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जब हुई तुगलकी महारानी की दीवाने कवि के कारण, ट्विटर पर कड़ी निंदा

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 22 अक्टूबर, 2017 08:05 PM
  • 22 अक्टूबर, 2017 08:05 PM
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राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अपने द्वारा लिए फैसलों के कारण अक्सर लोगों की आलोचना का शिकार होती हैं. एक बार फिर उन्हें ट्विटर पर लोगों की खरी खोटी सुनने को मिल रही है.

कुछ समय पहले तक एक आम भारतीय के लिए सियासत बस वोट डालने तक सीमित थी. अपनी रोजमर्रा की दिनचर्या में उलझा व्यक्ति वोट डालता और ये सोच लेता कि, उसने अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली है. ये पूर्व की बात थी. वर्तमान में ऐसा नहीं है. सोशल मीडिया के इस दौर में, उत्तर प्रदेश के बाराबंकी का व्यक्ति जितना लखनऊ की राजनीति के बारे में जानना चाहता है उसकी उतनी ही दिलचस्पी, चेन्नई या फिर हैदराबाद की सियासत से है.

ट्विटर पर लोग कुमार विश्वास और वसुंधरा के बीच की बहस खूब एन्जॉय कर रहे हैं

कहा जा सकता है कि पूर्व की अपेक्षा आज का व्यक्ति ज्यादा जागरूक और जिज्ञासु है. आज फेसबुक और ट्विटर के इस दौर में देश का नागरिक सवाल पूछ रहा है, उनके जवाब दे रहा है. और वो खामोश बिल्कुल नहीं है. आज जब व्यक्ति को कोई बात बुरी या फिर अटपटी लगती है तो वो पहले की तरह चुप नहीं रहता और अपने-अपने सोशल मीडिया अकाउंट से मुद्दे की निंदा करते हुए उसपर करारा जवाब देता है.

इस बात को समझने के लिए आपको ये खबर खबर समझनी होगी. खबर है कि 'आप' नेता कुमार विश्वास ने राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया की तुलना उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जॉन्ग से की है. विश्वास ने वसुंधरा पर निशाना साधते हुए कहा है कि महारानी वसुंधरा अभी तक भूल नहीं पाई हैं कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में राजतंत्र खत्म हो चुका है. और आज वो महिला किम जॉन्ग की तरह काम कर रही हैं.

बात कुछ यूं थी कि राजस्थान सरकार विधान सभा सत्र में जजों, मजिस्ट्रेटों और अन्य सरकारी अधिकारियों, सेवकों की 'सुरक्षा' के लिए एक अनूठा बिल पेश करने वाली है. प्रस्तावित बिल के मुताबिक ड्यूटी के दौरान राज्य के किसी भी कार्यरत जज, मजिस्ट्रेट या सरकारी अधिकारियों के खिलाफ कोई भी शिकायत सरकार की इजाजत के बगैर दर्ज नहीं की जा...

कुछ समय पहले तक एक आम भारतीय के लिए सियासत बस वोट डालने तक सीमित थी. अपनी रोजमर्रा की दिनचर्या में उलझा व्यक्ति वोट डालता और ये सोच लेता कि, उसने अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली है. ये पूर्व की बात थी. वर्तमान में ऐसा नहीं है. सोशल मीडिया के इस दौर में, उत्तर प्रदेश के बाराबंकी का व्यक्ति जितना लखनऊ की राजनीति के बारे में जानना चाहता है उसकी उतनी ही दिलचस्पी, चेन्नई या फिर हैदराबाद की सियासत से है.

ट्विटर पर लोग कुमार विश्वास और वसुंधरा के बीच की बहस खूब एन्जॉय कर रहे हैं

कहा जा सकता है कि पूर्व की अपेक्षा आज का व्यक्ति ज्यादा जागरूक और जिज्ञासु है. आज फेसबुक और ट्विटर के इस दौर में देश का नागरिक सवाल पूछ रहा है, उनके जवाब दे रहा है. और वो खामोश बिल्कुल नहीं है. आज जब व्यक्ति को कोई बात बुरी या फिर अटपटी लगती है तो वो पहले की तरह चुप नहीं रहता और अपने-अपने सोशल मीडिया अकाउंट से मुद्दे की निंदा करते हुए उसपर करारा जवाब देता है.

इस बात को समझने के लिए आपको ये खबर खबर समझनी होगी. खबर है कि 'आप' नेता कुमार विश्वास ने राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया की तुलना उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जॉन्ग से की है. विश्वास ने वसुंधरा पर निशाना साधते हुए कहा है कि महारानी वसुंधरा अभी तक भूल नहीं पाई हैं कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में राजतंत्र खत्म हो चुका है. और आज वो महिला किम जॉन्ग की तरह काम कर रही हैं.

