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दुनिया के आखिरी बचे गैंडे का 'प्रेम-प्रस्‍ताव' स्‍वीकार होना ही चाहिए !

    • रिम्मी कुमारी
    • Updated: 27 अप्रिल, 2017 04:42 PM
  • 27 अप्रिल, 2017 04:42 PM
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सुडान का प्रोफाइल लाइव होते ही इतने सारे लोगों ने उसके प्रोपोजल को स्वीकार कर लिया कि खुद एजेंसी वाले भी हैरान हैं. और यही नहीं लोगों ने डोनेशन साइट तक को क्रैश करा दिया!

टिंडर पर अगर लगातार किसी को खोजने से बोर हो गए हैं तो एक ऐप खोलकर 'सुडान' को जरुर देख लें. कीनिया में रहने वाला सुडान दुनिया के मोस्ट एलिजिबल बैचलर हैं. 24 घंटे सुरक्षाकर्मियों से घिरे रहने वाला सुडान धरती पर बचा अंतिम सफेद नर गैंडा है. केन्या स्थित ओल पेजेटा कंजरवेंसी के संरक्षणकर्ताओं ने अब इस उप-प्रजाति को बचाने के लिए डेटिंग ऐप टिंडर से हाथ मिलाया है.

बचा लो सुडान को

43 साल के सुडान अंतिम सफेद नर गैंडा है, हालांकि वो अकेले नहीं है. उनके साथ दो मादा राइनो भी हैं और ये अपनी तरह की प्रजाति ही हैं. सुडान का इन दोनों मादा राइनो के साथ संबंध स्थापित नहीं कर पा रहा है जिसके कारण प्राकृतिक रूप से इस उप-प्रजाति की संख्या बढ़ना नामुमकिन हो गया है. लेकिन अब वैज्ञानिक आईवीएफ तकनीक के सहारे इस प्रजाति को बचाने की जुगत में लगे हैं.

देखें वीडियो - आखिर कैसे सफेद गैंडे लुप्तप्राय होने की कगार पर पहुंचे

हालांकि आईवीएफ तकनीक किसी राइनो पर इसके पहले अपनाई नहीं गई है, लेकिन वैज्ञानिक एक बार कोशिश करके देखना चाहते हैं. और इसी के लिए फंड इकट्ठा करने के मकसद से टिंडर अकाउंट बनाया गया है.

वैज्ञानिकों का कहना है कि- 'अगर इंसान के उम्र से सुडान के उम्र की तुलना करें तो संभवत: सुडान लगभग 95 वर्ष का है, और इसलिए वो सामान्य प्रजनन के लिए असमर्थ...

टिंडर पर अगर लगातार किसी को खोजने से बोर हो गए हैं तो एक ऐप खोलकर 'सुडान' को जरुर देख लें. कीनिया में रहने वाला सुडान दुनिया के मोस्ट एलिजिबल बैचलर हैं. 24 घंटे सुरक्षाकर्मियों से घिरे रहने वाला सुडान धरती पर बचा अंतिम सफेद नर गैंडा है. केन्या स्थित ओल पेजेटा कंजरवेंसी के संरक्षणकर्ताओं ने अब इस उप-प्रजाति को बचाने के लिए डेटिंग ऐप टिंडर से हाथ मिलाया है.

बचा लो सुडान को

43 साल के सुडान अंतिम सफेद नर गैंडा है, हालांकि वो अकेले नहीं है. उनके साथ दो मादा राइनो भी हैं और ये अपनी तरह की प्रजाति ही हैं. सुडान का इन दोनों मादा राइनो के साथ संबंध स्थापित नहीं कर पा रहा है जिसके कारण प्राकृतिक रूप से इस उप-प्रजाति की संख्या बढ़ना नामुमकिन हो गया है. लेकिन अब वैज्ञानिक आईवीएफ तकनीक के सहारे इस प्रजाति को बचाने की जुगत में लगे हैं.

देखें वीडियो - आखिर कैसे सफेद गैंडे लुप्तप्राय होने की कगार पर पहुंचे

हालांकि आईवीएफ तकनीक किसी राइनो पर इसके पहले अपनाई नहीं गई है, लेकिन वैज्ञानिक एक बार कोशिश करके देखना चाहते हैं. और इसी के लिए फंड इकट्ठा करने के मकसद से टिंडर अकाउंट बनाया गया है.

वैज्ञानिकों का कहना है कि- 'अगर इंसान के उम्र से सुडान के उम्र की तुलना करें तो संभवत: सुडान लगभग 95 वर्ष का है, और इसलिए वो सामान्य प्रजनन के लिए असमर्थ है.'

आईवीएफ तकनीक मनुष्यों में आम है. यही नहीं इस तकनीक को अन्य घरेलू पशुओं जैसे की मवेशियों पर भी अपनाया जा चुका है लेकिन इसका प्रयोग कभी गेंडे पर नहीं किया गया है. एक अनुमान के अनुसार इस आईवीएफ तकनीक के लिए 9 से 10 मिलियन डॉलर की ज़रूरत होगी.

टिंडर उपयोग करने वाले सुडान का बायो ऐप पर देख सकते हैं. सुडान के बायो में लिखा है-  ' मैं अपनी बड़ाई नहीं कर रहा लेकिन मुझ पर मेरी प्रजाति का भविष्य टिका है. मैं प्रेशर में बहुत अच्छा परफॉर्म करता हूं...6 फीट लंबा और 2,268 किलो मेरा वजन है.'

सुडान की ये टिंडर प्रोफाइल 190 देशों में 40 से ज्यादा भाषाओं में टिंडर ऐप पर दिखेगी. इस ऐप पर आने वाले लोग चाहें तो सुडान के लिए पैसे डोनेट कर सकते हैं. सुडान शिकारियों का निशाना ना बने इसलिए इसे चाक-चौबंद सुरक्षा व्यवस्था में रखा जाता है. वैसे सफेद गेंडों की लुप्तप्राय स्थिति के लिए हमारा एशिया द्वीप सबसे ज्यादा जिम्मेदार है. यहां के लोगों का मानना है कि गेंडे के सींग से बनी दवाई कई तरह की बीमारियों का रामबाण इलाज है. और अपने इसी स्वार्थ के कारण हमने सफेद गैंडों को राम के पास भेजने में कोई कोताही नहीं की. नतीजा हमारे सामने है, आखिरी बचा सफेद नर गैंडा सुडान और दो मादा गैंडे.

इससे पहले की बहुत देर हो जाए हमें जाग जाना चाहिए. वैसे सुडान का प्रोफाइल लाइव होते ही इतने सारे लोगों ने उसके प्रोपोजल को स्वीकार कर लिया कि खुद एजेंसी वाले भी हैरान हैं. और यही नहीं लोगों ने डोनेशन साइट तक को क्रैश करा दिया! देर आयद, दुरुस्त आयद, शायद ये कहावत सुडान और उसकी प्रजाति के लिए सच हो जाए.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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