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Chhapaak review: दीपिका पादुकोण के लिए न सही लेकिन लक्ष्मी अग्रवाल के लिए फिल्म देख आइए !

    • आईचौक
    • Updated: 10 जनवरी, 2020 01:55 PM
  • 10 जनवरी, 2020 01:55 PM
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Acid attack victims के लिए आप कुछ नहीं कर सकते, लेकिन फिल्म 'छपाक' (Chhapaak) को देखेंगे तो उनके प्रति सम्मान बढ़ जाएगा जो अपना सबकुछ जलाकर खुद के लिए रौशनी तलाश रही हैं.

दीपिका पादुकोण (Deepika Padukone) की फिल्म 'छपाक' (Chhapaak) विवादों में घिरी हुई. लोग इस फिल्म का बायकॉट कर रहे हैं. लेकिन ये सब करने से वो सच नहीं मिट जाता जिसके आधार पर इस फिल्म की नींव रखी गई थी. आप फिल्म के एक्टर या एक्ट्रेस के खिलाफ जा सकते हैं लेकिन उस सच्चाई के खिलाफ कैसे जाएंगे जो ये कहती है कि हर साल करीब 300 लड़कियों पर तेजाब फेंककर उनका चेहरा, शरीर और जिंदगी जला दी जाती है. 300 केस तो सिर्फ रिपोर्ट होते हैं, असल आंकड़े 1000 के करीब हैं. इन्हीं विक्टिम में से एक हैं लक्ष्मी अग्रवाल, जिसकी जिंदगी से प्रेरित होकर डायरेक्टर मेघना गुलजार (Meghna Gulzar) ने फिल्म छपाक बनाई. बात करते हैं chhapaak review की क्योंकि इसे बताना दीपिका पादुकोण की कंट्रोवर्सी (Deepika Padukone controversy) से ज्यादा महत्व रखता है.

'छपाक' एक बेहतरीन फिल्म है

ये कहानी नहीं हकीकत है 'Chhapaak'

फिल्म की कहानी असल में कहानी नहीं, सच्चाई है. ये वो सच्चाई है जो आपको हिलाकर रख देगी. कहानी 19 साल की मालती अग्रवाल की है जो एक एसिड अटैक विक्टिम हैं. और उनका किरदार निभा रही हैं दीपिका पादुकोण. मालती पर एसिड फेंककर उसका पूरा चेहरा जला दिया जाता है. एसिड फेंकने वाला उसी का जाकार बब्बू उर्फ बशीर खान और उसकी रिश्तेदार परवीन शेख है.

ये फिल्म मालती के साथ हुए हादसे के बाद उसके संघर्ष और उसे न्याय दिलानी की कहानी कहती है. एसिड अटैक विक्टिम बनने के बाद एक लड़की का पूरा जीवन किस तरह से बदल जाता है उसे आप बहुत करीब से महसूस करेंगे. आप ये भी देखेंगे कि किस तरह उनके हौसले टूटते हैं औऱ किस तरह उनकी हिम्मत बंधती है. और किस तरह उनका दिल धड़कता है. स्टोरी में संघर्ष के साथ साथ मीठा सा रोमांस भी दिखाई देगा. मालती को अमोल...

दीपिका पादुकोण (Deepika Padukone) की फिल्म 'छपाक' (Chhapaak) विवादों में घिरी हुई. लोग इस फिल्म का बायकॉट कर रहे हैं. लेकिन ये सब करने से वो सच नहीं मिट जाता जिसके आधार पर इस फिल्म की नींव रखी गई थी. आप फिल्म के एक्टर या एक्ट्रेस के खिलाफ जा सकते हैं लेकिन उस सच्चाई के खिलाफ कैसे जाएंगे जो ये कहती है कि हर साल करीब 300 लड़कियों पर तेजाब फेंककर उनका चेहरा, शरीर और जिंदगी जला दी जाती है. 300 केस तो सिर्फ रिपोर्ट होते हैं, असल आंकड़े 1000 के करीब हैं. इन्हीं विक्टिम में से एक हैं लक्ष्मी अग्रवाल, जिसकी जिंदगी से प्रेरित होकर डायरेक्टर मेघना गुलजार (Meghna Gulzar) ने फिल्म छपाक बनाई. बात करते हैं chhapaak review की क्योंकि इसे बताना दीपिका पादुकोण की कंट्रोवर्सी (Deepika Padukone controversy) से ज्यादा महत्व रखता है.

'छपाक' एक बेहतरीन फिल्म है

ये कहानी नहीं हकीकत है 'Chhapaak'

फिल्म की कहानी असल में कहानी नहीं, सच्चाई है. ये वो सच्चाई है जो आपको हिलाकर रख देगी. कहानी 19 साल की मालती अग्रवाल की है जो एक एसिड अटैक विक्टिम हैं. और उनका किरदार निभा रही हैं दीपिका पादुकोण. मालती पर एसिड फेंककर उसका पूरा चेहरा जला दिया जाता है. एसिड फेंकने वाला उसी का जाकार बब्बू उर्फ बशीर खान और उसकी रिश्तेदार परवीन शेख है.

