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भारत में भी होना चाहिए इस तरह का एक्सपेरिमेंट!

    • पारुल चंद्रा
    • Updated: 31 मार्च, 2017 05:09 PM
  • 31 मार्च, 2017 05:09 PM
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मेक्सिको सिटी की मेट्रो में किया गया ये अनोखा एक्पेरिमेंट पुरुषों को शर्मिंदा करने के लिए काफी है. यकीन मानिए मेट्रो में लगी इन सीटों को न देखते बना और न उनपर बैठते बना.

मैक्सिको की सरकार ने महिलाओं पर हो रहे यौन शोषण के प्रति जागरुकता फैलाने के लिए एक बेहद अनोखा कदम उठाया. एक ऐसा कदम जिसकी आप कल्पना नहीं कर सकते. मेट्रो में पुरुषों के लिए एक खास तरह की सीट बनवाई गई हैं जिससे वो उतना ही असहज महसूस कर सकें जितना महिलाएं सफर के दौरान महसूस करती हैं.

मैक्सिको की मेट्रो ट्रेन्स में जब ये नई सीट दिखाई दी तो उसे देखते ही लोगों के मुंह बन गए. इन सीट्स को अनुचित, असुविधाजनक, अपमानजनक और शर्मनाक बताया गया. और यही तो वहां की सरकार चाहती थी.

इन सीट्स को 'पेनिस सीट' कहा जा रहा है. इनका आकार पुरुषों के शरीर जैसा है जिसपर छाती और पेनिस साफ देखा जा सकता है. जाहिर है सामान्य सीटों के साथ लगी इस सीट पर बैठना तो क्या इसे कोई देखना भी पसंद नहीं करेगा. वहां लिखा भी हुआ है कि 'यहां बैठना असुविधाजनक है, लेकिन ये उस यौन शोषण की तुलना में कुछ भी नहीं जो महिलाएं हर रोज झेलती हैं'.

इस तरह की हर सीट केे नीचे लिखा है ये संदेश

गौरतलब है कि इस देश में 65% महिलाएं सफर के दौरान यौन शोषण की शिकार होती हैं. मैक्सिको सिटी में हर 10 में से 9 महिलाएं किसी न किसी तरीके से यौन उत्पीड़न झेलती हैं.

ये सीट पर्मानेंट नहीं बल्कि एक कैंपेन #NoEsDeHombres का हिस्सा हैं, जिसका मकसद पब्लिक ट्रांसपोर्ट में हो रहे यौन शोषण पर लोगों का ध्यान आकर्षित करना है. और इस एक्सपेरिमेंट का मकसद सिर्फ ये था कि हर पुरुष भी वैसा ही महसूस करके देखे, जैसा महिलाएं करती हैं.  

इस एक्सपेरिमेंट का वीडियो इंटरनेट पर वायरल है जिसपर लोगों की...

मैक्सिको की सरकार ने महिलाओं पर हो रहे यौन शोषण के प्रति जागरुकता फैलाने के लिए एक बेहद अनोखा कदम उठाया. एक ऐसा कदम जिसकी आप कल्पना नहीं कर सकते. मेट्रो में पुरुषों के लिए एक खास तरह की सीट बनवाई गई हैं जिससे वो उतना ही असहज महसूस कर सकें जितना महिलाएं सफर के दौरान महसूस करती हैं.

मैक्सिको की मेट्रो ट्रेन्स में जब ये नई सीट दिखाई दी तो उसे देखते ही लोगों के मुंह बन गए. इन सीट्स को अनुचित, असुविधाजनक, अपमानजनक और शर्मनाक बताया गया. और यही तो वहां की सरकार चाहती थी.

इन सीट्स को 'पेनिस सीट' कहा जा रहा है. इनका आकार पुरुषों के शरीर जैसा है जिसपर छाती और पेनिस साफ देखा जा सकता है. जाहिर है सामान्य सीटों के साथ लगी इस सीट पर बैठना तो क्या इसे कोई देखना भी पसंद नहीं करेगा. वहां लिखा भी हुआ है कि 'यहां बैठना असुविधाजनक है, लेकिन ये उस यौन शोषण की तुलना में कुछ भी नहीं जो महिलाएं हर रोज झेलती हैं'.

इस तरह की हर सीट केे नीचे लिखा है ये संदेश

गौरतलब है कि इस देश में 65% महिलाएं सफर के दौरान यौन शोषण की शिकार होती हैं. मैक्सिको सिटी में हर 10 में से 9 महिलाएं किसी न किसी तरीके से यौन उत्पीड़न झेलती हैं.

ये सीट पर्मानेंट नहीं बल्कि एक कैंपेन #NoEsDeHombres का हिस्सा हैं, जिसका मकसद पब्लिक ट्रांसपोर्ट में हो रहे यौन शोषण पर लोगों का ध्यान आकर्षित करना है. और इस एक्सपेरिमेंट का मकसद सिर्फ ये था कि हर पुरुष भी वैसा ही महसूस करके देखे, जैसा महिलाएं करती हैं.  

इस एक्सपेरिमेंट का वीडियो इंटरनेट पर वायरल है जिसपर लोगों की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. कोई इसे सेक्सिस्ट कह रहा है तो कोई पुरुषों के प्रति अन्यायपूर्ण, तो कोई इस अभियान की तारीफ कर रहा है.

देखिए इस सीट को देखकर कैसा महसूस कर रहे हैं यात्री-

और इसी अभियान के तहत एक और एक्सपेरिमेंट 'Pants Experiment'का वीडियो भी वायरल है, जिसमें भी यही संदेश दिया गया है. इसमें प्लैटफॉर्म पर खड़े पुरुषों के शरीर के पिछले हिस्से यानि 'बम' को वहां लगे टीवी सक्रीन्स पर दिखाया गया जिससे उन्हें असहज महसूस हो, ठीक वैसा ही जैसा महिलाओं को होता है.

वास्तव में ऐसे एक्पेरिमेंट्स की जरूरत भारत जैसे देश में तो बेहद जरूरी है. क्योंकि यहां भी हर 5 में से 4 महिलाएं सार्वजनिक जगहों पर यौन शोषण का शिकार होती हैं, जिसमें घूरना, सीटी मारना, पीछे से पकड़ना, फबतियां कसना, अश्लील इशारे करना शामिल हैं. और यहां मेट्रो में महिलाओं को अपने साथ छोटा चाकू रखने की इजाजत देने से ये घटनाएं रुकने नहीं वालीं. लिहाजा इस तरह के प्रयोग स्वागत योग्य हैं. ये दर्द सिर्फ महिलाएं ही महसूस कर सकती हैं, लेकिन ऐसे एक्पेरिमेंट्स हों तो वही दर्द पुरुष भी उसी तीव्रता के साथ महसूस करेंगे. ये एक्पेरिमेंट्स भले ही अजीब, असहज हों लेकिन अपने मकसद में पूरी तरह से सफल होते हैं. क्योंकि शर्मिंदगी उठाना सिर्फ महिलाओं के हिस्से में नहीं होना चाहिए. हर मर्द को एक बार इस दर्द का एहसास जरूर करना चाहिए.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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