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सोशल मीडिया

Hyundai, Kia, Dominos, KFC, Pizza Hut-Kashmir controversy में अब तक क्या क्या हुआ...

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 09 फरवरी, 2022 01:00 PM
  • 09 फरवरी, 2022 01:00 PM
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पाकिस्तान में Solidarity with Kashmir पर अपने मन की बात कहना हुंडई, KIA, पिज्जा हट, डोमिनोज जैसी कंपनियों को महंगा पड़ गया है. भारत में लोगों का गुस्सा सातवें आसमान पर है. जैसा सोशल मीडिया का माहौल है भले ही कंपनियों ने माफ़ी मांग ली हो लेकिन इन तमाम कंपनियों के बायकॉट की मांग जोरों पर है.

'बाज़ार का ये हाल है

कि ग्राहक पीला

और दुकानदार लाल है

पंक्तियां शैल चतुर्वेदी की हैं और इनका जिक्र केवल इसलिए करना पड़ा क्यों कि बात बाजार, उसके फायदे और किसी भी सीमा तक जाने की है. आगे तमाम चीजों का जिक्र होगा लेकिन उससे पहले हमें भली भांति इस बात को समझ लेना चाहिए कि बाजार किसी का सगा नहीं है. उसे ग्राहक दिखते हैं और मोटा पैसा नजर आता है. स्थिति जब ऐसी या ये कहें कि बात जब मुनाफे की हो तो बाजार न केवल ग्राहकों को रिझाने के लिए तमाम तरह के ऑफर देता है बल्कि सोशल मीडिया के इस दौर में उसका ये भी प्रयास रहता है कि चाहे सुख हो या दुख वो उसके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होने का प्रयोजन करे. अब हर बार ये फैसला सही हो ऐसा भी जरूरी नहीं. ऐसे फैसलों पर बाजार कैसे फंस सकता है यदि प्रश्न ये हो तो हमें पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान का रुख कर लेना चाहिए. पाकिस्तान में 5 फरवरी को कश्मीर एकता दिवस मनाया जाता है. Hyundai, Kia, Pizza Hut, KFC और Dominos जैसी तमाम कंपनियों को आपदा में अवसर दिखा और फिर कश्मीर के मद्देनजर इन कंपनियों द्वारा एक ऐसा ब्लंडर हुआ कि बात भारत में इन कंपनियों के बायकॉट पर आ गयी है.

पाकिस्तान में कश्मीर को ध्यान में रखकर की गयी सोशल मीडिया पोस्ट के लिए तमाम कंपनियां भारतीयों के निशाने पर हैं

अब क्योंकि पाकिस्तान के मुकाबले भारतीय बाजार कहीं ज्यादा बड़ा है कंपनियों को जब तक अपनी गलती का एहसास हुआ, देर हो चुकी थी. आइये जानें Hyundai, Kia, Dominos, KFC, Pizza Hut -Kashmir controversy में अब तक क्या क्या हुआ...

कश्मीर के तहत पाकिस्तान में क्‍या ट्वीट और पोस्ट...

'बाज़ार का ये हाल है

कि ग्राहक पीला

और दुकानदार लाल है

पंक्तियां शैल चतुर्वेदी की हैं और इनका जिक्र केवल इसलिए करना पड़ा क्यों कि बात बाजार, उसके फायदे और किसी भी सीमा तक जाने की है. आगे तमाम चीजों का जिक्र होगा लेकिन उससे पहले हमें भली भांति इस बात को समझ लेना चाहिए कि बाजार किसी का सगा नहीं है. उसे ग्राहक दिखते हैं और मोटा पैसा नजर आता है. स्थिति जब ऐसी या ये कहें कि बात जब मुनाफे की हो तो बाजार न केवल ग्राहकों को रिझाने के लिए तमाम तरह के ऑफर देता है बल्कि सोशल मीडिया के इस दौर में उसका ये भी प्रयास रहता है कि चाहे सुख हो या दुख वो उसके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होने का प्रयोजन करे. अब हर बार ये फैसला सही हो ऐसा भी जरूरी नहीं. ऐसे फैसलों पर बाजार कैसे फंस सकता है यदि प्रश्न ये हो तो हमें पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान का रुख कर लेना चाहिए. पाकिस्तान में 5 फरवरी को कश्मीर एकता दिवस मनाया जाता है. Hyundai, Kia, Pizza Hut, KFC और Dominos जैसी तमाम कंपनियों को आपदा में अवसर दिखा और फिर कश्मीर के मद्देनजर इन कंपनियों द्वारा एक ऐसा ब्लंडर हुआ कि बात भारत में इन कंपनियों के बायकॉट पर आ गयी है.

पाकिस्तान में कश्मीर को ध्यान में रखकर की गयी सोशल मीडिया पोस्ट के लिए तमाम कंपनियां भारतीयों के निशाने पर हैं

अब क्योंकि पाकिस्तान के मुकाबले भारतीय बाजार कहीं ज्यादा बड़ा है कंपनियों को जब तक अपनी गलती का एहसास हुआ, देर हो चुकी थी. आइये जानें Hyundai, Kia, Dominos, KFC, Pizza Hut -Kashmir controversy में अब तक क्या क्या हुआ...

कश्मीर के तहत पाकिस्तान में क्‍या ट्वीट और पोस्ट हुए?