ये फिल्म मालती के साथ हुए हादसे के बाद उसके संघर्ष और उसे न्याय दिलानी की कहानी कहती है. एसिड अटैक विक्टिम बनने के बाद एक लड़की का पूरा जीवन किस तरह से बदल जाता है उसे आप बहुत करीब से महसूस करेंगे. आप ये भी देखेंगे कि किस तरह उनके हौसले टूटते हैं औऱ किस तरह उनकी हिम्मत बंधती है. और किस तरह उनका दिल धड़कता है. स्टोरी में संघर्ष के साथ साथ मीठा सा रोमांस भी दिखाई देगा. मालती को अमोल (विक्रांत मैसी) से प्यार हो जाता है जो एसिड अटैक सर्वाइवर्स के इलाज के लिए NGO चला रहा है.

फिल्म में कलाकारों का सशक्त अभिनय फिल्म की जान है

फिल्म के कुछ सीन वाकई आपको झकझोर देते हैं. कैसे अपने जले हुए चेहरे को पहली बार आईने में देखना, उसे देखकर लोगों का डर जाना, मुंह बनाना. 'नाक नहीं है कान नहीं हैं झुमके कहां लटकाउंगी' ये डायलॉग अंदर तक चीर देता है. और फिर वो बात जो हर acid attack victim के दिल से निकली. 'कितना अच्छा होता अगर ऐसिड बिकता ही नहीं, मिलता ही नहीं तो फिंकता भी नहीं'.

कुछ सीन दिल को झकझोर देंगे

फिल्म के किरदारों की बात कहें तो कह सकते हैं कि दीपिका पादुकोण(Deepika Padukone) ने अपने करियर का सबसे चैलेंजिंग रोल अदा किया है. ये उनकी अब तक की बेस्ट परफॉर्मेंस है और सबसे चैलेंजिंग लुक भी. कोई भी हीरोइन अपने चेहरे को जला हुआ दिखाने से पहले सौ बार सोचेगी. लेकिन दीपिका पादुकोण ने कर दिखाया. वहीं विक्रांत मैसी और दीपिका की जोड़ी भी खूब जम रही है. विक्रांत एक बेहतरीन कलाकार हैं और वो अपनी हर फिल्म में खुद को साबित भी करते हैं. वो भले ही अब तक बिग लीग में शामिल न हो पाएं हों, लेकिन इंडस्ट्री के बेहतरीन कलाकारों की लिस्ट में उनका नाम शामिल हो चुका है. फिल्म में दीपिका के अलावा असल में एसिड अटैक सर्वाइवर ऋतू, बाला, जीतू और कुंती, भी हैं जिनका काम भी अच्छा है.

फिल्म को बनाने के लिए शुक्रिया कह रहे हैं लोग

फिल्म देखकर लौटे लोग निशब्द हैं कि किस तरह इस फिल्म के बारे में बात करें. इस फिल्म ने लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है. फिल्म से जुड़े हर शख्स ने अपने अपने काम पर बहुत मेहनत की है. दीपिका का काम अवार्ड देने लायक है.

इस फिल्म को बनाने के लिए लोग मेघना गुल्जार को धन्यवाद दे रहे हैं.

जबकि क्रिटिक्स की बात करें तो इसे सशक्त फिल्म कहा गया है, जिसे 3.5 से 4 स्टार दिए गए हैं.

'छपाक' यानी वो आवाज जिसने तमाम महिलाओं की जिंदगी बदसूरत कर दी, जिसने एक स्त्री का चेहरा ही खराब नहीं किया बल्कि अंदर तक उसे जलाकर रख दिया, छपाक यानी वो खौफ जिसके डर में आज भी कई महिलाएं जीती हैं और कुछ तो इसके छींटे अपने चेहरे पर लिए जिंदगी से लड़ रही हैं. इन महिलाओं के लिए आप कुछ नहीं कर सकते, लेकिन इस फिल्म को देखेंगे तो उनके प्रति सम्मान बढ़ जाएगा जो अपना सबकुछ जलाकर खुद के लिए रौशनी तलाश रही हैं. जिन्हें ये लगता है कि फिल्म 'छपाक' न देखकर वो दीपिका का नुक्सान करेंगे, उन्हें एक बार फिर सोचना चाहिए. क्योंकि फिल्म दीपिका पर नहीं बल्कि एक एसिड अटैक विक्टिम पर है. इस फिल्म को बनाने के लिए मेघना गुल्जार को शुक्रिया कहना तो बनता है क्योंकि इन महिलाओं को तो लोग देखना तक पसंद नहीं करते, उनकी जिंदगी पर्दे पर लाने का काम सिर्फ वही कर सकती थीं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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