बात कुछ यूं थी कि राजस्थान सरकार विधान सभा सत्र में जजों, मजिस्ट्रेटों और अन्य सरकारी अधिकारियों, सेवकों की 'सुरक्षा' के लिए एक अनूठा बिल पेश करने वाली है. प्रस्तावित बिल के मुताबिक ड्यूटी के दौरान राज्य के किसी भी कार्यरत जज, मजिस्ट्रेट या सरकारी अधिकारियों के खिलाफ कोई भी शिकायत सरकार की इजाजत के बगैर दर्ज नहीं की जा सकेगी. कहा जा सकता है कि यदि व्यक्ति को अधिकारी के खिलाफ कोर्ट या पुलिस में शिकायत दर्ज करनी है तो पहले उसे सरकार से इजाजत लेनी होगी.

राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और आप नेता कुमार विश्वास के बीच जो चल रहा है वो राजनीति है. मगर ट्विटर पर लोग इन दोनों के बीच हो रही गहमा गहमी को खूब एन्जॉय कर रहे हैं. इस साथ ही इस मुद्दे पर भी जम के अपना मत प्रकट कर रहे हैं. ज्ञात हो कि ट्विटर पर तुगलकी महारानी टॉप 5 ट्रेंड में है और इस पर ऐसे - ऐसे मजेदार ट्वीट आ रहे हैं जो किसी के भी चेहरे पर हंसी दे सकते हैं. 

ये तस्वीर वसुंधरा के बारे में बहुत कुछ बताती हैइस मुद्दे पर ट्विटर हैंडल @AhamShivaasmi ने हैश टैग के साथ वसुंधरा की एक फोटो पोस्ट की है जिसमें उनका अंदाज देखा जा सकता है. फोटो राजस्थान के एक कार्यक्रम की है जहां राष्ट्रगान बज रहा था और वसुंधरा फोन पर बात कर रही थीं.  

लोग भी महारनी के इस फरमान से खासे नाखुश हैंएक अन्य ट्वीट में ट्विटर हैंडल @ankitlabh ने @OfficeOfRG के एक ट्वीट का जवाब देते हुए लिखा है कि, 'लोकतंत्र का मतलब समझिये मैडम, हालांकि आपसे और आपकी पार्टी से आशा नहीं है फिरभी सब कुछ को टेक्निकली एडजस्ट मत कीजिये. 

इस अहम मुद्दे को लेकर ट्विटर पर लोग काफी गंभीर दिख रहे हैं

 

@Knkinjal इस मामले से बहुत खफा हैं और उन्होंने लिखा है कि हम भाजपा का ये हिल्टर वाला रुख जल्द ही बदल देंगे. वहीं हिमांशु का मत है कि वसुंधरा भ्रष्ट लोगों को बचाना चाह रही हैं और इसलिए ही उन्होंने इस बिल के बारे में सोचा. ट्विटर यूजर @montugarg भी वसुंधरा से काफी नाराज हैं और मानते हैं कि वसुंधरा भ्रष्ट लोगों के लिए जमीन तैयार कर रही हैं और आम लोगों को अंधेरेमें रख रही हैं. सुनील पांडे ने कहा है कि राजस्थान सरकार जानती है कि उसे दोबारा सत्ता में नहीं आना. और ये जो मार्ग उसने अपनाया है उससे ये बात काफी हद तक सही भी साबित होती है.

ऐसा नहीं कि सब विरोध ही कर रहे हैं वसंधरा को लोगों का समर्थन भी हासिल हैट्विटर यूजर जोगिन्दर ने कहा है कि अब देश में सिर्फ भाजपा का भ्रष्टाचार स्वीकार है. इन्होंने बहुत अच्छा किया. ट्विटर हैंडल @istutisharma8 का मानना है कि वसुंधरा दोषियों को सिर्फ इसलिए बचा रही हैं क्योंकि इसमें उनका राजनीतिक हित छुपा है. वहीं ट्विटर हैंडल @Drprakashvinay इस पूरे मुद्दे पर वसुंधरा का बचाव ही करते नजर आए.

लोगों का नजरिया देखकर लग रहा है कि अब शायद ही वसुंधरा को सत्ता सुख मिल पाए

@DubeyAbhay_ का मानना  है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़े कानून लाने के बजाय महारानी जी तो भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए प्रयास कर रही हैं, एक अन्य ट्वीट में अभय ने कहा है कि वसुंधरा जी लोकतंत्र में भ्रष्टाचार के खिलाफ उठने वाली आवाज़ को जनता दबने नहीं देगी! आपका ये कदम अलोकतांत्रिक है. एक अन्य यूजर ने ट्वीट किया है कि भाजपा भूल गयी है दिल्ली चुनावों में @DrKumarVishwas ने उनकी 3 सीटों की भविष्यवाणी पहले ही कर दी थी, #तुगलकी_महारानी का भी अब यही हाल होगा.

अंत में इतना ही कि वसुंधरा को ट्विटर का रुख अवश्य करना चाहिए, कहीं ऐसा न हो जब तब वो ट्विटर पर आएं और अपने पर लोगों की राय पढ़ें तब तक बहुत देर हो जाए.  

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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