्यों न लगे.

- क्षमता से ज्यादा भीड़ से भरे पुल का नवंबर, 2021 का एक वीडियो भी है. जो बताने के लिए काफी है कि टिकट खिड़की पर लोगों की संख्या को लेकर कोई सीमा निर्धारित नहीं है.

- जुलाई 2021 के एक वीडियो में ब्लॉगर कह रहा है कि देखिए गाईज, ये पुल कितना हिल रहा है, क्योंकि ये सामने कुछ लोग मस्ती कर रहे हैं.

- एक और ब्लॉगर बताता है कि मोटी मेटल की केबल की वजह से ही पुल लंबे समय से चल रहा है. उस ब्लॉगर ने ये भी दिखाया कि पुल को हिलाने या झुलाने का असली मजा किनारे पर नहीं बल्कि बीच में है.

- एक और ब्लॉगर बताता है कि आप भी यहां कभी आओ, तो इसली मजा इसको हिलाने का ही है.

- इन सभी वीडियो को देखने के बाद आपको पता चलेगा कि ये वीडियो भीड़ से भरे पुल का एक अन्य वीडियो है. जहां पुल को हिलाया जा रहा है और लात मारी जा रही है. एक यूजर ने इसे शेयर किया है. और, लोगों के अजीबोगरीब व्यवहार के बारे में बात की है.

- जिस दिन मोरबी पुल हादसा हुआ, उस समय भी कुछ लोग रेलिंग को पकड़े हुए और वैसा ही करते देखे जा सकते हैं, जो यहां एक परंपरा की तरह बन चुका था.

- मोरबी पुल हादसे में बचने वाले एक शख्स ने बताया कि 20-25 लड़के पुल को जोर-जोर से हिला रहे थे. तभी तेज आवाज हुई. और, तार टूट गए. एक अन्य चश्मदीद ने कहा कि रविवार का दिन था. भीड़भाड़ ज्यादा थी. और, इसे बेकाबू तरीके से पुल हिलाया जा रहा था.

- आखिर में हम इस जरूरी सवाल का जवाब देने के लिए राय बना सकते हैं कि मोरबी पुल हादसे का कौन जिम्मेदार है? हम एक ऐसे देश में रह रहे हैं. जहां पुलिस को सीट बेल्ट न लगाने पर ड्राइवर का चालान करना पड़ता है. भले ही सीट बेल्ट ड्राइवर की अपनी सुरक्षा के लिए ही क्यों न हो. इस मामले में जोखिम की अनदेखी करने के लिए सबसे पहले स्थानीय प्रशासन जिम्मेदार है.

- केयरटेकर भीड़ को कम न करने के उपाय, टिकटों की ओवरसेलिंग, खराब रखरखाव और पुल को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहने के लिए जिम्मेदार है. आखिरी में कुछ अति उत्साही सैलानियों ने अपने दो मिनट के खतरनाक मनोरंजन के लिए अन्य लोगों की जिंदगी को खतरे में डाल दिया.

- बता दें कि मोरबी पुल कोई यूटिलिटी ब्रिज नहीं है, जो वहां रहने वाले स्थानीय लोगों की लाइफलाइन की तरह काम करता हो. जिस पर चलने के लिए जान का खतरा उठाया जाए. हर साल मानसून के दौरान जलप्रपातों वाले पिकनिक स्पॉट, रेलवे ट्रैक्स और अन्य रोमांचक जगहों पर मोरबी की तरह ही बहुत से दुर्भाग्यपूर्ण हादसे होते हैं.

- नागरिकों को अधिकारियों को जवाबदेह ठहराना चाहिए. लोगों के जीवन को सुरक्षित रखना उनका काम है, लेकिन ऐसा करने के लिए जीवित रहना होगा. इसलिए लोगों को भी दूसरों को सुरक्षित रखने की अपनी भूमिका को स्वीकार करना होगा. और, सार्वजनिक स्थानों पर जिम्मेदारी से काम लेना होगा. कोई घर पर हमारा इंतजार कर रहा है, मुआवजे का नहीं.

यहां देखें पूरा ट्विटर थ्रेड 

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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