दरअसल कार कंपनी हुंडई की पाकिस्तान यूनिट ने बीते दिन कश्मीरी एकता दिवस के मौके पर सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखा कि आइए हम अपने कश्मीरी भाइयों के बलिदान को याद करें और उनके समर्थन में खड़े हों, क्योंकि वे आजादी के लिए संघर्ष कर रहे हैं. हम कश्मीर की आजादी के लिए एकजुट खड़े हैं''.

हुंडई की पोस्ट जो बानी है विवाद की वजह

कुछ ऐसा ही हाल अन्य कंपनियों का भी था. चाहे वो फेसबुक और इंस्टाग्राम पोस्ट हों या ट्वीट्स कमोबेश सभी कंपनियों की भाषा एक जैसी थी. सभी कश्मीर एकता दिवस पर पाकिस्तान के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े थे.

विवाद के बाद लोगों ने मांग की है कि पिज्जा हैट का भी पूर्ण बहिष्कार किया जाए

उपरोक्त कंपनियों का कश्मीर को लेकर ट्वीट और फेसबुक पोस्ट लिखना भर था. कंपनियों का ये अंदाज भारतीय ग्राहकों को नागवार गुजरा और फिर वो हुआ जिसकी उम्मीद थी. चाहे फेसबुक हो या इंस्टाग्राम ऐसे पोस्ट की बाढ़ आ गई जिसमें भारतीय ग्राहकों द्वारा इन सभी कंपनियों और इनके प्रोडक्ट्स के बहिष्कार की बात की गई.

कंपनियों की सतही सफाई से भड़का असंतोष

चूंकि मामला ट्रेंडिंग था और लाखों ट्वीट, रीट्वीट और फेसबुक पोस्ट लिखे जा चुके थे कंपनियों को भी फौरन ही इस बात का एहसास हो गया कि जाने अनजाने उनसे 'कश्मीर' को लेकर एक ऐसी गलती हो गई है जिसके लिए उन्हें भारतीयों की तरफ से शायद ही माफी मिले. कंपनियां क्यों विचलित हुईं इसकी एक बहुत बड़ी वजह ग्राहकों की संख्या भी है.

ग्राहक हाथ से निकल न जाएं इसलिए कंपनियों ने अपना स्पष्टीकरण जारी किया और जो बातें उनमें लिखी हैं साफ है कि कंपनियां पाकिस्तान में पाकिस्तान की और हिंदुस्तान में हिंदुस्तान की भाषा बोल रही हैं. सफाई का जो अंदाज है वो बहुत सतही है और महसूस यही हो रहा है कि कंपनियों को बस माफी मांगनी थी इसलिए स्पष्टीकरण डालकर उन्होंने सिर्फ अपना पिंड ही छुड़ाया है.

FADA ने मांगी सफाई KIA Hyundai की मुसीबत बढ़ी.

फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (FADA) ने कश्मीर पर हुंडई पाकिस्तान और किआ पाकिस्तान सोशल मीडिया पोस्ट से हुई कंट्रोवर्सी पर आधिकारिक बयान जारी किया है. अपने बयान में फाडा ने कहा है कि, 'हम कश्मीर पर ट्वीट के लिए हुंडई पाकिस्तान और किआ पाकिस्तान की कड़ी निंदा करते हैं. हम अपनी मातृभूमि के लिए प्रतिबद्ध हैं और भारत में दोनों कंपनियों को इस पर अपना रुख स्पष्ट करने के लिए लिखा है.

वहीं अपने बयान में फाडा ने ये भी कहा कि हमने भारी उद्योग मंत्रालय और सियाम इंडिया को हुंडई से स्पष्टीकरण मांगने को कहा हैं. कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और अनंत काल तक रहेगा, जय हिंद.

भारत सरकार ने दक्षिण कोरियाई राजनयिक को तलब किया

हुंडई मोटर्स के पाकिस्तान वितरक द्वारा इस्लामाबाद समर्थित कश्मीर सॉलिडेरिटी डे का समर्थन करने वाले सोशल मीडिया पोस्ट नेराजनयिक विवाद भी पैदा कर दिया है.बताते चलें कि भारत ने इस मामले पर अपना कड़ा विरोध दर्ज करते हुए दक्षिण कोरियाई राजदूत को तलब किया है.

मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची के अनुसार, विदेश मंत्रालय ने सोमवार को दक्षिण कोरियाई राजदूत चांग जे-बोक को तलब किया और 'हुंडई पाकिस्तान द्वारा अस्वीकार्य सोशल मीडिया पोस्ट पर सरकार की कड़ी नाराजगी' से अवगत कराया.

बागची के अनुसार, 'इस विषय पर बात हुई कि यह मामला भारत की क्षेत्रीय अखंडता से संबंधित है, जिस पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता है. बागची ने ये भी कहा कि भारत को उम्मीद है कि हुंडई मोटर 'इन मुद्दों को ठीक से हल करने के लिए उचित कार्रवाई' करेगी.

बहरहाल, अब जबकि विवाद हमारे सामने है तमाम कंपनियों का भी असली चेहरा हमने देख लिया है. बाकी जैसा रुख मामले पर किसी आम भारतीय का है उसने ठान लिया है कि वो इन तमाम कंपनियों की ईंट से ईंट बजाकर रख देगा. अपने बहिष्कार में जनता कितना कामयाब होती है इसका फैसला तो वक़्त करेगा लेकिन जो वर्तमान है उसे देखकर इतना तो तय है कि भारतीय ग्राहकों ने तमाम कंपनियों को दिन में तारे दिखा दिए हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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