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Facebook Messenger Kids: उम्‍मीद कम है कि ये बच्‍चों को पसंद आ पाएगा

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 11 दिसम्बर, 2017 02:54 PM
  • 11 दिसम्बर, 2017 02:54 PM
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जहां एक ओर इन सभी से जिंदगी बेहतर और आसान बन रही है, वहीं कुछ कंपनियां इससे भी फायदा कमाने की फिराक में हैं. इन्हीं में से एक है फेसबुक.

आए दिन लॉन्च हो रहे स्मार्टफोन, लगातार सस्ता हो रहा इंटरनेट डेटा और तेजी से डिजिटल इंडिया की तरफ बढ़ रहा देश. जहां एक ओर इन सभी से जिंदगी बेहतर और आसान बन रही है, वहीं कुछ कंपनियां इससे भी फायदा कमाने की फिराक में हैं. इन्हीं में से एक है फेसबुक, जो इस मौके का फायदा उठाना चाहती है. फेसबुक ने 6-12 साल के बच्चों के लिए एक चैटिंग ऐप लॉन्च किया है, जिसे फेसबुक मैसेंजर किड्स (Facebook Messenger Kids) नाम दिया गया है. हाल ही में ब्लू व्हेल चैलेंज जैसे ऐप ने यह तो साफ कर दिया है कि बच्चे घर में भी सुरक्षित नहीं हैं, तो क्या फेसबुक का चैटिंग ऐप उन्हें नुकसान नहीं पहुंचाएगा? सवाल यह भी है कि क्या वाकई बच्चे चैटिंग में सिर्फ बच्चों जैसी बातें ही करेंगे या फिर उत्सुकतावश वह आपस में वयस्कों जैसी बातें भी करने लगेंगे? अभी तो यह ऐप सिर्फ अमेरिका में लॉन्च हुआ है, लेकिन धीरे-धीरे फेसबुक इसे पूरी दुनिया में लॉन्च करने की योजना बना है.

क्या वाकई बच्चे चैटिंग में सिर्फ बच्चों जैसी बातें ही करेंगे या फिर उत्सुकतावश वह आपस में वयस्कों जैसी बातें भी करने लगेंगे?

एक 'लत' बन सकता है ये ऐप

प्यू रिसर्च सेंटर की एक रिपोर्ट ने खुलासा किया है कि करीब 92% किशोर रोजाना इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं. इतना ही नहीं, उनमें से करीब 24% किशोर लगातार ऑनलाइन रहते हैं. यह हाल उस वक्त है, जब फेसबुक को बच्चे इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं. अपनी गलत उम्र डालकर चुपके से बहुत सारे बच्चे अपनी फेसबुक आईडी बना लेते हैं और चैटिंग करते हैं. अब सोचने की बात यह है कि जब बंदिशें होने के बावजूद बच्चे छुप-छुप कर चैटिंग करते हैं तो क्या खुले में चैटिंग करने से उन्हें एक लत नहीं लगेगी?

फायदा बस एक, बाकी नुकसान

फेसबुक ने इस ऐप को लॉन्च करने के...

आए दिन लॉन्च हो रहे स्मार्टफोन, लगातार सस्ता हो रहा इंटरनेट डेटा और तेजी से डिजिटल इंडिया की तरफ बढ़ रहा देश. जहां एक ओर इन सभी से जिंदगी बेहतर और आसान बन रही है, वहीं कुछ कंपनियां इससे भी फायदा कमाने की फिराक में हैं. इन्हीं में से एक है फेसबुक, जो इस मौके का फायदा उठाना चाहती है. फेसबुक ने 6-12 साल के बच्चों के लिए एक चैटिंग ऐप लॉन्च किया है, जिसे फेसबुक मैसेंजर किड्स (Facebook Messenger Kids) नाम दिया गया है. हाल ही में ब्लू व्हेल चैलेंज जैसे ऐप ने यह तो साफ कर दिया है कि बच्चे घर में भी सुरक्षित नहीं हैं, तो क्या फेसबुक का चैटिंग ऐप उन्हें नुकसान नहीं पहुंचाएगा? सवाल यह भी है कि क्या वाकई बच्चे चैटिंग में सिर्फ बच्चों जैसी बातें ही करेंगे या फिर उत्सुकतावश वह आपस में वयस्कों जैसी बातें भी करने लगेंगे? अभी तो यह ऐप सिर्फ अमेरिका में लॉन्च हुआ है, लेकिन धीरे-धीरे फेसबुक इसे पूरी दुनिया में लॉन्च करने की योजना बना है.

क्या वाकई बच्चे चैटिंग में सिर्फ बच्चों जैसी बातें ही करेंगे या फिर उत्सुकतावश वह आपस में वयस्कों जैसी बातें भी करने लगेंगे?

