नोटबंदी ( demonetisation ) को एक साल पूरा हो गया है और अभी भी लोगों के बीच इस बात के लिए बहस ही चल रही है कि आखिर नोटबंदी का फायदा हुआ या नुकसान. सुबह से ही नोटबंदी से जुड़े चार हैशटैग ट्विटर पर ट्रेंड करने लगे. आम लोगों के साथ-साथ कई नेता भी नोटबंदी को लेकर अपने-अपने विचार सामने रखने लगे.
नरेंद्र मोदी के ट्विटर अकाउंट से ये शॉर्ट फिल्म भी ट्वीट की गई. इस शॉर्ट फिल्म में नोटबंदी के तीन बड़े फायदे दिखाए जा रहे हैं जिन्हें शायद विपक्ष और आम जनता देख नहीं पा रही है.
खैर, शॉर्ट फिल्म तो ठीक है, लेकिन ये कहना कि नोटबंदी से सब भला ही हुआ है ये सही नहीं होगा. नौकरियों से लेकर कई लोगों की जान तक बहुत कुछ गंवाया है भारत की जनता ने. पर नोटबंदी के फायदे और नुकसान के लिए आज सुबह से ही ट्विटर के सिपाहियों के बीच बहस चल रही है. कुछ लोग भाजपा के एंटी ब्लैक मनी डे के साथ रहे तो कुछ इसके विरोध में...
भाजपा समर्थकों की ट्वीट...
लेकिन कुछ के लिए 8 नवंबर वाकई शायद काला दिवस रहा... भाजपा विरोधी भी नोटबंदी की सालगिराह पर पार्टी को घेरने का एक भी मौका नहीं छोड़ रहे....
नोटबंदी के बाद देश को फायदा हुआ है या नुकसान इसपर अभी भी debate चल रही है. वो दौर जब 8 नवंबर रात 8 बजे के बाद से ही लोग दुविधा में आ गए थे. कुछ इसे ऐतिहासिक कदम बता रहे थे और कुछ को ये चिंता थी कि आखिर कैसे काम चलेगा. अगले 3 महीने तक लोग इतना परेशान रहे कि काम धंधा छोड़ सिर्फ एटीएम की लाइन में लगे दिखे. नोटबंदी के कारण सब्जी वाले, फल वाले, घरों में नौकरी करने वाले लोग बहुत परेशान हो गए. नोटबंदी के बाद उस समय लोग नरेंद्र मोदी के साथ थे क्योंकि उन्हें लग रहा था कि आखिर जो भी कुछ हो रहा है वो देश के भले के लिए हो रहा है, लेकिन अब एक साल बाद मोदी के विरोधी ज्यादा हो गए हैं. ये किसी आंकड़े के आधार पर नहीं बल्कि अपने पर्सनल एक्सपीरियंस से कह सकती हूं मैं. मेरे आस-पास के लोग ही हैं जो इस एक साल में मोदी भक्त से मोदी विरोधी हो गए.
उस समय किसी ने भी मोदी की नियत पर शक नहीं किया था, लेकिन नोटबंदी के एक साल बाद भी अगर कोई नतीजा नहीं निकल रहा है और इसके फायदे जानने के लिए बहस करनी पड़ रही है तो यकीनन इससे अर्थव्यवस्था का नुकसान और लोगों की परेशानी बड़ी ही दिख रही है.
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