एक 'लत' बन सकता है ये ऐप

प्यू रिसर्च सेंटर की एक रिपोर्ट ने खुलासा किया है कि करीब 92% किशोर रोजाना इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं. इतना ही नहीं, उनमें से करीब 24% किशोर लगातार ऑनलाइन रहते हैं. यह हाल उस वक्त है, जब फेसबुक को बच्चे इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं. अपनी गलत उम्र डालकर चुपके से बहुत सारे बच्चे अपनी फेसबुक आईडी बना लेते हैं और चैटिंग करते हैं. अब सोचने की बात यह है कि जब बंदिशें होने के बावजूद बच्चे छुप-छुप कर चैटिंग करते हैं तो क्या खुले में चैटिंग करने से उन्हें एक लत नहीं लगेगी?

फायदा बस एक, बाकी नुकसान

फेसबुक ने इस ऐप को लॉन्च करने के पीछे तर्क दिया है कि बच्चे छुप-छुप कर वयस्कों के चैटिंग ऐप का इस्तेमाल करते हैं, जो कि ठीक नहीं है. इसलिए फेसबुक ने बच्चों के लिए अलग से मैसेंजर ऐप लॉन्च किया है. कंपनी ने इस ऐप का फायदा बताते हुए कहा है कि इस पर अभिभावकों का पूरा कंट्रोल रहेगा. बच्चे न तो अपनी मर्जी से किसी को जोड़ सकेंगे और ना ही किसी मैसेज को डिलीट कर सकेंगे. सोचने वाली बात यह है कि क्या हर वक्त माता-पिता अपने बच्चों पर इस तरह नजर रख पाएंगे? अगर ऐसा है तो फिर कैसे बच्चे छुप-छुप कर अपनी गलत उम्र बताकर फेसबुक आईडी बना लेते हैं? फेसबुक भले ही इसे बच्चों के लिए अच्छा मान रहा हो, लेकिन पढ़ाई करने की उम्र में फेसबुक चैटिंग ऐप बच्चों को फायदे से अधिक नुकसान पहुंचाएगा.

डिप्रेशन का शिकार भी हो जाते हैं बच्चे

एक रिसर्च से यह भी बात सामने आई है कि जो बच्चे सोशल मीडिया पर जितना अधिक समय बिताते हैं, अपने बाकी के समय में वह कम खुश रहते हैं. ऐसे बच्चों में चिंता और चिड़चिड़ापन काफी अधिक बढ़ जाता है. कई बच्चे तो डिप्रेशन तक के शिकार हो जाते हैं. अमेरिका में तो एक रीस्टार्ट लाइफ सेंटर नाम का एक रीहैब सेंटर भी बनाया गया है, जहां पर इंटरनेट और गेमिंग की लत से पीछा छुड़ाने में मदद की जाती है. ऐसे समय में फेसबुक का बच्चों के लिए चैटिंग ऐप लॉन्च होना कहीं से कहीं तक फायदेमंद नहीं लगता.

अभिभावकों को सता रहा ये डर

अभिभावकों को यह भी डर सता रहा है कि कहीं फेसबुक बच्चों से जमा किए डेटा को भी बेचेगा तो नहीं? हालांकि, फेसबुक ने इस ऐप को लॉन्च करने के साथ ही यह भरोसा दिलाया है कि इस ऐप में ना तो कोई विज्ञापन दिखाया जाएगा ना ही बच्चों का डेटा किसी एडवर्टाइजर को बेचा जाएगा. बावजूद इसके बहुत से लोगों ने इस ऐप का विरोध करते हुए कहा है कि बच्चों से डेटा लेकर उसे बेचा जा रहा है. ऐसे में अभिभावकों को डर है कि उनके बच्चों से जमा डेटा को कोई गलत इस्तेमाल ना हो.

मनोवैज्ञानिकों के अनुसार मोबाइल या इंटरनेट इस्तेमाल करने के आदी हो चुके लोगों के एमआरआई और कैट स्कैन का पैटर्न ड्रग के आदी व्यक्ति जैसा होता है.

स्मार्टफोन और इंटरनेट की लत

जिस इंटरनेट का इस्तेमाल बच्चे अपनी पढ़ाई के लिए कर सकते हैं, उसे बच्चे चैटिंग के लिए इस्तेमाल करने लगेंगे तो इससे कई और नुकसान होंगे. बच्चों को न सिर्फ इंटरनेट की लत लगेगी, बल्कि स्मार्टफोन और कंप्यूटर पर अधिक समय बिताने से उनके स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंच सकता है. मनोवैज्ञानिकों के अनुसार जिन लोगों को मोबाइल या इंटरनेट इस्तेमाल करने की लत होती है, ऐसे लोगों के एमआरआई और कैट स्कैन का पैटर्न ठीक वैसा ही होता है, जैसा किसी ड्रग के आदी व्यक्ति का होता है.

फेसबुक की ये है रणनीति

बच्चों के लिए ऐप लॉन्च करना फेसबुक की एक बड़ी रणनीति है. फेसबुक अपने बिजनेस के लिए नए यूजर्स तैयार कर रहा है. यह तो साफ है कि जो आज बच्चा है, कल वह वयस्क होगा. ऐसे में फेसबुक अभी से अपने आने वाले समय के ग्राहकों को भी खुद से जोड़ना चाहता है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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